इस्लामाबाद 3 मार्च |पाकिस्तान की जमीन में दुनिया का सबसे बड़ा कोयला भंडार दबा है. लेकिन ऊपर ऊर्जा संकट है. अब कोयला निकालना आग से खेलने जैसा है.
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में दुनिया का सबसे बड़ा कोयला भंडार है. थार के रेगिस्तान के नीचे दबे इस कोयला भंडार को अब तक छुआ नहीं गया है. कई सालों तक पाकिस्तान इस कोयला भंडार का हवाला देते हुए जलवायु सम्मेलनों में मोलतोल करता रहा है. इस्लामाबाद का कहना है कि वह स्वच्छ ऊर्जा की तकनीक पाने के खातिर इस कोयले को नहीं निकाल रहा है.
लेकिन जैसे जैसे देश का ऊर्जा संकट गहरा रहा है, वैसे वैसे विशालतम कोयला भंडार के इस्तेमाल का दबाव भी बढ़ रहा है. अब सरकार खनन कंपनियों को थार के रेगिस्तान से कोयला निकालने के लिये प्रोत्साहित कर रही है. पेरिस में 2016 में हुए जलवायु समझौते के दौरान पाकिस्तान ने संकेत दिया कि वह 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन चार गुना बढ़ाएगा.
कोयला खदान अब पाकिस्तान की सबसे बड़ी खनन साइट बनने जा रही है. सिंध इनर्गो कोल माइनिंग कंपनी ने सिंध सरकार के साथ एक समझौता किया है. समझौते के तहत कपंनी 13 में से एक कोयला ब्लॉक में खनन करेगी. ब्लॉक का एक फीसदी कोयला निकाला जाएगा. कंपनी के प्रमुख शम्सुद्दीन शेख के मुताबिक, कोयला “सबसे बुरा जीवाश्म ईंधन हैं लेकिन पाकिस्तान को बिजली चाहिए, फिलहाल जीडीपी ऊर्जा संकट से प्रभावित है.”
1992 में पता चले इस कोयला भंडार में 175 अरब टन कोयला होने का अनुमान है. कोयले में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होने के कारण इसे घटिया क्वालिटी का माना जाता है. खनन की ज्यादा लागत के चलते अब तक कई कंपनियों ने इससे दूरी बनाये रखी. ऐसे में सिंध इनर्गो कोल माइनिंग कंपनी को आगे आना पड़ा. दो चीनी कंपनियों के साथ मिलकर अब वहां कोयला पावर प्लांट लगाया जा रहा है. 660 मेगावॉट क्षमता से शुरुआत करते हुए 2022 तक बिजली उत्पादन 3,300 मेगावॉट तक पहुंचाने का लक्य है |
लेकिन क्या कोयला जलाकर पाकिस्तान आगे बढ़ पाएगा. जलवायु परिवर्तन पर सख्त होते रुख के बीच पूरी दुनिया में कोयले वाले पावर प्लांटों पर पाबंदी लगाई जा सकती है. अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान को पाबंदियों झेलनी होंगी. पाकिस्तान के जलवायु विशेषज्ञ कमर-उज-चौधरी फिलहाल एशियाई विकास बैंक के सलाहकार है. वह पाकिस्तान सरकार से मांग कर रहे हैं कि “अगले 25 से 30 साल तक देश को कोयला तकनीक में लॉक न किया जाए.”
चौधरी के मुताबिक एक ऐसे वक्त में जब चीन जैसे देश कोयले से दूर भाग रहे हैं, तब पाकिस्तान को कोयले में हाथ गंदे नहीं करने चाहिए. चौधरी चेतावनी देते हुए कहते हैं, “इस बात के संकेत हैं कि वह समय दूर नहीं जब ग्रीन ऊर्जा का रास्ता न अपनाने वाले देशों को दंडित किया जाएगा. हमारी दीर्घकालीन प्लानिंग कोयले पर केंद्रित नहीं होनी चाहिए.”
कोयला निकालना आग से खेलने के समान बन चुका है. खदान से निकलने वाले पानी को कहां बहाया जाएगा, यह भी एक सवाल है. खदान के दूषित पानी के लिए एक तालाब बनाए जाने की योजना भी है. तालाब के पास के गांव में रहने वाली पद्मा बाई कहती हैं, “झील में वह खदान से पम्प किया हुआ गंदा पानी जमा करेंगे. और वह हमारे कुएं के मीठे पानी को दूषित करेगा. इनर्गो हमें पैसा देना चाहती है, लेकिन हमें वह नहीं चाहिए. यह हमारे पुरखों की जमीन है और हम इसे नहीं छोड़ना चाहते.”