नरेन्द्र मोदी ने बताया:आज देश के लगभग 80 जिलों के सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है,सात दशक में जो काम हुआ था पिछले दो साल में उससे ज्यादा काम हुआ attacknews.in

नयी दिल्ली, दो अक्टूबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के बाद सात दशक में भी देश की बड़ी आबादी तक नल से जल पहुंचाने की ‘‘विफलता’’ के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को आड़े हाथों लिया और आरोप लगाया कि ऐसा इसलिए नहीं हो सका क्योंकि तत्कालीन नीति निर्माताओं को बिना पानी की जिंदगी के दर्द का एहसास नहीं था।

केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन पर ग्राम पंचायत और पानी समितियों या ग्रामीण जल और स्‍वच्‍छता समितियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाद के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने दावा किया कि आजादी के बाद के सात दशकों में हर घर जल पहुंचाने के लिए जो काम हुआ था, सिर्फ पिछले दो साल में उससे भी ज्यादा काम उनकी सरकार ने करके दिखाया है।

इस अवसर पर उन्होंने पानी की प्रचुरता में रहने वाले देश के हर नागरिक से पानी बचाने के ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए निश्चित तौर पर लोगों को अपनी आदतें भी बदलनी ही होंगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत सी ऐसी फिल्में, कहानियां और कविताएं हैं जिनमें विस्तार से यह बताया गया है कि कैसे गांव की महिलाएं और बच्चे पानी लाने के लिए मीलों दूर चलकर जा रहे हैं और इन्हें देखकर कुछ लोगों के मन में गांव का नाम लेते ही यही तस्वीर उभरती है।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन बहुत कम ही लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर इन लोगों को हर रोज किसी नदी या तालाब तक क्यों जाना पड़ता है? आखिर क्यों नहीं पानी इन लोगों तक पहुंचता? मैं समझता हूं, जिन लोगों पर लंबे समय तक नीति-निर्धारण की जिम्मेदारी थी, उन्हें ये सवाल खुद से जरूर पूछना चाहिए था। लेकिन यह सवाल पूछा नहीं गया।’’

पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय के नीति-निर्माताओं ने पानी की किल्लत नहीं देखी थी और बिना पानी की जिंदगी का दर्द क्या होता है, उन्हें पता ही नहीं था, क्योंकि उनके घरों में, स्विमिंग पूल में पानी ही पानी होता था।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे लोगों ने कभी गरीबी देखी ही नहीं थी। इसलिए गरीबी उनके लिए एक आकर्षण रही। साहित्य और बौद्धिक ज्ञान दिखाने का जरिया बन गया। इन लोगों में एक आदर्श गांव के प्रति मोह होना चाहिए था लेकिन यह लोग गांव के अभावों को ही पसंद करते थे।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी से लेकर वर्ष 2019 तक देश में सिर्फ तीन करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था और 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से पांच करोड़ घरों को पानी के संपर्क से जोड़ा गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज देश के लगभग 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है। यानी पिछले सात दशकों में जो काम हुआ था, आज के भारत ने सिर्फ दो साल में उससे ज्यादा काम करके दिखाया है। वह दिन दूर नहीं नहीं जब किसी बहन बेटी को पानी भरने के लिए रोज रोज दूर-दूर तक पैदल नहीं जाना होगा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के विकास में पानी की कमी बाधा ना बने, इसके लिए काम करते रहना सभी का दायित्व है और यह सभी के प्रयास से ही संभव है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के प्रति भी जवाबदेह हैं। पानी की कमी से हमारे बच्चे अपनी ऊर्जा राष्ट्र निर्माण में ना लगा पाएं और उनका जीवन पानी की किल्लत से ही निपटने में बीत जाए, यह हम नहीं होने दे सकते। इसके लिए युद्धस्तर पर काम करते रहना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के किसी हिस्से में टैंकरों व ट्रेनों से पहुंचाने की नौबत ना आए।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन की दृष्टि सिर्फ लोगों तक पानी पहुंचाने का ही नहीं है बल्कि यह विकेंद्रीकरण का भी बहुत बड़ा आंदोलन है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह गांवों और महिलाओं द्वारा चलाए जाने वाला आंदोलन है। इसका मुख्य आधार, जनआंदोलन और जनभागीदारी है।’’

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर जल जीवन मिशन एप और राष्‍ट्रीय जल जीवन कोष की भी शुरुआत की।

इस एप का उद्देश्‍य विभिन्‍न हितधारकों के बीच जागरूकता बढाना और मिशन के अंतर्गत जारी योजनाओं को अधिक पारदर्शी और उत्‍तरदायी बनाना है जबकि राष्‍ट्रीय जल जीवन कोष में कोई भी व्‍यक्ति, संस्‍थान, कंपनी या समाज सेवी, चाहे वह भारत में हो या विदेश में, अंशदान कर सकता है। इस कोष का उपयोग गांव में प्रत्‍येक घर, स्‍कूल, आंगनवाडी केन्‍द्र और अन्‍य सार्वजनिक संस्‍थानों में नल से पानी की सुविधा उपलब्‍ध कराना है।

प्रधानमंत्री ने हर घर को नल से स्‍वच्‍छ पानी उपलब्‍ध कराने के उद्देश्य से 15 अगस्‍त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी।

बर्खास्त: स्वीमिंग पूल में महिला कांस्टेबल और DSP के नंगे खेल पर बड़ी कार्रवाई,लापरवाह दो थाना प्रभारी और दो पुलिस अफसर निलंबित attacknews.in

जयपुर, दो अक्तूबर । राजस्थान सरकार ने राजस्थान पुलिस सेवा (आरपीएस) के निलंबित अधिकारी और एक महिला कांस्टेबल को सेवा से बर्खास्त कर दिया है।

यह अधिकारी व महिला कांस्टेबल हाल में एक आपत्तिजनक वीडियो को लेकर विवाद में आए थे जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था।

राजस्थान के पुलिस महानिदेशक एम एल लाठर ने इन दोनों को सेवाओं से बर्खास्त किए जाने की पुष्टि की।

उन्होंने बताया, ‘‘बर्खास्तगी के आदेश आज उन्हें दे दिए जाएंगे।’’

सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी मिलने के बाद इन दोनों के खिलाफ राजस्थान सिविल सेवा नियमों के तहत यह दंडात्मक कार्रवाई की गई है। अधिकारी व महिला कांस्टेबल इस समय न्यायिक हिरासत में हैं।

ब्यावर, अजमेर के वृत्ताधिकारी रहे आरोपी अधिकारी हीरा लाल सैनी (54) का जयपुर में तैनात एक महिला कांस्टेबल के साथ का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया था। इसमें वे एक स्वीमिंग पूल में यौन गतिविधियों में संलिप्त नजर आए। महिला कांस्टेबल का छह साल का बेटा भी उस समय उसी पूल में खेल रहा था।

राज्य के पुलिस महानिदेशक ने अधिकारी और महिला कांस्टेबल को विभागीय जांच के बाद नैतिक दुराचरण के मामले में आठ सितंबर को निलंबित कर दिया।

इस कार्रवाई के बाद स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक मामला दर्ज किया क्योंकि यह कथित वीडियो बाल अधिकारों के खिलाफ अपराध वाला कृत्य दिखाता है।

अधिकारी व महिला की बाद में गिरफ्तारी हुई और फिलहाल वे न्यायिक हिरासत में हैं। इस प्रकरण में सैनी व महिला कांस्टेबल के साथ साथ मामले को दबाने की कोशिश करने व प्रभावी कार्रवाई नहीं करने के लिए आरपीएस के दो अधिकारियों व दो थाना प्रभारियों को भी निलंबित कर दिया गया है।

उद्धव ठाकरे अब उत्तरप्रदेश जाकर दिखाएं;नारायण राणे ने कहा:”यह कहने के लिए मानहानि के मामले दर्ज किए जा रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ को चप्पल से पीटा जाना चाहिए” attacknews.in

