भोपाल। दैनिक वेतनभोगियों के नियमितिकरण मामले में न्यायालय की अवमानना के नोटिस के बाद मध्यप्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर अपना हलफनामा पेश किया। जिसमें सरकार ने कहा है कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के नियमितिकरण के लिए सरकार पर करीब 10 करोड़ रूपये का वित्तीय भार आ रहा है, और सभी कर्मचारियों को नियमित करने के लिए सरकार को करीब तीन माह का समय चाहिए।
सरकार की तरफ से हलफनमा दायर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार की मांग पर उसे 25 अप्रैल तक का समय दिया है। जिसके बाद सरकार 25 अप्रैल को दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के नियमितिकरण की जानकारी कोर्ट में सामने पेश करेगी।
14 मार्च को जारी हुआ नोटिस
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के नियमितिकरण के मामले में मध्यप्रदेश सरकार के मुख्य सचिव सहित छह निर्माण विभागों के प्रमुख सचिव को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया था, और उनसे 18 मार्च को जबाब तलब किया था।
नोटिस जारी होते ही मध्यप्रदेश सरकार हरकत में आई, और सरकार ने कोर्ट में हलफनामा पेशकर सरकार के सामने अपना पक्ष रखा था। साथ ही सभी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने के लिए तीन महीने का समय मांगा है।
25 अप्रैल तक मिली मोहलत
सरकार के हलफनामे के बाद सुप्रीम कोर्ट के दो सदस्यीय पीठ ने मध्यप्रदेश सरकार को सिर्फ 25 अप्रैल तक का समय दिया है। दरसल सरकार ने अपने हलफनामें कहा था कि विभिन्न न्यायालयों द्वारा 177 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित किया गया है।
सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया
सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी 2015 को प्रदेश के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को 8 महीने के अंदर अपने-अपने विभागों में नियमित करने के आदेश दिए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक साल के बाद भी सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानने पर मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच ने जनवरी 2016 में अवमानना याचिका लगायी थी। जिस पर 14 मार्च 2016 को मध्यप्रदेश सरकार के मुख्य सचिव सहित 6 प्रमुख सचिवों न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी किया था।