उज्जैन 7 सितम्बर। प्रतिबंधित संगठन सिमी के 2 सदस्यों को उज्जैन कोर्ट ने कठोर कारावास की सजा सुनाई।
न्यायालय श्री विवेक जैन न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, जिला उज्जैन के न्यायालय द्वारा आरोपी 1. मोहम्मद शफी पिता अब्दुलबारी अंसारी निवासी, फाजलपुरा उज्जैन को धारा 153-ए में 03 वर्ष के कठोर कारावास की सजा तथा विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम की धारा 10 में 02 वर्ष के कठोर कारावास की सजा एवं 2000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
इसी प्रकार मोहम्मद अकील कुरैशी पिता मो0 रफीक कुरैशी निवासी मदारगेट जिला उज्जैन को धारा 153-ए, 467, 468, 471 में 03-03 वर्ष के कठोर कारावास की सजा तथा विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम में 02 वर्ष के कठोर कारावास की सजा एवं 5000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
उप-संचालक अभियोजन, डॉ0 साकेत व्यास ने बताया कि घटना इस प्रकार है कि दिनांक 25.07.2006 को आरक्षक एस.एस. तोमर ने थाना खाराकुंआ पर सूचना दी थी कि सिमी के प्रमुख कार्यकर्ता इमरान अंसारी को जब खण्डवा पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उससे पूछताछ की तो उसने उज्जैन के मोहम्मद अकील कुरैशी को उसके सिमी संगठन का सक्रिय कार्यकर्ता होना बताया। इस सूचना पर मोहम्मद अकील की गतिविधियों पर नजर रखी गई तथा दिनांक 25.07.2006 को थाने के आरक्षक गोपाल को भेजकर तस्दीक करायी गई तो गोपाल ने सूचना दी कि अकील अपने घर के सामने सिमी कार्यकर्ता मोहम्मद शफी के साथ खडा होकर व्यक्तियों की धार्मिक भावनाओं को भड़का रहा है तथा किताबों से उदाहरण देकर एक धर्म के विरूद्ध संगठित करने का आव्हान कर रहे हैं। थाने पर उपस्थित पुलिस बल मदार गेट स्थित मोहम्मद अकील के घर के सामने पहुंचे तो वहा उपस्थित भीड पुलिस को देखकर तितर-बितर हो गई ।पुलिस द्वारा घटना स्थल से मोहम्मद अकील को किताब सहित पकडा। मोहम्मद शफी अपने हाथ में ली गई किताब सहित भाग गया। अकील के हाथ में जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचांने वाली किताब थी, उक्त किताब में विशेष धर्म की धार्मिक भावना भडके ऐसे चित्र छपे थे, जो कि उस धर्म की भावनाओं को आघात पहुंचाने वाले थे।
मोहम्मद अकील से उक्त पत्रिका/किताब को जप्त किया गया, तथा उसके घर की तलाशी ली गई तो घर से भी आपत्तिजनक किताबें तथा सिमी नयापुरा इंदौर का एक रसीद कट्टा मिला। उक्त दस्तावेज व एक सीडी जिस पर सिमी लिखा था, जिन्हें पुलिस ने जप्त किया था।
अकील के विरूद्ध थाना खाराकुऑ पर भादवि की धारा 153-ए व विधि विरूद्ध क्रियाकलाप अधिनियम की धारा 3, 10 व 13 का पंजीबद्ध किया गया था। पुलिस द्वारा मोहम्मद शफी की तलाश करने पर नही मिलने पर उसके घर की तलाशी ली गई जहॉ वह नही मिला परन्तु उसके घर से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचांने वाली आपत्तिजनक पत्रिका मिली। उनके शीर्षक पर जो लेख छपा था व अन्य आपत्तिजनक बाते लिखी थी जिससे सांप्रदायिक सोहार्द बिगडने की संभावना थी जिनकों जप्त किया गया।
अभियुक्त अकील से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उसने जो सिमी संगठन के लिए चंदा एकत्रित किया है वह सिमी के सरगना इमरान अंसारी को दिया है। अकील से पूछताछ करने पर उसने अभियुक्तगण इमरान अंसारी, मोहम्मद नईम व मोहम्मद शफी का सिमी संगठन की उज्जैन शाखा से जुडा होना बताया।
अभियुक्त अकील ने इमरान अंसारी को टाटा इंडिकॉम का मोबाइल कनेक्शन दिया था तथा साक्षी रईस खान से धोखाधडी कर उससे फोटो व राशनकार्ड प्राप्त कर तथा उसके फर्जी हस्ताक्षर कर सिमी सदस्यों को टाटा इंडिकाम के कनेक्शन दिये। अभियुक्त मोहम्मद नईम ने सिमी साहित्य छापने का कृत्य किया था। इस पर से मोहम्मद इमरान, मोहम्मद नईम आरोपी बनाये गये।
मोहम्मद शफी को दिनांक 04.11.2009 को गिरफ्तार किया गया। विवेचना पूर्ण कर अभियुक्तगण के विरूद्ध भादवि की धारा 153-ए, 420, 467, 468, 471 व विधि विरूद्ध क्रियाकपाल निवारण अधिनियम 1967 की धारा 3, 10 व 13 के अंतर्गत चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
दाण्डिक प्रश्न पर अभियुक्तगण द्वारा उन्हें सिर्फ जुर्माने से दण्डित किये जाने का निवेदन किया था। अभियोजन अधिकारी श्रीमती कमलेश श्रीवास द्वारा तर्क किये कि भारत देश में सभी धर्मों के व्यक्ति एक साथ रहते है और हमारे देश की संस्कृति गंगा-जमुना की संस्कृति हैं। आरोपीगण को कठोर दण्ड से दण्डित किया जाये।
न्यायालय की टिप्पणीः- न्यायालय ने टिप्पणी की कि भारत की एक गंगा-जमुना तहजीब है, भारत देश में सभी धर्म के व्यक्ति एक साथ रहते है भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 में सभी धर्म के व्यक्तियों के धर्म की स्वतंत्रता दी गई है। व्यक्ति अपने धर्म के अनुसार उसका पालन कर सकता हैं। किन्तु किसी भी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के धर्म में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। ऐसे व्यक्ति जो भारत देश में घुन के रूप में देश की संस्कृति को खत्म कर रहे है उनके सामने कानून दवाई के रूप में कार्य करता है किसी भी व्यक्ति को अतिवादी बनने का अधिकार नही हैं। आरोपीगण को भारत देश के तानेवाने को ठेस पहुंचाने का कृत्य किया है।
न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्को से सहमत होकर आरोपी मो. शफी और मो. अकील को दण्डित किया गया। दो आरेापी मो0. नईम तथा मो0 इमरान को दोषमुक्त किया है। मो. शफी को अहमदाबाद के साबरमती जेल से पुलिस आज उज्जैन न्यायालय में लाई थी।
शासन की ओर से पैरवी श्रीमती कमलेश श्रीवास सहायक जिला अभियोजन अधिकारी उज्जैन द्वारा पैरवी की गई।attacknews.in