नोएडा,16 जून ।उत्तर प्रदेश पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सेक्ट्रर 64 नोएडा में फर्जी काल सेन्टर का भण्डाफोड़ करते हुए विभिन्न इंश्योरेंस कम्पनियोें के नाम पर प्रलोभन देकर धोखाधड़ी कर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह के सरगना सहित दो लोगों गिरफ्तार कर उनके कब्जे से ग्राहकों का डेटा बरामद किया है।
एसटीएफ प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि पिछले काफी समय से एसटीएफ को सूचना प्राप्त हो रही थी कि विभिन्न इंश्योरेस कम्पनियों के ग्राहको को फोन करके प्रलोभन देकर उनसे ठगी की जा रही है।
जिस सम्बन्ध में एसटीएफ की विभिन्न टीमाें को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया था।
जिसके क्रम में मुख्यालय पर तैनात उपर पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार सिसोदिया के पर्यवेक्षण में साइबर टीम द्वारा अभिसूचना संकलन की कार्यवाही प्रारम्भ की गयी तथा अभिसूचना तन्त्र को सक्रिय किया गया।
उन्होंने इस दौरान ज्ञात हुआ कि इन्श्योरेंस कम्पनियों के ग्राहको से ठगी करने वाल गिराहे के विरूद्ध कोतवाली नगर, औरैया पर मामला दर्ज कराया है।
वांछित अभियुक्तों की गिरफ्तारी एवं इस तरह से ठगी करने वाले गिराहों के बारे में अभिसूचना संकलन की जा रही थी, तभी विशेष श्रोतों से जानकारी हुई नोएडा के बी-113, 3 फ्लोर, सेक्टर 64, थाना फेज-3, में एक फर्जी काल सेन्टर चल रहा है, जहाॅ से विभिन्न इंश्योरेस कम्पनियों के ग्राहको को फोन करके प्रलोभन देकर उनसे ठगी की जा रही है।
प्रवक्ता ने बताया कि इस सूचना पर उपनिरीक्षक पंकज सिंह के नेतृत्व में एक टीम नोएडा के लिये रवाना की गयी तथा सम्बन्धित विवेचक को नोएडा पहॅुचने के लिए कहा गया।
एसटीएफ की टीम नोएडा पहॅुचकर पूर्व से ज्ञात स्थान के बारे में अपने स्तर से जानकारी कर फर्जी काल सेन्टर के संचालक एवं गिरोह के सरगना बदायूं निवासी दिलशाद और उसके सहयोगी समस्तीपुर बिहार निवासी अर्जुन कुमार को कल शाम उनके कार्यालय से गिरफ्तार कर लिया।
मौके से अलग-अलग इन्श्योरेंस कम्पिनियों का 330 पेज डेटा,18 मोबाइल फोन, आठ एटीएम कार्ड,दो लैपटाप,12 डायरी,17,020 नगदी और एक कार बरामद की।
उन्होंने बताया कि पूछताछ पर गिरफ्तार दिलशाद ने बताया कि वह वर्ष-2015 से 2017 तक इण्डिया इन्फोलाइन, वर्ष-2017 से 2018 तक श्रीधर इंश्योरेंस ब्रोकिंग कम्पनी में टेलीकालर के पद पर नौकरी किया था।
वहीं से विभिन्न कम्पनियों के ग्राहको का डेटा चुराकर वर्ष-2020 में अपने द्वारा बनाये गये फर्जी काल सेन्टर में इसका उपयोग करता था।
जिन ग्राहको की बड़ी पालिसी होती थी उनका डेटा तैयारकर उन्हें भ्रमित कर फर्जी स्कीम बताकर कमीशन, अधिक बोनस एवं एजेन्ट कोड ऐक्टिव कराने के नाम पर उनको मिलने वाले रूपयें पर टैक्स जमा करने के नाम पर तथा पैसे रिफण्ड कराने के नाम पर बैंक मैनेजर, इन्श्योरेंस आफिसर आरबीआई का चीफ जनरल मैनेजर आदि बनकर फर्जी नाम पते पर खोले गये बैंक खातों में उनसे पैसे जमा करा लेते थे।
प्रवक्ता ने बताया कि कानपुर के एक डाक्टर से लगभग एक करोड़ रूपये एवं औरैया के एक व्यक्ति से लगभग 70 हजार रूपये ठगी की।
इस गिरोह द्वारा कई करोड़ की ठगी की गयी हैं जिसमें बारे में छानबीन की जा रही है।
इनके पास से बरामद कार के बारे में पूछने पर बताया कि यह कार ठगी से मिलने वाले पैसे से ही खरीदी गयी है।
गिरफ्तार आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।