देहरादून, 18 मई । उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय स्थित बदरीनाथ के कपाट शीतकाल में छह माह बंद रहने के बाद मंगलवार तड़के ब्रह्ममुहूर्त में खोल दिए गए।
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते अन्य धामों की तरह बदरीनाथ के कपाट खोले जाने के दौरान भी श्रद्धालुओं को उपस्थित रहने की अनुमति नहीं दी गई।
पूरे विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मेष लग्न पुष्य नक्षत्र में प्रात: सवा चार बजे भगवान बदरीविशाल के पट खोल दिए गए। इस दौरान तीर्थ पुरोहित, प्रशासनिक अधिकारियों समेत वहां उपस्थित कुछ ही लोग प्रज्ज्वलित अखंड ज्योति के गवाह बन पाए।
मुख्य पुजारी रावल ईश्वरीप्रसाद नंबूदरी ने गर्भगृह में प्रवेश कर भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी को उनकी गद्दी पर विराजमान किया। इसके बाद अन्य देवताओं को मंदिर गर्भगृह में विराजमान किया गया।
इस दौरान मंदिर को करीब बीस क्विंटल फूलों से सजाया गया था। कपाट खुलने के दौरान मास्क पहनने और सामाजिक दूरी रखने जैसे नियमों का पूरा पालन किया गया।
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने पर प्रथम महाभिषेक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से किया गया और भगवान से जनकल्याण एवं आरोग्यता की कामना की गई।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बदरीनाथ के कपाट खुलने पर सभी श्रद्धालुओं को बधाई दी तथा आग्रह किया कि वे अपने घरों में रहकर पूजा पाठ करें।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कपाट खुलने पर प्रसन्नता जताई कहा कि कोरोना वायरस की समाप्ति के बाद चारधाम यात्रा पुन: शुरू होगी।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने कहा कि फिलहाल चारधाम यात्रा की अनुमति नहीं है लेकिन स्थितियां सामान्य होने पर यात्रा को चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा सकता है।
बदरीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही सभी चारों धामों के कपाट खुल गए हैं। इससे पहले 17 मई को केदारनाथ के कपाट खुले थे जबकि 14 मई को यमुनोत्री और 15 मई को गंगोत्री के कपाट खोले गए थे।
गढ़वाल हिमालय के चारधामों के नाम से मशहूर इन धामों के कपाट हर साल सर्दियों में छह माह बंद रहने के बाद अप्रैल-मई में श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं।
गढ़वाल की आर्थिकी की रीढ़ माने जाने वाली चारधाम यात्रा पर भी कोविड-19 का साया पड़ गया है। पिछले साल नियत समय से देर से शुरू हुई चारधाम यात्रा को इस बार भी संक्रमण के मामलों में वृद्धि होने के चलते फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
चारधाम यात्रा को स्थगित करने की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि धामों के कपाट अपने नियत समय पर ही खुलेंगे लेकिन वहां केवल तीर्थ पुरोहित ही नियमित पूजा करेंगे।