Home / National / PM नरेन्द्र मोदी ने बताया: एमएसपी पर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद,धान किसानों के खातों में ₹ 1,70,000 करोड़ और गेहूं किसानों को ₹ 85,000 करोड़ सीधे भेजे गए attacknews.in

PM नरेन्द्र मोदी ने बताया: एमएसपी पर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद,धान किसानों के खातों में ₹ 1,70,000 करोड़ और गेहूं किसानों को ₹ 85,000 करोड़ सीधे भेजे गए attacknews.in

9.75 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों के खातों में 19,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि सीधे भेजी गयी

2047 में भारत की स्थिति को निर्धारित करने में हमारी कृषि और हमारे किसानों की बड़ी भूमिका रहेगी, जब देश स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा: प्रधानमंत्री

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद, 1,70,000 करोड़ रुपये धान किसानों के खातों में और लगभग 85,000 करोड़ रुपये गेहूं किसानों के खातों में सीधे भेजे गए: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने देश के किसानों द्वारा उनके आग्रह को स्वीकार करने और पिछले 06 वर्षों में दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया

राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-पाम तेल (एनएमईओ-ओपी) के अंतर्गत देश ने खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया है, खाद्य तेल इकोसिस्टम में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा: प्रधानमंत्री

कृषि निर्यात के मामले में भारत पहली बार दुनिया के शीर्ष-10 देशों में शामिल हुआ है: प्रधानमंत्री

नईदिल्ली 9 अगस्त । देश की कृषि नीतियों में छोटे किसानों को अब सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है: प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी की।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने किसान लाभार्थियों से बातचीत भी की। 19,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि, 9.75 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को अंतरित की गई। यह प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की 9वीं किस्त थी।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने बुआई के मौसम के बारे में चर्चा की और यह उम्मीद जताई कि आज प्राप्त हुई राशि से किसानों को मदद मिलेगी। उन्होंने आज एक लाख करोड़ रुपये की निधि वाली किसान इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की योजना के एक साल पूरे होने का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने शहद मिशन (मिशन हनी-बी) और नेफेड की दुकानों में जम्मू-कश्मीर के केसर बनाए जाने जैसी पहलों के बारे में चर्चा की। शहद मिशन की वजह से 700 करोड़ रुपये के शहद का निर्यात हुआ है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हुई है।

आगामी 75वें स्वतंत्रता दिवस का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि यह गर्व का अवसर होने के साथ-साथ नए संकल्प लेने का भी एक अवसर है।

उन्होंने कहा कि हमें इस अवसर का उपयोग यह तय करने के लिए करना होगा कि हम आने वाले 25 वर्षों में भारत को कहां देखना चाहते हैं।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 में, जब देश अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, भारत की स्थिति को निर्धारित करने में हमारी कृषि और हमारे किसानों की बड़ी भूमिका होगी। यह समय भारत की कृषि को नई चुनौतियों का सामना करने और नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए दिशा देने का है।

