मध्यप्रदेश में।शुक्रवार को मिले 4 हजार से अधिक कोरोना मरीज, 79 की मौत;अबतक संक्रमितों की संख्या 7,57,119 और मृतकों की संख्या 7394 हुई attacknews.in

भोपाल, 21 मई । मध्यप्रदेश में प्रत्येक दिन घटते कोरोना संक्रमण के बीच आज भी चार हजार से अधिक लोग कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।आज इस महामारी से 79 लोगों की मौत हो गयी।

मध्यप्रदेश के लिए राहत की खबर है कि कोरोना संक्रमण दर 20 प्रतिशत से घटकर अब 5़ 6 पर पहुंच गयी है।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले में 78,268 लोगों की जांच की गई।

इस जांच सैंपल रिपोर्ट में 4,384 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये हैं।

जबकि 73,884 लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव पाये गये और 152 कोरोना टेस्ट रिजेक्ट हुए है।

आज पॉजीटिविटी रेट आज (संक्रमण दर) घटकर 5़ 6 प्रतिशत दर्ज की गयी।

कोरोना संक्रमण की चपेट में आये 9,405 लोग संक्रमण से मुक्त होकर घर रवाना हुए है।

अब राज्य भर में सक्रिय मरीजों की संख्या अब 67,625 पहुंच गयी है।

प्रदेश में कोरोना संक्रमण ने अब तक 7,57,119 लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया है।

राहत की खबर है कि इनमें से अब तक 6,82100 ठीक होकर घर पहुंच गये है।

इस महामारी ने अब तक प्रदेश भर में 7394 लोगों की जान ले चुका है।

आज 79 लोगों मौत कोरोना संक्रमण से हुई है।

राज्य 52 जिलों में आज भी सबसे अधिक कोरोना संक्रमित मरीज इंदौर जिले में मिले हैं।

इंदौर जिले में आज 937 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये।

वहीं दूसरे स्थान पर भोपाल जिले में 607 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।

इसके अलावा ग्वालियर में 105, जबलपुर में 279, उज्जैन में 127, रतलाम में 146, रीवा में 148, सागर जिले में 114 नये कोरोना मरीज मिले है।

बाकी अन्य जिलों में भी 4 से लेकर 79 के बीच कोरोना संक्रमित मिले है।

पटना हाईकोर्ट ने सेनारी नरसंहार में 34 लोगों की वीभत्स तरीके से की गई हत्या के 13 हत्यारों को निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी और उम्र कैद की सजा से 15 को बरी किया attacknews.in

 

पटना 21 मई । पटना उच्च न्यायालय ने सेनारी नरसंहार के 15 दोषियों को आज बरी कर दिया ।

न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह और न्यायाधीश अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने बहुचर्चित सेनारी नरसंहार मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे शुक्रवार को सुनाया ।

खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए 15 दोषियों को बरी करने का आदेश दिया । इससे पूर्व जहानाबाद की जिला अदालत ने नरसंहार के इस मामले में 11 दोषियों को फांसी और 4 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी ।

बिहार के चर्चित सेनारी नरसंहार कांड में पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को निचली अदालत से दोषी ठहराए गए 15 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। साथ ही निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को रद्द कर दिया। सभी को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है।

18 मार्च 1999 को वर्तमान अरवल जिले (तत्कालीन जहानाबाद) के करपी थाना के सेनारी गांव में 34 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। आरोप प्रतिबंधित एमसीसी उग्रवादियों पर लगा था।

इसी मामले में पटना हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ के न्यायामूर्ति अश्वनी कुमार सिंह और न्यायमूर्ति अरविंद श्रीवास्ताव ने सेनारी नरसंहार कांड की सुनवाई के बाद फैसला दिया है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी पक्ष यानी अभियोजन पक्ष इस कांड के आरोपियों पर लगे आरोप को साबित करने में असफल है। नरसंहार कांड के इन आरोपियों के खिलाफ पुख्ता और ठोस साक्ष्य पेश करने में सरकार पूरी तरह असफल रही है। निचली अदालत द्वारा 15 नवंबर 2016 को नरसंहार कांड के 11 आरोपियों को फांसी की सजा और अन्य को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। सजा पाए आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की थी।

निचली अदालत ने जिन आरोपियों को मौत की सजा दी थी, उनकी सजा को सही ठहराने के लिए सजा के फैसले और साक्ष्य समेत सभी रिकॉर्ड को पटना हाईकोर्ट भेजा था। पटना हाईकोर्ट ने मौत की सजा वाले और आजीवन कारावास के फैसले पर एक साथ सुनवाई करने के बाद शुक्रवार को फैसला दिया है। पटना हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्य एक दूसरे से मेल नहीं खाते हैं। वहीं, आरोपियों की पहचान की प्रक्रिया सही नहीं है। अनुसंधानकर्ता पुलिस ने पहचान की प्रक्रिया नहीं की है। गवाहों ने आरोपियों की पहचान कोर्ट में की है जो पुख्ता साक्ष्य की गिनती में नहीं है। इसलिए संदेह का लाभ आरोपियों को मिलता है। इसके अलावे इस कांड के विचारण के दौरान भी सरकार यानि अभियोजन और पुलिस प्रशासन भी आरोपियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य पेश करने में असफल रहा।

34 लोगों की हुई थी निर्मम हत्या

तत्कालीन जहानाबाद और वर्तमान अरवल जिले के करपी थाने के सेनारी गांव में 18 मार्च 1999 की शाम करीब 7.30 बजे से 11 बजे रात तक प्रतिबंधित संगठन के एमसीसी उग्रवादियों पर गांव के 34 लोगों की तेजधार हथियार से गला व पेट फाड़कर और गोली मार कर निर्मम हत्या कर नरसंहार करने का आरोप है। इस नरसंहार कांड में मारे गए अवध किशोर शर्मा की पत्नी चितांमणी देवी के बयान पर पुलिस ने 19 मार्च 1999 को करपी थाने में कांड दर्ज किया था। जबकि नरसंहार की सूचना घटना के दिन ही 11.40 बजे रात में पुलिस को मिल गयी थी। दर्ज बयान के अनुसार पुलिस वर्दी में प्रतिबंधित संगठन के एमसीसी के उग्रवादियों ने सेनारी को घेर लिया व गांव के लोगों को घर से पकड़ कर ठाकुरबाड़ी के पास ले गए। उग्रवादियों ने एक-एक कर 34 लोगों को मार डाला।

