नई दिल्ली। लोन नहीं चुकाने की चल रही जांच के बीच भारत छोड़ने पर विवादों में घिरे उद्योगपति विजय माल्या ने उस साक्षात्कार से खुद को दूर रखने का प्रयास किया, जिसमें उन्हें यह कहते हुए दिखाया गया है कि देश में लौटने का यह सही समय नहीं है।
माल्या ने अपने आधिकारिक ट्वीटर पेज पर ट्वीट किया, ‘‘मीडिया में बिना पुष्टि के यह बयान देखकर स्तब्ध हूं कि मैंने संडे गार्जियन को साक्षात्कार दिया। मैंने किसी को कोई बयान नहीं दिया।’’ उन्होंने उस साक्षात्कार के बारे में विस्तार से जिक्र नहीं किया है।
किंगफिशर एयरलाइन के लिए ऋण के कुल बकाया राशि नौ हजार करोड़ रूपये नहीं चुकाने के लिए विवादों में आए माल्या ने दो मार्च को देश छोड़ दिया था, जिसके बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक गतिरोध पैदा हो गया और आरोप-प्रत्यारोप छिड़ गया।
किंगफिशर एयरलाइन द्वारा आईडीबीआई के बकाया नौ सौ करोड़ रूपये कथित तौर पर नहीं चुकाने के मामले में धनशोधन जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय ने 18 मार्च को उन्हें मुंबई कार्यालय में पेश होने का समन जारी किया है।
इस बात को लेकर खबर चली कि माल्या लंदन में हैं लेकिन अपने ठिकाने के बारे में माल्या ने चुप्पी साध रखी है लेकिन कभी कभार ट्वीट करते हैं कि वह ट्वीट करते हैं।
संडे गार्जियन ने सोमवार को उनके हवाले से ई-मेल साक्षात्कार का जिक्र करते हुए लिखा, ‘‘मैं दिल से भारतीय हूं। निश्चित तौर पर मैं लौटना चाहता हूं। लेकिन वहां मुझे अपना पक्ष रखने का उचित अवसर नहीं मिलेगा। मुझे अपराधी घोषित किया जा चुका है। मेरा मानना है कि यह सही समय नहीं है।’’
क्या होता है प्रोटोनमेल
जिस तरह से जीमेल का सर्वर अमेरिका में मेंटेन होता है, उसी तरह से प्रोटोनमेल का सर्वर स्विटजरलैंड में स्थित है। प्रोटोनमेल अपना सर्वर खुद मेंटेन करते हैं। उनका अपना हार्डवेयर और नेटवर्क होता है। इसमें किसी तीसरी पार्टी की कोई दखलंदाजी नहीं होती है।
प्रोटोनमेल के जरिए भेजे गए संदेश इनक्रिप्टेड होते हैं। यानि इसे जिसे भेजा गया है, सिर्फ वही खोल सकते हैं। रिसीवर अपना मेल खोलने के बाद पासवर्ड डालते हैं, और इसके बाद ही वो मेल खुल पाता है।
प्रोटोनमेल के दो डाटा सेंटर हैं, जो लुइसियाना और एटिनघॉसेन में स्थित हैं। सभी डाटा इनक्रिप्टेड होते हैं। उनका मुख्य डाटा सेंटर ग्रेनाइट चट्टान से बने एक जगह पर है। यह एक हजार मीटर नीचे है।
डाटा सेंटर क्योंकि स्विटजरलैंड में है, इसलिए यह न तो अमेरिका और न ही यूरोपियन ज्युरिडिक्शन में आता है। स्विस कानून के मुताबिक, किसी मेल का सर्विलांस करना हो तो इसके लिए स्विटजरलैंड कोर्ट से इजाजत लेनी होगी। साथ ही मेल चलाने वालों का कहना है कि किसी ने सर्विलांस की इजाजत मांगी है, तो वो अपने कस्टमर को इसकी खबर दे देते हैं। इसका मतलब है कि कस्टमर कोर्ट जा सकता है। और बिना कोर्ट की इजाजत के डाटा किसी को भी नहीं दिया जा सकता है।
इससे भी बड़ी बात यह है कि प्रोटोन मेल स्विस फेडरन एक्ट के दायरे में नहीं आता है। प्रोटोन मेल को यूरोपियन ऑरगेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सर्न) द्वारा बनाया गया है।