इलाहाबाद 19 जून। मध्य प्रदेश में करीब दस साल पहले हुए व्यापम घोटाले के फरार दो आरोपियों को सीबीआई ने सोमवार को इलाहाबाद से गिरफ्तार कर लिया। ट्रांजिट रिमांड बनवाने के बाद जार्जटाउन पुलिस की टीम के साथ सीबीआई आरोपियों को मध्यप्रदेश ले गई। मामला इंदौर से जुड़ा था।
गिरफ्तार आरोपी हैं एमबीबीएस फाइनल ईयर के छात्र
जार्जटाउन पुलिस के अनुसार, सीबीआई को भनक लगी कि घोटाले में शामिल बेंदो करछना निवासी संजय पटेल व भदोही औराई के खेगीपुर खुर्द बारा गांव निवासी सर्वेश पटेल इलाहाबाद में मौजूद है।
सीबीआई इंस्पेक्टर मोतीलाल टीम के साथ इलाहाबाद पहुंचे। दोनों की तलाश की जाने लगी। इस दौरान पता चला कि सर्वेश पटेल सिविल लाइंस बस अड्डे के पास मौजूद है।
सीबीआई ने पुलिस की मदद से घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद मेडिकल चौराहे के पास संजय पटेल को पकड़ लिया। दोनों एमबीबीएस फाइनल ईयर के छात्र हैं।
जार्जटाउन इंस्पेक्टर संतोष शर्मा ने बताया कि ट्रांजिट रिमांड बनवाने के बाद जार्जटाउन पुलिस टीम के साथ सीबीआई आरोपियों को मध्य प्रदेश लेकर चली गई।
क्या है व्यापम घोटाले की कहानी
व्यापम घोटाले की व्यापकता पांच साल पहले तब सामने आई थी जब इंदौर पुलिस ने 2009 की पीएमटी प्रवेश से जुड़े मामलों में 20 नकली अभ्यर्थियों को गिरफ़्तार किया जो दूसरों की जगह परीक्षा देने आए थे।
उन लोगों से पूछताछ के दौरान जगदीश सागर का नाम घोटाले के मुखिया के रूप में सामने आया जो एक संगठित रैकेट के माध्यम से इस घोटाले को अंजाम दे रहा था। 317 छात्रों की सूची एमपी पुलिस ने जब्त की। जगदीश सागर की गिरफ़्तारी के बाद एमपी सरकार ने 2013 में एसटीएफ की स्थापना की।
उसके बाद शुरू हुई जांच के दौरान गिरफ्तारियों से घोटाले में कई नेताओं, नौकरशाहों, व्यापम अधिकारियों, बिचौलियों, उम्मीदवारों और उनके माता-पिता की भागीदारी का पर्दाफाश हुआ। इस घोटाले में करीब दो हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिसमें राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और एक सौ से अधिक अन्य राजनेता भी शामिल हैं। दूसरों के स्थान पर परीक्षा देने वाले कई आरोपी फरार हो गए।
2015 में सुप्रीम कोर्ट ने पूरे प्रकरण को सीबीआई के हाथ ट्रांसफर करने का आदेश दिया। उसके बाद से सीबीआई पूरे प्रकरण की जांच में जुटी है।attacknews.in