मुंबई, 28 अगस्त । केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को ‘‘मानहानि के मामलों’’ का सामना करने के लिए जल्द ही उत्तर प्रदेश का जाना होगा।

राणे अपनी ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के तहत तटीय महाराष्ट्र स्थित अपने गृह जिले सिंधुदुर्ग में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे।

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘उद्धव ठाकरे के खिलाफ कथित तौर पर यह कहने के लिए मानहानि के मामले दर्ज किए जा रहे हैं कि (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ को चप्पल से पीटा जाना चाहिए। अब उन्हें अनुभव होगा कि उत्तर प्रदेश जाने पर कैसा महसूस होता है।’’

राणे ने कहा, ‘‘वह (उद्धव ठाकरे) किस तरह के मुख्यमंत्री हैं? वह सिर्फ घर पर बैठकर कार्यक्रम में सम्मिलित होते हैं। उन्हें बाहर जाना चाहिए और स्थानों का दौरा करना चाहिए।’’

राणे ने इस हफ्ते की शुरुआत में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ टिप्पणी की थी जिससे विवाद पैदा हो गया था। इस संबंध में राणे को गिरफ्तार भी किया गया था और कुछ घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।

इस बीच नारायण राणे की पत्नी नीलम राणे ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार उनके पति को गिरफ्तार करेगी।

उन्होंने एक मराठी समाचार चैनल कहा, ‘‘मैंने शिवसेना से इस तरह की हरकत की कभी उम्मीद नहीं की थी जिस पार्टी को मेरे पति ने अपने जीवन के 40 साल दिए। अगर वे अपने पूर्व नेता के खिलाफ इस तरह से काम कर रहे हैं तो मुझे नहीं पता कि मैं क्या कहूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं भी हैरान थी जब शिवसेना के कुछ कार्यकर्ताओं ने तब यहां (मुंबई में) मेरे घर पर हमला किया जब हम सभी एक रैली के लिए निकले थे। केवल बहू और मेरे नाती-पोते थे। वे एक घर पर हमला कैसे कर सकते हैं।’’

न्यायमूर्ति नागरत्ना सितंबर 2027 में होगी भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई), आज बनी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस,नौ नए न्यायाधीश नियुक्त attacknews.in

नयी दिल्ली, 26 अगस्त । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नियुक्ति पत्रों पर हस्ताक्षर करने के साथ ही उच्चतम न्यायालय में तीन महिलाओं समेत नौ नए न्यायाधीशों की बृहस्पतिवार को नियुक्ति हुई।

सरकार के सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में जल्द ही एक औपचारिक अधिसूचना जारी की जाएगी।

शीर्ष अदालत के नए न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी एस नरसिम्हा शामिल हैं। न्यायमूर्ति नागरत्ना को सितंबर 2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) नियुक्त किए जाने की संभावना है।

इनके अलावा न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी भी उच्चतम न्यायालय में नियुक्त किए गए न्यायाधीशों में शामिल हैं।

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने 55 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों को सीधी भर्ती से भरने के लिए विज्ञापन जारी किया attacknews.in

विभिन्न विषयों की 27 अध्ययवशालाओं और विभागों में रिक्त पदों पर आवेदन करने की अंतिम तारीख 22 सितम्बर

उज्जैन 26 अगस्त । विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने विभिन्न विषयों की 27 अध्ययवशालाओं और विभागों में रिक्त प्रोफेसर,एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के 55 पदों को सीधी भर्ती के माध्यम से भरने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया हैं ।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख 22 सितम्बर 2021 निर्धारित की हैं –
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जारी विज्ञापन

पाकिस्तानी खिलाड़ी नदीम ने ओलंपिक में नीरज चौपड़ा के भाले को तहस-नहस कर छुपा दिया था attacknews.in

नीरज चोपड़ा के भाले से छेड़खानी कर रहे थे पाकिस्तानी भाला फेंक खिलाड़ी अरशद नदीम

नईदिल्ली 25 अगस्त ।टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक प्राप्त करने के पश्चात से सूबेदार नीरज चोपड़ा चर्चा में बने हुए हैं। लेकिन हाल ही में उनके एक बयान ने फिर वामपंथियों की नींद उड़ा दी है। जिस भाला फेंक स्पर्धा में उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था, उसी में पांचवें स्थान पर आकर पाकिस्तानी भाला फेंक एथलीट अरशद नदीम ने सभी को चकित कर दिया था।

पाकिस्तानी धावक अब्दुल खालिक के पश्चात अरशद नदीम पहले ऐसे एथलीट थे, जिन्होंने इस स्तर की ख्याति प्राप्त की थी। लेकिन जो दिखता है, जरूरी नहीं वैसा ही हो।

भारत के ही खिलाड़ियों में से कुछ क्या राणा अयूब, क्या बरखा दत्त, क्या ज्वाला गुट्टा, सभी अरशद नदीम की बढ़ाई कर रहे थे, और उसे ‘Sportsmanship’ का अनुपम उदाहरण सिद्ध करने पर तुले हुए थे। परंतु क्या वाकई में ऐसा था?

बिल्कुल भी नहीं।नीरज चोपड़ा ने हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए अपने साक्षात्कार में बताया कि कैसे उन्हे प्रारंभ में अपना भाला नहीं मिल रहा था।

उनके साक्षात्कार के अनुसार, “ओलंपिक के प्रारंभ में मैं अपना भाला ढूंढ रहा था, जो मुझे मिल नहीं रहा था। अचानक मैंने अरशद नदीम को मेरे भाले के साथ घूमते हुए देखा। मैंने उससे स्पष्ट कहा, ‘भाई, ये मेरा भाला है, वापस दो मुझे’। उसे देना पड़ा, और आपने देखा होगा कि क्यों मैंने अपना पहला दांव हड़बड़ी में फेंका था”

और चीजों को जाने दीजिए, लेकिन सिर्फ स्पर्धा की दृष्टि से भी इसे अनप्रोफेशनल माना जाएगा। आप यूं ही किसी के भी भाले को नहीं उठा सकते, विशेषकर जब ओलंपिक जैसे ईवेंट का आयोजन हो रहा हो।

हालांकि, यहाँ बात पाकिस्तान की हो रही है, जिनके राजनयिक विदेशी आयोजनों में अन्य राजनयिकों के पर्स तक चोरी कर लेते हैं।

एक ट्विटर यूजर ने इमरान खान के भ्रष्ट व्यवहार पर प्रश्न उठाते हुए यहाँ तक ट्वीट किया, “पाकिस्तान के अरशद नदीम ने ओलंपिक स्वर्ण पदकधारी नीरज चोपड़ा का भाला लिया। एक पूर्व स्टेट लेवल फाइनलिस्ट होने के नाते मैं आपको बता सकता हूँ कि यह काफी अनप्रोफेशनल है। लगता है कि इमरान खान के समय का भ्रष्टाचार अब पाकिस्तानी खेल के कोने कोने तक फैल चुका है”

लेकिन इतनी चुनौतियों के पश्चात भी यदि नीरज चोपड़ा ने पहले ही दांव में 87.05 मीटर तक भाला फेंका, तो इसके लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए, वो कम होगी।

यदि अरशद नदीम ने वास्तव में सूबेदार नीरज चोपड़ा के भाले के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास किया था, तो ये यही सिद्ध कर सकता है कि कुछ लोग अपनी प्रवृत्ति कभी नहीं बदल सकते, और पाकिस्तानी भी उन्ही में से एक हैं।

शादी का झांसा देकर प्रोफेसर ने नशीला पदार्थ खिलाकर कोचिंग मालकिन के साथ होटल में कर दिया बलात्कार attacknews.in