निचली अदालत ने सुनाई थी सजा 

जहानाबाद सिविल कोर्ट के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तीन रंजीत कुमार सिंह ने इस नरसंहार के 15 आरोपियों को 15 नवंबर 2016 को सजा सुनाई थी। जिसमें 11 को मौत व अन्य को सश्रम आजीवन कारावास की सजा दी थी। सेशन कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में 23 अन्य  को बरी कर दिया था। पुलिस ने कई बार में 74 के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी। कुछ की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।

इन्होंने दायर की थी याचिका

निचली अदालत ने बचेश कुमार सिंह, बुधन यादव, गोपाल साव, सत्येन्द्र दास, ललन पासी, द्वारिका पासवान, करीमन पासवान, गोरई पासवान, उमा पासवान व दुखन कहार उर्फ दुखन राम को मौत की जा सुनाई थी। मुगेश्वर यादव, विनय पासवान और अरिवंद पासवान को सश्रम आजीवन कारावास की सजा दी थी। इन्हीं लोगों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

वहीं सेनारी गांव के लोगों का कहना है कि यह फैसला निराशाजनक है। ग्रामीण नीतीश कुमार, अजय शर्मा आदि ने कहा कि न्यायालय की भाषा में साक्ष्य के अभाव भले ही हैं। पर हमारे परिजनों की गला रेतकर जघन्य हत्या कर दी गई। इससे बड़ा साक्ष्य क्या होगा। सभी लोग जानते हैं कि 18 मार्च 1999 की रात एमसीसी के हथियारबंद लोगों ने 34 लोगों की हत्या ठाकुरबाड़ी के पास ले जाकर कर दी थी। आखिर कौन सा साक्ष्य चाहिए था। समझ से परे हैं। आरोपियों ने गर्दन काटने के बाद उनके पेट को चीर दिया था।

चाचा को खोया था नीतीश ने

नीतीश ने बताया कि नरसंहार में वह अपने चाचा को खोया था। वहीं अजय शर्मा ने बताया कि नक्सलियों ने उसके भाई की हत्या कर दी थी। महेश शर्मा, अरविंद शर्मा, सुरेश शर्मा ने बताया कि हमलोगों ने अपना परिवार खोया है। अब खोने के लिए बाकी क्या रह गया है। यह भी कहा कि निचली अदालत के फैसले से न्याय मिलने की आस जगी थी। लेकिन, आज वह भी समाप्त हो गई।

सरकार मामले को सुप्रीम कोर्ट में करे दाखिल

मृतक के परिजनों ने कहा कि सरकार जिस प्रकार से अन्य नरसंहार के लिए सुप्रीम कोर्ट गई है। हम लोगों को भी न्याय दिलाने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करे।

सेनारी गांव के अलावा आसपास गांवों में पसरा है मातम

हाईकोर्ट के फैसले के बाद सेनारी गांव के अलावा खटांगी, मंझियावां, ओढ़बिगहा समेत दर्जनों गांवों में मातम छाया हुआ है। विभिन्न संगठनों से जुड़े ग्रामीण इस फैसले से काफी नाराज दिख रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाए। जब तक अभियुक्तों को सजा नहीं मिलेगी। मृतक के परिजन रात की सांस नहीं ले पाएंगे। इतनी बड़ी घटना में सभी लोगों को बरी किया जाना पूरी तरह हास्यप्रद है। इससे अभियुक्तों का मनोबल बढ़ेगा और अपराध की घटनाएं बढ़ेगी।

आपस में मिलजुलकर रहते हैं लोग

मृतक के परिजनों ने बताया कि गांव में अब कोई तनाव नहीं है। हम लोग मिलजुल कर रह रहे हैं। सेनारी के अलावा आसपास के गांवों में भी अमन चैन कायम है। पहले इलाका काफी अशांत था। लेकिन, पिछले 15 वर्षों से इस इलाके में आपसी समन्वय मजबूत हुआ है। जिसके कारण अब देर रात भी निर्भीक होकर लोग अपने घर आते-जाते हैं। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि जो फैसला आया है। उससे निराशा हाथ लगी है। अब तो सूबे की सरकार इस मामले में क्या करती है। इसी पर निगाहें टिकी है।

19 मार्च 1999 को चिंतामणि के बयान पर दर्ज हुई थी प्राथमिकी

अरवल जिले के करपी थाना क्षेत्र के सेनारी गांव में 18 मार्च 1999 की रात प्रतिबंधित नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर के हथियारबंद लोगों ने हमला कर एक ही जाति के 34 लोगों की हत्या कर दी थी। शुरू में इसे पीपुल्स वार ग्रुप की हिंसक कार्रवाई मानी जा रही थी। लेकिन, एमसीसी ने पर्चा छोड़कर नरसंहार की जिम्मेवारी ली थी। उग्रवादियों द्वारा छोड़े गए पर्चे में शंकर बिगहा तथा नारायणपुर की घटनाओं के प्रतिशोद्ध की बात कही गई थी। इस घटना में सात लोग घायल हुए थे। तत्कालीन डीआईजी एसके भारद्वाज, डीएम अवनीश चावला, अरवल के एसपी संजय लाटेकर, डीजीपी टीपी सिन्हा, आईजी नीलमणि, गृहसचिव राजकुमार सिंह समेत कई वरीय अधिकारी घटना स्थल पर पहुंचे थे।

ट्रायल शुरू होने के बाद 31 लोगों ने दी थी गवाही
18 मार्च 1999 को सेनारी नरसंहार के दूसरे दिन 19 मार्च को करपी थाने में चिंतामणि देवी के बयान पर कांड संख्या 22-1999 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। 16 जून 1999 को पुलिस के द्वारा चार्जशीट दाखिल किया गया था। इसके बाद 38 लोगों के खिलाफ ट्रायल चला।

सेनारी हत्याकांड में इन लोगों की गई थी जान

मधुकर कुमार, ओमप्रकाश उर्फ रोहित शर्मा, भूखन शर्मा, नीरज कुमार, ओमप्रकाश, राजेश कुमार, संजीव कुमार, राजू शर्मा, जितेंद्र शर्मा, विरेंद्र शर्मा, सच्चितानंद शर्मा, ललन शर्मा, अवधेश शर्मा, कुंदन शर्मा, धीरेंद्र शर्मा, अमरेश कुमार, रामदयाल शर्मा, सत्येंद्र कुमार, उपेंद्र कुमार, विमलेश शर्मा, परीक्षित नारायण शर्मा, रामनरेश शर्मा, चंद्रभूषण शर्मा, अवधकिशोर शर्मा, संजीव कुमार, श्यामनारायण सिंह, नंदलाल शर्मा, रामस्लोग शर्मा, ज्वाला शर्मा, पिंटू शर्मा, रामप्रवेश शर्मा, रंजन शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, विरेन्द्र शर्मा।

