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सीबीआई के प्रोग्रामर ने ऐसे किया रेल्वे के तत्काल टिकटों का घोटाला, सीबीआई ने ही किया पर्दाफाश Attack News 

नईदिल्ली 28 दिसम्बर।ट्रेनों के लिए तत्‍काल टिकट के बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। सॉफ्टवेयर के सहारे तत्काल टिकटों की एक साथ बुकिंग के कारण मिनटों में टिकट खत्म हो जाया करते थे। हैरानी की बात यह है कि यह सॉफ्टवेयर भी सीबीआइ के ही असिस्टेंट प्रोग्रामर अजय गर्ग ने बनाया था। वैसे सीबीआइ ने अपने इस प्रोग्रामर को गिरफ्तार कर लिया है।

सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अजय गर्ग के बनाए सॉफ्टवेयर को बुकिंग एजेंटों तक जौनपुर के अनिल कुमार गुप्ता नाम का आदमी पहुंचाता था।

एजेंटों को अजय गर्ग के बारे में कोई जानकारी नहीं होती थी। एक बार सॉफ्टवेयर मिलने के बाद बुकिंग एजेंट एक साथ सैंकड़ों तत्काल बुक कर सकता था और इसके लिए आम लोगों से अधिक कीमत वसूलता था। तत्काल टिकट से होने वाली अतिरिक्त कमाई का एक हिस्सा अनिल कुमार गुप्ता के पास जाता था, जो बाद में अजय गर्ग तक उसका हिस्सा पहुंचा देता था।

इस हाईटेक घोटाले में सॉफ्टवेयर के मार्फत ही अजय गर्ग एक-एक टिकट की जानकारी रखता था और उसी के हिसाब से अपना कमीशन लेता था। सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार गर्ग अपना हिस्सा भी हाईटेक अंदाज में लेता था। अनिल कुमार गुप्ता से वह बिटक्वाइन में हिस्सा लेता था। कभी भी नकदी की जरूरत पड़ने पर हवाला के जरिये भी पैसे मंगा लेता था। यही नहीं, जब भी अनिल कुमार गुप्ता दिल्ली आता था, तो वह सीधे नकद भी गर्ग को हिस्सा दे देता था।

सीबीआइ को अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक अजय गर्ग का यह खेल पिछले एक साल से जारी था।

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूपीएससी के मार्फत सीबीआइ में आने के पहले अजय गर्ग आइआरसीटीसी में प्रोग्रामर था। आइआरसीटीसी में 2007 से 2011 के बीच नौकरी करते हुए उसने उसकी वेबसाइट की खामियों को पहचाना और नया सॉफ्टवेयर बनाकर उसे कमाई की साजिश में जुट गया।
एफआइआर दर्ज करने के साथ ही सीबीआइ अजय गर्ग और अनिल कुमार गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया है।

अजय गर्ग को साकेत की विशेष अदालत ने पांच दिन के लिए सीबीआइ की रिमांड पर भेज दिया है, जहां उससे पूछताछ हो रही है। वहीं जौनपुर में गिरफ्तार किये गए अनिल कुमार गुप्ता को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया जा रहा है।

गिरफ्तारी के साथ ही सीबीआइ ने सबूत जुटाने के लिए दिल्ली, मुंबई और जौनपुर में 14 स्थानों पर छापा मारा। छापे में 89 लाख रुपये नकद, 61 लाख रुपये सोने की ज्वेलरी, 15 हार्डडिस्क, 52 मोबाइल फोन, 24 सिम कार्ड 10 नोटबुक, छह रॉउटर, चार डोंगल, 19 पेन ड्राइव और अन्य दस्तावेज बरामद किया गया है।

सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि एजेंसी के सहायक प्रोग्रामर अजय गर्ग और उसके मुख्य सहयोगी अनिल गुप्ता को सॉफ्टवेयर विकसित कर रुपये की एवज में साफ्टवेयर बांटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

गर्ग ने आईआरसीटीसी के साथ 2007 से 2011 के बीच चार वर्षों तक काम किया था और वहीं उसे रेलवे टिकटिंग सिस्टम के बारे में गहराई से पता चला. गर्ग और गुप्ता के अलावा सीबीआई ने 13 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें गर्ग के परिजन और ट्रैवल एजेंट भी शामिल हैं.

दयाल ने कहा कि गर्ग की ओर से विकसित की गयी व्यवस्था का इस्तेमाल कर टिकट बुक कराने वाले ट्रैवल एजेंटों से पैसे बिटकॉइन और हवाला के जरिए लिए गये ताकि वे निगरानी के दायरे में न आएं.

इस सिलसिले में अब तक जौनपुर के सात और मुंबई के तीन एजेंटों की पहचान की गयी है.

सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा ने बताया, यह मामला शुचिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता बरतने के लिए एक प्रभावी आंतरिक तंत्र बनाने की हमारी नीति के मुताबिक है. अगले दिन प्रस्थान करने वाली ट्रेनों में एसी डिब्बों के लिए तत्काल कोटा में बुकिंग सुबह 10 बजे से जबकि गैर-एसी डिब्बों के लिए 11 बजे से शुरू होती है.

इस कोटा के तहत हर डिब्बे में सीमित सीटें आरक्षित हो सकती हैं. आम तौर पर यात्रियों की शिकायत रहती है कि जब तक वे आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर अपना ब्यौरा डालते हैं तब तक तत्काल कोटे वाली सीटें बुक हो जाती हैं. ऐसे में उनकी बुकिंग या तो खारिज हो जाती है या उन्हें वेटिंग टिकट थमा दिया जाता है, वो भी काफी ज्यादा कीमतों पर.

इससे पहले, सीबीआई सूत्रों ने बताया कि गर्ग ने एक अवैध सॉफ्टवेयर बनाया जिसके जरिए एजेंट एक बार में सैकड़ों टिकट बुक कर सकते थे. वहीं जरुरत मंद यात्री टिकट से वंचित रह जाते. 35 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर गर्ग ने 2012 में सीबीआई में सहायक प्रोग्रामर के तौर पर अपनी सेवाएं शुरू की थी. उसका चयन एक प्रक्रिया के तहत किया गया था.

इससे पहले वह 2007 से 2011 के बीच आईआरसीटीसी के लिए काम करता था.

आईआरसीटीसी में काम करने के दौरान ही उसे टिकट वाले सॉफ्टवेयर की बारीकियों का पता चला. इस पूरे मामले के मास्टरमाइंड माने जा रहे गर्ग का सहयोगी गुप्ता ट्रैवल एजेंटों को सॉफ्टवेयर बांटने और उनसे पैसे इकट्ठा करने का काम करता था.attacknewe.in

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