कमलनाध ने कहा:मैं मध्यप्रदेश में ही रहूंगा दावा किया कि , मप्र में दो माह में कोरोना से एक लाख से अधिक लोगों की हुई मौत;हनीट्रैप को लेकर कमलनाथ के बयान के बाद मामला फिर गर्माया attacknews.in

भोपाल, 21 मई।मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने आज कहा कि वे आने वाले समय में इसी राज्य में सक्रिय रहेंगे और इसे छोड़ने वाले नहीं हैं।

श्री कमलनाथ ने यहां वर्चुअल पत्रकार वार्ता में सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि वे इसी राज्य में सक्रिय रहेंगे और कहीं जाने वाले नहीं हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि और वे वही करेंगे, जो उन्होंने अपने 45 वर्ष के संसदीय जीवन में जनहित और जनसेवा के लिए किया। चाहे वे किसी पद पर रहे या नहीं रहे। इसी तरह अब वे मध्यप्रदेश के लिए कार्य करेंगे।

एक अन्य सवाल के जवाब में श्री कमलनाथ ने कहा कि कोरोना संकटकाल के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों ने उनसे चर्चा की और कुछ मुद्दों पर मदद मांगी। श्री कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने भी तत्काल जो संभव था, मदद की।

उद्योगपतियों से बेहतर संबंधों के लिए पहचाने जाने वाले श्री कमलनाथ ने कहा कि अधिकारियों के आग्रह पर उन्होंने बड़े उद्योगपतियों से सीधे बात की और राज्य में ऑक्सीजन गैस टैंकर, रेमडेसिविर इंजेक्शन के अलावा अन्य सामग्री तत्काल मुहैया करवायी।

कमलनाथ का दावा, मप्र में दो माह में कोरोना से एक लाख से अधिक लोगों की मौत

वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार पर कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए आज दावा किया कि सिर्फ इस राज्य में ही दो माह के दौरान कोरोना के कारण एक लाख से अधिक लोगों को मृत्यु हुयी है।

श्री कमलनाथ ने कहा कि केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार दोनों ही कोरोना संबंधी आकड़े छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। जो भी आकड़े पेश किए जा रहे हैं, वे वास्तविकता से काफी दूर हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों से श्मशानघाटों और कब्रस्तानों के जरिए जो आकड़े जुटाए हैं, उनके अनुसार मार्च और अप्रैल माह में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 01 लाख 27 हजार से अधिक शव श्मशानघाटों और कब्रस्तानों पर पहुंचे। यदि इनमें से 80 प्रतिशत की मृत्यु कोरोना के कारण होना मान ली जाए, तो 01 लाख 02 हजार से अधिक लोग इस वजह से मौत का शिकार बने।

हनीट्रैप को लेकर कमलनाथ के बयान के बाद मामला फिर गर्माया

मध्यप्रदेश के बहुचर्चित लगभग दो वर्ष पुराने हनीट्रैप मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस मुद्दे को लेकर दिए गए ताजा बयानों से यह प्रकरण फिर से मीडिया की सुर्खियां बनने के साथ गर्माता हुआ नजर आ रहा है।

श्री कमलनाथ ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान इससे जुड़े सवालों के जवाब में कहा कि हनीट्रैप मामले की सीडी उनके पास ही नहीं, काफी लोगों के पास है और उनमें मीडिया के लोग भी शामिल हैं। हालाकि उन्होंने यह भी कहा कि वे इस तरह की राजनीति करना पसंद नहीं करते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या इस प्रकरण में कोई वर्तमान मंत्री शामिल है या कौन कौन लोग शामिल हैं, श्री कमलनाथ ने कहा कि वे इसमें जाना नहीं चाहते हैं।

वाराणसी में 25 और 26 अप्रैल को नामांकन से पहले होगा नरेन्द्र मोदी का रोड़ शो, लाखों की संख्या में समर्थकों के शामिल होने की संभावना attacknews.in

वाराणसी, 10 अप्रैल । लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 25 या 26 अप्रैल के प्रस्तावित ‘रोड शो’ में करीब पांच लाख लोगों शामिल होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के काशी क्षेत्र के मीडिया प्रभारी नवरत्न राठी ने बुधवार को यहां बताया कि फिलहाल श्री मोदी के कार्यक्रम तय नहीं हुए हैं लेकिन 25 या 26 अप्रैल को उनके ‘रोड शो’ एवं नामांकन करने की तैयारियों को लेकर विचार-विमर्श किया गया है। इन्हीं संभावित तारीखों को ध्यान में रखते हुए तैयारियां जोरशोर से की जा रही हैं।

उन्होंने बताया इस बार ‘रोड शो’ एवं नामांकन अलग-अलग दिनों पर करने पर विचार किया गया है क्योंकि वर्ष 2014 के चुनाव में एक ही दिन दोनों कार्यक्रम होने से असहज स्थिति उत्पन्न होने लगी थी। श्री मोदी नामांकन के करीब 20 मिनट पहले संबंधित अधिकारी के समक्ष पहुंच पाये थे। इससे सीख लेते हुए पार्टी इस बार उनके एक दिन रोड शो और दूसरे दिन नामजदगी के पर्चे दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी करने पर विचार कर रही है।