गोवा की अदालत ने तहलका मैगजीन के पत्रकार तरूण तेजपाल काे महिला पत्रकार के साथ बलात्कार के आरोपों से बरी किया attacknews.in

 

पणजी,21 मई। गोवा की एक स्थानीय अदालत ने तहलका मैगजीन के पूर्व एडीटर इन चीफ तरूण तेजपाल को दुष्कर्म के आरोपाें से शुक्रवार को बरी कर दिया।

तेजपाल पर उसी के संस्थान की एक जूनियर पत्रकार ने 2013 में एक पांच सितारा होटल में दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था।

तेजपाल के खिलाफ भारतीय दंड़ संहिता की विभिन्न धाराओं 376(बलात्कार), 341 (गलत तरीके से किसी को रोकना),342 (गलत तरीके से किसी को घेरकर रखना),354ए(शारीरिक उत्पीडन) और 354बी( आपराधिक हमला) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

इस फैसले के बाद तेजपाल के वकील ने कहा कि अदालत ने उसके मुवक्किल को सभी आरोपों से बरी कर दिया है लेकिन अभी तक आदेश की कापी नहीं दी गई है। वकील का कहना है कि आदेश की कापी बाद में अपलोड की जाएगी।

शिकायतकर्ता महिला पत्रकार के अनुसार यह घटना सात नवंबर 2013 की है जब तेजपाल ने एक लिफ्ट में इस पत्रकार के साथ छेड़खानी की थी और उस समय यह मामला काफी चर्चा में आया था।

गोवा पुलिस ने इस मामले में तेजपाल के खिलाफ 20 नवंबर को प्राथमिकी दर्ज की थी जिसमेंं उस पर दुष्कर्म का आरोप था।

एक स्थानीय अदालत में उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद पुलिस ने तेजपाल को 30 नवंबर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद तेजपाल को आठ महीने तक पुलिस और न्यायिक हिरासत में रहना पड़ा था।

इस मामले में गोवा पुलिस क्राइम ब्रांच ने 2,846 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी लेकिन बाद में उच्चतम न्यायालय ने तेजपाल को जमानत पर रिहा कर दिया था।

इस मामले में प्रतिक्रिया करते हुए गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि जिला अदालत के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार उच्च न्यायालय में अपील कर करेगी।

उन्होंने कहा कि गोवा में महिलाओं के साथ अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और तेजपाल को बरी किए जाने पर इस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने के लिए वह व्यक्तिगत रूप से सरकारी वकील तथा जांच अधिकारी के साथ विचार विमर्श करेंगे।

अहमदाबाद साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने ऑनलाइन 1 करोड़ से अधिक रुपये की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया attacknews.in

अहमदाबाद, 21 मई । गुजरात में अहमदाबाद साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने ऑनलाइन एक करोड़ से अधिक रुपये की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 59 लाख रुपये के साथ दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।

साइबर क्राइम पुलिस निरीक्षक एम एन देसाई ने शुक्रवार को बताया कि अहमदाबाद के घाटलोडिया निवासी निरव गि. लाला (47) ने शिकायत दर्ज की थी कि साढ़े सात करोड़ रुपये कीमत के दो हजार ऑक्शीजन कॉन्संट्रेटर खरीदने के लिए 10 प्रतिशत के हिसाब से एडवांस के तौर पर उन्होंने 75 लाख रुपये और उनके मित्र कौशिक शाह ने 38 लाख रुपये ऑनलाइन ऑक्शीजन कॉनसंट्रेटर मशीन खरीदने के लिए कुल एक करोड़ 13 लाख रुपये आरोपी को ऑनलाइन जमा करा दिए। आरोपियों ने एडवांस लेकर सामान नहीं भेजा और फोन भी बंद कर दिए। शिकायत के आधार पर साइबर क्राइम की टीम ने कोरोना महामारी के समय में एटोमदास.कोम वेबसाइट से सर्जिकल इक्विपमेंट बेचने वाले दो लोगों को 59,50,000 रुपये, दो मोबाइल फोन और एक लेपटॉप के साथ पकड़ लिया है। पकड़े गए लोगों की पहचान अहमदाबाद के घाटलोडिया निवासी अंकितकुमार भी. वाला (27) और वाडज में व्यासवाडी के शिवम अपार्टमेंट निवासी सौरभ प्र. जैन (25) के रूप में की गयी है।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने गिरफ्तार 2 मंत्री और तृणमूल नेताओं की नजरबंंद का आदेश दिया , मामला वृहत पीठ को भेजा attacknews.in

कोलकाता, 21 मई । कलकत्ता उच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने गौतम नवलखा मामले में उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के अनुरूप शुक्रवार को आदेश दिया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के तीन प्रमुख नेताओं और कोलकाता के एक पूर्व मेयर को जेल में रखने के बजाए घर में नजरबंद रखा जाए।

आज सुबह मामले की सुनवाई शुरू होते ही कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ इस विषय पर मत नहीं थी। दोनों न्यायाधीश अंतरिम जमानत देने की प्रार्थना पर सहमत नहीं हुए और इसलिए उन्होंने मामले को वृहत पीठ के समक्ष भेजने का फैसला किया।

इसलिए, तृणमूल नेताओं और पूर्व मेयर की नजरबंद का आदेश तदर्थ व्यवस्था के रूप में उस समय तक पारित किया गया है जब तक वृहत पीठ में इस मामले की सुनवाई नहीं होती। पीठ ने कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर चारों नेताओं को न्यायिक हिरासत के बजाय उन्हें घर में नजरबंद करने का आदेश जारी किया।

मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम, तृणमूल कांग्रेस विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को गिरफ्तारी के बाद सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने अंतरिम जमानत दे दी थी लेकिन उसी रात सीबीआई की अपील पर उच्च न्यायालय ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी।

सीबीआई द्वारा विशेष सीबीआई अदालत से मामले को स्थानांतरित करने की मांग के बाद उच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत पर रोक लगा दी।

सीबीआई ने इसका कारण एक धमकी को बताया था कि तृणमूल प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई कार्यालय में छह घंटे तक धराना दिया और एक भय का माहौल उत्पन्न किया था।

चारों नेताओं ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर कर स्थगन आदेश को वापस लेने और अंतरिम जमानत दिए जाने का आग्रह किया था।

कमलनाध ने कहा:मैं मध्यप्रदेश में ही रहूंगा दावा किया कि , मप्र में दो माह में कोरोना से एक लाख से अधिक लोगों की हुई मौत;हनीट्रैप को लेकर कमलनाथ के बयान के बाद मामला फिर गर्माया attacknews.in

भोपाल, 21 मई।मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने आज कहा कि वे आने वाले समय में इसी राज्य में सक्रिय रहेंगे और इसे छोड़ने वाले नहीं हैं।

