नईदिल्ली 10 फरवरी । कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अपने चचेरे भाई वरुण गांधी को भी कांग्रेस में लाने की कोशिश कर रही हैं। सूत्रों का कहना है कि उनको कांग्रेस में आने का प्रस्ताव दिया गया है। आये तो बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए भी कहा गया है। यदि वरुण गांधी राजी हो गए तो उनको फरवरी के तीसरे सप्ताह के शुरूआत में कांग्रेस में शामिल किया जा सकता है।वरुण को केवल कांग्रेस में शामिल ही नहीं किया जाएगा, उनको उ.प्र. कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है।
इस बारे में एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि यदि वरुण गांधी कांग्रेस में आ गए तो उनको भाजपा में जो जिम्मेदारी मिली है उससे बड़ी जिम्मेदारी कांग्रेस में मिल सकती है। उनके अपने भाई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा बहन प्रियंका गांधी से संबंध ठीक हैं। इसके चलते पार्टी में उनको काम करने में भी सुविधा रहेगी।
इस बारे में कांग्रेस के एक बड़े नेता का कहना है कि प्रियंका गांधी की वरुण गांधी से बात होती रहती है। वह उनको कांग्रेस में आने के लिए कह रही हैं। अभी वह कुछ कह नहीं रहे हैं| लेकिन प्रियंका ने यदि बहुत जोर दिया तो वह कांग्रेस में आ सकते हैं। राहुल गांधी भी उनको मानते हैं। ऐसे में यदि वह कांग्रेस में आए तो उनको उ.प्र. पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसका संकेत उनको दे दिया गया है।
इस पर उ.प्र. के वरिष्ठ पत्रकार नवेन्दु का कहना है कि सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र पहले से ही गांधी परिवार का खास रहा है।इसका लाभ वरुण को भी मिल रहा है। वह भले ही कुछ दिन पहले कहा हैं कि भाजपा ने उनको बहुत कुछ दिया है, लेकिन सबको पता है कि वह अंदर-अंदर बहुत खिन्न हैं। उनसे बहुत जूनियर वैश्य समाज के तमाम आधारविहीनों को पद दे पार्टी व केन्द्र की सत्ता में बड़ी-बड़ी जिम्मेदारी देकर जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं, नेताओं के सिर पर बैठा दिया गया है।
कहा जाता है कि उनकी माता मेनका गांधी ने यदि जिद करके नहीं रोका होता तो वह दिसम्बर 2018 में ही कांग्रेस में शामिल हो गए होते।लेकिन मेनका गांधी भी उनको बहुत दिन तक नहीं रोक सकती हैं, क्योंकि केन्द्र व राज्य सत्ताधारी पार्टी के रणनीतिकार व नेता वरुण गांधी को गांधी परिवार के होने के चलते पार्टी और सरकार में बहुत बढ़ाना नहीं चाहते। ऐसे में वरुण के लिए आगे बढ़ने की जगह और माहौल कांग्रेस में ही है। इसको वह भी जानते हैं। अब कांग्रेस में प्रियंका गांधी के पदभार संभाल लेने से उनके लिए सब कुछ और सहज हो गया है।
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