श्री राठी ने बताया कि श्री मोदी वाराणसी संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार जबकि प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए पहली बार लोकसभा चुनाव के लिए नामंकन पत्र दाखिल करेंगे। गत करीब पांच वर्षों के विकास एवं अनेक जनकल्याण कार्यों के कारण उनके प्रति आम जनता में एक सकारात्मक रुख देखने को मिल रहा है। ऐसे में उनके ‘रोड शो’ में पिछले सारे रिकॉर्ड टूटने की संभावना है। उन्होंने दावा किया के गत लोकसभा चुनाव से पहले श्री मोदी के रोड शो में चार लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे और इस बार पांच लाख का आंकड़ा पार करने की उम्मीद है।

भाजपा नेता ने बताया कि श्री मोदी के रोड शो रास्तों को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है लेकिन लंका में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा से लेकर दशाश्वमेध घाट के अलावा रवींद्रपुरी, भेलूपुर, गोदौलिया, चौक, मैदागिन, मलदहिया समेत शहरी क्षेत्र के अधिकांश आबादी वाले क्षेत्रों तक रोड शोक को पहुंचाने के लक्ष्य को ध्यान में रखा गया है और सुरक्षा एजेंसियों की सहमित के बाद अंतिम कार्यक्रम तय किया जाएगा।

भाजपा नेता ने बताया कि फिलहाल विभिन्न क्षेत्रों में छोटे-छोटे कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को मतदान के प्रति जागरुक करने के साथ ही श्री मोदी के संभावित रोड शो के बारे में जानकारी दी जा रही है। पार्षद एवं लोकसभा क्षेत्र के संयोजक लक्ष्मण आचार्य एवं काशी क्षेत्र के अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव समेत अनेक नेता विभिन्न बस्तियों एवं गांवों में लोगों के बीच जाकर कार्यक्रम की जानकारी देने के साथ ही उन्हें आमंत्रित कर रहे हैं।

वाराणसी संसदीय क्षेत्र के चुनाव के अंतिम एवं सातवें चरण में उत्तर प्रदेश के 13 संसदीय क्षेत्रों के साथ 19 मई को होंगे और चुनाव परिणाम 23 मई को घोषित किये जाएंगे। चुनाव के लिए 22 अप्रैल को अधिसूचना जारी की जाएगी। नामांकन के पर्चे दाखिल करने की अंतिम तारीख 27 अप्रैल है जबकि उनकी जांच की जाएगी। नामांकन पत्रों की जांच 29 अप्रैल को होगी और 30 अप्रैल तक नाम वापस लिये जा सकेंगें।

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शिवसेना ने भाजपा के घोषणापत्र को 100 में से 200 अंक दिए क्योंकि कश्मीर से 370 हटाने और राम मंदिर निर्माण का वादा जो हैं attacknews.in

मुंबई, 10 अप्रैल। शिवसेना ने बुधवार को भाजपा के घोषणापत्र की प्रशंसा करते हुये इसे ‘‘100 में से 200’’ अंक दिया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करने का वादा किया गया है।

केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा कि देश की अखंडता से समझौता नहीं किया जा सकता है और 2019 राम मंदिर निर्माण का आखिरी मौका है।

पार्टी ने कहा कि समान नागरिक संहिता और अनुच्छेद 370 से समझौता करने वालों को इतिहास माफ नहीं करेगा।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘‘भाजपा का ‘संकल्प पत्र’ राष्ट्र की भावनाओं को समाहित करता है। यहां तक कि शिवसेना की मांगों को भी इसमें शामिल किया गया है। इसलिए हम घोषणापत्र को 100 में से 200 अंक देते हैं।’’

पार्टी ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की आलोचना की, जिन्होंने धमकी दी है कि अगर अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया जाता है, तो भारत से जम्मू-कश्मीर अलग हो जाएगा और राज्य के लिए एक अलग प्रधानमंत्री बनाने का भी सुझाव दिया।

संपादकीय में पार्टी ने कड़ी टिप्पणी करते हुये कहा, ‘‘ऐसे लोगों का मुंह बंद करने की जरूरत है… डॉ. (फारूक) अब्दुल्ला ने यहां तक धमकी दी है कि अगर राज्य का विशेष दर्जा रद्द कर दिया जाता है, तो वे देखेंगे कि कौन वहां भारतीय ध्वज फहराता है। ऐसे लोगों की जबान काटने की जरूरत है।’’

उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी ने कहा कि वह मंगलवार को महाराष्ट्र के लातूर जिले में एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावनात्मक अपील से सहमत हैं कि लोगों को पाकिस्तान पर हमला करने वाले बहादुर जवानों के प्रति सम्मान के तौर पर भाजपा को वोट देना चाहिए।

संपादकीय में कृषि, गरीबी, छोटे व्यापारियों और शिक्षा जैसे मुद्दों को महत्व देने के लिए भी भाजपा के घोषणा पत्र की जमकर सराहना की गई।

शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री ने गरीबी मिटाने का मंत्र दिया है और साथ ही, राम मंदिर और अनुच्छेद 370 को खत्म करने जैसे मुद्दों को भी विशेष महत्व दिया है।

लोकसभा चुनावों के लिए जारी किये गये भाजपा के घोषणापत्र में घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में एनआरसी लाने और आतंक के प्रति जीरो टॉलरेंस का वादा किया गया है।

इसमें अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म करने जैसे पार्टी के पुराने रुख को भी दोहराया गया है।

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छत्तीसगढ़ की रायगढ़ संसदीय सीट पर भाजपा को जीती हुई सीट पर प्रत्याशी बदलने के बाद करना पड़ रहा है कड़ा संघर्ष attacknews.in

रायगढ़ 9 अप्रैल। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य रायगढ़ सीट में इस बार पिछले दो दशक से कब्जा जमाए भारतीय जनता पार्टी को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा ने इस सीट पर महिला उम्मीदवार गोमती साय को मैदान में उतारा है जिनका मुकाबला कांग्रेस विधायक लालजीत सिंह राठिया से है।

छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट के लिए भाजपा ने केन्द्रीय मंत्री की टिकट काटकर पहली बार महिला प्रत्याशी साय को चुनाव मैदान में उतारा है। साय जशपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं।

साय का मुकाबला राठिया से है। राठिया जिले के धरमजयगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं।

रायगढ़ सीट से कांग्रेस ने वर्ष 1967, 1980, 1985, 1989, 1991, 1996, 1999 एवं 2014 में महिला प्रत्याशियों को मौका दिया था। इसमें चार बार महिलाएं सफल हुई है।

भारतीय जनता पार्टी ने इस बार केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री विष्णु देव साय की टिकट काट दी है। चार बार से सांसद साय सहित राज्य के 10 सांसदों को भाजपा ने इस बार टिकट नहीं दी है।

रायगढ़ लोकसभा में अब तक आठ बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। वहीं वर्ष 1962 में राम राज्य परिषद से राजा विजय भूषण सिंह देव, 1977 में भारतीय लोक दल से नरहरि प्रसाद साय, 1989 और 1996 में भाजपा से नंदकुमार साय और 1999 से लगातार भाजपा के ही विष्णु देव साय निर्वाचित हुए हैं।

रायगढ़ सीट से सारंगगढ़ राजघराने की कुमारी पुष्पादेवी सिंह तीन बार 1980, 1985 और 1991 में चुनाव जीतीं थी और 1989, 1996 और 1999 में चुनाव हारी थीं।

अविभाजित मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे नंदकुमार साय इस सीट से वर्ष 1985, 1989, 1991, 1996 और 1998 में चुनाव लड़े, जिसमें से वर्ष 1989 और 1996 में ही वह चुनाव जीत सके। वर्ष 1998 में कांग्रेस के अजीत जोगी से हारने के बाद भाजपा ने उन्हें कभी भी इस सीट से टिकट नहीं दी।

1999 से लगातार हार के बाद कांग्रेस ने कभी भी इस सीट से किसी भी प्रत्याशी को फिर से मौका नहीं दिया।

इस बार के चुनाव में विष्णुदेव साय की टिकट कटने के बाद भाजपा की नई प्रत्याशी गोमती साय को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

क्षेत्र में राजनीतिक मामलों के जानकार परिवेश मिश्रा कहते हैं कि गोमती साय इस लोकसभा क्षेत्र के लिए नई उम्मीदवार हैं और नए चेहरे के कारण उन्हें ज्यादा मेहनत की आवश्यकता है। जबकि उनके खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार लालजीत सिंह राठिया को उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण लाभ मिल सकता है।

भारतीय जनता पार्टी के नेता, मिश्रा के इस तर्क से सहमत नहीं हैं। भाजपा नेता और पूर्व विधायक रोशनलाल अग्रवाल कहते हैं कि रायगढ़ क्षेत्र के निवासी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के पांच साल के दौरान किए गए विकास कार्य से संतुष्ट हैं और वह एक बार फिर भाजपा पर भरोसा जताएंगे।

अग्रवाल को विश्वास है कि गोमती साय इस सीट पर भाजपा की जीत का सिलसिला जारी रखेंगी।

रायगढ़ लोकसभा सीट में करीब 50 फीसदी आदिवासी हैं, वहीं 25 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग, 20 फीसदी अनुसूचित जाति और पांच फीसदी सामान्य वर्ग के मतदाता हैं।

इस सीट में मतदाताओं की कुल संख्या 17,31,638 है, जिससे 8,68,304 महिलाएं है। रायगढ़ और जशपुर जिले की आठ विधानसभा सीट इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत हैं।

लोकसभा क्षेत्र में ह्यूमन ट्रैफिकिंग, रेल लाईन और टर्मिनल, भू-विस्थापन, हाथियों से मौत और जशपुर जिले का ओद्योगिक विकास प्रमुख मुद्दा है।

2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से 2.16 लाख मतों से जीत हासिल की थी। जबकि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र की सभी आठ विधानसभा में कब्जा कर कांग्रेस करीब 2.06 लाख मतों से आगे है।

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अटल बिहारी वाजपेयी की पहचान बनी लखनऊ संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव का माहौल नब्बे के दशक के बाद से भाजपा के पक्ष वाला रहा है attacknews.in

लखनऊ 03 अप्रैल । देश की राजनीति की दिशा और दशा तय करने वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पिछले ढाई दशकों से भाजपा के कब्जे में है तथा उसका तिलिस्म तोड़ने के लिये कांग्रेस समेत अन्य दलों को यहां खासा पसीना बहाना पड़ेगा।

साफ सुथरी और मिलनसार छवि वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नब्बे के दशक में कांग्रेस के एकाधिकार को तोड़ते हुये यहां भाजपा की जीत का परचम लहराया था जिसके बाद यहां कोई भी दल भाजपा की चुनौती से पार नहीं पा सका है। पिछले सात लोकसभा चुनाव से भाजपा लगातार जीत दर्ज कर रही है। श्री वाजपेयी यहां से पांच बार सांसद चुने गये जिसके बाद 2009 में उनकी राजनीतिक विरासत संभालने चुनाव मैदान में उतरे भाजपा के कद्दावर नेता लालजी टंडन को नवाब नगरी ने सर माथे पर लिया।

