कानपुर/लखनऊ ,12 जुलाई ।उत्तर प्रदेश पुलिस के मोस्ट वांटेड अपराधी विकास दुबे की मौत के बाद गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के सदस्य रविवार को कानपुर में चौबेपुर क्षेत्र बिकरू गांव पहुंचे और घटना की तहकीकात शुरू कर दी।
एसआईटी के सदस्यों ने दुर्दांत गैंगस्टर विकास दुबे के ढहाये गये आवास का कोना कोना देखा और पड़ोस के उसके मामा के घर भी गये जहां कोतवाल देवेन्द्र मिश्र की विकास और उसके साथियों ने नृशंस हत्या कर दी थी। श्री रविन्द्र ने उस स्थान का भी बारीकी से निरीक्षण किया जहां विकास ने एक के ऊपर एक पांच पुलिसकर्मियों के शवों को रख दिया था।
विकास-जय की काली कमाई पर ईडी की घेराबंदी
इधर उत्तर प्रदेश में कानपुर के मोस्ट वांटेड अपराधी विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद प्रर्वतन निदेशालय ने हिस्ट्रीशीटर और उसके करीबियों की काली कमाई खंगालने का काम शुरू किया है।
ईडी ने विकास दुबे और उसके साथियों से जुड़ी जानकारी एवं कागजात एसटीएफ और पुलिस से मांगे हैं। विकास दुबे और जय बाजपेई से जुड़ी जानकारी के लिए प्रर्वतन निदेशालय पहले ही पत्र लिखकर आईजी मोहित अग्रवाल को सूचित भी कर चुके थे।
विकास मामले की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश के हवाले
उत्तर प्रदेश सरकार ने कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे मामले की जांच के लिये सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एकल सदस्यीय जांच आयोग गठित करने का फैसला किया है।
आधिकारिक प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र में दो जुलाई को दबिश देने गयी पुलिस टीम पर हमले और दस जुलाई को इस हमले के मुख्य आरोपी विकास दुबे की पुलिस मुठभेड़ में मौत के मामले की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल के नेतृत्व वाला एकल सदस्यीय जांच आयोग करेगा। आयोग का मुख्यालय कानपुर में होगा जो अपनी रिपोर्ट दो महीने के भीतर प्रस्तुत करेगा।
उन्होने बताया कि आयोग विकास दुबे और उसके गुर्गो द्वारा दो तीन जुलाई की रात आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की गहनता पूर्वक जांच करेगा। इसके अलावा आयोग दस जुलाई को पुलिस और विकास दुबे के बीच हुयी मुठभेड़ की भी जांच करेगा। इसके साथ ही आयोग दो तीन जुलाई की रात की घटना और दस जुलाई की मुठभेड़ के बीच हुयी हर मुठभेड़ की भी बारीकी से पड़ताल करेगा।
प्रवक्ता ने बताया कि आयोग विकास और उसके साथियों की पुलिस और अन्य विभाग अथवा व्यक्तियों के रिश्तों की भी पडताल करेगा और भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिये अपने सुझाव देगा। आयोग इस मामले में राज्य सरकार द्वारा समय समय पर दिये गये निर्दिष्ट अन्य बिंदुओं की भी जांच करेगा। आयोग अधिसूचना जारी होने किये जाने की तारीख से दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करेगा।