उदयपुर 09 अगस्त । राजस्थान में उदयपुर जिले के गोगुन्दा थाना क्षेत्र में पुलिस ने मुंबई की एक युवती से दुष्कर्म के आरोप में पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रोफेसर को गिरफ्तार किया है।

थानाधिकारी प्रवीणसिंह शिशोदिया ने बताया कि मुंबई में इंजीनियरिंग कोचिंग सेंटर चलाने वाली तलाकशुदा महिला द्वारा दर्ज करवायी गयी जीरो नंबर की एफआईआर में बताया कि उदयपुर में हिरण मगरी सेक्टर तीन के रहने वाले नीरज मारोठिया से उसक ऑनलाइन वेबसाईट से परिचय हुआ था।

उदयपुर में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया हैं जहां शादी का झांसा देकर प्रोफेसर ने कोचिंग मालकिन से होटल में दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। इस मामले में गोगुंदा पुलिस ने आरोपी प्रोफेसर को गिरफ्तार किया है।

आरोपी ने शादी का झांसा देकर मुंबई में कोचिंग सेंटर चलाने वाली महिला को उदयपुर बुलाया। नशीला पदार्थ पिलाकर दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के बाद आरोपी ने जल्द ही शादी करने का आश्वासन देकर उसे मुंबई भेज दिया। फिर आरोपी ने फोन उठाना बंद कर दिया। काफी दिनों तक संपर्क नहीं हुआ तो महिला ने मुंबई में जीरो नंबर की FIR दर्ज करवाकर उदयपुर भेजी। पुलिस ने आरोपी प्रोफेसर नीरज को गिरफ्तार किया है। उससे पूछताछ जारी है।

गोगुंदा पुलिस ने बताया कि मुंबई के खारघर निवासी एक महिला का अपने पति से करीब 12 साल पहले तलाक हो गया था। महिला अपने पुत्र के साथ रहती है। जो मुंबई में इंजीनियरिंग कोचिंग इंस्टिट्यूट चलाती है। महिला का कुछ समय पूर्व ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए उदयपुर के सेक्टर 3 निवासी नीरज मारोठिया से संपर्क हुआ। दोनों के बीच इंटरनेट पर लंबी बातें होने लगी। एक-दूसरे को अपने नंबर दे दिए। मेलजोल बढ़ने पर आरोपी ने महिला को शादी का झांसा दिया। उसे उदयपुर आने के लिए कहने लगा। महिला 9 जुलाई को युवक से मिलने उदयपुर पहुंची। इस दौरान आरोपी ने गोगुंदा के बरौलिया स्थित स्पेक्ट्रम रिसोर्ट में महिला को रुकवाया। महिला ने आरोप लगाया कि इस दौरान आरोपी ने कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ खिलाकर दुष्कर्म किया।

PM नरेन्द्र मोदी ने बताया: एमएसपी पर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद,धान किसानों के खातों में ₹ 1,70,000 करोड़ और गेहूं किसानों को ₹ 85,000 करोड़ सीधे भेजे गए attacknews.in

9.75 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों के खातों में 19,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि सीधे भेजी गयी

2047 में भारत की स्थिति को निर्धारित करने में हमारी कृषि और हमारे किसानों की बड़ी भूमिका रहेगी, जब देश स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा: प्रधानमंत्री

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद, 1,70,000 करोड़ रुपये धान किसानों के खातों में और लगभग 85,000 करोड़ रुपये गेहूं किसानों के खातों में सीधे भेजे गए: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने देश के किसानों द्वारा उनके आग्रह को स्वीकार करने और पिछले 06 वर्षों में दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया

राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-पाम तेल (एनएमईओ-ओपी) के अंतर्गत देश ने खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया है, खाद्य तेल इकोसिस्टम में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा: प्रधानमंत्री

कृषि निर्यात के मामले में भारत पहली बार दुनिया के शीर्ष-10 देशों में शामिल हुआ है: प्रधानमंत्री

नईदिल्ली 9 अगस्त । देश की कृषि नीतियों में छोटे किसानों को अब सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है: प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी की।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने किसान लाभार्थियों से बातचीत भी की। 19,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि, 9.75 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को अंतरित की गई। यह प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की 9वीं किस्त थी।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने बुआई के मौसम के बारे में चर्चा की और यह उम्मीद जताई कि आज प्राप्त हुई राशि से किसानों को मदद मिलेगी। उन्होंने आज एक लाख करोड़ रुपये की निधि वाली किसान इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की योजना के एक साल पूरे होने का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने शहद मिशन (मिशन हनी-बी) और नेफेड की दुकानों में जम्मू-कश्मीर के केसर बनाए जाने जैसी पहलों के बारे में चर्चा की। शहद मिशन की वजह से 700 करोड़ रुपये के शहद का निर्यात हुआ है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हुई है।

आगामी 75वें स्वतंत्रता दिवस का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि यह गर्व का अवसर होने के साथ-साथ नए संकल्प लेने का भी एक अवसर है।

उन्होंने कहा कि हमें इस अवसर का उपयोग यह तय करने के लिए करना होगा कि हम आने वाले 25 वर्षों में भारत को कहां देखना चाहते हैं।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 में, जब देश अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, भारत की स्थिति को निर्धारित करने में हमारी कृषि और हमारे किसानों की बड़ी भूमिका होगी। यह समय भारत की कृषि को नई चुनौतियों का सामना करने और नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए दिशा देने का है।

उन्होंने बदलते समय की जरूरतों के अनुरूप भारतीय कृषि में बदलाव लाने का आह्वान किया। उन्होंने महामारी के दौरान रिकॉर्ड उत्पादन के लिए किसानों की सराहना की और इस कठिन घड़ी में किसानों की कठिनाइयों को कम करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों को रेखांकित किया। सरकार ने बीजों, उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति और बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित की। यूरिया इस पूरी अवधि में उपलब्ध रहा और जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमतें कई गुना बढ़ गईं, तो सरकार ने तुरंत उसके लिए 12000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की ताकि किसानों को उसका बोझ महसूस न हो।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे खरीफ या रबी का सीजन रहा हो, सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद की है। इससे करीब एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये सीधे चावल का उत्पादन करने वाले किसानों के खाते में पहुंचे हैं और करीब 85,000 करोड़ रुपये सीधे गेहूं का उत्पादन करने वाले किसानों के खाते में गए हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात की याद दिलाई कि जब कुछ साल पहले देश में दालों की कमी हुई थी, तो उन्होंने किसानों से दलहन का उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप पिछले 6 वर्षों में देश में दालों के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक दृढ़संकल्‍प के रूप में ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम यानी एनएमईओ-ओपी’पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज जब देश ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को स्‍मरण कर रहा है, इस ऐतिहासिक दिन पर यह दृढ़संकल्प हमें नई ऊर्जा से भर देता है। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम’ मिशन के जरिए खाद्य तेल से जुड़ी समग्र व्‍यवस्‍था में 11,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का निवेश किया जाएगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसानों को बेहतरीन बीजों से लेकर प्रौद्योगिकी तक सभी सुविधाएं मिलें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पहली बार भारत ने कृषि निर्यात के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में स्‍वयं को शुमार किया है। कोरोना के संकट काल में देश ने कृषि निर्यात में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन्‍होंने कहा कि आज जब एक बड़े कृषि निर्यातक देश के रूप में भारत की पहचान बन गई है, तो खाद्य तेल की हमारी जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहना सही नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की कृषि नीतियों में अब छोटे किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी भावना के साथ पिछले कुछ वर्षों से इन छोटे किसानों को सुविधा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए अत्‍यंत गंभीरतापूर्वक प्रयास किए जा रहे हैं। ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ के तहत अब तक किसानों को 1 लाख 60 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। इनमें से 1 लाख करोड़ रुपये महामारी के संकट काल के दौरान छोटे किसानों को अंतरित किए गए हैं। कोरोना काल के दौरान 2 करोड़ से भी अधिक किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए, जिनमें से अधिकांश छोटे किसानों को दिए गए। ऐसे ही किसान देश में स्‍थापित की जा रही कृषि संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं और कनेक्टिविटी संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं से लाभान्वित होंगे। फूड पार्क, किसान रेल और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड जैसी पहलों से छोटे किसानों को काफी मदद मिलेगी। बीते साल इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत 6 हजार से भी ज्यादा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये कदम बाजार तक छोटे किसानों की पहुंच के साथ-साथ एफपीओ के माध्यम से सौदेबाजी करने की उनकी क्षमता को भी काफी बढ़ा देते हैं।