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने लखनऊ संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की रीता बहुगुणा को करारी शिकस्त दी। श्री सिंह को 5,61,106 वोट मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 2,88,357 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। बसपा की निखिल दूबे को 64,449 वोट और सपा के अभिषेक मिश्रा को 56,771 वोट मिले थे।

गोमती तट पर बसे लखनऊ के बारे में मान्यता है कि इसे मर्यादा पुरूषोत्तम राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने बसाया था तो कुछ लोग इसे लखन पासी के शहर के तौर पर भी जानते हैं। दशहरी आम और चिकन की कढ़ाई और गलावटी कबाब के लिये मशहूर लखनऊ में 21 फीसदी आबादी मुस्लिम है जबकि अनुसूचित जाति 9.61 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की आबादी 0.02 फीसदी है। इसके अलावा इस सीट पर ब्राह्मण और वैश्य मतदाता निर्णयक भूमिका में है।

दिलचस्प है कि समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी इस हाइप्रोफाइल सीट पर अब तक खाता नहीं खोल पायी । आजादी के बाद जीत की हैट्रिक जमाने वाली कांग्रेस को यहां पहली बार 1967 में एक निर्दलीय प्रत्याशी ने झटका दिया था। उस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार आनंद नारायण ने जीत का परचम लहराया था।

लखनऊ संसदीय सीट पर अब तक हुये 16 लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सात बार भाजपा को जीत हासिल हुयी जबकि कांग्रेस ने छह बार विजय पताका लहरायी। इसके अलावा जनता दल, भारतीय लोकदल और निर्दलीय ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। लखनऊ सीट पर पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की शिवराजवती नेहरू ने जीत हासिल की। इसके बाद कांग्रेस ने लगातार दो बार जीत हासिल की।

आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में हेमवती नंदन बहुगुणा भारतीय लोकदल से जीतकर संसद पहुंचे हालांकि 1980 में कांग्रेस ने एक बार फिर शीला कौल को यहां से चुनावी मैदान में उतारकर वापसी की। वह 1984 में चुनाव जीतकर तीसरी बार सांसद बनने में कामयाब रहीं। जनता दल के मानधाता सिंह ने 1989 में कांग्रेस की हाथों से यह सीट क्या छीनी कि दोबारा कांग्रेस यहां से वापसी नहीं कर सकी।

लखनऊ की आबादी 23 लाख 95 हजार 147 है। इसमें 100 फीसदी शहरी आबादी है जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों को वोट देने का अधिकार हासिल है। लखनऊ लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें अभी भाजपा के कब्जे में हैं जिनमें लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य और लखनऊ कैंट विधानसभा सीट शामिल है।

पिछले लोकसभा चुनाव में यहां मतदान प्रतिशत 53.02 था। औसत मतदान के बावजूद यहां भाजपा के प्रत्याशी और मौजूदा गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार रीता बहुगुणा जोशी को दो लाख 72 हजार 749 वोटों से मात दी थी हालांकि श्रीमती जोशी बाद में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गयी थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर लखनऊ कैंट से वह दुबारा निर्वाचित हुयी और योगी मंत्रिमंडल में उन्हे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। श्रीमती जोशी इस लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद से भाजपा उम्मीदवार है।

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दिल्ली में पंजा अभी भी झाडू को हाथ में लेने को तैयार नहीं हुआ, राहुल गांधी ने कांग्रेस का आप पार्टी के साथ गठबंधन का निर्णय नहीं लिया attacknews.in

नयी दिल्ली, दो अप्रैल । दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के बारे में सवाल को टालते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि पूरे देश में गठबंधन को लेकर उनकी पार्टी का रुख ‘‘लचीला’’ है। वहीं आप ने कहा कि वह इसकी संभावनाओं पर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सहित पार्टी के नेताओं के साथ विचार विमर्श करेगी।

गांधी ने दिल्ली में आप के साथ गठबंधन के सवाल पर सीधे उत्तर नहीं देते हुए यहां संवादाताओं से कहा, ‘‘इस पर कोई असमंजस नहीं है। स्थिति बहुत स्पष्ट है। देश भर में हमने गठबंधन किए हैं। हमारे दरवाजे गठबंधन के लिए खुले हुए हैं। इस मुद्दे पर हमारा रुख लचीला है।’’

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष ने मंगलवार को सुबह पार्टी की दिल्ली इकाई की अध्यक्ष शीला दीक्षित और राज्य के पार्टी प्रभारी पीसी चाको के साथ एक बैठक की।

गौरतलब है कि आप के साथ गठबंधन को लेकर अब तक दिल्ली कांग्रेस के नेताओं में भिन्न भिन्न राय सामने आई है।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर राहुल गांधी के ताजा बयान पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर कहा, ‘‘यह मात्र एक बयान है। हम इस बारे में अरविन्द केजरीवाल एवं अन्य पार्टी सदस्यों से विचार विमर्श करेंगे और आपको उसकी जानकारी देंगे।’’

दिल्ली में सभी सात सीटों के लिए 12 मई को वोट डाले जाएंगे। 23 मई को मतगणना होगी।

इससे पूर्व आप ने कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना की थी और उसके साथ दिल्ली में गठबंधन को लेकर विपक्षी दल पर ‘‘अहंकार’’ दिखाने का आरोप लगाया था।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण का मतदान करीब आने के साथ ही भाजपा ने अपना किला बचाने के लिए ताकत झोंकी, सपा- बसपा किला भेदने में लगे attacknews.in

लखनऊ 02 अप्रैल । देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपना किला बचाये रखने के लिए कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन की चुनौती को पार पाना होगा।

