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मुन्ना बजरंगी

गैंगवार रिपोर्ट: कुख्यात माफिया डाॅन मुन्ना बजरंगी को बागपत जेल में हत्या करने के बाद सुनील राठी जमकर नाचा Attack News

लखनऊ 9 जुलाई। उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया मुन्ना बजरंगी की सोमवार को बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई. मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. एडीजी जेल चंद्र प्रकाश ने कहा कि सुबह 6 बजे बागपत जेल के अंदर झगड़े के दौरान मुन्ना बजरंगी को गोली मारी गई. गोली सुनील राठी ने मारी है. इसके बाद उसने हथियार को गटर में फेंक दिया.

इस हत्या के बाद सुनील राठी जेल में ही जमकर नाचा और खुशियाँ मनाई।

एडीजी जेल ने कहा कि ये घटना जेल की सुरक्षा में गंभीर चूक है. मामले में जेलर उदय प्रताप सिंह, डिप्टी जेलर शिवाजी यादव, हेड वार्डन अरजिन्दर सिंह, वार्डन माधव कुमार को निलंबित कर दिया गया है. पूरी घटना की न्यायिक जांच होगी. वहीं पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल के साथ वीडियो रिकॉर्डिंग में होगा.

उन्होंने कहा कि मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सूचित कर दिया गया है. पोस्टमॉर्टम एनएचआरसी के दिशा-निर्देशाें के आधार पर भी किया जाएगा. वहीं पूरे मामले की जांच के लिए टीमें पहुंच चुकी हैं. एसएसपी और डीएम मौके पर हैं.

मुन्ना बजरंगी की हत्या पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. योगी ने कहा, ‘जेल में हुई हत्या बहुत गंभीर मामला है. मामले की गहराई से जांच होगी. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

पूर्वांचल के कुख्यात डॉन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल से अधिकारियों में हड़कंप मच गया है.

हत्या की वजह:

मुन्ना बजरंगी की पत्नी ने कुछ दिन पहले ही अपने पति की हत्या की आशंका जाहिर की थी. ऐसे में जेल के अंदर ही सनसनीखेज तरीके से हत्या होने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है.

एक दिन पहले ही मुन्ना बजरंगी को झांसी जेल से बागपत जेल ट्रांसफर किया गया था. पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में आज मुन्ना बजरंगी की बागपत कोर्ट में पेशी होनी थी।

मुन्ना बजरंगी की गिनती पूर्वांचल के कुख्यात अपराधियों में होती है. कई बड़ी आपराधिक वारदातों में बजरंगी का नाम सामने आया था।

मुन्ना बजरंगी के परिजनों ने पहले ही आशंका जताई थी कि बागपत जेल में उनकी हत्या हो सकती है. 29 जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने कहा था कि जेल में उनके पति की जान को खतरा है।

इससे पहले मुन्‍ना बजरंगी की पत्‍नी सीमा सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस करके मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ से सुरक्षा की गुहार लगाते हुए कहा था कि यूपी एसटीएफ और पुलिस के उच्‍चाधिकारी उसके पति को फर्जी एनकाउंटर में मार सकते हैं. सीमा सिंह ने कहा कि उसके पति मुन्‍ना बजरंगी की जान को खतरा है. सीमा के अनुसार मुन्‍ना बजरंगी पर झांसी की जेल में कई बार जानलेवा हमले भी हो चुके हैं।

सीमा सिंह ने आरोप लगाया था, ‘मेरे पति को कुछ प्रभावशाली लोगों ने साजिश के तहत कई बार जान से मारने का प्रयास किया है. यह प्रयास पहले कई बार किए गए हैं’. उनके अनुसार उनके द्वारा इस मामले की शिकायत भी कई बार जिम्‍मेदार अधिकारियों और कोर्ट में की गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.

हत्यारा है सुनील राठी:

इस मामले में गैंगेस्‍टर सुनील राठी का नाम सामने आ रहा है। वह बागपत जेल में पहले से ही बंद था। करीब एक साल पहले ही उसे रुड़की से बागपत जेल शिफ्ट किया गया था। रुड़की में उसने अपनी जान का खतरा बताया था।

कौन है सुनील राठी

सुनील राठी उत्‍तराखंड व पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में अपराध जगत में एक बड़ा नाम है। सुनील राठी बागपत के टीकरी कस्‍बे का रहने वाला है। सुनील राठी पर हत्‍या और रंगदारी समेत कई धाराओं में 50 से ज्‍यादा मुकदमे दर्ज हैं। उसकी मां राजबाला चेयरपर्सन रह चुकी है। राजबाला ने बसपा के टिकट पर छपरौली सीट से पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था। फिलहाल वह बसपा में नहीं है।

