Home / विकास / उत्तरप्रदेश की मेडिकल यूनिवर्सिटी जल्द ही देने जा रही है कोरोना की आयुर्वेदिक दवा, परीक्षण में सफलता मिलने के बाद अंतिम परीक्षण पर हो रहा है काम attacknews.in

उत्तरप्रदेश की मेडिकल यूनिवर्सिटी जल्द ही देने जा रही है कोरोना की आयुर्वेदिक दवा, परीक्षण में सफलता मिलने के बाद अंतिम परीक्षण पर हो रहा है काम attacknews.in

इटावा, 03 जून । उत्तर प्रदेश मे इटावा जिले की सैफई मेडिकल यूनीवसिर्टी के कुलपति प्रो.राजकुमार ने दावा किया है कि संस्थान में कोविड-19 की आयुर्वेदिक दवा पर शोध अंतिम मुकाम पर है और इसे जल्द सार्वजनिक किया जायेगा।

जाने माने न्यूरोलाजिस्ट प्रो.राजकुमार ने कहा देश में कोविड-19 का पहला मामला आने के बाद से ही संस्थान ने एक टीम गठित कर इस पर अध्ययन शुरू कर दिया था कि कोरोना शरीर में किन-किन हिस्सों को प्रभावित करता है और इसके क्या क्या प्रभाव हो सकते है, जिसके कारण रोगी की मृत्यु हो सकती है। इसके बाद उन दवाओं का अध्ययन करना शुरू किया जो प्रभावित अंगों पर काम करती है और उनको चिन्हित किया। उसके बाद चिन्हित दवाओं के बारे मे जानकारियां एकत्रित की।

उन्होने कहा “ संस्थान में आये 103 रोगियों में से हमने 20 रोगी ऐसे चिन्हित किये जिनको हम वो दवायें दे सकते थे । रोगियों को दवा देने से पहले सभी औपचारिता पूर्ण करते हुए उनका इलाज आरम्भ किया और पांच से छह दिन वह पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हो गये। पूर्ण रूप से आयुर्वेद पर आधारित औषधि के साथ कोरोना संक्रमितो को लेकर पायलट स्टडी की गई है। अभी तक के नतीजे उत्साहवर्धक है। 20 संक्रमित मरीजों पर दवा का अध्ययन सफल भी हुआ है लेकिन कुछ समय अभी और इंतजार करना होगा क्योंकि जो रिर्चस पेपर तैयार हुए है उन पर कमेंट आ जायेगे उसके बाद सब कुछ करीब करीब फाइनल हो जायेगा । ”

चिकित्सक ने कहा “ हम इस शोध को बडे पैमाने पर करके इसके आंकड़ों का अध्ययन करेगें। शोध के तीसरे स्तर पर हम इसका रैन्डमाइज्ड प्रयोग करेगे। मतलब हम कुछ मरीजों को यह दवा देगें और कुछ को अन्य दवाओं के माध्यम से उपचारित करेगें और शोध के अन्तिम चरण के आंकड़ों और प्रभावों का अध्ययन करेगें, जो कि शतप् रतिशत सही होते है, तो हमें पता चलेगा कि हमारे शोध किस दिशा में है। इसके साथ ही हम अपने शोध को शोध पत्रिका में प्रकाशन के लिये देंगे जिससे दुनिया के अन्य देशो के चिकित्सक और शोधकर्ता भी अपने अपने सुझाव देगें और हमे इसे और अधिक बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।”

एक सवाल के जवाब मे प्रो राजकुमार ने कहा कि कोविड-19 को लेकर अमेरिका और यूरोप के मुकाबले भारत में स्थिति अधिक नियन्त्रण में है जिसके कई कारण है । इसमें सबसे पहला कारण है कि हमारे देश में पहले से ही बीसीजी का टीकाकरण हो रहा है जो एक यूनिवर्सल प्रोग्राम के तहत पूरे देश में किया जाता है। यह टीका सिर्फ टी. वी. (क्षयरोग) के लिए प्रयोग नही किया जाता है बल्कि हिट्रोलोगस प्रतिरोधकता प्रदान करता है।