सात चरणों में होने वाली चुनाव प्रक्रिया में उत्तर प्रदेेश की भागीदारी शुरू से अंत तक है। पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, गौतमबुद्धनगर, बागपत, सहारनपुर, मेरठ, कैराना और बिजनौर में 11 अप्रैल को वोट डाले जायेंगे। अंजाम की बेहतरी के लिये अच्छे आगाज की चाहत में जुटी भाजपा ,कांग्रेस और गठबंधन के बीच चुनावी महासमर में जोरदार संघर्ष की उम्मीद है हालांकि पिछले चुनावों की तरह इस बार भी विकास की बजाय जातीय समीकरणों के यहां हावी रहने के आसार हैं।

वर्ष 2014 में ‘मोदी लहर’ पर सवार भाजपा ने इन सभी आठ सीटों पर जीत का परचम लहराया था लेकिन 2017 में कैराना में हुये उपचुनाव में उसे कैराना उसके हाथ से निकल गयी थी। भाजपा को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिये राज्य में दो धुरंधर विरोधी समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने मंच साझा किया है जिनकी मुहिम को सफल बनाने के लिये पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा प्रभाव रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने हाथ मिलाया है। राज्य की राजनीति में हाशिये पर खड़ी कांग्रेस पहले चरण में कुछ कर गुजरने के लिये कमर कस चुकी है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विशेषता है कि यहां के लोग मतदान में खासी रूचि दिखलाते हैे जो स्वस्थ लोकतंत्र का परिचायक है जबकि काम में ढिलायी बरतने वाले दलों और जन प्रतिनिधियों को दरकिनार करने में यहां के बाशिंदे तनिक भी देर नहीं करते। पहले चरण की आठों सीटों के अंतर्गत 40 विधानसभा सीटों में से 33 पर भाजपा का कब्जा है जबकि तीन पर सपा, दो पर कांग्रेस और बसपा एवं रालोद के खाते में एक-एक सीट है।

वर्ष 2014 के चुनाव में सहारनपुर को छोड़ कर भाजपा ने शेष सात सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की थी। राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सहारनपुर में भाजपा 65 हजार वोटों के अंतर से पर जीत हासिल की थी। मौजूदा सांसद राघव लखनपाल इस बार भी भाजपा प्रत्याशी है जबकि कांग्रेस ने पिछली बार दूसरे स्थान पर रहे इमरान मसूद को फिर से मैदान में उतारा है वहीं गठबंधन की तरफ से बसपा प्रत्याशी फजलुर्ररहमान कुरैशी मैदान में हैं। कैराना में उपचुनाव में करारी शिकस्त झेलने वाली पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह पर भाजपा ने भरोसा नहीं जताते हुए प्रदीप चौधरी को टिकट थमाया है जबकि उपचुनाव में भाजपा को घुटनो पर लाने वाली रालोद की तबस्सुम हसन गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखने की भरपूर कोशिश करेंगी। कांग्रेस ने जाट नेता हरेंद्र मलिक को अपना प्रत्याशी बनाया है।

बिजनौर सीट पर भी रोमांचक मुकाबला होने जा रहा है। भाजपा ने एक बार फिर अपने सांसद भारतेंद्र पर भरोसा जताया है जबकी दूसरी ओर से बसपा ने पुराने उम्मीदवार मलूक नागर को टिकट दिया है। कांग्रेस ने यहां से नसीमुद्दीन सिद्दीकी को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। सिद्दीकी पहले बसपा में थे लेकिन बाद में कांग्रेस का हाथ थाम लिया। जाटलैंड की उपमा से नवाजे जाने वाला बागपत चौधरी चरण सिंह के समय से ही उनके परिवार अभेद्य किला रहा है। यहां मुकाबला इसलिए दिलचस्प है क्योंकि इस बार यहां से अजित सिंह की जगह उनके बेटे जयंत चौधरी चुनाव मैदान में हैें। पिछले चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार सत्यपाल सिंह ने रालोद अध्यक्ष अजित सिंह को हरा दिया था। अजित सिंह इस बार मुजफ्फरनगर से चुनावी मैदान में उतरेंगे। अगर 2014 के चुनाव को छोड़ दे तो यहां रालोद के अलावा यहां किसी अन्य दल के जीत हासिल करना टेढ़ी खीर साबित हुआ है।

गौतमबुद्धनगर में 2014 के लोकसभा चुनाव में विजय पताका लहराने वाली भाजपा ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी अपना दबदबा बनाये रखा और पांचों विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की थी। भाजपा ने एकबार फिर अपने सांसद महेश शर्मा पर भरोसा जताया है वहीं कांग्रेस ने अरविंद सिंह को टिकट दिया है। सतवीर नागर सपा-बसपा गठबंधन की ओर से अपने प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देंगे। कुल मिलाकर यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है।

गाजियाबाद सीट से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री वीके सिंह सिंह को फिर से टिकट दिया है जिसके कारण सबकी दिलचस्पी यहां होने वाले चुनावी मुकाबले को लेकर है। सपा-बसपा गठबंधन की ओर से सुरेश बंसल चुनाव मैदान में हैं, वहीं कांग्रेस ने डॉली शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है।

