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महाकाल मंदिर के विकास के लिए उज्जैन में बैठे मंत्री,अधिकारी और जन प्रतिनिधि और दे दी 300 करोड़ की योजना को स्वीकृति, इन कार्यों का ऐसा होगा माॅडल  attacknews.in

उज्जैन 23 अगस्त। भगवान महाकालेश्वर क्षेत्र एवं नगर के विकास हेतु आज आयोजित की गई बैठक में 300 करोड़ रुपये की योजना की प्रारम्भिक स्वीकृति दी गई। अन्तिम स्वीकृति स्थानीय जनप्रतिनिधियों के निरीक्षण एवं सुझाव के उपरान्त दी जायेगी। 


प्रारम्भिक रूप से 300 करोड़ की योजना इस प्रकार है-

फेज-1 में 97 करोड़ 71 लाख रुपये की लागत से पार्किंग प्लाजा, मीडवे झोन एवं कंट्रोल रूम, फूड कोर्ट, महाकाल कॉरिडोर, 29.73 करोड़ की मल्टीलेवल पार्किंग, महाकाल परिसर के आसपास के सात स्कूलों का प्रतिस्थापन 20.89 करोड़, हरिफाटक के आसपास के तीन स्कूलों का प्रतिस्थापन 5.5 करोड़।


फेज-2 में महाराजवाड़ा कॉम्पलेक्स का विकास 27 करोड़, अन्नक्षेत्र एवं धर्मशाला का विकास 17 करोड़, रूद्र सागर के लेकफ्रंट का विकास 12 करोड़, रामघाट पर विकास कार्य 9 करोड़, टूरिस्ट इंफॉर्मेशन सेन्टर 7.5 करोड़, रूद्र सागर का शुद्धिकरण एवं पुनर्जीवन 18 करोड़, हरिफाटक ब्रिज का चौड़ीकरण एवं रेलवे अण्डरपास का निर्माण 36.5 करोड़ तथा विजिटर्स फेसिलिटी सेन्टर का निर्माण 30 करोड़ शामिल है।


काशी विश्वनाथ की तर्ज पर महाकाल क्षेत्र का विकास किया जाएगा


प्रदेश के तीन मंत्रियों मंदिर एवं बाहरी क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर बैठक ली-

उज्जैन के  प्रभारी मंत्री श्री सज्जनसिंह वर्मा ने कहा है कि उज्जैन के महाकालेश्वर मन्दिर क्षेत्र का विकास बनारस के काशी विश्वनाथ मन्दिर के विकास की तर्ज पर किया जाएगा एवं इसके लिये जिस तरह से वहां कार्य हुए हैं, जमीन अधिग्रहित की गई है, वही मॉडल यहां अपनाया जाएगा।

प्रभारी मंत्री ने कहा कि आगामी अप्रैल माह तक रूद्र सागर में मिलने वाले गन्दे पानी को रोक दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के निर्देश पर प्रदेश के तीन कैबिनेट मंत्री जिनमें लोक निर्माण एवं प्रभारी मंत्री श्री सज्जनसिंह वर्मा, जनसम्पर्क एवं विधि विधायी मंत्री श्री पीसी शर्मा एवं नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री जयवर्धनसिंह शामिल थे, ने आज श्री महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में मंदिर के अंदर एवं बाहर किए जाने वाले कार्यों को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा की। बैठक में लगभग 300 करोड़ के कार्यों को लेकर प्रारम्भिक सहमति व्यक्त की गई। अन्तिम रूप से प्रोजेक्ट स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर स्वीकृत किया जाएगा।


इस विशेष बैठक में मुख्य सचिव श्री सुधिरंजन मोहंती  एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव भी शामिल हुए। बैठक में प्रभारी मंत्री श्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहां है कि भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र का ऐसा विकास होना चाहिए जैसा कि काशी विश्वनाथ क्षेत्र का बनारस में हुआ है। बैठक में विधायक श्री दिलीप गुर्जर, श्री रामलाल मालवीय, श्री महेश परमार, श्री मुरली मोरवाल,संभागायुक्त श्री अजीत कुमार, आईजी श्री राकेश गुप्ता, डीआईजी श्री अनिल शर्मा, कलेक्टर शशांक मिश्रा, पुलिस अधीक्षक श्री सचिन अतुलकर, श्री मनोज राजानी सहित जनप्रतिनिधि एवं अधिकारीगण मौजूद थे।