उन्होंने बदलते समय की जरूरतों के अनुरूप भारतीय कृषि में बदलाव लाने का आह्वान किया। उन्होंने महामारी के दौरान रिकॉर्ड उत्पादन के लिए किसानों की सराहना की और इस कठिन घड़ी में किसानों की कठिनाइयों को कम करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों को रेखांकित किया। सरकार ने बीजों, उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति और बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित की। यूरिया इस पूरी अवधि में उपलब्ध रहा और जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमतें कई गुना बढ़ गईं, तो सरकार ने तुरंत उसके लिए 12000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की ताकि किसानों को उसका बोझ महसूस न हो।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे खरीफ या रबी का सीजन रहा हो, सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद की है। इससे करीब एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये सीधे चावल का उत्पादन करने वाले किसानों के खाते में पहुंचे हैं और करीब 85,000 करोड़ रुपये सीधे गेहूं का उत्पादन करने वाले किसानों के खाते में गए हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात की याद दिलाई कि जब कुछ साल पहले देश में दालों की कमी हुई थी, तो उन्होंने किसानों से दलहन का उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप पिछले 6 वर्षों में देश में दालों के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक दृढ़संकल्‍प के रूप में ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम यानी एनएमईओ-ओपी’पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज जब देश ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को स्‍मरण कर रहा है, इस ऐतिहासिक दिन पर यह दृढ़संकल्प हमें नई ऊर्जा से भर देता है। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम’ मिशन के जरिए खाद्य तेल से जुड़ी समग्र व्‍यवस्‍था में 11,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का निवेश किया जाएगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसानों को बेहतरीन बीजों से लेकर प्रौद्योगिकी तक सभी सुविधाएं मिलें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पहली बार भारत ने कृषि निर्यात के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में स्‍वयं को शुमार किया है। कोरोना के संकट काल में देश ने कृषि निर्यात में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन्‍होंने कहा कि आज जब एक बड़े कृषि निर्यातक देश के रूप में भारत की पहचान बन गई है, तो खाद्य तेल की हमारी जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहना सही नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की कृषि नीतियों में अब छोटे किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी भावना के साथ पिछले कुछ वर्षों से इन छोटे किसानों को सुविधा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए अत्‍यंत गंभीरतापूर्वक प्रयास किए जा रहे हैं। ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ के तहत अब तक किसानों को 1 लाख 60 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। इनमें से 1 लाख करोड़ रुपये महामारी के संकट काल के दौरान छोटे किसानों को अंतरित किए गए हैं। कोरोना काल के दौरान 2 करोड़ से भी अधिक किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए, जिनमें से अधिकांश छोटे किसानों को दिए गए। ऐसे ही किसान देश में स्‍थापित की जा रही कृषि संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं और कनेक्टिविटी संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं से लाभान्वित होंगे। फूड पार्क, किसान रेल और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड जैसी पहलों से छोटे किसानों को काफी मदद मिलेगी। बीते साल इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत 6 हजार से भी ज्यादा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये कदम बाजार तक छोटे किसानों की पहुंच के साथ-साथ एफपीओ के माध्यम से सौदेबाजी करने की उनकी क्षमता को भी काफी बढ़ा देते हैं।

अब से कुछ दिन बाद ही 15 अगस्त आने वाला है।

इस बार देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है।

ये महत्वपूर्ण पड़ाव हमारे लिए गौरव का तो है ही, ये नए संकल्पों, नए लक्ष्यों का भी अवसर है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत वित्तीय लाभ की किस्त के संवितरण के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ

नमस्कार जी,

पिछले कई दिनों से मैं सरकार की अलग-अलग योजनाओं के लाभार्थियों से चर्चा कर रहा हूं। सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, उनका लाभ लोगों तक कैसे पहुंच रहा है, ये और बेहतर तरीके से हमें पता चलता है। जनता जनार्दन से डायरेक्ट कनेक्शन का यही लाभ होता है। इस कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सभी सहयोगी गण, देशभर के अनेक राज्यों से उपस्थित आदरणीय मुख्यमंत्री गण, लेफ्टिनेंट गवर्नर, और उप-मुख्यमंत्रि गण, राज्य सरकारों के मंत्री, अन्य महानुभाव, देशभर से जुड़े किसान और भाइयों और बहनों,

आज देश के लगभग 10 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 19 हज़ार 500 करोड़ रुपए से भी अधिक ये रकम सीधी उनके खाते में ट्रांसफर हो गई है। और मैं देख रहा हूं कई अपने मोबाइल में चेक कर रहे हैं आया है क्या? और फिर एक दूसरे को ताली दे रहे हैं। आज जब बारिश का मौसम है और बुआई भी ज़ोरों पर है, तो ये राशि छोटे किसानों के बहुत काम आएगी। आज 1 लाख करोड़ रुपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को भी 1 साल पूरा हो गया है। इसके माध्यम से हज़ारों किसान संगठनों को मदद मिल रही है।