श्री कमलनाथ ने यहां वर्चुअल पत्रकार वार्ता में सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि वे इसी राज्य में सक्रिय रहेंगे और कहीं जाने वाले नहीं हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि और वे वही करेंगे, जो उन्होंने अपने 45 वर्ष के संसदीय जीवन में जनहित और जनसेवा के लिए किया। चाहे वे किसी पद पर रहे या नहीं रहे। इसी तरह अब वे मध्यप्रदेश के लिए कार्य करेंगे।

एक अन्य सवाल के जवाब में श्री कमलनाथ ने कहा कि कोरोना संकटकाल के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों ने उनसे चर्चा की और कुछ मुद्दों पर मदद मांगी। श्री कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने भी तत्काल जो संभव था, मदद की।

उद्योगपतियों से बेहतर संबंधों के लिए पहचाने जाने वाले श्री कमलनाथ ने कहा कि अधिकारियों के आग्रह पर उन्होंने बड़े उद्योगपतियों से सीधे बात की और राज्य में ऑक्सीजन गैस टैंकर, रेमडेसिविर इंजेक्शन के अलावा अन्य सामग्री तत्काल मुहैया करवायी।

कमलनाथ का दावा, मप्र में दो माह में कोरोना से एक लाख से अधिक लोगों की मौत

वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार पर कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए आज दावा किया कि सिर्फ इस राज्य में ही दो माह के दौरान कोरोना के कारण एक लाख से अधिक लोगों को मृत्यु हुयी है।

श्री कमलनाथ ने कहा कि केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार दोनों ही कोरोना संबंधी आकड़े छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। जो भी आकड़े पेश किए जा रहे हैं, वे वास्तविकता से काफी दूर हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों से श्मशानघाटों और कब्रस्तानों के जरिए जो आकड़े जुटाए हैं, उनके अनुसार मार्च और अप्रैल माह में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 01 लाख 27 हजार से अधिक शव श्मशानघाटों और कब्रस्तानों पर पहुंचे। यदि इनमें से 80 प्रतिशत की मृत्यु कोरोना के कारण होना मान ली जाए, तो 01 लाख 02 हजार से अधिक लोग इस वजह से मौत का शिकार बने।

हनीट्रैप को लेकर कमलनाथ के बयान के बाद मामला फिर गर्माया

मध्यप्रदेश के बहुचर्चित लगभग दो वर्ष पुराने हनीट्रैप मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस मुद्दे को लेकर दिए गए ताजा बयानों से यह प्रकरण फिर से मीडिया की सुर्खियां बनने के साथ गर्माता हुआ नजर आ रहा है।

श्री कमलनाथ ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान इससे जुड़े सवालों के जवाब में कहा कि हनीट्रैप मामले की सीडी उनके पास ही नहीं, काफी लोगों के पास है और उनमें मीडिया के लोग भी शामिल हैं। हालाकि उन्होंने यह भी कहा कि वे इस तरह की राजनीति करना पसंद नहीं करते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या इस प्रकरण में कोई वर्तमान मंत्री शामिल है या कौन कौन लोग शामिल हैं, श्री कमलनाथ ने कहा कि वे इसमें जाना नहीं चाहते हैं।

ऐसा पुलिस अधिकारी जेल की सीखचों में बंद हुआ जो महिलाओं की हत्या करके लाशों को अपने घरों में दफनाता रहा,अब तक 20 की हत्या सामने आई attacknews.in

एल सल्वाडोर हत्या मामले में पूर्व पुलिसकर्मी के घर से 14 शव मिले

सल्वाडोर, 21 मई (एपी) दो महिलाओं की हत्या के लिए इस महीने गिरफ्तार किए गए पुलिस के पूर्व अधिकारी के घर पर अब 14 शव मिले हैं। सल्वाडोर के अभियोजकों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने कहा कि इस मामले ने हत्या के एक बड़े चक्र की मौजूदगी का खुलासा किया है जो संभवत: करीब एक दशक से चल रहा है और स्थानीय मीडिया में ऐसी अटकलें हैं कि अधिकारी ने करीब 20 लोगों की हत्या की है।

पूर्व अधिकारी, ह्यूगो ओसोरियो शावेज को 57 वर्षीय महिला और उसकी 26 वर्षीय बेटी की हत्या के मामले में इस महीने की शुरुआत में हिरासत में लिया गया था और आरोप तय किए गए थे। इससे पहले यौन अपराधों की जांच का सामना कर रहे 51 वर्षीय ओसोरिया शावेज ने दोनों की हत्या करनी स्वीकार की थी।

अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद, पूर्वी चालचोआपा नगर में उसके घर की तलाश शुरू की गई थी।

अभियोजकों ने बताया कि इस तलाश में उसके घर में आठ गड्ढों में दफनाए गए 14 शव मिले । इन शवों को संभवत: करीब दो साल पहले दफनाया गया है। घर से बरामद हो रही लाशों की संख्या पिछले हफ्ते में चार और बढ़ गई हैं।

फिलिस्तीन पर संकट बरकरार:मिस्त्र द्वारा कराए गए संघर्षविराम के बाद इजरायल के निशाने पर हमास कमांडर मोहम्मद देफ उर्फ अबु खालिद जिंदा बच निकला,गाजा सैन्य अभियानों का प्रभार अब भी उसके पास attacknews.in

हमास के अधिकारी ने कहा, “मिसाइलों की कोई कमी नहीं’’

बेरूत/वाशिंगटन , 21 मई (एपी) गाजा की लड़ाई धीरे-धीरे शांत होने और संघर्षविराम की उम्मीदें बढ़ने के साथ ही हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को एक साक्षात्कार में कहा कि फलस्तीनी चरमपंथी समूह के पास ‘‘मिसाइलों की कोई कमी” नहीं है और अगर वह चाहे तो इजराइल पर कई महीनों तक मिसाइलें दागना जारी रख सकता है।

ओसामा हमदान ने हमास चरमपंथियों के साथ 11 दिन से जारी निर्मम युद्ध में संघर्षविराम की इजराइल की घोषणा से कुछ घंटे पहले यह बात कही।

बृहस्पतिवार देर रात की घोषणा में बताया गया कि मिस्र के एक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है।

हमदान ने कहा कि हमास का हाथ न आने वाला कमांडर मोहम्मद देफ, जिसकी इजराइल को दशकों से तलाश है, जिंदा है और गाजा सैन्य अभियानों का प्रभार अब भी उसके पास है।

देफ उर्फ अबु खालिद, गाजा में अब तक इजराइल का सबसे वांछित लक्ष्य रहा है। वह इजराइल के उसकी हत्या करने के कई प्रयासों में जीवित बच गया है और सार्वजनिक तौर पर बिरले ही कभी नजर आया है।