बैठक की शुरुआत में प्रभारी मंत्री श्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने वचन दिया था कि महाकालेश्वर क्षेत्र का संपूर्ण एवं समग्र विकास किया जाएगा, उसी के तहत आज उच्च स्तरीय समिति की बैठक उज्जैन में आयोजित की गई है। 

उन्होंने कहा कि महाकालेश्वर मंदिर के आसपास एवं महाकाल मंदिर के अंदर के कार्यों पर लगभग 300 करोड़ से अधिक की योजना बनाई गई है।उक्त योजना स्थानीय जनप्रतिनिधियों पुजारियों आदि को विश्वास में लेकर के ही क्रियान्वित की जाएगी। प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता इस पर है कि शहरों को किस तरह से आधुनिक किया जाए।पूरा देश आज भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मना रहा है। ऐसे शुभ अवसर पर भगवान महाकालेश्वर एवं उज्जैन नगर के विकास के लिए महत्वपूर्ण बैठक आयोजित कर मुख्यमंत्री ने एक नई शुरुआत की है। 


उन्होंने कहा कि अब कोई योजना कागजों पर नहीं बनेगी जमीन पर जाकर उसका क्रियान्वयन होगा। उज्जैन नगर एवं महाकालेश्वर मंदिर का पौराणिक स्वरूप बनाए रखा जाएगा। पुराणों में जिस तरह से चर्चा की जाती है उन सभी बातों को समाहित कर उज्जैन एवं महाकालेश्वर मंदिर का विकास किया जाएगा।सबसे पहले उनके द्वारा वीआईपी कल्चर समाप्त करने की घोषणा की गई थी और वे इसका पालन कर रहे हैं। प्रदेश सरकार का कोई पूर्वाग्रह नहीं है ईमानदारी से महाकालेश्वर मंदिर का विकास किया जाना है।


बैठक में जनसम्पर्क एवं विधि विधायी मंत्री श्री पीसी शर्मा ने कहा कि महाकालेश्वर मंदिर का नया एक्ट तैयार हो रहा है, जिसमें कई तरह के सुधार किए जा रहे हैं। इस एक्ट में नियम बनाने के अधिकार सरकार के पास होंगे। साथ ही मंदिर के प्रबंधन की व्यवस्था को भी ठीक किया जाएगा। उज्जैन शहर का पौराणिक इतिहास है यहां की समृद्ध संस्कृति है। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर प्रदेश के मुख्यमंत्री उज्जैन का विकास करना चाहते हैं। उज्जैन के विकास में स्थानीय लोगों को भी शामिल किया जायेगा तथा स्थायी विकास कार्य होंगे।


नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री जयवर्धन सिंह ने बैठक में जनप्रतिनिधियों के विचार सुनकर निर्णय लिया कि भगवान महाकालेश्वर के शिखर दर्शन में किसी तरह की बाधा उत्पन्न ना हो इसके लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आसपास के भवनों की ऊंचाई शिखर से कम हो। इसके लिए अतिशीघ्र टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा निर्देश जारी किए जाएंगे। नगरीय प्रशासन मंत्री ने निर्देश दिए हैं कि आगामी सितम्बर-अक्टूबर माह में कुछ जनप्रतिनिधियों को काशी विश्वनाथ मन्दिर, तिरूपति मन्दिर एवं सोमनाथ मन्दिर की व्यवस्थाओं का अवलोकन करने के लिए भेजा जाएगा।


