लखनऊ, 07 अप्रैल । उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स(एसटीएफ) ने विभिन्न विभागों में भर्ती कराने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने और जाली शैक्षिणिक दस्तावेज बनाने वाले वाले गिरोह के पांच सदस्यों को रविवार को लखनऊ से गिरफ्तार किया और उनके पास से बड़ी मात्रा में फर्जी शैक्षिणिक दस्तावेज आदि बरामद किए गये।
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एसटीएफ ने सरकारी नौकरियों (पशु एंव डेयरी विकास, ग्रुप डी, पुलिस सिपाही भर्ती, ग्राम विकास अधिकारी, नलकूप विभाग, बीएसएनएल, तथा एफसीआई) आदि में भर्ती कराने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने और जाली शैक्षिणिक दस्तावेज बनाने वाले वाले गिरोह के 05 सदस्यों को लखनऊ से गिरफ्तार किया। गिरफ्तार लोगों अलीगढ़ निवासी धीरेन्द्र कुमार गुप्ता ,सहारनुपर के रामपुर मनीहारन निवासी दिग्विजय सिंह , मेरठ निवासी रविकान्त शर्मा,फिरोजाबाद निवासी गिरजाशंकर उर्फ दीपक शर्मा और कुशीनगर निवासी वशिष्ठ तिवारी को गिरफ्तार किया। पकड़े गये सभी आरोपी फिलहाल लखनऊ के विभिन्न इलाकों में किराये के मकान में रहते हैं ।
श्री सिंह ने बताया कि पिछले काफी दिनों से लखनऊ और आस पास के जिलों में फर्जी वेवसाइट बनाकर बेरोजगार लोगों को सरकारी विभाग में भर्ती कराने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के सक्रिय होने की सूचनाएं मिल रही रही थी। गिरोह को पकड़ने के लिए एसटीएफ की विभिन्न इकाईयों एवं टीमों को अभिसूचना संकलन एवं कार्रवाई लिए निर्देशित किया गया था। इसी क्रम में अपर पुलिस अधीक्षक सत्यसेन यादव के निर्देशन में निरीक्षक विजेन्द्र शर्मा, के नेतृत्व में एक टीम गठित कर अभिसूचना संकलन की कार्रवाई प्रारम्भ की गयी।
उन्होंने बताया कि अभिसूचना संकलन के दौरान जानकारी मिली कि विभिन्न सरकारी विभागाें में नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जी वेवसाइट एवं अखबारों में प्रचार देकर लोगों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाला एक गिरोह कम्प्यूटर प्रषिक्षण केन्द्र की आड़ में फर्जीवाडा कर अवैध धन प्राप्त कर रहा है । इसी गैंग का एक सदस्य धीरेन्द्र सपना स्वीट चिनहट, गोमतीनगर में किसी का इन्तजार कर रहा है। इस सूचना पर एसटीएफ की टीम ने बताये गये स्थान के निकट चार पहिया वाहन के पास खड़े थे लोगों को मुखबिर की पुष्टि के बाद गिरफ्तार कर लिया जिनके पास से उपरोक्त बरामदगी हुई।
श्री सिंह ने बताया कि गिरोह की फर्जी वेवसाइट पर विज्ञापन निकालकर ये लोग अभ्यर्थियों का साक्षात्कार कर नियुक्ति पत्र जारी करते है। नियुक्ति के बाद वेतन नहीं दिया गया। इसके अतिरिक्त ऑफ लाइन होने वाली परीक्षाओं में जैसे कि (ग्राम विकास अधिकारी, पुलिस विभाग में आरक्षी, एफसीआई, टी0ई0टी0) परीक्षार्थी की ओ0एम0आर0 शीट की कार्बन प्रति दी जाती है। इस गिरोह द्वारा परीक्षा में सम्मिलित अभ्यर्थियों से उनकी कार्बन प्रति वाली ओ0एम0आर0 शीट ह्वाट्सएप या अन्य माध्यमों से प्राप्त कर उपरोक्त ओएमआर शीट के आधार पर कम्प्यूटर द्वारा उसी सिरीज और उनके नम्बर की 02 ओएमआर शीट तैयार करा लेते है जो कि प्रथम दृष्टया देखने पर वास्तविक प्रतीत होती है।
उन्होंने बताया कि ये लोग एक प्रति पर अभ्यर्थी का हस्ताक्षर स्कैन करके डाल देते है तथा कार्बन प्रति पर उसके द्वारा सही किये गये प्रश्नों के उत्तर इस प्रति में भी भर देते है तथा उक्त प्रति अभ्यर्थी को दिखाकर यह विश्वास करा दिया जाता है कि यह ओएमआर शीट उस अभ्यर्थी द्वारा जमा की गयी ओएमआर शीट है तथा ब्लैंक ओएमआर शीट दिखाकर परीक्षार्थी को यह बताया जाता है कि इस ओएमआर शीट को सही भरकर हम लोग वहां जमा करा देगें और यही चेक होगा जिसके आधार पर अभ्यर्थियों का चयन हो जायेगा। इसके बदले अभ्यर्थियों से लाखों रूपये की ठगी करते है। इसके अतिरिक्त इस गिरोह द्वारा परीक्षार्थियों के लिए फर्जी शैक्षणिक/अन्य प्रमाण पत्र भी तैयार किये जाते है।
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