दूसरी तरफ देश की 40 प्रतिशत आबादी दैनिक कामगार है, जो कि मेहनत मजदूरी करके अपना भरण पोषण करते है। इनकी भी रोग प्रतिरोधकता बहुत अच्छी होती है। तीसरी बात हमारा देश विविध जलवायु का है जिसके करण भी हमारे देश में इसका प्रसार नही हुआ है। उन्होने कहा “ मेरा मानना है कि जैसे- जैसे गर्मी के साथ-साथ आर्द्रता बढेगी, मतलब जब 35 डिग्री तापमान के साथ आर्दता 90 प्रतिशत होगी, और यह स्थिति अगर 5-6 दिन बनी रही तो कोरोना का प्रसार लगभग रूक जायेगा। इसे ऐसे भी कह सकते है कि इसका प्रसार व्यक्ति से व्यक्ति तो हो सकता है परन्तु निर्जीव वस्तुओं से इसका प्रसार रूक जायेगा। ”

चिकित्सक ने कहा “ हमारे देश में जो आम व्यक्ति खान-पान में मसालों का प्रयोग करता है उनमें भी ऐसे तत्व होते है जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधकता को बढाते है। इसी वजह से कोरोना के मामले में मृत्यु दर लगभग 3 प्रतिशत है जबकि विश्व में लगभग 6 प्रतिशत है। हमारे प्रदेश में तो यह दर और भी कम लगभग 2.2 प्रतिशत ही है ।

कुलपति ने कहा कि जो रोगी आगरा से संस्थान में आये थे उनमें एक 11 माह का बच्चा भी था जो कि सबसे कम उम्र का था और सबसे अधिक उम्र के रोगियों में उनकी उम्र 80 वर्ष तक है । यहाॅ के चिकित्सको ने ऐसे कोविड मरीजो का भी इलाज किया गया है जो कि उच्च रक्त चाप, मधुमेह, हदय रोग आदि से भी प्रभावित थे और वह अब रोग मुक्त हो चुके है। इन रोगियों को हमने अन्य दवाओं के साथ ही साथ आयुर्वेदिक काढ़ा सुबह-शाम दिया।

प्रो राजकुमार ने बताया कि जब कोई भी व्यक्ति इससे संक्रमित होता है तो इसके रोगाणु शरीर में 6 से 14 दिन के अन्दर बहुत ही तीव्रगति से बढता है और उसके बाद इसके लक्षण दिखाई देते है। इसके लक्षणों में मुख्यतः रोगी को उच्च ताप का ज्वर आता है और कुछ लोगों में ज्वर के साथ ही साथ सूखी खासी आती है लेकिन कुछ में ज्वर के साथ ही साथ बलगम के साथ खांसी आती है। जिसके कारण शरीर में टूटन, जी मिचलाने का भी अनुभव होता है और सांस लेने में दिक्कत होती है। अधिकतर रोगियों को स्वसन तंत्र व फेफडों में संक्रमण के कारण आक्सीजन की शरीर में आपूति नही हो पाती है, जिससे शरीर के अन्य अंग प्रभावित होते है।

उन्होने कहा कि महामारी से निपटने के लिए यूनीवसिर्टी मे 200 बैड का कोविड हास्पिटल है और 600 बैड का कोरेन्टाइन सेन्टर है, इसके अलावा हाॅस्पीटल और सेन्टर के लिए अलग-अलग स्टाफ को लगाया गया है तथा जाॅच, एक्सरे आदि की भी अलग से व्यवस्था की गई है। संस्थान द्वारा टेलीमेडिसन के माध्यम से 11 विभागाें के डाक्टरों द्वारा रोगियों को उपचार की सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा हमारे संस्थान में कोविड 19 की भी जाॅच के लैब संचालित की जा रही है।

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