भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री सहित अन्य VIP की जिंदगी खतरे में है। क्योंकि स्टेट हैंगर में एयरक्राफ्ट मेंटीनेंस इंजीनियर संजय सुराना की डिग्री फर्जी है। एयरक्राफ्ट मेंटनेंस ने खुद माना है कि मेंटनेंस इंजीनियर संजय सुराना के पास बेल हेलीकाप्टर 407 का लाइसेंस है, जबकि एयरक्राफ्ट मेंटनेस का लाइसेंस नंबर 6154 गलत और फर्जी है।
डायरेक्टर जनरल सिविल एवीएशन ने 13 घटनाओं की जांच में सीधे तौर मेंटनेंस इंजीनियर सुरैना को जिम्मेदार ठहराया है और छह एयरक्राफ्ट पायलटों ने लिखित में इसकी शिकायत की है। प्रदेश सरकार के एविएशन प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैस ने नियुक्ति के मामले में जांच कर ली है और अभी सुरक्षा के बिंदुओं से जांच की जा रही है।
सरकार ने 1994 में एयरक्राफ्ट के लिये एससी, एसटी सीट पर दो पद सीनियर मैकेनिक और रेडिय मैकेनिक के लिय आवेदन मंगवाए थे। इसमें 16 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। 31 अगस्त 1994 को इस इंटरव्यू में न ही सुरैना भाग लिये और न ही आवेदन किया था। इस दोनों पदों के लिये आर मारिया का सीनियर मैकेनिक और रविन्द्र कुलहरे को रेडियो मैकेनिक के लिये चयन किया गया था।
डायरेक्टर एविएशन ने इन्हीं दोनों का नाम चयन प्रक्रिया के बाद सरकार को भेजा था, लेकिन अंतिम चरण में संजय सुरैना का नाम शामिल करके भेजा गया। इसके बाद मप्र सरकार ने डायरेक्टर जनरल को पत्र लिखकर कहा है कि जिन दो पदों पर भर्ती के लिये कहा गया था, उसमें से सीनियर रेडियो मैकेनिक पर योग्यता अनुरूप नियुक्ति नहीं की गई है। 19 सितंबर 2014 को डीजीसीए ने सुरैना को पूरा दस्तावेज फिर से 15 दिनों के अंदर जमा करने को कहा था। लेकिन मेंटनेस इंजीनियर सुरैना ने इसके खिलाफ कैट में अपील की, जहां से केस खारिज कर दिया गया है। वर्ष 2015 में भी डीजीसीए ने दस्तावेज पूरा जमा करने को निर्देश दिये, लेकिन अभी तक जमा नहीं किया गया है।
क्या है विवाद
इस पूरे मामले में गलती डीजीसीए के तरफ से हुई है, जब एयरक्राफ्ट मेंटनेस इंजीनियर रिक्त पदों के लिये आवेदन किया ही नहीं, तो नियुक्ति के लिये मप्र सरकार को क्यों भेजा गया। मेंटनेस इंजीनियर संजय सुरैना के पास बेल हेलीकाप्टर 407 का लाइसेंस है, जबकि एयरक्राफ्ट मेंटनेस का लाइसेंस नंबर 6154 फर्जी बताया जा रहा है, इसका खुलासा डीजीसीए ने अपनी जांच रिपोर्ट में किया है। मप्र एविवएशन के प्रमुख सचिव सीधे तौर पर पूरे मामले की जांच कर रहे हैं।