भाइयों और बहनों,

सरकार किसानों को अतिरिक्त आय के साधन देने के लिए, नई-नई फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मिशन हनी बी ऐसा ही एक अभियान है। मिशन हनी बी के चलते बीते साल हमने लगभग 700 करोड़ रुपए के शहद का एक्सपोर्ट किया है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हुई है। जम्मू-कश्मीर का केसर तो वैसे भी विश्व प्रसिद्ध है। अब सरकार ने ये फैसला लिया है कि जम्मू कश्मीर का केसर देशभर में ‘नाफेड’ की दुकानों पर उपलब्ध होगा। इससे जम्मू कश्मीर में केसर की खेती को बहुत प्रोत्साहन मिलने वाला है।

भाइयों और बहनों,

आप सभी से ये संवाद ऐसे समय में हो रहा है, जब हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। अब से कुछ दिन बाद ही 15 अगस्त आने वाला है। इस बार देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। ये महत्वपूर्ण पड़ाव हमारे लिए गौरव का तो है ही, ये नए संकल्पों, नए लक्ष्यों का भी एक बहुत बड़ा अवसर है।

इस अवसर पर हमें ये तय करना है कि आने वाले 25 वर्षों में हम भारत को कहां देखना चाहते हैं। देश जब आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा 2047 में, तब भारत की स्थिति क्या होगी, ये तय करने में हमारी खेती, हमारे गांव, हमारे किसानों की बहुत बड़ी भूमिका है। ये समय भारत की कृषि को एक ऐसी दिशा देने का है, जो नई चुनौतियों का सामना कर सके और नए अवसरों का भरपूर लाभ उठा सके।

भाइयों और बहनों,

इस दौर में बहुत तेज़ी से हो रहे बदलावों के हम सभी साक्षी हैं। चाहे मौसम और प्रकृति से जुड़े बदलाव हों, खान-पान से जुड़े बदलाव हों या फिर महामारी के कारण पूरी दुनिया में हो रहे बदलाव हों। हमने बीते डेढ़ वर्ष में कोरोना महामारी के दौरान इसको अनुभव भी किया है। इस कालखंड में, देश में ही खान-पान की आदतों को लेकर बहुत जागरूकता आई है। मोटे अनाज की, सब्जियों और फलों की, मसालों की, ऑर्गेनिक उत्पादों की डिमांड अब तेज़ी से बढ़ रही है। इसलिए भारतीय कृषि को भी अब इसी बदलती आवश्यकताओं और बदलती मांग के हिसाब से बदलना ही है। और मुझे हमेशा से विश्वास है कि हमारे देश के किसान इन बदलावों को जरूर आत्मसात करेंगे।

साथियों,

इस महामारी के दौरान भी हमने भारत के किसानों का सामर्थ्य देखा है। रिकॉर्ड उत्पादन के बीच सरकार ने भी प्रयास किया है कि किसानों की परेशानी कम से कम हो। सरकार ने खेती और इससे जुड़े हर सेक्टर को बीज, खाद से लेकर अपनी उपज को बाज़ार तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किए, उपाय किए। यूरिया की सप्लाई निर्बाध रखी। DAP,जिसके दाम अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इस कोरोना के चलते कई गुणा बढ़ गए, उसका बोझ भी हमारी सरकार ने किसानों पर पड़ने नहीं दिया। सरकार ने तुरंत इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपए का इंतजाम किया।

