Home / राजनीति / मध्यप्रदेश में महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष के अप्रत्यक्ष चुनाव की जंग तेज हुई,विवेक तन्खा का आग में घी डालने वाले ट्वीट के बाद कमलनाध और शिवराज दोनों मिले राज्यपाल से attacknews.in

मध्यप्रदेश में महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष के अप्रत्यक्ष चुनाव की जंग तेज हुई,विवेक तन्खा का आग में घी डालने वाले ट्वीट के बाद कमलनाध और शिवराज दोनों मिले राज्यपाल से attacknews.in

भोपाल, 07 अक्टूबर । मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ आज देर शाम राजभवन पहुंचे।

श्री कमलनाथ लगभग 7 बजे राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे। दोनों के बीच आधे घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुई।

माना जा रहा है कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच मध्यप्रदेश में महापौर के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने से जुडे अध्यादेश और अन्य विषयों के लेकर चर्चा हुई।

विवेक तन्खा का वक्तव्य, सरकार के विचार नहीं – कमलनाथ

इससे पहले मध्यप्रदेश के राज्यपाल के संदर्भ में राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के ट्वीट पर आज मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि श्री तन्खा का वक्तव्य उनके निजी विचार हो सकते हैं। ये विचार मध्यप्रदेश सरकार के नहीं हैं।

श्री कमलनाथ ने देर शाम यहां राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात के बाद मीडिया के सवालों के जवाब में यह प्रतिक्रिया दी। उनसे श्री तन्खा के कल के ट्वीट को लेकर सवाल किया गया था।

राज्यपाल से मिलने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा:पराजय के डर से प्रत्यक्ष चुनाव कराने से बच रही सरकार-

उधर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने सोमवार को राज्यपाल से मुलाकात कर प्रदेश सरकार द्वारा नगरीय निकाय चुनाव को लेकर लाए गए अध्यादेश को रद्द करने की मांग की।

श्री चैहान ने कहा कि कमलनाथ सरकार पराजय के डर से नगरीय निकाय के प्रत्यक्ष चुनाव कराने से बच रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ खरीद फरोख्त वाली राजनीति को बढावा देने वाले कदम न उठाए, बल्कि एक कदम आगे बढकर जिला पंचायत और जनपद पंचायत के अध्यक्ष के चुनाव भी प्रत्यक्ष प्रणाली से करें। अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से खरीद फरोख्त और हार्स टेªडिंग चलेगी। सरकार इस खेल को शुरू न करे।

लोकतंत्र की आत्मा प्रत्यक्ष चुनाव-

श्री चौहान ने कहा कि जनता सीधे अगर महापौर और नगरीय निकाय अध्यक्ष चुनती है तो वह चुनाव जनता का होता है। लोकतंत्र की आत्मा प्रत्यक्ष चुनाव है लेकिन कांग्रेस की प्रदेश सरकार प्रत्यक्ष चुनाव को बदलना चाहती है। केवल जोड़तोड की राजनीति, सत्ता का दुरूपयोग, बाहुबल और धनबल का उपयोग करके कांग्रेस जनादेश का अपहरण करने की कोशिश करना चाहती है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी इसका कडा विरोध करती है।

उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से नगरीय निकाय के अप्रत्यक्ष चुनाव को लेकर लाए गए अध्यादेश को वापस लेने की मांग की। उन्होंने भोपाल शहर में दो नगर निगम के गठन पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि भोपाल एक है लेकिन दो नगर निगम बनाने की साजिश की जा रही है। ताकि भोपाल को बांट दिया जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वोट के आधार पर भोपाल को बांटने की कोशिश कर रही है लेकिन भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के इस कदम का विरोध करेगी।

राज्यपाल पद सभी दलों से उपर, उनको राजधर्म की बात कहना गलत-

उन्होंने कांग्रेस नेता विवेक तन्खा द्वारा राज्यपाल को लेकर की गयी टिप्पणी पर कहा कि राज्यपाल श्री लालजी टंडन अनुभव की भट्टी में पके हुए राजनेता है। राज्यपाल के नाते वे दलों से उपर है, लेकिन कोई उनको राजधर्म की बात कहे यह गलत है। राज्यपाल बेहतर जानते है कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है, लेकिन कांग्रेस नेता उन्हें राजधर्म का पालन करने की सीख न दें।