पिता की हुई थी हत्‍या

सुनील के पिता नरेश राठी की हत्‍या कर दी गई थी। कस्‍बे में हुई इस हत्‍या में रंजिश को वजह बताया गया था। इसके बाद आरोपी पक्ष के महक सिंह और मोहकम सिंह की हत्‍या की गई थी, जिसमें सुनील राठी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इस मामले में उसे सजा हुई। फिर उसका नाम उत्‍तराखंड में चीनू पंडित के साथ गैंगवार में सामने आया था। रुड़की में हुई उस गैंगवार में चीनू पंडित गैंग के तीन बदमाश मारे गए थे।

दायां हाथ था अमित भूरा

दिसंबर 2014 में पेशी पर लाए जा रहे अमित भूरा पुलिस की कस्‍टडी से भाग निकला था। वह सुनील राठी का दायां हाथ था। बागपत से निकलते ही बदमाशों ने अमित को देहरादून पुलिस से छुड़ा लिया था। वह पुलिस से दो एके-47 रायफल और एक एसएलआर भी लूटकर ले गया था। इसके बाद उस समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद कुख्यात सुनील राठी समेत 17 बदमाशों पर गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज हुआ था।

डॉक्‍टर से रंगदारी मांगने पर भी आया था नाम सामने

पिछले साल नवंबर में सुनील राठी का नाम रुड़की के एक डॉक्‍टर से रंगदारी मांगने में भी सामने आया था। सुनील राठी पर डॉक्‍टर से 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने का आरोप लगा था। उस समय वह बागपत जेल में बंद था। इसके बाद डॉक्टर ने अपने और पूरे परिवार की सुरक्षा के लिये बुलेटप्रूफ जैकेट खरीद ली थी। इस मामले में सुनील की मां से भी पूछताछ की गई थी।

कृष्णानंद राय की हत्या से बढ़ गया था विवाद: 7 शवों से बरामद हुई थीं 67 गोलियां

गाजीपुर मे 29 नवंबर 2005 की शाम भांवरकोल क्षेत्र के बसनिया पुलिया के पास अपराधियों ने स्वचालित हथियारों से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय व उनके छह साथियों मुहम्मदाबाद के पूर्व ब्लाक प्रमुख श्यामाशंकर राय, भांवरकोल ब्लाक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव व उनके अंगरक्षक निर्भय नारायण उपाध्याय की हत्या कर दी.

मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में आयोजित क्रिकेट प्रतियोगिता का उद्घाटन करने के बाद सियाड़ी से बसनिया के लिए निकलते समय भाजपा विधायक कृष्णानंद राय व उनके साथ को लोगों ने भी यह नहीं सोचा था कि अपने ही इलाके में लट्ठूडीह-कोटवा मार्ग पर मौत खड़ी है.जब राय का काफिला बसनिया चट्टी से आगे बढ़ा. उसी समय घात लगाकर बैठे अपराधियों ने अचानक उनके काफिले पर अंधाधुंध गोलियों की बौछार कर दी. कहते हैं कि हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं. मारे गए सातों लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गईं. यही नहीं मुखबिरी इतनी सटीक थी कि अपराधियों को पता था कि कृष्णानंद राय अपनी बुलेट प्रूफ वाहन में नहीं हैं.

कृष्णानंद राय की हत्या के विरोध में जल उठा पूर्वांचल

विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की एक साथ हत्या से गाजीपुर जनपद दहल उठा था. इस हत्याकांड से पूरे यूपी सहित बिहार में भी हड़कंप मच गया था.

हत्याकांड के विरोध में लगभग एक सप्ताह तक गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, वाराणसी के साथ ही आगजनी, तोड़फोड़ आंदोलनों का दौर चलता रहा. उस समय पूरा पूर्वांचल सहमा हुआ दिख रहा था. आंदोलन की कमान पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह संभाले हुए थे. तत्कालीन सपा सरकार प्रदेश की जांच एजेंसी की रिपोर्ट को सही ठहरा रही थी, जबकि भाजपा पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने पर अड़ी थी.

कोर्ट ने सीबीआई जांच के दिए आदेश

वहीं कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच का आदेश दिया गया था. बाद में अलका राय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कहा गया था कि अपराधियों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है. ऐसे में सुनवाई के दौरान गवाहों के जान का भय बना हुआ है. इसलिए पूरे मामले की सुनवाई गैर प्रदेश की कोर्ट में की जाए. अलका राय के वकील की दलीलों से सहमत होते हुए सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूरे प्रकरण की सुनवाई गैर प्रदेश की कोर्ट में करने की मंजूरी दे दी गई.

