भोपाल। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव में रसूखदारों और दिग्गज की भूमिका सिर्फ चुनाव देखने की रहेगी। यहां तक चुनाव या रायशुमारी की प्रक्रिया से भोपाल के नेताओं को दूर रखा गया है। इस बार प्रक्रिया में बदलाव करते हुए प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति को पारदर्शी बनाया गया है।
यह स्थिति मंडल और जिलाध्यक्ष का निर्वाचन न होने के कारण बनी है। प्रदेशाध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के निर्वाचन में जिले से चुने गए प्रदेश प्रतिनिधियों के अलावा विधायक दल और संसदीय दल से चुने गए प्रदेश प्रतिनिधि ही शामिल हो सकते हैं। विशेषकर मतदान का अधिकार केवल इन्हीं को होता है।
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पद छोड़ने को तैयार हैं मंत्री
दरअसल, भोपाल में निर्वाचन प्रक्रिया न होने के कारण जिलाध्यक्ष के साथ ही प्रदेश प्रतिनिधि भी नहीं चुने जा सके है। यहां के सांसदों और पांचों विधायक को विधायक और संसदीय दल से प्रतिनिधि चुनते समय भी शामिल नहीं किया।
भोपाल शहर के साथ नौ अन्य संगठनात्मक जिलों के यही हाल हैं। इनमें अनूपपुर, गुना, अशोकनगर, नीमच, होशंगाबाद, कटनी, रतलाम, सीहोर और सतना में भी जिलाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ है।
272 प्रतिनिधि होंगे शामिल
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष व संगठन चुनाव अधिकारी अजय प्रताप सिंह ने प्रदेशाध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद सदस्यों के चार व पांच जनवरी को होने वाले निर्वाचन के लिए मतदाता सूची का प्रकाशन कर दिया है। इस चुनाव में प्रदेश के 46 संगठनात्मक जिलों के केवल 272 प्रदेश प्रतिनिधि ही वोटिंग कर सकेंगे।
चार जनवरी को मिलेगा भाजपा को नया प्रदेशाध्यक्ष
भोपाल सहित कुल दस जिलों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। चयनित प्रदेश प्रतिनिधियों में जिलों से निर्वाचित 252 प्रदेश प्रतिनिधि, विधायक दल से निर्वाचित 17 और संसदीय दल से निर्वाचित तीन प्रतिनिधि मतदाता है।
चार जनवरी को नामांकन कराने के साथ ही नाम वापसी तक की प्रक्रिया होगी। यदि आमराय नहीं बनती है तो पांच जनवरी को मतदान होगा।
भोपाल में इसलिए अटके हैं चुनाव
मंडल चुनाव में ही यहां के नेताओं ने रायशुमारी से तैयार पैनल में दांव पेंच लड़ा दिए थे। सूत्रों की मानें तो प्रदेश कार्यालय में पहुंचने से पहले ही पैनल बदल दी गई। कुल 17 में से करीब आधा दर्जन मंडलों से यह शिकायत प्रदेश संगठन के पास पहुंची थी कि जो पैनल रायशुमारी से बनी थी, उसे बदलकर दूसरी पैनल प्रदेश कार्यालय भेजी गई है। संगठन ने शिकायत को गंभीर मानते हुए यहां मंडल अध्यक्षों के नाम ही घोषित नहीं किया।