मुख्यमंत्री का मंत्रियों पर नियंत्रण नहीं-

श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश की सरकार अजब गजब सरकार है। मुख्यमंत्री का मंत्रियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। एक मंत्री अलग बयान देता तो दूसरा मंत्री अलग और तीसरा मंत्री अलग और बात बनते बनते कभी बनती है तो कभी बिगडती है। सरकार में नियंत्रण नाम की चीज दिखाई नहीं देती है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस में ही विभाजन की स्थिति है। एक सोनिया कांग्रेस है तो दूसरी राहुल कांग्रेस। विवाद वहीं चल रहा है और राहुल गांधी देश छोड़कर बैंकाक चले गए है। महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में राहुल गांधी के समर्थकों में असंतोष है। ऐसी स्थिति में राहुल गांधी कार्यकर्ताओं को मनाने के बजाए बैंकाक जा रहे है।

सरकार का विश्वास, महापौर चुनाव के मामले में राज्यपाल राज्य के हित में निर्णय लेंगे- पीसी शर्मा

इधर मध्यप्रदेश सरकार ने आज विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि नगरीय निकाय में महापौर चुनाव के संबंध में राज्यपाल राज्य के हित में निर्णय लेंगे।

राज्य के जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुलाकात के बाद रात्रि में अपने निवास पर पत्रकारों से चर्चा में यह बात कही। उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री की मुलाकात को सौजन्य भेंट बताया।

श्री शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से राजभवन में सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री ने नगरीय निकायों में महापौर के निर्वाचन के संबंध में राज्यपाल को विस्तार से जानकारी दी।

श्री शर्मा के अनुसार मुख्यमंत्री ने महापौर निर्वाचन के अध्यादेश के संबंध में सरकार का पक्ष रखा।

श्री शर्मा के अनुसार मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया है कि राज्यपाल नगरीय निकाय के महापौर चुनाव के मामले में राज्य के हित में निर्णय लेंगे।

मंत्री श्री शर्मा ने यह भी कहा कि राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का वक्तव्य उनके निजी विचार हो सकते हैं। ये विचार मध्यप्रदेश सरकार के नहीं हैं।

इसके पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ शाम लगभग सात बजे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल से मुलाकात की। दोनों के बीच आधा घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुयी।

राज्य सरकार नगरीय निकायों के महापौर पद के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराना चाह रही है। इसके लिए उसने राज्य मंत्रिपरिषद से अनुमोदन के बाद संबंधित अध्यादेश राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा है। आज शाम तक संबंधित अध्यादेश को राज्यपाल की अनुमति नहीं मिली है। इसके पहले कल राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने इसी मसले को लेकर एक ट्वीट कर दिया था, जिस पर भाजपा नेताओं ने आपत्ति जतायी थी।

पार्षद के माध्यम से मेयर चुने जाने का विरोध करना भाजपा का ढोंग-भूपेन्द्र

इसी बीच मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने भाजपा नेताओं द्वारा पार्षदों के माध्यम से मेयर के चुने जाने के फैसले का विरोध करने को भाजपा का ढोंग बताया है।

कांग्रेस की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार गुप्ता ने कहा कि राज्यपाल के सामने विरोध करने वालों में भाजपा के ऐसे नेता भी शामिल थे जो स्वयं पूर्व में अप्रत्यक्ष प्रणाली से मेयर चुने गये थे।

उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को चुने जाने योग्य पार्षदों पर बिकने की आशंकायें व्यक्त करने के पहले जनता को यह बताना चाहिये कि जब उनके नेता उमाशंकर गुप्ता अप्रत्यक्ष प्रणाली से मेयर चुने गये थे, तब उन्होंने पार्षदों की क्या कीमत लगाई थी।
उन्होंने कहा कि भाजपा या तो अपने कारनामे जाहिर करे या जनप्रतिनिधियों का अपमान करने के लिये माफी मांगे।

उन्होंने कहा कि जब चुने हुये विधायक मुख्यमंत्री और चुने हुये सांसद प्रधानमंत्री चुनते हैं तब चुने हुये पार्षदों द्वारा मेयर चुने जाने से भाजपा पर कौनसा पहाड़ टूटने वाला है।

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