चेन्नई 30 जुलाई। तमिलनाडु के इतिहास में पहली बार किसी गैर-ब्राह्मण को एक हिंदू मंदिर का पुजारी नियुक्त किया गया है. यह नियुक्ति तमिलनाडु हिंदू रिलीजियस एंड चैरिटेबल इंडॉमेंट डिपार्टमेंट (एचआर एंड सीई) ने की है.
इस नियुक्ति को राज्य में मंदिरों में गैर-ब्रह्मणों को पुजारी बनाए जाने के लिए चलाए जा रही सामाजिक न्याय की मुहिम का नतीजा माना जा रहा है. 2006 में उस समय के मुख्यमंत्री करुणानिधि की सरकार ने एक आदेश जारी करके कहा था कि राज्य के मंदिरों में सभी समुदाय के लोगों को पुजारी बनाया जा सकता है.
इस आदेश के पालन में 2007 में, एससी और एसटी समुदाय के 24 व्यक्तियों समेत 206 लोगों को एचआर एंड सीई के तहत चलाए जा रहे मंदिरों के पुजारी की ट्रेनिंग के लिए भेजा गया. इन लोगों ने जूनियर पुजारी सर्टिफेकेट मिला.
इसके बाद सरकार के आदेश के विरोध में लोग अदालतों की शरण में चले गए. आखिरकार 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के आदेश को वैध ठहराया. साथ ही ये भी कहा कि जो लोग आगम शास्त्र (पूजा के तौर तरीके और नियमों) का उल्लंघन करते हैं उन्हें हटाया भी जा सकता है. फिर भी सर्वोच्च अदालत ने तमिलनाडु के एचआर एंड सीई विभाग को नियुक्ति संबंधी कोई आदेश नहीं जारी किया था.
जूनियर पुजारी सर्टीफिकेट वाले उन्ही 206 जूनियर पुजारियों में से एक मारीचमी को मदुरै के थालुक्कम औय्यप्पम मंदिर में पुजारी नियुक्त किया गया. इस आदेश से उन लोगों की उम्मीदे जाग गई हैं जो अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
जूनियर पुजारी एसोसिएशन के रघुनाथन का कहना है कि सरकार को जरूरी कदम उठा कर इस नियम को खत्म कर चाहिए जिसमें कहा गया है कि आगम शास्त्र का उल्लंघन करने वाले को हटाया जा सकता है. उनका ये भी कहना है कि सरकार को अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे सारे लोगों को नियुक्त करना चाहिए.attacknews.in