अब से कुछ दिन बाद ही 15 अगस्त आने वाला है।

इस बार देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है।

ये महत्वपूर्ण पड़ाव हमारे लिए गौरव का तो है ही, ये नए संकल्पों, नए लक्ष्यों का भी अवसर है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत वित्तीय लाभ की किस्त के संवितरण के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ

नमस्कार जी,

पिछले कई दिनों से मैं सरकार की अलग-अलग योजनाओं के लाभार्थियों से चर्चा कर रहा हूं। सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, उनका लाभ लोगों तक कैसे पहुंच रहा है, ये और बेहतर तरीके से हमें पता चलता है। जनता जनार्दन से डायरेक्ट कनेक्शन का यही लाभ होता है। इस कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सभी सहयोगी गण, देशभर के अनेक राज्यों से उपस्थित आदरणीय मुख्यमंत्री गण, लेफ्टिनेंट गवर्नर, और उप-मुख्यमंत्रि गण, राज्य सरकारों के मंत्री, अन्य महानुभाव, देशभर से जुड़े किसान और भाइयों और बहनों,

आज देश के लगभग 10 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 19 हज़ार 500 करोड़ रुपए से भी अधिक ये रकम सीधी उनके खाते में ट्रांसफर हो गई है। और मैं देख रहा हूं कई अपने मोबाइल में चेक कर रहे हैं आया है क्या? और फिर एक दूसरे को ताली दे रहे हैं। आज जब बारिश का मौसम है और बुआई भी ज़ोरों पर है, तो ये राशि छोटे किसानों के बहुत काम आएगी। आज 1 लाख करोड़ रुपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को भी 1 साल पूरा हो गया है। इसके माध्यम से हज़ारों किसान संगठनों को मदद मिल रही है।

भाइयों और बहनों,

सरकार किसानों को अतिरिक्त आय के साधन देने के लिए, नई-नई फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मिशन हनी बी ऐसा ही एक अभियान है। मिशन हनी बी के चलते बीते साल हमने लगभग 700 करोड़ रुपए के शहद का एक्सपोर्ट किया है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हुई है। जम्मू-कश्मीर का केसर तो वैसे भी विश्व प्रसिद्ध है। अब सरकार ने ये फैसला लिया है कि जम्मू कश्मीर का केसर देशभर में ‘नाफेड’ की दुकानों पर उपलब्ध होगा। इससे जम्मू कश्मीर में केसर की खेती को बहुत प्रोत्साहन मिलने वाला है।

भाइयों और बहनों,

आप सभी से ये संवाद ऐसे समय में हो रहा है, जब हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। अब से कुछ दिन बाद ही 15 अगस्त आने वाला है। इस बार देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। ये महत्वपूर्ण पड़ाव हमारे लिए गौरव का तो है ही, ये नए संकल्पों, नए लक्ष्यों का भी एक बहुत बड़ा अवसर है।

इस अवसर पर हमें ये तय करना है कि आने वाले 25 वर्षों में हम भारत को कहां देखना चाहते हैं। देश जब आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा 2047 में, तब भारत की स्थिति क्या होगी, ये तय करने में हमारी खेती, हमारे गांव, हमारे किसानों की बहुत बड़ी भूमिका है। ये समय भारत की कृषि को एक ऐसी दिशा देने का है, जो नई चुनौतियों का सामना कर सके और नए अवसरों का भरपूर लाभ उठा सके।

भाइयों और बहनों,

इस दौर में बहुत तेज़ी से हो रहे बदलावों के हम सभी साक्षी हैं। चाहे मौसम और प्रकृति से जुड़े बदलाव हों, खान-पान से जुड़े बदलाव हों या फिर महामारी के कारण पूरी दुनिया में हो रहे बदलाव हों। हमने बीते डेढ़ वर्ष में कोरोना महामारी के दौरान इसको अनुभव भी किया है। इस कालखंड में, देश में ही खान-पान की आदतों को लेकर बहुत जागरूकता आई है। मोटे अनाज की, सब्जियों और फलों की, मसालों की, ऑर्गेनिक उत्पादों की डिमांड अब तेज़ी से बढ़ रही है। इसलिए भारतीय कृषि को भी अब इसी बदलती आवश्यकताओं और बदलती मांग के हिसाब से बदलना ही है। और मुझे हमेशा से विश्वास है कि हमारे देश के किसान इन बदलावों को जरूर आत्मसात करेंगे।

साथियों,

इस महामारी के दौरान भी हमने भारत के किसानों का सामर्थ्य देखा है। रिकॉर्ड उत्पादन के बीच सरकार ने भी प्रयास किया है कि किसानों की परेशानी कम से कम हो। सरकार ने खेती और इससे जुड़े हर सेक्टर को बीज, खाद से लेकर अपनी उपज को बाज़ार तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किए, उपाय किए। यूरिया की सप्लाई निर्बाध रखी। DAP,जिसके दाम अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इस कोरोना के चलते कई गुणा बढ़ गए, उसका बोझ भी हमारी सरकार ने किसानों पर पड़ने नहीं दिया। सरकार ने तुरंत इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपए का इंतजाम किया।

साथियों,

सरकार ने खरीफ हो या रबी सीज़न, किसानों से MSP पर अब तक की सबसे बड़ी खरीद की है। इससे, धान किसानों के खाते में लगभग 1 लाख 70 हज़ार करोड़ रुपए और गेहूं किसानों के खाते में लगभग 85 हज़ार करोड़ रुपए डायरेक्ट पहुंचे हैं। किसान और सरकार की इसी साझेदारी के कारण आज भारत के अन्न भंडार भरे हुए हैं। लेकिन साथियों, हमने देखा है कि सिर्फ गेहूं, चावल, चीनी में ही आत्मनिर्भरता काफी नहीं है, बल्कि दाल और तेल में भी आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है। और भारत के किसान ये करके दिखा सकते हैं। मुझे याद है कि कुछ साल पहले जब देश में दालों की बहुत कमी हो गई थी, तो मैंने देश के किसानों से दाल उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। मेरे उस आग्रह को देश के किसानों ने स्वीकार किया। परिणाम ये हुआ कि बीते 6 साल में देश में दाल के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जो काम हमने दलहन में किया, या अतीत में गेहूं-धान को लेकर किया, अब हमें वही संकल्प खाने के तेल के उत्पादन के लिए भी लेना है। ये खाद्य तेल में हमारा देश आत्मनिर्भर हो, इसके लिए हमें तेजी से काम करना है।

भाइयों और बहनों,

खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के लिए अब राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम का संकल्प लिया गया है। आज देश भारत छोड़ो आंदोलन को याद कर रहा है, तो इस ऐतिहासिक दिन ये संकल्प हमें नई ऊर्जा से भर देता है। इस मिशन के माध्यम से खाने के तेल से जुड़े इकोसिस्टम पर 11 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जाएगा। सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि किसानों को उत्तम बीज से लेकर टेक्नॉलॉजी, उसकी हर सुविधा मिले। इस मिशन के तहत ऑयल-पाम की खेती को प्रोत्साहन देने के साथ ही हमारी जो अन्य पारंपरिक तिलहन फसलें हैं, उनकी खेती को भी विस्तार दिया जाएगा।