इजराइली मीडिया ने कहा कि मौजूदा इजराइल-हमास युद्ध के दौरान दो बार और उसे मारने के विफल प्रयास किए गए। एक दशक में यह चौथा मौका था।

हमदान ने कहा कि देफ अब भी हमास के सैन्य शाखा कासम ब्रिगेड एवं अन्य धड़ों के “अभियान का प्रमुख है और संयुक्त अभियानों को निर्देशित कर रहा है।”

अपने इस बयान के लिए अधिकारी ने कोई साक्ष्य नहीं उपलब्ध कराए।

साक्षात्कार में, हमदान ने कहा कि उनका समूह अगर चाहे तो महीनों तक इजराइल पर बमबारी जारी रख सकता है।

हालांकि उन्होंने संघर्षविराम में भी भरोसा जताया।

हमदान, हमास के शक्तिशाली निर्णायक राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य हैं।

इजराइल और हमास के बीच संघर्षविराम पर बनी सहमति, राष्ट्रपति जो बाइडन ने की प्रशंसा

वाशिंगटन,से खबर है कि,इजराइल और फलस्तीन के चरमपंथी समूह हमास के बीच संघर्षविराम पर सहमति बनी, जिसके बाद 11 दिन तक चले निर्मम युद्ध पर विराम लग गया।

यह 11 दिन का संघर्ष 2014 के गाजा युद्ध के बाद से सबसे भीषण संघर्ष रहा है जिसमें 240 से अधिक लोगों की मौत हो गई, गाजा पट्टी में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई और इस अस्थिर क्षेत्र के कहीं अधिक अस्थिर होने का डर पैदा हो गया था।

यह संघर्षविराम, अमेरिका, मिस्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों की तरफ से हिंसा को रोकने के लिए बनाए जा रहे दबाव के बाद शुक्रवार को प्रभावी हुआ।

इजराइली सुरक्षा कैबिनेट ने बृहस्पतिवार देर रात को संघर्षविराम को स्वीकार करने के पक्ष में वोट डाले जब दक्षिण इजराइल और गाजा दोनों उन्माद में थे।

प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया कि सुरक्षा कैबिनेट “परस्पर एवं बिना शर्त” शत्रुता समाप्त करने पर सर्वसम्मति से सहमत हुआ।

बयान में कहा गया, “नेताओं ने कहा है कि जमीनी हकीकत अभियान के भविष्य को निर्धारित करेगी।”

हालांकि, नेतन्याहू ने इजराइल के सुरक्षा बलों (आईडीएफ) को उस स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा है अगर हमास मिस्र के संघर्षविराम प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करता है।

संघर्षविराम के बाद गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में भी जश्न मनाते हुए प्रदर्शन किए गए।

सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए कई वीडियो में आतिशबाजी, गाना-बजाना और लोग सड़कों पर परेड करते दिख रहे हैं।

इजराइल और हमास दोनों ने संघर्ष में अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। संघर्ष में मारे गए करीब 240 लोगों में एक भारतीय देखभाल कर्ता भी शामिल है।

केरल के इदुक्की जिले की रहने वाली 30 वर्षीय सौम्या संतोष की गाजा से फलस्तीनियों चरमपंथियों द्वारा किए गए रॉकेट हमले में इजराइल के एशकेलोन में मौत हो गई थी।

मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी ने इजराइल और हमास के बीच मिस्र की मध्यस्थता से हुए संघर्षविराम की सफलता के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का शुक्रिया किया।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि फलस्तीनियों और इजराइलियों को सुरक्षित तरीके से जीवन जीने का समान रूप से अधिकार है और स्वतंत्रता, समृद्धि एवं लोकतंत्र के समान प्रावधानों को प्राप्त करने का भी हक है।

बाइडन ने बृहस्पतिवार को व्हाइट हाउस में कहा, “ मेरा मानना है कि फलस्तीनियों और इजराइलियों को समान रूप से सुरक्षित जीवन जीने का तथा स्वतंत्रता, समृद्धि एवं लोकतंत्र के समान उपायों को हासिल करने का अधिकार है। मेरा प्रशासन उस दिशा में हमारी शांत एवं अनवरत कूटनीति को जारी रखेगा। मेरा मानना है कि हमारे पास प्रगति करने के वास्तविक अवसर हैं और मैं इसपर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”

बाइडन ने कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर गाजा के लोगों को त्वरित मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह संघर्ष 10 मई को शुरू हुआ था जब कई हफ्तों से पूर्वी यरूशलम में बढ़ते इजराइली-फलस्तीनी तनाव ने संघर्ष का रूप ले लिया था।

हमास ने मुस्लिमों और यहूदियों के इस पाक स्थल से इजराइल को पीछे हटने की चेतावनी देने के बाद रॉकेट दागने शुरू कर दिए थे जिसके बाद जवाबी हवाई हमले शुरू हो गए थे।

इजराइल के रक्षा मंत्री बेनी गांट्ज ने ट्विटर पर कहा कि गाजा के हमलों ने “अभूतपूर्व सैन्य लाभ” दिए हैं।

इजराइल ने गाजा में सैकड़ों हवाई एवं जमीनी हमले किए जबकि फलस्तीनी चरमपंथियों ने पिछले सोमवार से मध्य एवं दक्षिणी इजराइल में 4,000 से अधिक रॉकेट दागे।

हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इजराइली हवाई हमलों में 65 बच्चों समेत 232 फलस्तीनियों की मौत हो गई।

आईडीएफ और इजराइल की आपात सेवा के मुताबिक गाजा से फलस्तीनी चरमपंथी हमले में दो बच्चों समेत कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई ।

टूलकिट ट्वीट : सरकार ने ट्विटर से आपत्ति जताई: कोविड- 19 के मुद्दे को लेकर केंद्र पर निशाना साधने कांग्रेस के टूलकिट के साथ ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ टैग चलाने पर जताई आपत्ति attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 मई । सरकार ने कोविड- 19 के मुद्दे को लेकर केंद्र पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस के कथित टूलकिट के साथ ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ टैग चलाने पर ट्विटर से आपत्ति जताई है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि सरकार ने ट्विटर से कहा कि वह ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ टैग को हटाए क्योंकि मामला कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष लंबित है।

सूत्रों के मुताबिक सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा कि है कि सोशल मीडिया मंच निर्णय नहीं दे सकता वह भी तब जब मामले की जांच जारी हो।

सरकार ने ट्विटर से जांच प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करने को कहा। साथ ही सरकार ने कंपनी से कहा कि सत्यता का पता जांच से चलेगा न कि माइक्रो ब्लॉगिंग साइट के माध्यम से।

