रांची, 16 मई । झारखंड के बड़कागांव से कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति सहित 11 लोगों के खिलाफ बड़कागांव थाना में मामला दर्ज किया गया है।
कर्णपुरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य रामसेवक महतो द्वारा दायर किए गए मामले में कोर्ट के आदेश के बाद बड़कागांव थाना में यह प्राथमिकी दर्ज की गई है। बड़कागांव थाना में मुकदमा संख्या 113/21 में बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के वीसी डॉ. मुकुल नारायण देव, रजिस्ट्रार बंशीधर प्रसाद रुखैयार, डॉ. कौशलेंद्र कुमार, सुरेश महतो, संजय कुमार, कृति नाथ, विशेश्वर नाथ चौबे, कुमार महतो और अरविंद कुमार को अभियुक्त बनाया गया है।
झारखंड के बड़कागांव से कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद के खिलाफ बड़कागांव थाना में एफ आई आर दर्ज हुई है।अंबा प्रसाद की उम्र 31 साल की हैं।उन्होंने 29 साल की उम्र में बड़कागांव विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर झारखंड की सबसे कम उम्र की विधायक बनने का खिताब हासिल किया और अब विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति सहित 11 लोगों के खिलाफ बड़कागांव थाना में मामला दर्ज किया गया है।
कर्णपुरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य रामसेवक महतो द्वारा दायर किए गए मामले में कोर्ट के आदेश के बाद बड़कागांव थाना में यह प्राथमिकी दर्ज की गई है।
बड़कागांव थाना में मुकदमा संख्या 113/21 में बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के वीसी डॉ. मुकुल नारायण देव, रजिस्ट्रार बंशीधर प्रसाद रुखैयार, डॉ. कौशलेंद्र कुमार, सुरेश महतो, संजय कुमार, कृति नाथ, विशेश्वर नाथ चौबे, भोगेश्वर कुमार महतो और अरविंद कुमार को अभियुक्त बनाया गया है. इससे पहले भी एक अन्य मामले में कॉलेज प्रबंधन बड़कागांव थाना में दर्ज केस संख्या 54/21 में आरोपी हैं।
ये है पूरा मामला
कॉलेज के शासी निकाय जिसमें अंबा प्रसाद, इंद्रजीत कुमार, टुकेश्वर प्रसाद, ज्योति जलधर समेत अन्य लोग थे, उन लोगों ने शासी निकाय के कार्य अवधि के समाप्ति के बाद भी बैठक की और 2019–20 में कॉलेज को मिलने वाले 48 लाख के सरकारी अनुदान की निकासी की।
इस बैठक की अध्यक्षता अंबा प्रसाद ने की थी।आरोप है कि शासी निकाय ने वित्तीय अनियमितता की है।इसी को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय में एक मामला दायर किया गया था. जिसके बाद इस मामले में कोर्ट के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज की गई है।
तैयार किए गलत दस्तावेज
अगठित वैधानिक संस्था में भाग लेकर गलत दस्तवेज तैयार किए गए. इसके साथ ही सरकारी पैसे की अवैध निकासी सहित अन्य आरोप की धाराओं में सभी को आरोपी बनाया गया है. मामले के अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि कॉलेज के शासी निकाय के गलत तरीके से चयन और उसी शासी निकाय के वित्तीय अनुमोदन से जुड़ा हुआ है।
यूनिवर्सिटी एक्ट के हिसाब से कोई भी शासी निकाय 3 साल तक ही कार्यरत रह सकता है, लेकिन इस पूरे मामले में इसका उल्लंघन हुआ है. साथ ही यह भी आरोप है कि इस शासी निकाय के जो सचिव हैं उनका भी चयन गलत तरीके से हुआ है।