चेन्नई, 11 अगस्त । उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को रविवार को न्यायाेचित करार दिया है।
श्री नायडू के उप राष्ट्रपति पद पर दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने को लेकर लिखी गयी एक पुस्तक का विमोचन श्री शाह ने यहां किया । इस मौके पर उप राष्ट्रपति ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए लिया गया। उन्होंने कहा कि इस मसले को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य के नजरिए से देखा जाना चाहिए और देश के नागरिकों को जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ खड़े रहना चाहिए।
पुस्तक का विमोचन करने के बाद श्री शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने से कश्मीर में आतंकवाद का खात्मा होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का पूरा विश्वास है कि इस अनुच्छेद के निरस्त होने के बाद अब कश्मीर विकास के रास्ते पर अग्रसर होगा।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी इस विधेयक के राज्य सभा में पारित होने पर श्री शाह ने श्री नायडू काे धन्यवाद दिया और यह भी कहा कि उनका पूरा विश्वास है कि अनुच्छेद 370 से राज्य को कोई फायदा नहीं हो रहा था और इसे निरस्त किया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त हो जाने से अब कश्मीर में आतंकवाद का खात्मा होगा और वह प्रगति के मार्ग पर बढ़ेगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उन्हें इस बात का खेद है कि वह तमिल भाषा नहीं जानते हैं लेकिन वह जल्द ही इस भाषा को सीख लेंगे।श्री शाह ने कहा कि वह जल्द ही तमिल सीखकर इस भाषा में बात करेंगे।
उन्होंने कार्यक्रम में हिंदी में भाषण दिया जिसका तमिल में अनुवाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय सचिव एच राजा ने किया।
श्री शाह ने कहा कि वह इस कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रुप में या सांसद और केंद्रीय गृह मंत्री के तौर पर शामिल नहीं हुए हैं बल्कि श्री नायडू के छात्र के तौर पर यहां आए हैं।
जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने को लेकर राज्य सभा में पारित किए गए विधेयक पर उन्होंने कहा कि यह श्री नायडू के राज्यसभा सभापति होने के कारण ही संभव हो सका। उन्होंने सभापति के तौर पर बेहतरीन नेतृत्व का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि श्री नायडू के छात्र जीवन से लेकर उप राष्ट्रपति बनने तक का सफर लोगों को सीख देने वाला है।
श्री शाह ने कहा कि श्री नायडू छात्र जीवन से ही अपने अधिकारों के लिए लड़े और इमरजेंसी के समय लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेल भी गए थे।
श्री शाह ने श्री नायडू के केंद्रीय मंत्री के तौर पर किए गए कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने किसानों के लिए कई लाभकारी योजनाएं शुरु की थी।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि वह राजनीति में नहीं हैं लेकिन अभी भी सार्वजनिक जीवन में सक्रिय है।
श्री नायडू ने कहा कि वह इस समय एक राजनीतिक पार्टी के सदस्य नहीं हैं। श्री नायडू ने कहा कि उन्होंने उपराष्ट्रपति का पद भारी मन से स्वीकार किया था क्याेंकि वह यह जानते थे कि इस पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद वह न तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दफ्तर नहीं जा सकेंगे और कार्यकर्ताओं से भी नहीं मिल सकेंगे।
उन्होंने कहा कि वह अब राजनीति में नहीं है लेकिन सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं।
श्री नायडू ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह उपराष्ट्रपति बनेंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि जब उन्होंने उपराष्ट्रपति पद का दायित्व संभाला था तो उनकी आंखों में आंसू थे क्योंकि इस पद पर रहने के बाद वह पार्टी कार्यालय नहीं जा सकते थे।
श्री नायडू ने कहा, “मुझे मंत्री पद छोड़ने का दुख नहीं था लेकिन जब मुझे उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना गया उस वक्त मैंने भारी मन से भाजपा कार्यालय को छोड़ा।”
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह कभी उनके आगमन के बारे में लोगों को दीवारों पर लिखकर सूचनाएं दिया करते थे लेकिन अब इस बात का गर्व है कि एक दिन वह उनके बगल वाली सीट पर बैठे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा “ मैं एक आम नागरिक था और भाजपा ने मुझे शहरी तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्री और सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय का जिम्मा दिया। इसके बाद उपराष्ट्रपति पद का दायित्व सौंपा।”
श्री नायडू ने कहा कि भाजपा ने इससे पहले उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता भी नियुक्त किया था।