नई दिल्ली, 27 फरवरी । चीफ जस्टिस जेएस खेहर कम महत्व वाले मसलों पर जनहित याचिकाएं दाखिल करने के बढ़ते चलन पर कटु टिप्पणी की है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सारी समस्याओं के लिए अमृत धारा नहीं है ।दरअसल एक जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने मांग की कि शवों के परिवहन के समय सभी धार्मिक सम्मान देने के लिए सुप्रीम कोर्ट सरकार को दिशा निर्देश दे ।
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ये याचिका वैसे ही है जैसे आप सुबह जगे और बोले कि चलो अब हम सुप्रीम कोर्ट चलें। अरे आप सक्षम प्राधिकार के यहां क्यों नहीं जाते ? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपनी कहानी बयां करते हुए कहा कि जब मैं युवा था तो ये अमृत धारा सभी बीमारियों के लिए एक प्रसिद्ध हर्बल मेडिसिन हुआ करती थी ।अगर आपको पेट दर्द है तो अमृत धारा…अगर सिर दर्द है तो अमृत धारा…आज के समय में लोग सुप्रीम कोर्ट को अमृत धारा समझने लगे हैं । आप सुबह उठते हैं और सीधे अपनी सभी समस्याओं के लिए सुप्रीम कोर्ट चले आते हैं। क्या ये वैसा नहीं है जैसे हम सुप्रीम कोर्ट को बर्बाद कर दें? जैसे हमें यहां कोई काम नहीं है?
जनहित याचिका में मांग की गई थी कि मध्यप्रदेश, उड़ीसा, यूपी और दूसरे राज्यों में शवों को ले जाने की बड़ी शर्मनाक घटनाएं घटीं ।
याचिका में मध्यप्रदेश के शहडोल जिले का एक वाकया बताया गया जिसमें एक व्यक्ति का दामाद उसके शव को साइकिल पर तीस किलोमीटर तक ले गया और राज्य सरकार ने कोई वाहन उपलब्ध नहीं कराया । इस घटना के पन्द्रह दिन बाद ही मध्य प्रदेश में ऐसी ही दूसरी घटना घटी जिसमें एक व्यक्ति कंबल में लपेटकर शव को करीब तीस किलोमीटर तक लेकर गया ।
आपको बता दें कि कम महत्वपूर्ण वाली याचिका दायर करने को लेकर 11 फरवरी को चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने बिहार के एक विधायक पर दस लाख का जुर्माना लगाया था जबकि महाराष्ट्र के एक प्रोफेसर पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।