सूत्रों के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कड़े शब्दों में ट्विटर की वैश्विक टीम को पत्र लिखा है और कुछ राजनेताओं के ट्वीट के साथ ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ टैग पर आपत्ति दर्ज कराई है। ये ट्वीट कथित रूप से कोविड-19 महामारी के खिलाफ सरकार की कोशिशों को कमतर दिखाने, पटरी से उतारने और बदनाम करने के लिए बनाए टूलकिट के संदर्भ में किए गए थे।

ट्विटर के साथ किए गए संवाद में मंत्रालय ने कहा कि पहले ही स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसी के समक्ष संबंधित पक्षकारों में से एक ने शिकायत दर्ज कराई है और टूलकिट की सच्चाई पर सवाल उठाया है एवं उसकी जांच की जा रही है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसी मामले की जांच कर रही है,ऐसे में ट्विटर ने एकतरफा तरीके से इस मामले में निष्कर्ष निकाल लिया और मनमाने तरीके से ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए मीडिया की श्रेणी’ के साथ इसे टैग कर दिया।

सूत्रों ने मंत्रालय के हवाले से बताया कि ट्विटर द्वारा इस तरह की टैगिंग न्याय से पूर्व, पूर्वाग्रह और जानबूझकर स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसी की जांच प्रभावित करने की कोशिश है।

मंत्रालय ने ट्विटर के इस कथित एकतरफा कदम को निष्पक्ष जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने और अपनी सीमा का उल्लंघन करार दिया है। मंत्रालय ने कहा कि यह पूरी तरह से अवांछित था।

मंत्रालय ने अपने पत्र में आगे कहा कि ट्विटर ने एकतरफा तरीके से कुछ ट्वीट को ‘ तोड़-मरोड़ कर पेश किया हुआ’ दिखाया जबकि कानून प्रवर्तन एजेंसी द्वारा जांच लंबित है।

सूत्रों के मुताबिक पत्र में कहा गया कि ऐसे कदम से न केवल ट्विटर की उपयोगकर्ताओं द्वारा तटस्थ और निष्पक्ष तरीके से विचारों के आदान-प्रदान के मंच के तौर पर विश्वसनीयता कमजोर होती है बल्कि ट्विटर पर ‘बिचौलिया’ के तौर पर सवाल उठता है।

गौरतलब है कि यह पत्र ट्विटर द्वारा भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के उस ट्वीट को ‘‘तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया’’ करार दिए जाने के बाद आया जिसमें उन्होंने कथित तौर पर आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने मोदी सरकार को निशाना बनाने के लिए एक ‘टूलकिट’ तैयार किया था।

ट्विटर का कहना है कि ‘वह उस ट्वीट को ऐसा ‘लेबल’ दे सकता है जिससे संबद्ध मीडिया (वीडियो, ऑडियो और तस्वीरें) को छलपूर्वक तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया हो।

भारत सरकार ने ब्लैक फंगस बीमारी के उपचार की दवा एम्फोटेरिसिन-बी की उपलब्धता बढ़ाने मौजूदा 5 कंपनियों के अलावा 5 मई दवा कंपनियों को उत्पादन लाइसेंस जारी किए attacknews.in

नईदिल्ली 21 मई ।भारत सरकार “संपूर्ण सरकार” दृष्टिकोण के माध्यम से कोविड-19 प्रबंधन के लिए दवाओं और निदानिकी की खरीद में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सहायता कर रही है।

अप्रैल, 2020 से विभिन्न दवाओं, चिकित्सा उपकरणों, पीपीई किट और मास्क आदि की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का सक्रिय रूप मदद कर रही है।

हालिया दिनों में कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने म्यूकोर्मिकोसिस के रूप में कोविड जटिलताओं से पीड़ित मरीजों की बढ़ती संख्या के बारे में बताया है। म्यूकोर्मिकोसिस को ब्लैक फंगस के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा ब्लैक फंगस बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फंगल-रोधी दवा एम्फोटेरिसिन-बी की भी कमी बताई गई है।

औषध विभाग और विदेश मंत्रालय के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एम्फोटेरिसिन-बी दवा के घरेलू उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी के लिए सक्रिय प्रयास कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने वैश्विक उत्पादकों से आपूर्ति हासिल करके घरेलू उपलब्धता को पूरा करने के लिए प्रभावी प्रयास किए हैं।

देश में एम्फोटेरिसिन-बी के मौजूदा पांच उत्पादक और एक आयातक हैं :

भारत सीरम और वैक्सीन लिमिटेड

बीडीआर फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड

सन फार्मा लिमिटेड

सिपला लिमिटेड

लाइफ केयर इनोवेशन

माईलैन लैब्स (आयातक)

अप्रैल, 2021 में इन कंपनियों की उत्पादन क्षमता काफी सीमित थी। भारत सरकार के जिम्मेदारी संभालने के परिणामस्वरूप ये घरेलू उत्पादक मई 2021 में कुल मिलाकर 1,63,752 शीशियों का उत्पादन करेंगे। इसके उत्पादन को जून 2021 के महीने में 2,55,114 शीशियों तक बढ़ाया जाएगा।

इसके अलावा फंगल-रोधी दवा की घरेलू उपलब्धता को आयात के जरिए पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। मई, 2021 में एम्फोटेरिसिन-बी की 3,63,000 शीशियों का आयात किया जाएगा, जिससे देश में इसकी कुल उपलब्धता 5,26,752 शीशियों (घरेलू उत्पादन सहित) की होगी।

जून, 2021 में 3,15,000 शीशियों का आयात किया जाएगा। इससे जून, 2021 में घरेलू आपूर्ति के साथ एम्फोटेरिसिन-बी की देशव्यापी उपलब्धता को बढ़ाकर 5,70,114 शीशियों तक किया जाएगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सक्रिय प्रयासों के परिणामस्वरूप देश के भीतर पांच अतिरिक्त उत्पादकों को फंगल-रोधी दवा के उत्पादन के लिए लाइसेंस दिया गया है। ये हैं :

नैटको फार्मास्यूटिकल्स, हैदराबाद

एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल्स, वडोदरा

गफिक बायोसाइन्स लिमिटेड, गुजरात

एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स, पुणे

लाइका, गुजरात

कुल मिलाकर ये कंपनियां जुलाई 2021 से प्रत्येक महीने एम्फोटेरिसिन-बी की 1,11,000 शीशियों का उत्पादन करेंगी। इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और औषध विभाग इन पांच उत्पादकों को सक्रिय रूप से सुविधा प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि ये अतिरिक्त आपूर्ति जून, 2021 में शुरू हो सके।

इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय विदेश मंत्रालय के साथ सहभागिता में अन्य वैश्विक स्रोतों की भी सक्रिय रूप से खोज कर रहा है, जहां से एम्फोटेरिसिन-बी दवा का आयात किया जा सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली अन्य फंगल-रोधी दवाओं की भी खरीदने की कोशिश कर रहा है।

भारतीय रेलवे ने 208 ऑक्सीजन एक्सप्रेस से विभिन्न राज्यों को 814 टैंकरों में लगभग 13319 मीट्रिक टन चिकित्सा उपयोग हेतु तरल ऑक्सीजन भेजी attacknews.in

नईदिल्ली 21 मई । भारतीय रेलवे मौजूदा चुनौतियों का सामना और नए उपायों की तलाश के साथ देश के विभिन्न राज्यों की मांग पर तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति के अपने अभियान पर निरंतर काम कर रही है। भारतीय रेलवे अब तक देश के विभिन्न राज्यों को 814 टैंकरों में लगभग 13319 मीट्रिक टन चिकित्सा उपयोग हेतु तरल ऑक्सीजन की आपूर्ति कर चुका है।

इस अभियान के अंतर्गत अब तक 208 ऑक्सीजन एक्सप्रेस की यात्रा पूरी हो चुकी है और विभिन्न राज्यों को राहत पहुंचाई गई है।

इस विज्ञप्ति के जारी होने के समय तक 13 ऑक्सीज़न एक्सप्रेस 1018 मीट्रिक टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) लेकर निर्धारित राज्यों में पहुँचने के लिए अपने मार्ग पर चल रही हैं।

पिछले कुछ दिनों से ऑक्सीजन एक्सप्रेस द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में दैनिक आधार पर 800 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीज़न पहुंचाई जा रही है।

भारतीय रेलवे, राज्यों की मांग पर यथासंभव मात्रा और कम से कम समय में तरल मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है और इस पर लगातार काम कर रहा है।

ऑक्सीजन एक्सप्रेस द्वारा जिन 13 राज्यों में ऑक्सीज़न की आपूर्ति अब तक की गई हैं उनके नाम हैं: उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, तेलंगाना, पंजाब, केरल, दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश।

अब तक महाराष्ट्र में 614 मीट्रिक टन ऑक्सीजन, उत्तर प्रदेश में लगभग 3338 मीट्रिक टन, मध्य प्रदेश में 521 मीट्रिक टन, दिल्ली में 4110 मीट्रिक टन, हरियाणा में 1619 मीट्रिक टन, राजस्थान में 98 मीट्रिक टन, कर्नाटक में 714 मीट्रिक टन, उत्तराखंड में 320 मीट्रिक टन, तमिलनाडु में 649 मीट्रिक टन, आंध्र प्रदेश में 292 मीट्रिक टन, पंजाब में 153 मीट्रिक टन, केरल में 118 मीट्रिक टन और तेलंगाना में 772 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई

रेलवे ने ऑक्सीज़न की आपूर्ति के लिए नए मार्गों को भी चिन्हित किया है और राज्यों की तरफ से आने वाली आपात स्थिति में किसी भी तरह की मांग को पूरा करने के लिए तैयार है। तरल चिकित्सा ऑक्सीज़न के लिए भारतीय रेलवे को टैंकर राज्य की तरफ से उपलब्ध कराये जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि ऑक्सीज़न एक्सप्रेस की शुरुआत 27 दिन पहले 24 अप्रैल को हुई और पहली ऑक्सीज़न एक्सप्रेस 126 मीट्रिक टन ऑक्सीज़न के साथ महाराष्ट्र पहुंची थी।

भारतीय रेलवे की यह ऑक्सीज़न एक्सप्रेस ऑक्सीज़न की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इधर से उधर दौड़ रही हैं। पश्चिम में हापा, बड़ौदा और मुंद्रा से तो पूरब में राऊरकेला, दुर्गापुर, टाटानगर और अंगुल से ऑक्सीज़न लेकर उसकी आपूर्ति उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, तेलंगाना, पंजाब, केरल, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में सुव्यवस्थित योजनबद्ध ढंग से कर रही हैं।

ऑक्सीजन के रूप में सहायता की आपूर्ति यथासंभव शीघ्र करने के लिए भारतीय रेलवे ऑक्सीजन एक्सप्रेस माल गाड़ी चलाने में नए और बेमिसाल मानक स्थापित कर रही है। लंबी दूरी के अधिकतर मामलों में माल गाड़ी की औसत गति 55 किलोमीटर से अधिक रही है। उच्च प्रथमिकता के ग्रीन कॉरिडोर में आपात स्थिति को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मंडलों के परिचालन दल अत्यधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। चालक दल बदलने जैसी तकनीकी आवश्यकताओं के लिए गाड़ी के ठहराव (स्टॉपेज) को घटाकर 1 मिनट कर दिया गया है।

मार्गों को लगातार खुला रखा जा रहा है और ऑक्सीज़न एक्सप्रेस के सुचारु परिचालन के लिए उच्च स्तर पर सतर्कता बरती जा रही है।

यह भी महत्वपूर्ण है कि ऑक्सीज़न एक्सप्रेस के लिए किए गए इन प्रबंधों के साथ यह भी ध्यान रखा जा रहा है कि अन्य मालगाड़ियों के परिचालन में किसी तरह का व्यवधान ना आए।

ऑक्सीज़न की ढुलाई एक जटिल प्रक्रिया है और ढुलाई से जुड़े आंकड़े लगातार अपडेट किए जा रहे हैं। कुछ और ऑक्सीजन एक्सप्रेस देर रात अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना होंगी।

देशव्यापी “आयुष कोविड-19 काउंसलिंग हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर 14443 ” हुआ शुरू,सप्ताह के सातों दिन सुबह 6 बजे से आधी रात 12 बजे तक खुली रहेगी attacknews.in

नईदिल्ली 21 मई आयुष मंत्रालय ने एक समर्पित सामुदायिक सहायता हेल्पलाइन शुरू की है। इसके जरिये कोविड-19 की चुनौतियों के समाधान के लिये आयुष आधारित उपाय बताये जायेंगे।

इसका टोल-फ्री नंबर 14443 है। यह हेल्पलाइन पूरे देश में शुरू हो गई है और सप्ताह के सातों दिन सुबह छह बजे से आधी रात बारह बजे तक खुली रहेगी।

हेल्पलाइन 14443 के जरिये आयुष की विभिन्न विधाओं, जैसे आयुर्वेद, होमियोपैथी, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी और सिद्ध के विशेषज्ञ, लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिये उपलब्ध रहेंगे। ये विशेषज्ञ सिर्फ रोगी की काउंसलिंग और उपयोगी उपचार ही नहीं बतायेंगे, बल्कि वे नजदीकी आयुष केंद्रों की जानकारी भी देंगे।