बैठक में मुख्य सचिव श्री सुधिरंजन मोहन्ती ने कहा कि उज्जैन में आने वाले श्रद्धालु का विभाजन दो-तीन कैटेगरी में किया जा सकता है। इसमें कुछ लोग केवल एक दिन के लिए आते हैं एवं बाकी लोग एक-दो दिन रूकने के विचार से यहां आते हैं। ऐसे श्रद्धालुओं को विशेष सुविधा मिले एवं जो यहां केवल एक दिन के लिए आते हैं वे उज्जैन में रूकें इस हेतु मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्य योजना तैयार की जा रही है। सोमनाथ और अमृतसर में जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स यात्रियों के परिवहन के लिए उपलब्ध कराए जा रहे हैं, वैसे यहां भी किया जाना चाहिये। 


उन्होंने कहा कि मन्दिर के आसपास के क्षेत्र का विकास करते समय यह ध्यान में रखना होगा कि पर्याप्त मात्रा में खुला स्थान छोड़ा जाए, केवल सीमेन्ट-कांक्रीट के स्ट्रक्चर तैयार न किए जाएं। रूद्र सागर से गन्दगी हटाई जाएगी एवं भोपाल की तर्ज पर इसको स्वच्छ किया जाएगा।आज यह पहली बैठक है, इसके बाद निरन्तर समीक्षा के लिए बैठकें आयोजित की जाती रहेंगी। सितम्बर माह से जमीन पर कुछ काम दिखने लगेगा।आज की बैठक में परिकल्पना को स्वीकृति दी गई है, विस्तृत कार्यों की स्वीकृति स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर दी जाएगी। उज्जैन के विकास कार्य में शिप्रा रामघाट सहित अन्य तीर्थस्थल भी शामिल हैं।


बैठक में विधायक श्री दिलीप गुर्जर ने कहा कि उज्जैन तीर्थक्षेत्र का इस तरह विकास किया जाए, जिससे यहां जो भी श्रद्धालु आए वह कम से कम दो दिनों तक रूके। इसी के साथ धार्मिक स्थलों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। रूद्र सागर एवं महाकाल मन्दिर के मूल स्वरूप से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाना चाहिए।


विधायक श्री रामलाल मालवीय ने कहा कि महाकालेश्वर मन्दिर में भस्म आरती करके जाने वालों के लिए केवल एक ही निर्गम गेट है, यहां पर दूसरा गेट भी बनाया जाना चाहिए। बड़ा गणेश से हरसिद्धि तक के मार्ग के संकीर्ण होने की बात रखी तथा कहा कि महाकाल मन्दिर से होकर हरसिद्धि के पास नूतन स्कूल वाली लाईन में एक ब्रिज बनाया जाये, जिससे कि अतिरिक्त मार्ग मिल सके। उन्होंने विद्युत ग्रीड की जमीन को अधिग्रहित करने एवं मन्दिर के आसपास बनी ऐसी इमारतों को अधिग्रहित करने को कहा है, जिनकी ऊंचाई महाकालेश्वर मन्दिर के शिखर से ऊपर है।


विधायक श्री महेश परमार ने कहा कि महाकालेश्वर मन्दिर के आसपास के क्षेत्र में भगवान महाकालेश्वर के शिखर से ऊंचे मकान व मन्दिर नहीं होना चाहिए। उन्होंने सवारी मार्ग पर बनने वाले नये मकानों का पौराणिक महत्व के आधार पर स्थापत्य स्वीकृत करने की बात कही। श्री परमार ने आग्रह किया कि जनप्रतिनिधियों को सम्पूर्ण प्रोजेक्ट का मौके पर जाकर निरीक्षण कराया जाये।


उन्होंने चौरासी महादेव, पंचक्रोशी यात्रा मार्ग का विकास करने, गर्भगृह में दर्शन स्थायी रूप से बन्द करने, मन्दिर समिति में अशासकीय सदस्यों की संख्या बढ़ाने तथा रूद्र सागर में गन्दे नाले का पानी मिलने से रोकने की मांग की। विधायक ने कहा कि उज्जैन की लोक संस्कृति को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। साथ ही उन्होंने कम से कम पांच हजार तीर्थ यात्रियों के रूकने की व्यवस्था के लिये भवन बनाने का आग्रह किया।