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर भी हर एक की निगाहें टिकी हुई हैं। भाजपा ने इस सीट पर मौजूदा सांसद संजीव बालियान पर फिर से भरोसा जताया है। अब उनका सीधा मुकाबला गठबंधन प्रत्याशी एवं रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह से होगा। वर्ष 2013 के दंगों के बाद यह सीट हमेशा से ही सुर्खियों में रही है। इस सीट पर जाट और मुस्लिम वोटर हमेशा से निर्णायक भूमिका में रहे हैं। मेरठ सीट पर पिछले दो दशकों से भाजपा का कब्ज़ा है। पिछले चुनाव में भाजपा के राजेन्द्र अग्रवाल यहां से लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए थे। इस बार उन्हें गठबंधन के बसपा प्रत्याशी हाजी मो. याकूब और कांग्रेस के हरेन्द्र अग्रवाल से तगड़ीचुनौेती मिलने के आसार हैं।

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ललिता रानी से जयाप्रदा बनी इस अभिनेत्री का फिल्मी और राजनीतिक सफर अनेक संघर्षों के साथ आंध्रप्रदेश से शुरू होकर उत्तरप्रदेश तक पहुंचा attacknews.in

मुंबई 02 अप्रैल । बॉलीवुड में जया प्रदा का नाम उन गिनी-चुनी अभिनेत्रियों में हैं, जिनमें सौंदर्य और अभिनय का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

महान फिल्मकार सत्यजीत रे जयाप्रदा के सौंदर्य और अभिनय से इतने अधिक प्रभावित थे कि उन्होंने जयप्रदा
को विश्व की सुंदरतम महिलाओं में एक माना था।सत्यजीत रे उन्हें लेकर एक बांग्ला फिल्म बनाने के लिये इच्छुक थे लेकिन स्वास्थ्य खराब रहने के कारण उनकी योजना अधूरी रह गयी।

जया प्रदा का मूल नाम ललिता रानी है उनका जन्म आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव राजमुंदरी में 03 अप्रैल
1962 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ।

उनके पिता कृष्णा तेलुगू फिल्मों के वितरक थे।

बचपन से ही जयाप्रदा का रूझान नृत्य की ओर था।उनकी मां नीलावनी ने नृत्य के प्रति उनके बढ़ते रूझान को देख लिया और उन्हें नृत्य सीखने के लिये दाखिला दिला दिया।

चौदह वर्ष की उम्र में जयाप्रदा को अपने स्कूल में नृत्य कार्यक्रम पेश करने का मौका मिला।जिसे देखकर एक फिल्म निर्देशक उनसे काफी प्रभावित हुये और अपनी फिल्म “भूमिकोसम” में उनसे नृत्य करने की पेशकश की लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया ।बाद में अपने माता-पिता के जोर देने पर जयाप्रदा ने फिल्म में नृत्य करना स्वीकार कर लिया ।

इस फिल्म के लिए जयाप्रदा को पारश्रमिक के रूप में महज 10 रुपये प्राप्त हुये लेकिन उनके तीन मिनट के नृत्य को देखकर दक्षिण भारत के कई फिल्म निर्माता -निर्देशक काफी प्रभावित हुये और उनसे अपनी फिल्मों में काम करने की पेशकश की जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।वर्ष 1976 जयाप्रदा के सिने कैरियर का महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ।

इस वर्ष उन्होंने के. बालचंद्रन की अंथुलेनी कथा के. विश्वनाथ की श्री श्री मुभा और वृहत पैमाने पर बनी एक

धार्मिक फिल्म “सीता कल्याणम” में सीता की भूमिका निभाई।

इन फिल्मों की सफलता के बाद जयाप्रदा दक्षिण भारत में अभिनेत्री के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गयीं।

वर्ष 1977 में जयाप्रदा के सिने कैरियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म “आदावी रामाडु” प्रदर्शित हुयी।
जिसने टिकट खिड़की पर नये कीर्तिमान स्थापित किये।
इस फिल्म में उन्होंने अभिनेता एन.टी. रामाराव के साथ काम किया और शोहरत की बुलंदियों पर जा पहुंचीं।

वर्ष 1979 में के. विश्वनाथ की “श्री श्री मुवा” की हिंदी में रिमेक फिल्म “सरगम” के जरिये जयाप्रदा ने हिंदी फिल्म जगत में भी कदम रखा।

इस फिल्म की सफलता के बाद वह रातों रात हिंदी सिनेमा जगत में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गयी और अपने दमदार अभिनय के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से नामांकित भी की गयी। सरगम की सफलता के बाद जयाप्रदा ने लोक परलोक, टक्कर, टैक्सी ड्राइवर और प्यारा तराना जैसी कई दोयम दर्जे की फिल्मों में काम किया लेकिन इनमें से कोई फिल्म टिकट खिड़की पर सफल नहीं हुयी।इस बीच जयाप्रदा ने दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम करना जारी रखा।

वर्ष 1982 में के. विश्वनाथ ने जयाप्रदा को अपनी फिल्म “कामचोर” के जरिये दूसरी बार हिंदी फिल्म इंडस्ट्री
में लांच किया।इस फिल्म की सफलता के बाद वह एक बार फिर से हिंदी फिल्मों में अपनी खोयी हुयी पहचान बनाने में कामयाब हो गयी और यह साबित कर दिया कि वह अब हिंदी बोलने में भी पूरी तरह सक्षम है ।

वर्ष 1984 में जयाप्रदा के सिने कैरियर की एक और सुपरहिट फिल्म “शराबी” प्रदर्शित हुयी।इस फिल्म में उन्हें सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अवसर मिला।फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुयी।इसमें उनपर फिल्मायागीत “दे दे प्यार दे” श्रोताओं के बीच उन दिनों क्रेज बन गया था ।

वर्ष 1985 में जयाप्रदा को एक बार फिर से के. विश्वनाथ की फिल्म “संजोग” में काम करने का अवसर मिला, जो उनके सिने कैरियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुयी।