विशेषज्ञ कोविड-19 से उबरने वाले रोगियों को दोबारा रोजमर्रा के काम शुरू करने और अपनी देखभाल के बारे में सलाह देंगे। यह हेल्पलाइन इंटरऐक्टिव वॉइस रेस्पांस (आईवीआर) आधारित है और हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध है। जल्द ही अन्य भाषायें भी इसमें जोड़ दी जायेंगी।

हेल्पलाइन एक बार में 100 कॉल्स ले सकती है। जरूरत को देखते हुये इसकी क्षमता बढ़ा दी जायेगी। हेल्पलाइन के जरिये आयुष मंत्रालय का प्रयास है कि देशभर में कोविड-19 के फैलाव को सीमित किया जाये। उसके इस प्रयास को गैर-सरकारी संस्था प्रोजेक्ट स्टेप-वन सहयोग कर रही है।

उल्लेखनीय है कि आयुष प्रणाली प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है और आज भी लोग इसका उपयोग करते हैं। इसे स्वास्थ्य और आरोग्य के लिये इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसे अब देश में औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान कर दी गई है।

मौजूदा महामारी के दौरान इन प्रणालियों का उपयोग बढ़ गया है, क्योंकि इनसे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। आयुष प्रणालीअसरदार, सुरक्षित, आसानी से उपलब्ध और सस्ती है। इसे कोविड-19 का इलाज करने में कारगर पाया गया है। इसके अतिरिक्त, इसकी चिकित्सकीय क्षमता की भी पड़ताल की गई, जिसके आधार पर कई जड़ी-बूटियों से बने दो असरदार नुस्खे सामने आये।

पहला नुस्खा आयुष-64 को केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद ने और दूसरा.सिद्ध प्रणाली वाला कबसुर कुडीनीर नुस्खा विकसित किया गया।

इन दोनों नुस्खों को कोविड-19 के हल्के और कम गंभीर मामलों में कारगर पाया गया है। आयुष मंत्रालय इन दवाओं को प्रोत्साहन दे रहा है, ताकि आम लोगों को इसका फायदा मिल सके।

उज्जैन में कोरोना से मृत शवों का निःशुल्क दाह संस्कार श्री चक्रतीर्थ न्यास द्वारा करवाया जाएगा attacknews.in

उज्जैन 21 मई । कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए उज्जैन के प्राचीन शवदाह स्थल श्री चक्रतीर्थ घाट पर कोरोना से मृत व्यक्तियों के दाह संस्कार हेतु लकडी एवं कंडे निःशुल्क प्रदान करने का निर्णय श्री चक्रतीर्थ न्यास, उज्जैन द्वारा लिया गया है।

जानकारी देते हुए चक्रतीर्थ न्यास के अध्यक्ष एवं।मध्यप्रदेश माटी कला बोर्ड के पूर्वअध्यक्षअशोक प्रजापत ने बताया कि इस संवेदनशील विषय पर न्यास द्वारा बैठक आयोजित कर सर्वानुमति से कोरोना महामारी से मृत व्यक्तियों के दाह संस्कार हेतु लकडी एवं कंडे निःशुल्क उपलब्ध करवाने का प्रस्ताव पास किया हैं।

इसके लिए कोरोना से मृत व्यक्ति के परिवार जनों को प्रशासन/अस्पताल से जारी मूल प्रमाण पत्र एवं उसकी फोटो काॅपी जिसमें कोरोना से मृत्यु होना उल्लेखित हो शवदाह के समय अपने साथ लाना अनिवार्य होगा।

प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर न्यास द्वारा आवश्यक लकडी एवं कंडे दाह संस्कार हेतु निःशुल्क उपलब्ध करवा दिए जावेगे।

न्यास की बैठक में उपस्थित जनों में सर्व श्री कार्यकारी न्यासी श्री सुरेन्द्र अरोरा, सचिव श्री प्रहलाद यादव, उपाध्यक्ष श्री हरिसिह यादव आदि गणमान्यजन उपस्थित थे। यह जानकारी न्यास के सचिव श्री प्रहलाद यादव ने दी।

पेट्रोल, डीजल के दाम फिर बढ़े, मुंबई में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के करीब attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 मई । तेल कंपनियों द्वारा शुक्रवार को कीमतों में बढ़ोतरी के बाद मुंबई में पेट्रोल का मूल्य 100 रुपये प्रति लीटर के करीब पहंच गया, जबकि डीजल का भाव बढ़कर 91 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो गया।

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक पेट्रोल 19 रुपये प्रति लीटर और डीजल 29 पैसे प्रति लीटर महंगा हुआ है।

यह इस महीने 11वीं बढ़ोतरी है, जिसके साथ ही देश में पेट्रोल और डीजल के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं।

पेट्रोल की कीमत पहले ही राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में 100 रुपये के स्तर को पार कर गई है।

इस समय मुंबई में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 99.32 रुपये है, जबकि डीजल 91.01 रुपये प्रति लीटर के भाव से मिल रहा है।

राजस्थान के श्रीगंगानगर में पेट्रोल 104 रुपये प्रति लीटर और डीजल 96.62 रुपये प्रति लीटर की दर से मिल रहा है, जो देश में सबसे अधिक है।

स्थानीय करों और मालभाड़े के चलते देश के अलग-अलग हिस्सों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अंतर रहता है।

ग्रामीण भारत के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन:अब डीजल- पेट्रोल वाले ट्रैक्टर, पावर टिलर,निर्माण उपकरण वाहन CNG, BIO-CNG और LNG ईंधन इंजन में बदले जा सकेंगे attacknews.in

नयी दिल्ली, 21 मई ।सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ग्रामीण भारत में स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन को अधिसूचित किया है।

इस संशोधन के बाद डीजल और पेट्रोल से चलने वाले कृषि ट्रैक्टर, पावर टिलर और निर्माण उपकरण वाहनों को सीएनजी, बायो-सीएनजी और एलएनजी ईंधन इंजन में बदला जा सकता है।

मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘मंत्रालय ने कृषि ट्रैक्टरों, पावर टिलर, निर्माण उपकरण वाहनों और हार्वेस्टर के इंजनों को सीएनजी, बायो-सीएनजी और एलएनजी ईंधन से बदलने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में एक संशोधन को अधिसूचित किया है।’’

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस साल फरवरी में डीजल इंजन से सीएनजी में परिवर्तित भारत का पहला ट्रैक्टर पेश किया था और कहा था कि इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव होंगे, बल्कि बड़े संख्या में रोजगार के मौके भी तैयार होंगे।