विधायक श्री मुरली मोरवाल ने कहा कि महाकालेश्वर मन्दिर में स्थायी प्रशासक की नियुक्ति की जाये, जो कि क्षेत्र का सिटी मजिस्ट्रेट भी हो। उन्होंने भारत माता मन्दिर की ओर 30 फीट चौड़ाई का रोड निकालने व अतिक्रमण हटाने की बात रखी। विधायक श्री मोरवाल ने मन्दिर समिति में नियुक्त किये गये अनावश्यक कर्मचारियों को हटाने की मांग की। साथ ही उन्होंने महाकालेश्वर मन्दिर के मुख्य द्वार का निर्माण पौराणिक आधार पर करने को कहा है।


जिला पंचायत अध्यक्ष श्री करण कुमारिया ने कहा कि भगवान महाकालेश्वर की भस्म आरती के प्रवेश के लिए जारी किए जाने वाले पास में बायोमैट्रिक का उपयोग करते हुए उन्हीं व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाना चाहिए जिनके लिए पास बनाए गए हैं। श्री कुमारिया ने उज्जैन के चारों ओर से सड़क पर महाकाल द्वार बनाने की मांग की।


पुजारी श्री आशीष शर्मा ने कहा कि सप्तपुरी, सप्त सागर का महत्व बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को ज्ञात हो, इसका प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। उन्होंने उज्जैन शहर में योग साधना केन्द्र की स्थापना करने की मांग की। महन्त श्री रामेश्वरदास ने कहा कि चौरासी महादेव में से क्रमांक-81, 82, 83, 84 चार द्वारपाल हैं, जो चारों दिशा में विराजित हैं, वहां पर उज्जैन नगर में आने वाले मार्गों पर चार द्वार बनाए जाएं। साथ ही उन्होंने नीलगंगा तालाब का भी विकास करने की मांग रखी।


पूर्व विधायक डॉ.बटुकशंकर जोशी ने बैठक में कहा कि राज्य सरकार द्वारा हाल ही में महाकालेश्वर मन्दिर के विकास कार्यों के लिये स्वीकृत किए गए कार्यों का प्रचार-प्रसार पृथक से किया जाना चाहिए। इन कार्यों को स्मार्ट सिटी के कार्यों से नहीं मिलाया जाना चाहिए। पूर्व विधायक श्री राजेन्द्र भारती ने कहा कि जन-आकांक्षाओं को पूरा करने में वर्तमान सरकार सफल रही है। उज्जैन नगर एवं महाकालेश्वर मन्दिर के विकास के लिए जो प्रोजेक्ट बनाया गया है, वह इसी का द्योतक है। उन्होंने कहा कि महाकाल दर्शन करने आने वाले यात्रियों को किस प्रकार सुविधा मिल सके, इस पर ध्यान देना होगा। श्री भारती ने कहा कि लोक-मान्यताओं को पुनर्जीवित किया जाए तथा धार्मिक स्थलों पर पार्किंग की समस्या को दूर किया जाए। श्री रवि शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री ने संवेदनशीलता के साथ महाकाल मन्दिर के विकास की कार्य योजना तैयार की है, इसको अतिशीघ्र मूर्तरूप दिया जाना चाहिए। पार्षद श्री राजेन्द्र वशिष्ठ ने कहा कि ऐसा प्रयास किया जाए, जिससे महाकाल दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु उज्जैन में एक-दो दिन स्टे करें। उन्होंने हरसिद्धि, रामघाट का विकास करने एवं शिप्रा आरती का गंगा आरती की तरह ब्रांडिंग करने की मांग रखी। श्री रवि भदौरिया ने कहा कि राज्य शासन द्वारा बनाई गई 300 करोड़ की योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। बैठक में नगर निगम आयुक्त सुश्री प्रतिभा पाल, स्मार्ट सिटी के सीईओ श्री अवधेश शर्मा, एडीएम श्री आरपी तिवारी, श्री महेश सोनी, श्री कमल पटेल सहित विभिन्न जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

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