साथियों,

सरकार ने खरीफ हो या रबी सीज़न, किसानों से MSP पर अब तक की सबसे बड़ी खरीद की है। इससे, धान किसानों के खाते में लगभग 1 लाख 70 हज़ार करोड़ रुपए और गेहूं किसानों के खाते में लगभग 85 हज़ार करोड़ रुपए डायरेक्ट पहुंचे हैं। किसान और सरकार की इसी साझेदारी के कारण आज भारत के अन्न भंडार भरे हुए हैं। लेकिन साथियों, हमने देखा है कि सिर्फ गेहूं, चावल, चीनी में ही आत्मनिर्भरता काफी नहीं है, बल्कि दाल और तेल में भी आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है। और भारत के किसान ये करके दिखा सकते हैं। मुझे याद है कि कुछ साल पहले जब देश में दालों की बहुत कमी हो गई थी, तो मैंने देश के किसानों से दाल उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। मेरे उस आग्रह को देश के किसानों ने स्वीकार किया। परिणाम ये हुआ कि बीते 6 साल में देश में दाल के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जो काम हमने दलहन में किया, या अतीत में गेहूं-धान को लेकर किया, अब हमें वही संकल्प खाने के तेल के उत्पादन के लिए भी लेना है। ये खाद्य तेल में हमारा देश आत्मनिर्भर हो, इसके लिए हमें तेजी से काम करना है।

भाइयों और बहनों,

खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के लिए अब राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम का संकल्प लिया गया है। आज देश भारत छोड़ो आंदोलन को याद कर रहा है, तो इस ऐतिहासिक दिन ये संकल्प हमें नई ऊर्जा से भर देता है। इस मिशन के माध्यम से खाने के तेल से जुड़े इकोसिस्टम पर 11 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जाएगा। सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि किसानों को उत्तम बीज से लेकर टेक्नॉलॉजी, उसकी हर सुविधा मिले। इस मिशन के तहत ऑयल-पाम की खेती को प्रोत्साहन देने के साथ ही हमारी जो अन्य पारंपरिक तिलहन फसलें हैं, उनकी खेती को भी विस्तार दिया जाएगा।

साथियों,

आज भारत कृषि निर्यात के मामले में पहली बार दुनिया के टॉप-10 देशों में पहुंचा है। कोरोना काल में ही देश ने कृषि निर्यात के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। आज जब भारत की पहचान एक बड़े कृषि निर्यातक देश की बन रही है, तब हम खाद्य तेल की अपनी ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहें, ये बिल्कुल उचित नहीं है। इसमें भी आयातित ऑयल-पाम, का हिस्सा 55 प्रतिशत से अधिक है। इस स्थिति को हमें बदलना है। खाने का तेल खरीदने के लिए हमें जो हज़ारों करोड़ रुपए विदेश में दूसरों को देना पड़ता है, वो देश के किसानों को ही मिलना चाहिए। भारत में पाम – ऑयल की खेती के लिए हर ज़रूरी संभावनाएं हैं। नॉर्थ ईस्ट और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में, विशेष रूप से इसे बहुत बढ़ाया जा सकता है। ये वो क्षेत्र हैं जहां आसानी से पॉम की खेती हो सकती है। पाम-ऑयल का उत्पादन हो सकता है।

साथियों,

खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के इस मिशन के अऩेक लाभ हैं। इससे किसानों को तो सीधा लाभ होगा ही, गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को सस्ता और अच्छी क्वालिटी का तेल भी मिलेगा। यही नहीं, ये मिशन बड़े स्तर पर रोजगार का निर्माण करेगा, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बल देगा। विशेष रूप से Fresh Fruit Bunch Processing से जुड़े उद्योगों का विस्तार होगा। जिन राज्यों में पाम-ऑयल की खेती होगी, वहां ट्रांसपोर्ट से लेकर फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स में युवाओं को अनेक रोज़गार मिलेंगे।

भाइयों और बहनों,

ऑयल-पाम की खेती का बहुत बड़ा लाभ देश के छोटे किसानों को मिलेगा। ऑयल-पाम का प्रति हेक्टेयर उत्पादन बाकी तिलहन फसलों की तुलना में बहुत ज्यादा होता है। यानि ऑयल-पाम मिशन से बहुत छोटे से हिस्से में ज्यादा फसल लेकर छोटे किसान बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।

