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दिल्ली पुलिस ने डराने-धमकाने जैसे ट्विटर के बयान को झूठा करार देते हुए कहा है कि यह जाँच में बाधा डालने का प्रयास;ट्विटर खुद जांच एजेंसी और कोर्ट दोनों बनना चाहता है।attacknews.in

नयी दिल्ली 27 मई । दिल्ली पुलिस ने डराने-धमकाने जैसे ट्विटर के बयान झूठा करार देते हुए कहा है कि यह जाँच में बाधा डालने का प्रयास है।

दिल्ली पुलिस के जनसम्पर्क अधिकारी चिन्मय बिश्वाल ने आज एक बयान जारी कर कहा कि ‘टूलकिट’ मामले में चल रही जांच पर ट्विटर का बयान गलत है और यह जांच में बाधा का प्रयास है।

उन्होंने ने कहा कि पहली नजर में यह बयान न केवल मिथ्या हैं बल्कि निजी उद्यम की तरफ से कानूनी जांच को बाधित करने का भी प्रयास है। सेवा की शर्तों की आड़ में ट्विटर ने सच का निर्णय करने का खुद फैसला कर लिया। ट्विटर खुद जांच एजेंसी और कोर्ट दोनों बनना चाहता है, लेकिन इनमें से किसी के लिए भी कानूनी स्वीकृति नहीं है। जांच करने का अधिकार केवल पुलिस के पास है और फैसला अदालतें सुनाती हैं।

दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को कहा कि ‘टूलकिट’ मामले में चल रही जांच पर ट्विटर का बयान पूरी तरह से झूठा है और यह कानूनी जांच में बाधा डालने का प्रयास है।

दिल्ली पुलिस का यह सख्त बयान ऐसे वक्त में आया है जब ट्विटर ने पुलिस द्वारा डराने-धमकाने की रणनीति के इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए कहा है कि वह भारत में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संभावित खतरे के बारे में चिंतित है।

दिल्ली पुलिस के जन संपर्क अधिकारी चिन्मय बिस्वाल द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया, ये बयान ना केवल मिथ्या हैं बल्कि निजी उद्यम द्वारा कानूनी जांच को बाधित करने का भी प्रयास है। सेवा की शर्तों की आड़ में ट्विटर इंक ने सच का निर्णय करने का खुद फैसला कर लिया।

पुलिस के बयान के मुताबिक, ट्विटर कथित तौर पर जांच और न्यायनिर्णायक प्राधिकारी होने का प्रयास कर रहा है, जबकि उसे इसमें से कोई भी होने की वैधानिक मंजूरी नहीं है। बयान में कहा गया है कि जांच करने का अधिकार केवल पुलिस के पास है और फैसला अदालतें सुनाती हैं।

दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उसने कांग्रेस नेताओं द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर ‘टूलकिट’ मामले में आरंभिक जांच शुरू कर दी है।

पुलिस ने कहा कि ट्विटर ने यह भी दिखाने का प्रयास किया कि भारत सरकार के इशारे पर प्राथमिकी दर्ज की गई है जोकि पूरी तरह से गलत है।

पुलिस ने आगे कहा है कि ट्विटर का बयान ऐसे समय में महज सहानुभूति बटोरने का प्रयास है जब उसने न केवल कानून का पालन करने से मना कर दिया बल्कि साक्ष्य होने के बावजूद इसे कानूनी प्राधिकार के साथ साझा करने से इनकार किया।

पुलिस के डराने-धमकाने की रणनीति से चिंतित : ट्विटर

बता दें कि ट्विटर ने भाजपा नेता के ट्वीट में ‘मैनिपुलेटिड मीडिया’ का टैग लगाने के जवाब में दिल्ली पुलिस द्वारा डराने-धमकाने की रणनीति के इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए कहा है कि वह भारत में कर्मचारियों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संभावित खतरे के बारे में चिंतित है।

साथ ही ट्विटर ने कहा कि वह देश में अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए भारत में लागू कानूनों का पालन करने की कोशिश करेगी। माइक्रोब्लॉगिंग प्लैटफॉर्म ने कहा कि वह आईटी नियमों के उन तत्वों में बदलाव की वकालत करने की योजना बना रहा है जो मुक्त और खुली सार्वजनिक बातचीत को रोकते हैं।

ट्विटर ने कहा कि फिलहाल हम भारत में अपने कर्मचारियों के संबंध में हालिया घटनाओं और अपने यूजर्स की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संभावित खतरे से चिंतित हैं।

ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और दुनिया भर में नागरिक समाज के कई लोगों के साथ ही हम पुलिस द्वारा धमकाने की रणनीति के इस्तेमाल से चिंतित हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि वह कानून के दायरे में रहकर पारदर्शिता के सिद्धांतों, हर आवाज को सशक्त बनाने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोमवार को कथित ‘कोविड टूलकिट’ के बारे में एक शिकायत की जांच के संबंध में ट्विटर इंडिया को नोटिस भेजा था। दिल्ली के लाडो सराय और गुरुग्राम में ट्विटर के दफ्तरों पर पुलिस की दो टीमें भी पहुंची थीं। सरकार ने नए डिजिटल नियमों का बचाव करते हुए बुधवार को कहा कि वह निजता के अधिकार का सम्मान करती है और वॉट्सऐप जैसे मैसेजिंग प्लैटफॉर्म्स को नए आईटी नियमों के तहत चिन्हित मैसेज के मूल स्रोत की जानकारी देने को कहना निजता का उल्लंघन नहीं है। इसके साथ ही सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से नए नियमों को लेकर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है।

नए नियमों की घोषणा 25 फरवरी को की गई थी। इस नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जैसे बड़े सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स (जिनके देश में 50 लाख से अधिक यूजर्स हैं) को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी। इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और भारत स्थित शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं।

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