गाजियाबाद 14 अक्टूबर .इलाहाबाद न्यायालय का निर्णय सुनते ही आरुषि-हेमराज हत्याकांड में सजा काट रहे तलवार दंपती के कारागार के बाहर आते ही आंखों में खुशी की लहर दौड़ गई.
यहां बिताए पलों में वह खो गए. तलवार दंपती ने अपना एक-एक समान दान में दे दिया. लेकिन जब नुपूर अपने वस्त्रों का दान कर रही थी तब महिला कैदियों ने एक सवाल किया, मेडम अब कब आएंगी. इस भावुक सवाल पर वह बिना कहे यह कह गईं की कभी अलविदा न कहना. उन्होंने महिला कैदियों और बच्चों से वादा किया कि वह उनसे मिलते आती रहेंगी व उनके लिए समान भी लाती रहेंगी.
डा। नुपूर तलवार ने करीब चार सालों की कैद के दौरान कारागार में जुटाई गईं सभी चीजें कारागारऔर बंदियों को दान कर दी. उनकी इस दरियादिली पर बंदियों ने भी खुशी का इजहार किया व उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की.
शुक्रवार को रिहाई की उम्मीद संजोए डा. नूपुर ने चिकित्सा संबंधी और अन्य कार्य नहीं किए. वह शुक्रवार दिन भर अपने सामान की पैकिंग में लगी रहीं. जबकि, डा। राजेश ने आम दिनों से अधिक बंदियों का इलाज किया.
शुक्रवार प्रातः काल उठने के बाद नूपुर तलवार ने अधिकतर समय पूजा, साथी बंदियों से वार्ताऔर अपने सामान की पैकिंग में बिताया.उधर, डा। राजेश अपने निर्धारित समय प्रातः काल 10 बजे डेंटल केयर पर आकर बैठ गए थे.
उनके जाने की सूचना पर शुक्रवार को आम दिनों की अपेक्षा अधिक संख्या में बंदी चेकअप के लिए पहुंचे. डा। राजेश ने 36 मरीजों का इलाजकिया. तलवार दंपति ने करीब 15 लाख रुपये खर्च कर कारागार में डेंटल केयर सेंटर बनाया था.
इसमें वह रोजाना अपने खर्च से बंदियों का इलाज करते थे. शुक्रवार को उन्होंने कारागार प्रशासन से बात कर महंगी डेंटल चेयर के साथ अन्य सभी मेडिकल उपकरण कारागार को दान कर दिए. करीब चार वर्ष की अवधि में डा। नूपुर ने कारागार में परिजनों से 113 अंग्रेजी के नॉवल मंगाए थे.
यह नॉवल भी उन्होंने कारागार की लाइब्रेरी को दान कर दिए. इसके साथ ही डा। नूपुर ने अपने करीब दो दर्जन से अधिक कपड़े भी अपनी बैरक में बंद महिला बंदियों को दान कर दिए. डा। राजेश के पास अधिक कपड़े नहीं थे, वह उन्होंने अपने कपड़े बैग में पैक कर लिए.
डा। नूपुर तलवार ने शुक्रवार को महिला बैरक में बंद बच्चों से वादा किया कि वह जल्द उनसे मिलने के लिए कारागार में आएंगी व उनके लिए कपड़े, किताबे और अन्य सामान लाएंगी.कारागार में करीब 33 बच्चें अपनी मां के साथ रहे रहे हैं.स्त्रियों को कपड़े दान करते हुए उनके बच्चों ने भी नूपुर से कपड़े मांगे थे. इस पर उन्होंने बच्चों से जल्द ही कपड़े लाने का वादा किया.
फैसला आने के बाद बाहर निकलने के बेताब तलवार दंपति दिन भी निर्णय की सर्टिफाइड कॉपी आने का इंतजार करते रहे. वह बार-बार कारागार प्रशासन से सर्टिफाइड कॉपी आने के बारे में पूछते रहे.कारागार प्रशासन ने उन्हें बताया कि सर्टिफाइड कॉपी आते ही उन्हें बरी कर दिया जाएगा.
तलवार दंपति ने बृहस्पतिवार को निर्णय आने के बाद बृहस्पतिवार रात का खाना नहीं खाया. वह रात में भी देरी से सोए व बैरक में बंद अन्य बंदियों से वार्ता करते रहे. शुक्रवार प्रातः काल रिहाई की उम्मीद में वह जल्दी उठ गए. दैनिक दिनचर्या के बाद उन्होंने योगा और व्यायाम किया व पूजा में बैठ गए.
इसके बाद उन्होंने नाश्ते में चाय और पाव खाया. डा। नूपुर अपनी बैरक में चली गईं व डा। राजेश क्लीनिक पर जाकर बैठ गए. दोपहर को उन्होंने लाइन में लगकर खाना लिया. खाने में दोपहर को उन्होंने दाल, सब्जी, रोटी और चावल खाए.
तलवार दंपति के कारागार से जाने के बाद भी कारागार में बना उनका डेंटल केयर सेंटर गुलजार रहेगा व इसका फायदा बंदियों को मिलता रहेगा.कारागार अस्पताल के सीएमएस डा। सुनील त्यागी ने बताया कि तलवार दंपति ने कारागार प्रशासन से वादा किया है कि वह हर 15वें दिन कारागार अस्पताल में विजिट करेंगे व बंदियों का चैकअप करेंगे.
इसके साथ ही मुरादनगर स्थित आईटीएस डेंटल कॉलेज के चिकित्सक भी हफ्ते में दो बार डेंटल केयर की विजिट करेंगे. जो लोग आईटीएस के डॉक्टरों से इलाज कराना चाहते हैं वह उनसे उपचार करा सकते हैं व जो बंदी तलवार दंपति से इलाज कराने के इच्छुक होंगे उनकी सूची तैयार की जाएगी. इसके बाद डा। नूपुर और डा। राजेश तलवार की विजिट के दिन उनसे इलाज कराया जाएगा.