उज्जैन 15 अगस्त । वर्ष में एक बार खुलने वाले भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर के दर्शन के लिए भक्तगण 14 अगस्त की शाम से ही कतार में लग कर पट खुलने का इंतजार कर रहे थे और 15 अगस्त की रात्रि में लगभग 12.40 पर महानिर्वाणी अखाडे के महंत श्री प्रकाश पुरी ने विधि विधान से नागचन्द्रेश्वर भगवान का पूजन-अर्चन किया एवं लगभग 1.30 बजे रात्रि में दर्शनार्थियों के दर्शन के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए। जैसे ही पट खोलने की उद्घोषणा की गई, दर्शनार्थियों में उत्साह का संचार हो गया और जय महाकाल के उद्घोष से वातावरण भक्तिमय हो गया।
पट खुलने के बाद से 15 अगस्त की रात्रि तक हजारों दर्शनार्थियों ने दर्शन का लाभ उठाया।
दर्शनार्थियों की कतार देखते ही बन रही थी। हरिफाटक पुल की चौथी भुजा के पास से ही कतार में लगे लोग अपनी बारी का इंतजार करते दिख रहे थे। जिला प्रशासन एवं श्री महाकालेश्वर मंदिर द्वारा भीड़ के बावजूद लगभग 01 घेटे में दर्शन की सुविधा दशनार्थियों को उपलब्ध कराई गई। जिन श्रद्धालुओं को भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन करना थे, उनके लिए भी प्रवेश की पृथक से व्यवस्था की गई थी।
सुरक्षा एवं प्रबंध व्यवस्था में लगे अधिकारी-कर्मचारी श्रद्धालुओं से शालीनतापूर्वक व्यवहार करते हुए एवं उनका मार्गदर्शन करते हुए देखे गए। आम श्रद्धालुओं तथा विशेष दर्शन लिए पृथक-पृथक बेरिकेटिंग कर सुगम दर्शन व्यवस्था की गई थी।
शासकीय पूजा
परम्परानुसार नागपंचमी के अवसर पर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर की शासकीय पूजा 15 अगस्त को दोपहर लगभग 12.30 बजे कलेक्टर श्री मनीष सिंह द्वारा की गई। पूजा महंत श्री प्रकाश पुरी द्वारा सम्पन्न करवाई गई। शासकीय पूजन के अवसर पर संभागायुक्त श्री एम.बी. ओझा, आई.जी. श्री राकेश गुप्ता, डी.आई.जी. श्री रमणसिंह सिकरवार, पुलिस अधीक्षक श्री सचिन अतुलकर एवं गणमान्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
चाकचौबंद व्यवस्था
नागपंचमी के अवसर पर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा चाकचौबंद व्यवस्था की गई थी। कलेक्टर श्री मनीष सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री सचिन अतुलकर एवं प्रशासक श्री अभिषेक दुबे निरन्तर परिसर का भ्रमण कर व्यवस्थाओं पर नजर रखे हुए थे। सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। पुलिस अधीक्षक द्वारा सभी पुलिस कर्मियों को श्रद्धालुओं से सद्व्यवहार करने की हिदायत देतु हुए विनम्रता पूर्वक पेश आने की समझाईश दी गई थी।
नागों की पूजा परम्परा का निर्वहन
नागपंचमी पर्व पर श्री महाकालेश्वर मन्दिर परिसर में वर्ष में एक बार खुलने वाले श्री महाकाल मन्दिर के दूसरे तल पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर के पूजन-अर्चन के लिये लाखों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे। हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है।
भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक मंदिर उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का है, यह मंदिर उज्जैन के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है।
श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11 वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है। प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं।
माना जाता है कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में श्री शिवजी, माँ पार्वती श्रीगणेश जी के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं साथ में दोनो के वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित है। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
दर्शनार्थियों के लिए सुविधाएँ
नागपंचमी पर्व हेतु तीन जूता स्टेण्ड उज्जैन विकास प्राधिकरण, उज्जैन के माध्यम से बनाये गए थे। जिसमें से एक मुख्य जूता स्टेण्ड बेगम बाग तिराहे से समीप भारत माता मंदिर के सामने, दूसरा जूता स्टेण्ड महाराजवाड़ा स्कूल परिसर तथा तीसरा जूता स्टैण्ड विक्रम टीले के समीप संचालित किया गया।
नागपंचमी पर्व पर प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी तीन खोया-पाया केन्द्र कमशः निर्गम द्वार के सामने, बेगम बाग तिराहा, हरसिद्धी चौराहा एवं महाराजवाड़ा स्कूल परिसर में स्थापित किए गए थे।
नागपंचमी पर्व पर श्रद्धालओं की अधिक संख्या को देखते हुए मंदिर परिसर तथा मंदिर के बाहरी क्षेत्र में प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र स्थापित किये गए। साथ ही एम्बुलेन्स की सुविधा उपलब्ध करवाई गई।attacknews.in