बीजेपी हर साल मनाती है बलिदान दिवस

वहीं उत्तर प्रदेश भाजपा द्वारा अपने विधायक कृष्णानंद राय के बलिदान को याद करने के लिए हर साल 29 नवंबर को शहादत दिवस मनाने का निर्णय लिया गया. तब से अब तक स्व. कृष्णानंद राय व उनके सहयोगियों को याद करने के लिए शहीद पार्क मुहम्मदाबाद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है. स्व.कृष्णानंद राय की प्रथम पुण्यतिथि उनके पैतृक गांव गोड़उर में मनाई गई थी, जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवाणी, राजनाथ सिंह सहित कई दिग्गजों ने शिरकत की थी.

हत्यारोपी अताउर रहमान अब तक फरार, इंटरपोल से ली जा रही मदद

इस हत्याकांड में पूर्व सांसद अफजाल अंसारी, मउ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी, माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी, अताउर रहमान उर्फ बाबू, संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा, फिरदौस, राकेश पांडेय उर्फ हनुमान, मुहम्मदाबाद नगर पालिका चेयरमैन एजाजुल हक सहित अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया . मामले की सुनवाई दिल्ली की सीबीआई कोर्ट में चल रही है. केस में अफजाल अंसारी को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, जबकि फिरदौस मुंबई में पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है. वहीं अताउर रहमान उर्फ बाबू खां अभी भी फरार चल रहा है, उस पर सीबीआई ने ईनाम घोषित कर रखा है. साथ ही अताउर रहमान की तलाश करने की जिम्मेदारी इंटरपोल को भी दी गई है. बाकी सभी आरोपी जेल में बंद हैं.

अलका राय की खुशी:

मुन्ना बजरंगी की हत्या पर पूर्व विधायक स्व0 कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने जताई खुशी, बोली भगवान के द्वारा मिला न्याय, हम लोगो के परिवार के ऊपर हमेशा भय बना रहता था।

कौन था मुन्ना बजरंगी

मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है. उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था. उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे. मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया. उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी. किशोर अवस्था तक आते आते उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे.

मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था. वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था. यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया. जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा. वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया.

अस्सी के दशक में की थी पहली हत्या

मुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था. इसी दौरान उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया. मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था. इसी दौरान 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी. उसके मुंह खून लग चुका था. इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखाया. उसके बाद उसने कई लोगों की जान ली.

पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया. यह गैंग मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था. मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक निर्वाचित हुए. इसके बाद इस गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई. मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था. वह लगातार मुख्तार अंसारी के निर्देशन में काम कर रहा था.

ठेकेदारी और दबंगई ने बढ़ाए दुश्मन

पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था. लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे. उन पर मुख्तार के दुश्मन ब्रिजेश सिंह का हाथ था. उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था. इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे. इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे. कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था. उन्होंने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी.

मुन्ना ने की थी भाजपा विधायक की हत्या

मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची. और उसी के चलते 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया. उसने अपने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर AK47 से 400 गोलियां बरसाई थी. इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे. पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी. इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी. हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा. इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था.

सात लाख का इनामी था मुन्ना

भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी. इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया. उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप है. वो लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा. पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था.

मुंबई में ली थी पनाह

यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार मुन्ना बजरंगी को तलाश कर रही थी. उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था. दिल्ली भी उसके लिए सुरक्षित नहीं था. इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया. उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा. इस दौरान उसका कई बार विदेश जाना भी होता रहा. उसके अंडरवर्ल्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे. वह मुंबई से ही फोन पर अपने लोगों को दिशा निर्देश दे रहा था.

राजनीति में आजमाई किस्मत

एक बार मुन्ना ने लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना एक डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की. मुन्ना बजरंगी एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था. जिसके चलते उसके मुख्तार अंसारी के साथ संबंध भी खराब हो रहे थे. यही वजह थी कि मुख्तार उसके लोगों की मदद भी नहीं कर रहे थे. बीजेपी से निराश होने के बाद मुन्ना बजरंगी ने कांग्रेस का दामन थामा. वह कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की शरण में चला गया. कांग्रेस के वह नेता भी जौनपुर जिले के रहने वाले थे. मगर मुंबई में रह कर सियासत करते थे. मुन्ना बजरंगी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नेता जी को सपोर्ट भी किया था.

ऐसे गिरफ्तार हुआ था मुन्ना

उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे. वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था. उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं. लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था. माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था. इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी. मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था. बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक है. इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया. तब से उसे अलग अलग जेल में रखा जा रहा है. इस दौरान उसके जेल से लोगों को धमकाने, वसूली करने जैसे मामले भी सामने आते रहे हैं.

मुन्ना बजरंगी का दावा किया था कि उसने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 हत्याएं की हैं.attacknews.in

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Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

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