साथियों,

आज भारत कृषि निर्यात के मामले में पहली बार दुनिया के टॉप-10 देशों में पहुंचा है। कोरोना काल में ही देश ने कृषि निर्यात के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। आज जब भारत की पहचान एक बड़े कृषि निर्यातक देश की बन रही है, तब हम खाद्य तेल की अपनी ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहें, ये बिल्कुल उचित नहीं है। इसमें भी आयातित ऑयल-पाम, का हिस्सा 55 प्रतिशत से अधिक है। इस स्थिति को हमें बदलना है। खाने का तेल खरीदने के लिए हमें जो हज़ारों करोड़ रुपए विदेश में दूसरों को देना पड़ता है, वो देश के किसानों को ही मिलना चाहिए। भारत में पाम – ऑयल की खेती के लिए हर ज़रूरी संभावनाएं हैं। नॉर्थ ईस्ट और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में, विशेष रूप से इसे बहुत बढ़ाया जा सकता है। ये वो क्षेत्र हैं जहां आसानी से पॉम की खेती हो सकती है। पाम-ऑयल का उत्पादन हो सकता है।

साथियों,

खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के इस मिशन के अऩेक लाभ हैं। इससे किसानों को तो सीधा लाभ होगा ही, गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को सस्ता और अच्छी क्वालिटी का तेल भी मिलेगा। यही नहीं, ये मिशन बड़े स्तर पर रोजगार का निर्माण करेगा, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बल देगा। विशेष रूप से Fresh Fruit Bunch Processing से जुड़े उद्योगों का विस्तार होगा। जिन राज्यों में पाम-ऑयल की खेती होगी, वहां ट्रांसपोर्ट से लेकर फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स में युवाओं को अनेक रोज़गार मिलेंगे।

भाइयों और बहनों,

ऑयल-पाम की खेती का बहुत बड़ा लाभ देश के छोटे किसानों को मिलेगा। ऑयल-पाम का प्रति हेक्टेयर उत्पादन बाकी तिलहन फसलों की तुलना में बहुत ज्यादा होता है। यानि ऑयल-पाम मिशन से बहुत छोटे से हिस्से में ज्यादा फसल लेकर छोटे किसान बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।

साथियों,

ये आप भली-भांति जानते हैं कि देश के 80 प्रतिशत से अधिक किसानों के पास 2 हेक्टेयर तक ही ज़मीन है। आने वाले 25 साल में देश की कृषि को समृद्ध करने में इन छोटे किसानों की बहुत बड़ी भूमिका रहने वाली है। इसलिए अब देश की कृषि नीतियों में इन छोटे किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी भावना के साथ बीते सालों में छोटे किसानों को सुविधा और सुरक्षा देने का एक गंभीर प्रयास किया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अब तक 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए किसानों को दिए गए हैं। इसमें लगभग 1 लाख करोड़ रुपए तो कोरोना के मुश्किल समय में ही छोटे किसानों तक पहुंचे हैं। यही नहीं, कोरोना काल में ही 2 करोड़ से ज्यादा किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से अधिकतर छोटे किसान हैं। इनके माध्यम से किसानों ने हजारों करोड़ रुपए का ऋण भी लिया है। कल्पना कीजिए, अगर ये मदद छोटे किसानों को ना मिलती तो, 100 वर्ष की इस सबसे बड़ी आपदा में उनकी क्या स्थिति होती? उन्हें छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए कहां-कहां नहीं भटकना पड़ता?

भाइयों और बहनों,

आज जो कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है, जो कनेक्टिविटी का इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है या फिर जो बड़े-बड़े फूड पार्क लग रहे हैं, इनका बहुत बड़ा लाभ छोटे किसानों को ही हो रहा है। आज देश में विशेष किसान रेल चल रही हैं। इन ट्रेनों से हजारों किसानों ने अपना उत्पादन कम कीमत में ट्रांसपोर्ट का खर्चा बहुत कम देश की बड़ी-बड़ी मंडियों तक पहुंचाकर अधिक कीमत से माल बेचा है। इसी प्रकार, जो विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड है, इसके तहत भी छोटे किसानों के लिए आधुनिक भंडारण की सुविधाएं तैयार हो रही हैं। बीते साल में साढ़े 6 हज़ार से अधिक प्रोजेक्ट स्वीकृत हो चुके हैं। ये प्रोजेक्ट्स जिनको मिले हैं, उनमें किसान भी हैं, किसानों की सोसायटी और किसान उत्पादक संघ भी हैं, सेल्फ हेल्प ग्रुप भी हैं और स्टार्ट अप्स भी हैं। हाल में एक और बड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने तय किया है कि जो राज्यों में हमारी सरकारी मंडियां हैं, उनको भी इस फंड से मदद मिल सके। इस फंड का उपयोग करके हमारी सरकारी मंडियां बेहतर होंगी, ज्यादा मजबूत होंगी, आधुनिक होंगी।

भाइयों और बहनों,

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड हो या फिर 10 हज़ार किसान उत्पादक संघों का निर्माण, कोशिश यही है कि छोटे किसानों की ताकत को बढ़ाया जाए। छोटे किसानों की बाज़ार तक पहुंच भी अधिक हो और बाजार में मोलभाव करने की उनकी क्षमता में भी वृद्धि हो। जब FPOs के माध्यम से, सहकारी तंत्र से, सैकड़ों छोटे किसान एकजुट होंगे, तो उनकी ताकत सैकड़ों गुना बढ़ जायेगी। इससे फूड प्रोसेसिंग हो या फिर निर्यात, इसमें किसानों की दूसरों पर निर्भरता कम होगी। वो स्वयं भी सीधे विदेशी बाज़ार में अपना उत्पाद बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंधनों से मुक्त होकर ही देश के किसान और तेजी से आगे बढ़ सकेंगे। इसी भावना के साथ हमें आने वाले 25 साल के एक संकल्पों को सिद्ध करना है। तिलहन में आत्मनिर्भरता के मिशन में हमें अभी से जुट जाना है। एक बार फिर पीएम किसान सम्मान निधि के सभी लाभार्थियों को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद!

जम्मू-कश्मीर के 14 जिलों में NIA ने आतंकवादियों को धन उपलब्ध कराने के मामले में जमात-ए-इस्लामी के धर्मार्थ ट्रस्टों के कार्यालयों,सदस्यों के आवासों पर छापे मारे attacknews.in

श्रीनगर, 08 अगस्त । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में रविवार को जम्मू-कश्मीर के 14 जिलों में 40 से अधिक स्थानों पर छापे मारे।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सहायता से एनआईए अधिकारियों ने जमात-ए-इस्लामी के कुछ धर्मार्थ ट्रस्टों के कार्यालयों और इसके सदस्यों के आवासों पर छापे मारे। केंद्र ने आतंकवादियों के साथ संबंध रखने के मामले में जमात-ए-इस्लामी संगठन को 2019 में प्रतिबंधित कर दिया था। एनआईए ने छापे की कार्रवाई आज तड़के करीब पांच बजे शुरू की।

सूत्रों ने बताया कि श्रीनगर, बड़गाम, गंदेरबल, बारामूला, कुपवाड़ा, बांदीपुर, अनंतनाग, शोपियां, पुलवामा और कुलगाम में छापे मारे गये।

उन्होंने कहा, “जम्मू डिवीजन में रामबन, डोडा, किश्तवाड़ और राजौरी जिलों में छापे मारे गये।”
सूत्रों ने बताया कि ये छापे जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों की जांच करने के लिए मारे गये।

