भोपाल। भारत के महालेखा नियंत्रण की रिपोर्ट ने सरकार को सकते में ला दिया है। साथ ही सरकार के वित्तीय हालात को भी उजागर कर दिया है। वर्ष 2015-16 में सरकार को वित्तीय घाटा 24 हज़ार करोड से अधिक का है, जो कि पिछले वित्तीय घाटे से 1.24 प्रतिशत अधिक है। मतलब पिछले वित्तीय घाटे से निकलने के लिये सरकार ने जो योजनाएं चलाई वह नाकाफी था।
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2015-16 में सरकार ने जो घाटे कम करने के लिये 74 विभागों पर आर्थिक लगाम लगाया। वह भी सरकार को राजकोषीय घाटे से निकाल नहीं पाया। सरकार मात्र 12 हज़ार करोड ही इस विभाग से बचा पाई। हालात यह हो गए है कि अब सरकार को मुख्य योजनाएं महिला बाल विकास , स्कूल शिक्षा सहित अन्य विभागों की योजनाओं में कटौती करके आर्थिक घाटा को कम करने की कोशिश की जा रही है। सरकार ने फिश्कल रिस्पांसबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत आम इंसानों पर क़र्ज़ की सीमा तीन प्रतिशत से अधिक कर दिया है।
एक व्यक्ति पर 15 हज़ार का कर्ज
सरकार के वित्तीय हालात ख़राब होने से वर्ष 2015-16 में आम इंसान पर क़र्ज़ 8000 पति व्यक्ति था जो कि वर्ष 2016-17 में यह क़र्ज़ बढ़कर 15 हज़ार रूपए पति व्यक्ति हो गया है। मतलब एक वित्तीय वर्ष में सरकार के गलत निर्णयों के कारण कर्ज में एक आदमी पर 95 फ़ीसदी का इजाफा हो गया है। किसी भी राज्य को फिश्कल रिस्पांसबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत 3 प्रतिशत से अधिक फिश्कल डिफीसिट नहीं कर सकता है।
इसको लेकर सरकार ने केंद सरकार से अनुमति मांगी है। लेकिन भारत महालेखाकार नियंत्रण ने अपनी रिपोर्ट में सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि केंद से बिना अनुमति मिले सरकार ने तीन प्रतिशत से अधिक फिश्कल डिफीसिट कर लिया है। यह बाज़ार से लगातार क़र्ज़ लेने के कारण हुआ है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि जब 3 प्रतिशत की लाइन पार करने की सीमा के बाद सरकार ने केंद से अनुमति लेने का सीधा नाटक किया है, जो की अभी तक मिला नहीं है। क्योंकि सरकार पिछले ही बजट में फिश्कल डिफीसिट 2.99 प्रतिशत रहा है।
क्या है एक्ट
इस एक्ट की मदद से किसी भी राज्य को क़र्ज़ लेने के अधिकार को सीमित करने की कोशिश की जाती है। बाज़ार से क़र्ज़ लेने को लेकर भारतीय रिज़र्व बैंक फिश्कल डिफीसिट की प्रतिशत के आधार पर क़र्ज़ लेने की सीमा तय करता है। मध्य पदेश सरकार ने रिज़र्व बैंक को भी गुमराह वर्ष 2015 में तीन से अधिक बार क़र्ज़ लिये। कैग की रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक रूप से कमज़ोर राज्य के श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है।
12 प्रतिशत कटौती के आदेश
वित्त विभाग ने राजकोषीय घाटा को कम करने के लिये 19 विभागों की 74 से अधिक योजनाओं में 12 पतिशत राशि कटौती करने का फ़ैसला लिया है। मतलब इसका सीधा असर आम ज़रूरतमंद लोगों पर पड़ेगा।