साथियों,

ये आप भली-भांति जानते हैं कि देश के 80 प्रतिशत से अधिक किसानों के पास 2 हेक्टेयर तक ही ज़मीन है। आने वाले 25 साल में देश की कृषि को समृद्ध करने में इन छोटे किसानों की बहुत बड़ी भूमिका रहने वाली है। इसलिए अब देश की कृषि नीतियों में इन छोटे किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी भावना के साथ बीते सालों में छोटे किसानों को सुविधा और सुरक्षा देने का एक गंभीर प्रयास किया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अब तक 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए किसानों को दिए गए हैं। इसमें लगभग 1 लाख करोड़ रुपए तो कोरोना के मुश्किल समय में ही छोटे किसानों तक पहुंचे हैं। यही नहीं, कोरोना काल में ही 2 करोड़ से ज्यादा किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से अधिकतर छोटे किसान हैं। इनके माध्यम से किसानों ने हजारों करोड़ रुपए का ऋण भी लिया है। कल्पना कीजिए, अगर ये मदद छोटे किसानों को ना मिलती तो, 100 वर्ष की इस सबसे बड़ी आपदा में उनकी क्या स्थिति होती? उन्हें छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए कहां-कहां नहीं भटकना पड़ता?

भाइयों और बहनों,

आज जो कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है, जो कनेक्टिविटी का इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है या फिर जो बड़े-बड़े फूड पार्क लग रहे हैं, इनका बहुत बड़ा लाभ छोटे किसानों को ही हो रहा है। आज देश में विशेष किसान रेल चल रही हैं। इन ट्रेनों से हजारों किसानों ने अपना उत्पादन कम कीमत में ट्रांसपोर्ट का खर्चा बहुत कम देश की बड़ी-बड़ी मंडियों तक पहुंचाकर अधिक कीमत से माल बेचा है। इसी प्रकार, जो विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड है, इसके तहत भी छोटे किसानों के लिए आधुनिक भंडारण की सुविधाएं तैयार हो रही हैं। बीते साल में साढ़े 6 हज़ार से अधिक प्रोजेक्ट स्वीकृत हो चुके हैं। ये प्रोजेक्ट्स जिनको मिले हैं, उनमें किसान भी हैं, किसानों की सोसायटी और किसान उत्पादक संघ भी हैं, सेल्फ हेल्प ग्रुप भी हैं और स्टार्ट अप्स भी हैं। हाल में एक और बड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने तय किया है कि जो राज्यों में हमारी सरकारी मंडियां हैं, उनको भी इस फंड से मदद मिल सके। इस फंड का उपयोग करके हमारी सरकारी मंडियां बेहतर होंगी, ज्यादा मजबूत होंगी, आधुनिक होंगी।

भाइयों और बहनों,

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड हो या फिर 10 हज़ार किसान उत्पादक संघों का निर्माण, कोशिश यही है कि छोटे किसानों की ताकत को बढ़ाया जाए। छोटे किसानों की बाज़ार तक पहुंच भी अधिक हो और बाजार में मोलभाव करने की उनकी क्षमता में भी वृद्धि हो। जब FPOs के माध्यम से, सहकारी तंत्र से, सैकड़ों छोटे किसान एकजुट होंगे, तो उनकी ताकत सैकड़ों गुना बढ़ जायेगी। इससे फूड प्रोसेसिंग हो या फिर निर्यात, इसमें किसानों की दूसरों पर निर्भरता कम होगी। वो स्वयं भी सीधे विदेशी बाज़ार में अपना उत्पाद बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंधनों से मुक्त होकर ही देश के किसान और तेजी से आगे बढ़ सकेंगे। इसी भावना के साथ हमें आने वाले 25 साल के एक संकल्पों को सिद्ध करना है। तिलहन में आत्मनिर्भरता के मिशन में हमें अभी से जुट जाना है। एक बार फिर पीएम किसान सम्मान निधि के सभी लाभार्थियों को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद!

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