सूत्रों ने कहा कि इस साल की शुरुआत में, एनआईए ने जमात कार्यकर्ताओं ,अधिकारियों के खिलाफ पाकिस्तान के इशारे पर आतंकवादी गतिविधियों को कथित रूप से सहायता और बढ़ावा देने के लिए मामला दर्ज किया था।

सूत्रों ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है इस साल की शुरुआत में एनआईए ने जमात कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।पाकिस्तान के इशारे पर आतंकी गतिविधियों में मदद करने का आरोप।

डोडा, किश्तवाड़, रामबन, अनंतनाग, बडगाम, राजौरी, डोडा और शोपियां सहित जम्मू-कश्मीर में अभियान चलाया जा रहा है।

जमात-ए-इस्लामी (JI) के कार्यकर्ताओं के घरों और कार्यालयों में सुबह-सुबह कश्मीर के लगभग सभी जिलों और जम्मू क्षेत्र के कई जिलों में छापे मारे गए, जिनमें रामबन, किस्तवार, डोडा और राजौरी शामिल हैं।

10 जुलाई से पहले, जांचकर्ताओं ने कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्सों से छह लोगों को गिरफ्तार किया आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्थानीय युवाओं को भर्ती करने की इस्लामिक स्टेट की साजिश में शामिल।

इन अभियानों का पालन किया गया और जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा 11 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था जिनमे हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन पर अपने दो बेटों के साथ आतंकवादी संपर्क रखने का आरोप है।
फरवरी 2019 में, केंद्र ने 2019 में आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत JI पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था जब पुलवामा में एक आतंकवादी हमले में CR0 CRPF के जवान मारे गए थे।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद, गृह मंत्रालय द्वारा अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत समूह पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की गई थी।

जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के बाद और अगस्त 2019 में दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने से कुछ महीने पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर में एक बड़ी कार्रवाई में सैकड़ों JII कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।

अधिकारियों ने कहा कि समूह की आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े एक मामले की चल रही जांच के मद्देनजर एनआईए की गुंडों द्वारा नवीनतम अभियान पुलिस और सीआरपीएफ की मदद से चलाया गया।
उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर तलाशी अभी भी जारी है और अधिक जानकारी की प्रतीक्षा है।

चंबल संभाग में बाढ़ की लापरवाही में नप गये ढेरों शासकीय अधिकारी:श्योपुर के कलेक्टर, एसपी के अलावा अन्य अधिकारी भी हटाए गए attacknews.in

मुरैना, 08 अगस्त । मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के श्योपुर जिले में बाढ़ के दौरान राहत और बचाव कार्य में कथित लापरवाही की खबरों के बीच कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त कलेक्टर और मुख्य नगर पालिका अधिकारी को राज्य शासन ने आज तत्काल प्रभाव से हटा दिया।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने श्योपुर के कलेक्टर राकेश श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय, अतिरिक्त कलेक्टर रूपेश उपाध्याय और मुख्य नगर पालिका अधिकारी मीना अग्रवाल को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। हटाये गए अधिकारियों की जगह ग्वालियर जिले से नए अधिकारियों को भेजा गया है।

मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के श्योपुर जिले में बाढ़ के दौरान राहत और बचाव कार्य में कथित लापरवाही की खबरों के बीच कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त कलेक्टर और मुख्य नगर पालिका अधिकारी को राज्य शासन ने आज तत्काल प्रभाव से हटा दिया।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने श्योपुर के कलेक्टर राकेश श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय, अतिरिक्त कलेक्टर रूपेश उपाध्याय और मुख्य नगर पालिका अधिकारी मीना अग्रवाल को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है।

राज्य शासन ने श्योपुर जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक का स्थानान्तरण किया है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश में श्योपुर कलेक्टर श्री राकेश कुमार श्रीवास्तव को स्थानांतरित कर उन्हें उप सचिव मध्यप्रदेश शासन पदस्थ किया है। आयुक्त, नगर पालिक निगम ग्वालियर शिवम वर्मा को कलेक्टर श्योपुर पदस्थ किया गया है।

गृह विभाग द्वारा जारी आदेश में सम्पत उपाध्याय पुलिस अधीक्षक श्योपुर को सहायक पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस मुख्यालय भोपाल पदस्थ किया है।अनुराग सुजानिया सहायक पुलिस महानिरीक्षक महिला अपराध, ग्वालियर को पुलिस अधीक्षक श्योपुर पदस्थ किया गया है।

नगरीयविकास एवं आवास विभाग द्वारा मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद श्योपुर मिनी अग्रवाल का स्थानांतरण सहायक आयुक्त नगरपालिक निगम ग्वालियर किया गया है। उनके स्थान पर मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद हटा बी.डी. कतरोलिया को मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद श्योपुर पदस्थ किया गया है।

बिहार में सतारुढ़ नीतीश कुमार की पार्टी में गुटबाजी की सियासत गर्माई;जदयू के पोस्टर में राष्ट्रीय अध्यक्ष और उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर नहीं, मामले ने पकड़ा तूल attacknews.in

पटना 08 अगस्त । जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के मुंगेर से सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के दो दिन पूर्व किए गए भव्य स्वागत की तर्ज पर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह के 16 अगस्त को पहली बार पटना आने पर लगाए गए पोस्टर में राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ ही पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष की तस्वीर नहीं रहने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

राजनीतिक जानकार नवनियुक्त अध्यक्ष ललन सिंह और पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर नहीं लगाए जाने को मुख्यमंत्री के दो चहेते नेताओं के अब आमने-सामने आने की बात कह रहे हैं। इसी से लगता है कि नवनियुक्त अध्यक्ष श्री सिंह और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी दो गुटों में बंटती हुई दिख रही है।

माना जा रहा है कि जेडीयू में दोनों नेता एक नई सियासत की कहानी लिखने की तैयारी में जुट गए हैं. वहीं, दूसरी ओर 16 अगस्त को आरसीपी सिंह पटना आने वाले हैं. इसके लिए पटना में जगह-जगह पर जेडीयू की ओर से पोस्टर लगाए गए हैं लेकिन हैरानी की बात है कि पोस्टर से ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर को गायब कर दिया गया है।

हालांकि पोस्टर से दोनों बड़े नेताओं की तस्वीर का गायब होना महज संयोग नहीं हो सकता है. कयास लगाया जा रहा है कि कहीं न कहीं जेडीयू में दो फाड़ हो गया है।पार्टी के इकलौते केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है।इसका प्रमाण पटना स्थित पार्टी कार्यालय में देखा जा सकता है।

एक तरफ दिख रहे नीतीश तो दूसरी ओर आरसीपी सिंह

16 अगस्त को आरसीपी सिंह पटना आ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री बनने के बाद यह उनका पहला पटना दौरा होगा लेकिन इस दौरे से पहले ही उन्होंने जिस तरह के तेवर दिखाए हैं उसके बाद पार्टी में अंदरूनी विवाद उभरकर सामने आ रहा है।पार्टी कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर में एक तरफ नीतीश कुमार नजर आ रहे हैं तो दूसरी तरफ आरसीपी सिंह की तस्वीर है।

इसके अलावा तस्वीर में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, बिहार सरकार के मंत्री विजेंद्र यादव, शिक्षा मंत्री विजय चौधरी, श्रवण कुमार, मदन सहनी, शीला देवी, सुमित सिंह, सुनील सिंह सहित कई नेताओं की तस्वीरें हैं।

माना जा रहा है कि जिस तरह से आरसीपी को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाया गया और ललन सिंह के स्वागत में जिस तरह से पटना में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, उसके बाद केंद्रीय मंत्री कहीं न कहीं नाराज हैं।

उपेंद्र कुशवाहा से मिले ललन सिंह, कहा- किसी की छाती पर सांप लोट रहा तो हम क्या करें?

