गोण्डा, 21 मार्च । उत्तर प्रदेश मे गोण्डा जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र में भारतीय स्टेट बैंक मे फर्जी खातों का संचालन कर जीपीएफ के नाम पर करीब दस करोड़ का सरकारी गबन करने वाले अंतर्जनपदीय जालसाज गिरोह का पर्दाफाश कर पांच लोगों को आज गिरफ्तार कर एक करोड़ अठ्ठावन लाख पचहत्तर हजार की धनराशि , लैपटॉप, डेस्कटॉप, मोबाइल फोन व सरकारी कर्मचारियों की फर्जी आईडी बरामद की है ।
पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पाण्डेय ने आज यहां मीडियाकर्मियों को बताया कि नवाबगंज मे भारतीय स्टेट बैंक की शाखा मे चल रहे कुछ खातों मे संदिग्ध तौर से आरहित हो रही बड़ी धनराशि की मिली सूचना पर खातों की गहन पड़ताल करायी गयी ।
उन्होनें बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि सरकारी कर्मियों की फर्जी आईडी इस्तेमाल कर उनके जीपीएफ के नाम पर पिछले कई वर्षों से करीब छ्ह करोड़ के सरकारी धन को फर्जी खातों मे स्थानांतरित कर निकाला जा चुका था ।
3 सरकारी कर्मचारी शामिल
जांच के दौरान चकबंदी विभाग गोरखपुर में तैनात अरुण वर्मा व जनपद बस्ती के हरैया तहसील में तैनात लेखपाल राजेश पाठक और पटखौली थाना नवाबगंज गोंडा निवासी स्टेट बैंक के ग्राहक सेवा केंद्र संचालक नान मून मौर्य व मुरावन पुरवा वजीरगंज गोंडा स्टेट बैंक के लाइफ इंश्योरेंस एजेंट अरुण श्रीवास्तव निवासी इमलिया गुरदयाल कोतवाली नगर गोंडा तथा प्रदीप दुबे निवासी पूरे परसदा तरबगंज गोंडा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इनमें अरुण वर्मा व राजेश पाठक की करोड़ों रुपए की अचल संपत्ति को भी पुलिस ने चिन्हित कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
पुलिस ने चिन्हित की आरोपियों की संपत्ति
अरुण वर्मा के पास जनपद गोरखपुर के बुध विहार कॉलोनी तारामंडल में लगभग ढाई करोड़ का मकान, 4 एकड़ जमीन जिसकी अनुमानित कीमत 2 करोड़ है। एक ज्वैलरी शाप स्थित आजाद चौक में 60 लाख निवेश, दो प्लाट नौसड़ गोरखपुर अनुमानित कीमत 50 लाख और राजेश पाठक के पास से 30 कमरो का हास्टल अनुमानित कीमत 3 करोड़, जनपद अयोध्या देवकाली में एक मकान अनुमानित कीमत 50 लाख, अयोध्या में प्लाट अनुमानित कीमत 20 लाख, कोल्हमपुर जमीन अनुमानित कीमत 20 लाख, शाहपुर में जमीन अनुमानित कीमत 12 लाख समेत कई संपत्तियां चिन्हित की हैं।
गोपनीय सूचना पर शुरु हुई जांच
पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पाण्डेय को गोपनीय सूचना प्राप्त हुई कि जनपद गोंडा के नवाबगंज स्थित भारतीय स्टेट बैक के कुछ खाता धारकों के खातों में सन्दिग्ध तौर पर धनराशि स्थानांतरित हो रही है, जिसमें नवाबगंज क्षेत्र के ग्राहक सेवा केन्द्र के संचालक की संलिप्तता है। इस गोपनीय सूचना की जांच एसओजी टीम के माध्यम से करायी गई। सूचना प्रमाणित होने पर थाना नवाबगंज में धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120बी भादवि व 66, 66डी आईटी एक्ट पंजीकृत किया गया। पुलिस अधीक्षक ने प्रभारी निरीक्षक नवाबगंज व एसओजी की संयुक्त टीम को प्रकरण का अनावरण करते हुए संलिप्त अभियुक्तों की शीघ्र गिरफ्तारी करने के निर्देश दिये थे।
गिरफ्तार हुए ये अभियुक्त
जिसके क्रम में थाना नवाबगंज व एसओजी टीम द्वारा सरकारी कर्मचारियो की कूटरचित आईडी बनाकर जीपीएफ के नाम पर फर्जी तरीके से पैसा गबन करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों अरुण वर्मा पुत्र स्व. मोहन लाल निवासी ग्राम भरबलिया बुजुर्ग आजाद चौक थाना रामगढ ताल जनपद गोरखपुर (एकाउन्टेन्ट चकबन्दी विभाग गोरखपुर), राजेश पाठक पुत्र केदारनाथ पाठक निवासी ग्राम कोल्हमपुर विशेन पठकौली थाना नवाबगंज जनपद गोंडा (लेखपाल हरैया तहसील बस्ती), नानमून मौर्या पुत्र रामकेवल मौर्या निवासी गेड़सर मुरावन पुरवा थाना वजीरगंज जनपद गोंडा हाल पता कोल्हमपुर थाना नवाबगंज जनपद गोंडा (ग्राहक सेवा केन्द्र संचालक वजीरगंज), अरुण श्रीवास्तव पुत्र रामलोचन श्रीवास्तव निवासी ग्राम इमलिया गुरदायाल थाना कोतवाली नगर जनपद गोंडा (एजेन्ट एसबीआई लाईफ एन्शोरेन्स) व प्रदीप दुबे पुत्र दुर्गा प्रसाद दुबे निवासी पुरे परसदा पोखरा थाना तरबगंज जनपद गोंडा (ग्राहक सेवा केन्द्र संचालक) को गिरफ्तार किया गया।
कर्मचारी की फर्जी आइडी, फर्जी जीपीएफ बिल से करते थे हेराफेरी
एसपी शैलेश कुमार पाण्डेय ने न्यूजट्रैक को बताया कि ने बताया कि अरुण वर्मा चकबन्दी विभाग गोरखपुर में चकबन्दी विभाग में एकाउन्टेण्ट के पद पर तैनात है, जिसके द्वारा अपने साथी कर्मचारी पुनीत श्रीवास्तव के साथ मिलकर फर्जी सरकारी कर्मचारियों की लैपटाप व वेबसाइट के माध्यम से कई आईडी बनाई गयी व फर्जी जीपीएफ बिल बनाकर विगत कई वर्षाे में करोडों रुपये जनपद गोंडा, गोरखपुर व देवरिया के कई खातों में अपने साथी बस्ती जिले में लेखपाल के पद पर कार्यरत राजेश पाठक व एसबीआई ग्राहक सेवा केन्द्र संचालक नानमून मौर्या के माध्यम से स्थानांतरित कर लिये।
जिनमें से पुलिस टीम द्वारा अब तक 45 खातों को चिन्हित किया जा चुका है। उक्त खातों में विगत तीन वर्षाे में छह करोड रुपयों से ज्यादा का स्थानांतरण इस गिरोह द्वारा किया जा चुका है। अभियुक्त अरुण वर्मा, राजेश पाठक व गिरोह के अन्य सदस्यों द्वारा विगत दस वर्षाे में इस फर्जी वाडे से कई करोड रुपयो की सम्पत्ति अर्जित की गयी है, जिनको चिन्हित कर सीज करने की कार्यवाही प्रचलित है।