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उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी के गृह जिले के विश्वविद्यालय में भाई को नियुक्ति विवाद के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर पद से देना पड़ा इस्तीफा,अरुण द्विवेदी की नियुक्ति आर्थिक वर्ग से कमजोर कोटे के तहत हुई थी attacknews.in

 

लखनऊ 26 मई ।उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के गृह जिले सिद्धार्थनगर के कपिलवस्तु स्थित सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में उनके भाई की नियुक्ति मामले में आज उस वक्त नया मोड़ आ गया और उनके भाई ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया ।

नियुक्ति के बाद से ही ये मामला सोशल मीडिया पर छाया हुआ था तथा सरकार विपक्ष के निशाने पर थी ।

मंत्री सतीश चन्द्र के भाई अरुण द्विवेदी की नियुक्ति आर्थिक वर्ग से कमजोर कोटे के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुई थी।

मामला चर्चा में आया तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रमाण के आधार पर नियुक्ति देने की बात की थी, जबकि प्रदेश की कई हस्तियों ने प्रमाण पत्र के जांच की मांग की थी।

विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए करीब 150 आवेदन प्राप्त हुए थे।

जिसमें मेरिट के आधार पर चयनित दस आवेदकों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था।

उसमें मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी का नाम वरीयता सूची में दूसरे नंबर था।

सोशल मीडिया पर मंत्री के भाई को बधाई से सिलसिला शुरू हुआ, उसके बाद आलोचना होने लगी थी।

भाई की नियुक्ति को लेकर छिड़े विवाद पर मंत्री सतीश द्विवेदी ने भी सफाई दी थी।

उन्होंने कहा था कि जिसे भी इस बारे में आपत्ति हो वो जांच करवा सकता है।

भाई ने एक अभ्यर्थी के रुप में आवेदन किया और विवि ने निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए चयन किया।

इस मामले मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं है।

मैं विधायक और मंत्री हूं लेकिन मेरी आर्थिक स्थिति से मेरे भाई को आंकना उचित नहीं है।

अरुण द्विवेदी की पत्नी डॉ.विदुषी दीक्षित मोतिहारी जनपद के एमएस कॉलेज में मनोविज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

एमएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि डॉ विदुषी की बहाली बीपीएससी के माध्यम से 2017 में हुई थी।

वे यहां मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।

बताया जा रहा है कि सातवें वेतनमान के बाद उनका वेतन व अन्य भत्ता के साथ 70 हजार से अधिक है।

विवाद होने के बाद जांच में पता चला कि अरुण द्विवेदी का ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र 2019 में जारी हुआ था।

इसी प्रमाण पत्र पर उन्हें 2021 में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में नौकरी मिली।

यह प्रमाण पत्र केवल 2020 तक ही मान्य था।

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी व महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सरकार पर सीधा निशाना साधा था।

उन्होंने कहा था कि यूपी सरकार के मंत्री आम लोगों की मदद करने से तो नदारद दिख रहे हैं लेकिन आपदा में अवसर हड़पने में पीछे नहीं हैं।

बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई नियुक्ति पा गए और लाखों युवा यूपी में रोजगार की बांट जोह रहे हैं लेकिन नौकरी ‘आपदा में अवसर’ वालों की लग रही है।

उन्होंने कहा था कि ये वही मंत्री हैं, जिन्होंने चुनाव ड्यूटी में कोरोना से मारे गए शिक्षकों की संख्या को नकार दिया और इसे विपक्ष की साजिश बताया।

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