इधर राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने रविवार को संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के घर जाकर उनसे मुलाकात की।

मुलाकात के बाद ललन सिंह ने मीडिया के सवालों का जवाब दिया।इस सवाल पर कि राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा में तल्खियां आ गई हैं , ललन सिंह ने कहा कि विरोधी का काम ही कुछ ना कुछ कहना, लेकिन मेरे और उपेंद्र कुशवाहा में कोई अंतर नहीं है।

ललन सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के साथ लोक दल से ही काम कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि हमारी मुलाकात से अगर किसी की छाती पर सांप लोट रहा है तो इसमें हम कुछ नहीं कर सकते हैं।हम दोनों को मिलकर ही पार्टी को मजबूत करना है।जेडीयू का सिर्फ एक ही नेता है और वह हैं नीतीश कुमार।पार्टी मजबूत होगी तो नेता भी मजबूत होंगे और साथ ही हम सब मजबूत होंगे।

ललन सिंह को उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कर्मठ

इस मुलाकात के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने भी ट्वीट कर तस्वीर शेयर की है।तस्वीर में दोनों एक-दूसरे को प्रणाम करते दिख रहे हैं।उपेंद्र कुशवाहा ने मुलाकात के बाद रविवार को ट्वीट कर लिखा, “जनता दल (यूनाइटेड) के कर्मठ और समर्पित साथी, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जी से मेरे पटना स्थित आवास पर मुलाकात हुई.”

बता दें कि ललन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले भी उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की थी. उस समय भी इस मुलाकात को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही थी. हालांकि इसपर जब सवाल किया गया तो ललन सिंह ने कहा कि यह दूसरी मुलाकात क्यों है. हम तो लगातार मिल रहे हैं।

मध्यप्रदेश विधानसभा के सोमवार से शुरू होने वाले चार दिन के मानसून सत्र में पूछे जाने वाले 1184 प्रश्नों की सूची तैयार attacknews.in

भोपाल, 08 अगस्त । मध्यप्रदेश के आधा दर्जन से अधिक जिलों में बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण मची तबाही के बीच सोमवार से प्रारंभ हो रहे विधानसभा के चार दिवसीय मानसून सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है।

विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने आज यहां सत्र प्रारंभ होने के एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक बुलायी। इसका मुख्य उद्देश्य सत्र के सुचारू ढंग से संचालन के संबंध में चर्चा करना रहा।

सत्र सोमवार से प्रारंभ होकर चार दिनों यानी गुरुवार तक चलेगा। इस दौरान कोविड संबंधी नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा और मीडिया को भी काफी सीमित संख्या में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी।

विधानसभा सचिवालय के अनुसार अब तक सचिवालय में कुल 1184 प्रश्नों की सूचना प्राप्त हुई हैं, जबकि ध्यानाकर्षण की 236, स्थगन प्रस्ताव की 17, शून्यकाल की 40, अशासकीय संकल्प की 14 और 139 अविलंवनीय लोक महत्व की चर्चा की 8, याचिकाओं की 15 तथा शासकीय विधेयकों की 3 तथा लंबित विधेयकों की 2 सूचनाएं प्राप्त हुई हैं।

इस बीच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सरकार को बाढ़ से तबाही, किसान और खाद आदि के मुद्दे पर घेरने की योजना बनायी है।

राष्ट्रगान गाएं, अपना वीडियो रिकॉर्ड करें और उसे ‘राष्ट्रगानडॉटइन’(RASHTRAGAAN.IN) पर अपलोड करें:राष्ट्रगान का संकलन 15 अगस्त को लाइव दिखाया जाएगा attacknews.in

मुख्य बिंदु:

– WWW.RASHTRAGAAN.IN पर क्लिक करें, अपना वीडियो अपलोड करें और आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) का हिस्सा बनें।

– राष्ट्रगान का संकलन 15 अगस्त 2021 को लाइव दिखाया जाएगा।

– आजादी का अमृत महोत्सव भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में और उसका जश्न मनाने के लिए की गयी एक विशिष्ट पहल है।

नईदिल्ली 3 अगस्त ।आजादी का अमृत महोत्सव भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस महोत्सव के तहत जन भागीदारी बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। संस्कृति मंत्रालय द्वारा इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए राष्ट्रगान से जुड़ी ऐसी ही एक अनूठी पहल शुरू की गई है ताकि सभी भारतीयों में गर्व और एकता की भावना भरी जाए। इसमें लोगों को राष्ट्रगान गाने और वेबसाइट www.RASHTRAGAAN.IN पर वीडियो अपलोड करने के लिए आमंत्रित किया गया है। राष्ट्रगान का संकलन 15 अगस्त, 2021 को लाइव दिखाया जाएगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गत 25 जुलाई को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में इस पहल की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री ने कहा था, “संस्कृति मंत्रालय की ओर से यह प्रयास है कि अधिक से अधिक संख्या में भारतीय एक साथ राष्ट्रगान गाएं। इसके लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई है- राष्ट्रगानडॉटइन (Rashtragan.in)। इस वेबसाइट की मदद से आप राष्ट्रगान को प्रस्तुत कर सकते हैं और इसे रिकॉर्ड कर सकते हैं, और इस तरह इस अभियान से जुड़ सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि आप इस नई पहल से खुद को जोड़ेंगे।”

केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने आजादी के 75वें वर्ष का जश्न मनाने के लिए लोगों से राष्ट्रगान गाने और रिकॉर्ड करने का आह्वान करते हुए, आज खुद का, राष्ट्रगान गाते हुए एक वीडियो रिकॉर्ड किया।

उन्होंने ट्वीटर पर लिखा, “जैसा कि हम भारत की आजादी के 75 साल पूरे कर रहे हैं, आइए एक साथ मिलकर राष्ट्रगान गाएं और इसका जश्न मनाएं! मैंने अपना वीडियो रिकॉर्ड और अपलोड कर दिया है। क्या आपने ऐसा किया है?

मैं सभी नागरिकों से अपना वीडियो रिकॉर्ड करने
पर अपलोड करके अपना योगदान देने का आह्वान करता हूं। #अमृतमहोत्सव

मंत्री ने आशा व्यक्त की कि दुनिया भर में बसे भारतीय इस आयोजन में भाग ले सकेंगे और उन्होंने युवाओं से अधिक से अधिक भागीदारी करने का भी आह्वान किया। राष्ट्रगान के अपलोड किए गए वीडियो का संकलन 15 अगस्त, 2021 को लाइव दिखाया जाएगा।

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साथ ही मंत्री ने आज स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया की 125वीं जयंती के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

उन्होंने कहा, “एक शिक्षाविद्, एक महान स्वतंत्रता सेनानी और लाखों भारतीयों के दिलों में गर्व और देशभक्ति का भाव जगाने वाले भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइनर श्री पिंगाली वैंकेया गारू को उनकी जयंती पर मेरी श्रद्धांजलि।”

वर्ष 1916 में, पिंगली वेंकय्या ने विभिन्न देशों के झंडों का वर्णन करते हुए “अ नेशनल फ्लैग फोर इंडिया” (भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज) नामकी एक किताब प्रकाशित की थी और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को लेकर अपने विचार भी दिए थे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की है कि आजादी का अमृत महोत्सव के माध्यम से हमारी आजादी का 75वां वर्ष एक जन आंदोलन बने। संस्कृति मंत्रालय इस तरह के कार्यक्रमों की पहचान के लिए विभिन्न मंत्रालयों के साथ काम कर रहा है और इसे इस अवसर के लिहाज से उपयुक्त उत्सव बनाने के लिए जमीनी स्तर पर समुदायों के साथ काम कर रहा है।

आजादी का अमृत महोत्सव इस साल 12 मार्च को महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम से 15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक 75 सप्ताह की उलटी गिनती के साथ शुरू किया गया था। तब से, जम्मू-कश्मीर से लेकर पुडुच्चेरी और गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर तक पूरे देश में अमृत महोत्सव से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