इस फिल्म में जयाप्रदा ने एक ऐसी महिला का किरदार

निभाया, जो अपने बेटे की असमय मौत से अपना मानसिक संतुलन खो देती है।अपने इस किरदार को जयप्रदा ने सधे हुये अंदाज से निभाकर दर्शको का दिल जीत लिया।

हिंदी फिल्मों में सफल होने के बावजूद जयाप्रदा ने दक्षिण भारतीय सिनेमा से भी अपना सामंजस्य बिठाये रखा।

वर्ष 1986 में उन्होंने फिल्म निर्माता श्रीकांत नाहटा के साथ शादी कर ली।लेकिन फिल्मों में काम करना जारी रखा।इस दौरान उनकी घराना, ऐलाने जंग, मजबूर और शहजादे जैसी फिल्में प्रदर्शित हुयी जिनमें जया प्रदा के अभिनय के विविध रूप दर्शकों को देखने को मिले।

वर्ष 1992 में प्रदर्शित फिल्म “मां” जया प्रदा के सिने कैरियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है।इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसी मां के किरदार निभाया जो अपनी असमय मौत के बाद अपने बच्चे को दुश्मनों से बचाती है।
अपने इस किरदार को उन्होंने भावपूर्ण तरीके से निभाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

जयाप्रदा के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी जितेन्द्र और अमिताभ बच्चन के साथ काफी पसंद की गयी।जया प्रदा ने अपने तीन दशक लंबे सिने करियर में लगभग 200 फिल्मों में अभिनय किया है।

जयाप्रदा ने हिंदी फिल्मों के अलावा तेलुगू, तमिल, मराठी, बंग्ला, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया है।जया प्रदा इन दिनों राजनीति  के क्षेत्र में सक्रिय है।

जया प्रदा रामपुर लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रही हैं।

लोकसभा चुनाव में अमिताभ बच्चन हो या धर्मेन्द्र, राजेश खन्ना हो या रेखा, दिलीप कुमार या देवानन्द, कई सितारो ने राजनीति में भाग्य आजमाया और इस बार भी कईं सितारे मैदान में हैं attacknews.in

मुंबई 02 अप्रैल । लोकसभा के महासंग्राम में कई फिल्मी सितारे अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं।

लोकसभा चुनाव का शंखनाद होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने बॉलीवुड सितारों को चुनावी समर में उतारने का सिलसिला शुरू कर दिया है। विभिन्न राजनीतिक दल लोकसभा की जंग में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए फिल्मी सितारों को चुनावी समर में उतारने के लिए जी जान से जुट गए हैं। राजनीतिक पार्टियां बॉलीवुड सितारों को या तो उम्मीदवार के तौर पर उतार रही हैं या फिर उन्हें स्टार प्रचारक के तौर पर पेश कर रही है।

आम तौर पर माना जाता है कि फिल्मी कलाकार चुनावी सभाओं में केवल भीड़ जुटाने में सक्षम होते हैं लेकिन यह धारणा अब टूटने लगी है। फिल्मी सितारे भीड़ जुटाने के अलावा कुछ लोगों के लिए ‘रोल मॉडल’ भी होते हैं और जनता उनकी बातों का अनुसरण करती है। इसी को देखते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों ने सितारों को चुनावी समर में उतारा है ताकि उनकी जीत थोड़ी आसान हो जाए।

भाजपा के टिकट पर ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी , जया प्रदा ,केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो , केन्द्रीय मंत्री और अभिनेत्री स्मृति इरानी ,भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार रवि किशन और दिनेश लाल यादव निरूहुआ चुनावी अखाड़े में उतर रहे हैं। वहीं कांग्रेस के टिकट पर राज बब्बर ,रंगीला गर्ल उर्मिला मतोड़कर , तृणमूल कांग्रेस से बंगला और हिंदी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री मुनमुन सेन , शताब्दी राय , नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती लोकसभा के महासंग्राम में अपनी किस्मत आजमा रही है। लोक जनशकित पार्टी (लोजपा) की ओर से केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान के पुत्र और सिने अभिनेता चिराग पासवान एक बार फिर चुनावी दंगल में ताल ठोकते नजर आयेंगे। बॉलीवुड के शॉटगन शत्रुध्न सिन्हा एक बार फिर चुनावी समर में उतर रहे हैं। शत्रुध्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर पटनासाहिब सीट से संभावित उम्मीदवार हैं। जाने माने चरित्र अभिनेता प्रकाश राज भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी समर में अपनी सियासी पारी का आगाज कर रहे हैं।

हेमा मालिनी एक बार फिर मथुरा संसदीय सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर रही हैं। वर्ष 2014 में भी हेमा मालिनी ने मथुरा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। हेमा के सामने राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के जयंत चौधरी थे। ऐसे में कांटे की टक्कर मानी जा रही थी लेकिन ब्रजवासियों ने हेमा मालिनी को जमकर वोट दिए जिसके कारण हेमा मालिनी ने अपने प्रतिद्वंदी जयंत चौधरी को उनके गढ़ में तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराया।

