उन्नाव 15 मई । उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गंगा नदी के तट पर शवों को दफनाने को लेकर योगी सरकार पर लगातार हमले कर रहे सेवानिवृत्त आईएएस सूर्य प्रताप सिंह के खिलाफ कोतवाली पुलिस ने अफवाह फैला कर जनमानस को भड़काने का मुकदमा दर्ज किया गया है।
दरअसल, श्री सिंह पिछले कुछ दिनो से सरकार की नीतियों के विरोध में ट्विटर पर अभियान छेड़े हुये थे। इसी कड़ी में पिछली 13 मई को उन्होने एक वीडियो शेयर कर उन्नाव में गंगा तट पर शवों को दफनाने का आरोप लगाया था। उन्होने कहा था कि शवों का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति रिवाज से न करना हिंदुओ के लिए कलंक जैसा है।
उन्नाव पुलिस ने ट्वीट का संज्ञान लेते हुये दावा किया कि गंगा में बहते हुए शवों की तस्वीर सात आठ साल पुरानी है। थाना प्रभारी दिनेश चन्द्र मिश्र ने इस सिलसिले में श्री सिंह के खिलाफ महामारी एक्ट, आपदा प्रबंधन एक्ट व आईटी एक्ट के तहत कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है।
हालांकि इसके बाद भी रिटायर्ड आईएएस ने सरकार पर हमला करना जारी रखा है। शनिवार को उन्होने ट्वीट कर कहा “ क्या उन्नाव में कोई लाशें नहीं तैर रही। क्या मुझपर मुक़दमा कर देने से सच बदल जाएगा। एक अन्य ट्वीट में उन्होने कहा “ बात सच हो गयी, धारा 153, 465, 505, 21, 54 और आईटी Act 67 के तहत मेरे ऊपर उन्नाव पुलिस ने मुक़दमा लिख दिया है।”
प्रभारी निरीक्षक कोतवाली सदर द्वारा दर्ज कराई गयी एफआईआर में आरोप है कि सूर्य प्रताप सिंह ने जिले के परियर घाट में सात साल पहले उतराते मिले 100 शवों की फोटो को बलिया की बता कर योगी सरकार के इशारे पर दफनाए जाने की अफवाह फैलायी जिससे जनभावनाओं को ठेस पहुंची। इसी आधार पर पुलिस ने धारा 153, 465, 505, 21, 54 और आईटी एक्ट 67 के तहत मामला दर्ज किया है।
एफआईआर दर्ज होने के बाद रिटायर्ड आईएएस ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर लिखा कि उन्नाव पुलिस का कहना है की ‘तैरती लाशों’ पर मेरे द्वारा किया गया ट्वीट भ्रामक है। फिर लिखा योगी जी ने दो दिन में लगातार दो ‘मुक़दमे’ तोहफ़े में दिए हैं। ये ‘यूपी मॉडल’ की पोल खोलने का इनाम है। फिर अगले ट्वीट में लिखा जब 25 साल में 54 ट्रान्सफ़र मेरी सदनीयत व नीतियाँ नहीं बदल सके तो एक एफआईआर क्या बदलेगी। सत्य पक्ष हमेशा सत्ता पक्ष पर भारी पड़ता है।
सदर कोतवाली प्रभारी दिनेश चंद्र मिश्र की ओर से दर्ज कराई गयी प्राथमिकी में कहा गया है कि शहर के कई संभ्रात नागरिकों द्वारा बताया गया कि सोशल मीडिया पर यूपी कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने एक ट्विट किया है। जिसमें लिखा है कि 67 शवों को सरकार ने गंगा तट पर जेसीबी से गड्ढा खोदकर दफन करा दिया है। शवों का अन्तिम संस्कार हिन्दू वैदिक रीति रिवाज से न करना हिंदुओं के लिए कलंक जैसा है। यूपी का यह योगी मॉडल जीवित का इलाज नहीं मृतक का अंतिम संस्कार नहीं यह सब सेवानिवृत्त आईएएस ने लिखा है।
उन्होंने प्राथमिकी में कहा है कि इस ट्यूट से जिले का माहौल तनावपूर्ण हो गया है। जांच में ट्विट भ्रामक भी निकला है। पूर्व आईएसएस द्वारा पुरानी फोटो को बलिया जिले की खबर के साथ जोड़ा गया है।
श्री मिश्र ने बताया कि सूचना मिलने पर उनके द्वारा सोशल मीडिया सेल उन्नाव से संपर्क किया गया तो मीडिया सेल द्वारा सोशल मीडिया में वायरल हो रहे सूर्य प्रताप सिंह के ट्यूट तथा उनसे सम्बन्धित फोटोग्राफ को 13 जनवरी 2014 का बताया गया है, जिसमें 100 शव गंगा नदी में बहते हुए पाए गए थे।
उन्होने बताया कि प्राप्त अभिलेखीय सूचना के अनुसार सूर्य प्रताप सिंह ने जनमानस में भ्रम पैदा करने के उद्देश्य से आठ वर्ष पुराने फोटो को कूटरचना के द्वारा बलिया जिले की खबर के साथ जोड़कर तैयार किया है। इससे उन्नाव में विभिन्न समुदायों के बीच तनाव तथा वैमनष्यता में वृद्धि परिलक्षित हो रही है।
कोरोना महामारी के मध्य एक सेवा निवृत्त प्रशासनिक अधिकारी द्वारा इस प्रकार जानबूझकर सोशल मीडिया में ट्यूट करके अफवाह फैलाने के कारण कोरोना मरीजों में भय व दहशत का माहौल ब्याप्त हुआ है तथा विभिन्न समुदायों के बीच ईर्ष्या, दुर्भावना तथा कलुषित भाव फैला है।
उन्होंने कहा कि सूर्य प्रताप सिंह का यह कृत्य धारा 153/465/505 भादवि व धारा 21 उ०प्र० लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग निवारण अध्यादेश 2020, धारा 54 डिजास्टर मैनेजमेन्ट एक्ट 2005 तथा 67 सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 का अपराध है ।