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सिडनी ओलम्पिक से रोते हुए वापस आने वाली मीराबाई चानू ने तोक्यो ओलंपिक में भारोत्तोलन में रजत पदक जीतकर भारत भर में मुस्कान बिखेर दी

सिडनी ओलम्पिक से रोते हुए वापस आने वाली मीराबाई चानू ने तोक्यो ओलंपिक में भारोत्तोलन में रजत पदक जीतकर भारत भर में मुस्कान बिखेर दी attacknews.in

तोक्यो, 24 जुलाई । ओलंपिक की भारोत्तोलन स्पर्धा में पदक के लिये भारत का 21 वर्ष का इंतजार खत्म करने वाली मीराबाई चानू ने 49 किलो वर्ग में रजत पदक जीता तो उनकी विजयी मुस्कान ने उन सभी आंसुओं की भरपाई कर दी जो पांच साल पहले रियो में नाकामी के बाद उनकी आंखों से बहे थे ।

पांच साल पहले खेलों के महासमर में निराशाजनक पदार्पण के बाद इसी मंच से वह रोती हुई गयी थीं।

उनकी इस ऐतिहासिक जीत से भारत पदक तालिका में अभी दूसरे स्थान पर पहुंच गया, देश ने यह उपलब्धि पहले कभी हासिल नहीं की थी।

मणिपुर की 26 साल की भारोत्तोलक ने कुल 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) से कर्णम मल्लेश्वरी के 2000 सिडनी ओलंपिक में कांस्य पदक से बेहतर प्रदर्शन किया। इससे उन्होंने 2016 में रियो ओलंपिक के खराब प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ दिया जिसमें वह एक भी वैध वजन नहीं उठा सकीं थीं।

करियर की इस शानदार जीत के बाद चानू ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं, मैं पिछले पांच वर्षों से इसका सपना देख रही थी। इस समय मुझे खुद पर गर्व महसूस हो रहा है। मैंने स्वर्ण पदक की कोशिश की लेकिन रजत पदक भी मेरे लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है। ’’

वह पिछले कुछ महीनों से अमेरिका में ट्रेनिंग कर रही थी। 2016 का अनुभव काफी खराब रहा था और उन्होंने इसके बारे में बात करते हुए कहा था कि बड़े मंच पर अपने पदार्पण के दौरान वह कितनी घबरायी हुई थी।

यह पूछने पर कि मणिपुरी होने के नाते इसके क्या मायने है तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन खेलों में भारत के लिये पहला पदक जीतकर बहुत खुश हूं। मैं सिर्फ मणिपुर की नहीं हूं, मैं पूरे देश की हूं। ’’

शनिवार को चानू पूरे आत्मविश्वास से भरी थी और पूरे प्रदर्शन के दौरान उनके चेहरे पर मुस्कान रही। और उनके कान में ओलंपिक रिंग के आकार के बूंदे चमक रहे थे जो उनकी मां ने उन्हें भेंट दिये थे।

चीन की होऊ जिहुई ने 210 किग्रा (94 किग्रा +116 किग्रा) के प्रयास से स्वर्ण पदक जीता जबकि इंडोनेशिया की ऐसाह विंडी कांटिका ने 194 किग्रा (84 किग्रा +110 किग्रा) के प्रयास से कांस्य पदक अपने नाम किया।

स्नैच को चानू की कमजोरी माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने पहले ही स्नैच प्रयास में 84 किग्रा वजन उठाया। मणिपुर की इस भारोत्तोलक ने समय लेकर वजन उठाया।

उन्होंने अगले प्रयास में 87 किग्रा वजन उठाया और फिर इसे बढ़ाकर 89 किग्रा कर दिया जो उनके व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 88 किग्रा से एक किग्रा ज्यादा था जो उन्होंने पिछले साल राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में बनाया था।

हालांकि वह स्नैच में अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को बेहतर नहीं कर सकीं और स्नैच में उन्होंने 87 किग्रा का वजन उठाया और वह जिहुई से ही इसमें पीछे रहीं जिन्होंने 94 किग्रा से नया ओलंपिक रिकार्ड बनाया।

चीन की भारोत्तोलक का इसमें विश्व रिकार्ड (96 किग्रा) भी है।

क्लीन एवं जर्क में चानू के नाम विश्व रिकार्ड है, उन्होंने पहले दो प्रयासों में 110 किग्रा और 115 किग्रा का वजन उठाया।

हालांकि वह अपने अंतिम प्रयास में 117 किग्रा का वजन उठाने में असफल रहीं लेकिन यह उन्हें पदक दिलाने और भारत का खाता खोलने के लिये काफी था।

पदक जीतकर वह रो पड़ीं और खुशी में उन्होंने अपने कोच विजय शर्मा को गले लगाया। बाद में उन्होंने ऐतिहासिक पोडियम स्थान हासिल करने का जश्न पंजाबी भांगड़ा करके मनाया।

इस उपलब्धि की उनकी खुशी मास्क से भी छुप नहीं रही थी जो पदक समारोह के दौरान और बढ गई।

खेलों के लिये बनाये गये कोविड-19 प्रोटोकॉल में पदक विजेताओं को सामाजिक दूरी बनाये रखनी थी और वे ग्रुप फोटोग्राफ के लिये एक साथ नहीं हो सके।

लेकिन तीनों पदकधारियों ने एक दूसरे को बधाई दी और फोटो भी खिंचवाई लेकिन एक अधिकारी ने उन्हें अलग होने के लिये कह दिया।

इस भारतीय ने अंतरराष्ट्रीय एरीना में हर जगह खुद को साबित किया, बस इसमें ओलंपिक पदक की कमी थी जो अब पूरी हो गयी।

वह विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण, राष्ट्रमंडल खेलों में (2014 में रजत और 2018 में स्वर्ण) दो पदक और एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी हैं।

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