मध्य प्रदेश के श्योपुर में विवाह समारोह में घुसा क्वारी नदी का पानी, 60 लोग फंसे, बचाव अभियान जारी attacknews.in

श्योपुर (मप्र), दो अगस्त । मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के विजयपुर बस स्टैंड पर बने एक विवाह भवन में बाढ़ का पानी घुस जाने से विवाह समारोह में शामिल होने के लिए पहुंचे करीब 60 लोग फंस गए। भवन में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीम जुटी हुई है।

विजयपुर के उपमंडलीय अधिकारी (एसडीएम) नीरज शर्मा ने ‘भाषा’ को बताया, ‘‘लगातार जारी बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं। विजयपुर में क्वारी नदी के पास विवाह भवन में एक कार्यक्रम चल रहा था। भवन की दीवार टूट जाने से इसके एक मंजिल तक क्वारी नदी का पानी भर गया है, जिससे कार्यक्रम में शामिल 50 से 60 लोग फंस गए हैं।’’ उन्होंने बताया, ‘‘सभी लोग भवन की दूसरी मंजिल पर चले गए हैं। बचाव अभियान चलाकर इनमें से कुछ लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। बाकी सभी को भी जल्द वहां से निकाल लिया जाएगा।’’

शर्मा ने बताया कि इस भवन में फंसे सभी लोग सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि जिस भवन में यह विवाह समारोह चल रहा था, वह दो मंजिला है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा, विजयपुर में अन्य निचली बस्तियों के घरों एवं दुकानों में भी बाढ़ का पानी भर गया है और वहां से भी सात से आठ लोगों को बचाव अभियान चला कर सुरक्षित निकाला गया है।

मालूम हो कि श्योपुर जिले में लगातार हो रही बारिश की वजह से नदी-नाले लगातार उफान पर हैं। विजयपुर की पार्वती नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है और इस नदी के ऊपर बने छोटे एवं बड़े पुल जलमग्न हो गए हैं, जिससे पार्वती नदी का पानी अब क्वारी नदी में भी आ रहा है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग के भोपाल कार्यालय के अनुसार विजयपुर में पिछले 24 घंटों में सोमवार सुबह साढ़े आठ बजे तक 16 सेंटीमीटर बारिश दर्ज की गई है। विजयपुर, श्योपुर जिला मुख्यालय से करीब 125 किलोमीटर दूर है।

सुप्रीम कोर्ट का आईटी अधिनियम की रद्द धारा 66ए में मुकदमे दर्ज करने पर राज्यों को नोटिस,इस धारा में भड़काऊ सामग्री ऑनलाइन पोस्ट करने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान attacknews.in

नयी दिल्ली, दो अगस्त । उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक गैर सरकारी संगठन के उस आवेदन पर राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और सभी उच्च न्यायालयों को नोटिस जारी किये जिसमें कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की रद्द हो चुकी धारा 66ए के तहत अब भी लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने 2015 में एक फैसले में इस धारा को रद्द कर दिया था।

न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि चूंकि पुलिस राज्य का विषय है, इसलिए यह बेहतर होगा कि सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित क्षेत्रों को पक्षकार बनाया जाए तथा “हम एक समग्र आदेश जारी कर सकते हैं जिससे यह मामला हमेशा के लिये सुलझ जाए।”

पीठ ने अपने आदेश में कहा, “क्योंकि यह मामला पुलिस और न्यायपालिका से संबंधित है, हम सभी राज्यों, केंद्र शासित क्षेत्रों और सभी उच्च न्यायालयों के महापंजीयकों को नोटिस जारी करते हैं।”

पीठ ने कहा कि इन सभी को चार हफ्ते के अंदर नोटिस का जवाब देना होगा। साथही पीठ ने यह निर्देश भी दिया कि नोटिस के साथ सभी पक्षों को याचिका का विवरण भी भेजा जाए।

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज’ (पीयूसीएल) की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि इस मामले में दो पहलू हैं, पहला पुलिस और दूसरा न्यायपालिका जहां अब भी ऐसे मामलों पर सुनवाई हो रही है।

पीठ ने कहा कि जहां तक न्यायपालिका का सवाल है तो उसका ध्यान रखा जा सकता है और हम सभी उच्च न्यायालयों को नोटिस जारी करेंगे। शीर्ष अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख चार हफ्ते बाद तय की है।

केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुरुआत में कहा कि उन्हें सरकार के हलफनामे पर यूपीसीएल का प्रत्युत्तर रविवार को ही मिला है और वह इसे पढ़ना चाहेंगे।

उच्चतम न्यायालय ने पांच जुलाई को इस बात पर “हैरानी” और “स्तब्धता” जाहिर की थी कि लोगों के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए के तहत अब भी मुकदमे दर्ज हो रहे हैं जबकि शीर्ष अदालत ने 2015 में ही इस धारा को अपने फैसले के तहत निरस्त कर दिया था।

सूचना प्रौद्योगिकी कानून की निरस्त की जा चुकी धारा 66ए के तहत भड़काऊ पोस्ट करने पर किसी व्यक्ति को तीन साल तक कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान था।

शीर्ष अदालत ने पीयूसीएल के आवेदन पर केंद्र को नोटिस जारी किया था और एनजीओ के वकील से कहा था, “आपको नहीं लगता कि यह हैरान और स्तब्ध करने वाला है? श्रेया सिंघल फैसला 2015 का है। यह वास्तव में स्तब्ध करने वाला है। जो हो रहा है वह भयावह है।”

इस संगठन ने दावा किया कि नयायालय के 24 मार्च, 2015 के फैसले के प्रति पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाने के 2019 के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद इस धारा के तहत हजारों मामले दर्ज किये गए हैं।

केंद्र की तरफ से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इससे पहले कहा था कि आईटी अधिनियम को देखने पर यह पता चलता है कि धारा 66ए उसमें नजर आती है, लेकिन फुटनोट (पन्ने के नीचे की तरफ की गई टिप्पणी) में लिखा है कि यह प्रावधान निरस्त कर दिया गया है।

शीर्ष अदालत पीयूसीएल की एक नये आवेदन पर सुनवाई कर रहा था। इसमें कहा गया, “हैरानी की बात है कि 15 फरवरी 2019 के आदेश और उसके अनुपालन के लिए उठाए गए कदमों के बावजूद, याचिकाकर्ता ने पाया कि आईटी अधिनियम की धारा 66ए न सिर्फ उपयोग पुलिस थानों में उपयोग में है बल्कि निचली अदालत के समक्ष चल रहे मामलों में भी।”

आवेदन में केंद्र को यह निर्देश देने की मांग की गई कि ऐसे सभी मामलों के आंकड़े/जानकारी एकत्रित की जाए जहां प्राथमिकी/जांच में धारा 66ए को लागू किया गया और देश भर में ऐसे मामलों की संख्या की जानकारी भी मांगी जहां 2015 के फैसले का उल्लंघन करते हुए इस धारा के प्रावधानों के तरह कार्यवाही जारी है।

उच्च अदालत ने 15 फरवरी 2019 को सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे सभी पुलिसकर्मियों को उसके 24 मार्च 2015 के फैसले से अवगत कराए जिसके तहत आईटी अधिनियम की धारा 66ए को निरस्त कर दिया गया था, जिससे लोगों को अनावश्यक रूप से इस प्रावधान के तहत गिरफ्तार न किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों से भी कहा था कि वे उस फैसले की प्रति निचली अदालतों में उपलब्ध कराएं जिससे निरस्त हो चुके प्रावधान के तहत लोगों के अभियोजन से बचा जा सके। इस धारा के तहत भड़काऊ सामग्री ऑनलाइन पोस्ट करने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है।