जानी मानी अभिनेत्री जया प्रदा हाल ही में भाजपा में शामिल हुयी है। जया प्रदा रामपुर सीट से चुनाव लड़ने जा रही हैं। जया प्रदा का मुकाबला समाजवादी पार्टी (एसपी) के कद्दावर नेता आजम खान से होगा। जया प्रदा ने वर्ष 1994 में राजनीति में कदम रखा और पार्टी के संस्थापक एनटी रामाराव के निमंत्रण पर तेलुगु देशम पार्टी में शामिल हुईं। वर्ष 1995 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने चंद्रबाबू नायडू के साथ मतभेद के बाद, उन्होंने पार्टी छोड़ दी और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गयी। वर्ष 2004 में जयाप्रदा आम चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में रामपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गईं और 2009 में फिर से चुनी गईं। वर्ष 2014 में जया प्रदा ने राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर बिजनौर से चुनाव लड़ा था लेकिन इस बार वह जीत हासिल नही कर सकीं थी।

केन्द्रीय मंत्री और जाने माने पार्श्वगायक बाबुल सुप्रियो एक बार फिर आसनसोल संसदीय सीट से अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में बाबुल सुप्रियो ने तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी डोला सेन को पराजित किया था। इस बार के चुनाव में बाबुल सुप्रियो की टक्कर बांकुरा सीट से निवर्तमान सांसद और तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी मुनमुन सेन से होगी। भाजपा के टिकट पर केन्द्रीय मंत्री और छोटे पर्दे की मशहूर अभिनेत्री स्मृति इरानी एक बार फिर से अमेठी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने जा रही है जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से होगा। स्मृति इरानी ने पिछले आम चुनाव में भी अमेठी सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें राहुल गांधी से शिकस्त मिली थी।

भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार रविकिशन भाजपा के टिकट पर जौनपुर से सत्ता के संग्राम में उतर रहे हैं। रवि किशन ने पिछली बार जौनपुर से ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन विजयी नही हुए। भोजपुरी सिनेमा

के एक और सुपरस्टार निरहुआ हाल ही में भाजपा में शामिल हुये हैं और आजमगढ़ सीट से चुनावी समर में ताल ठोकते नजर आयेंगे। निरहुआ का मुकाबला उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रत्याशी अखिलेश यादव से होगा।

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता राज बब्बर ने रियल लाईफ के साथ-साथ रियल लाइफ में भी खूब राजनीति की है। राज बब्बर अबतक चार बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। राज बब्बर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत समाजवादी पार्टी (सपा) से की थी। हालांकि इन दिनों वह कांग्रेस में है और फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। राज बब्बर ने वर्ष 2014 में गाजियाबाद संसदीय सीट से चुनाव लडा था लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।

उर्मिला मतोड़कर हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुयी है। उर्मिला मतोंडकर उत्तर मुंबई सीट से चुनाव लड़ रही हैं। उर्मिला इस सीट से भाजपा के निवर्तमान सासंद गोपाल शेट्टी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी। टॉलीवुड अभिनेत्री नुसरत जहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर बसीरहाट संसदीय सीट जबकि शताब्दी राय वीरभुम और मिमी चक्रवर्ती जादवपुर से चुनाव लड़ रही हैं। प्रकाश राज लोकसभा चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगे। प्रकाश राज ने बेंगलुरु सेंट्रल संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा की है।

सिल्वर स्क्रीन पर तो बॉलीवुड सितारों ने कई बार राजनीति की है लेकिन असल जिंदगी में भी वह इससे अछूते नहीं है। बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में शामिल होकर जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। इनमें पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना, महानायक अमिताभ बच्चन, ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी, सुनील दत्त, हीमैन धर्मेन्द्र, शॉटगन शत्रुघन सिन्हा, विनोद खन्ना, राज बब्बर, जया प्रदा, मौसमी चटर्जी ,गोविन्दा आदि प्रमुख है।

लोकसभा के अलावा बॉलीवुड के कई सितारों ने राज्य सभा में भी उपस्थिति दर्ज करायी है। इनमें पृथ्वी राज कपूर, नरगिस दत्त, दिलीप कुमार, वैजयंती माला, लता मंगेशकर, मृणाल सेन, श्याम बेनेगल, शबाना आजमी, रेखा, जया बच्चन, जावेद अख्तर, दारा सिंह आदि शामिल हैं। बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना ने समाज सेवा के लिए राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 में कांग्रेस के टिकट पर न्यू दिल्ली की लोकसभा सीट से चुने गए। वहीं महानायक अमिताभ बच्चन भी राजनीति की चमक से अपने आप को दूर नहीं रख सके। अपने मित्र राजीव गांधी के आग्रह पर अमिताभ ने वर्ष 1984 में राजनीति में प्रवेश किया और इलाहाबाद से सांसद चुने गए। हालांकि राजनीति की डगर अमिताभ को ख़ास रास नहीं और केवल तीन वर्ष के बाद ही उन्होंने राजनीति से अलविदा कह दिया। अमिताभ इन दिनों सक्रिय राजनीति से बाहर हैं।

एंटी चरित्र को नया आयाम देने वाले सुनील दत्त भी राजनीति में उतरे। दत्त साहब ने वर्ष 1984 में मुम्बई उत्तर पश्चिम सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में प्रवेश किया था। इसके बाद उन्होंने इस सीट पर वर्ष 1989 और 1991 में भी अपना कब्ज़ा बरकरार रखा। सुनील दत्त ने वर्ष 1999 और वर्ष 2004 में भी लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।

बॉलीवुड के हीमैन धर्मेन्द्र भी रियल लाइफ में राजनीति से अछूते नहीं रहे। वर्ष 2004 में धर्मेन्द्र ने राजनीति में प्रवेश किया और आम चुनाव में बीकानेर संसदीय क्षेत्न से चुनाव लड़कर जीत हासिल की। बॉलीवुड के शॉटगन सिन्हा ने भी फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद समाज सेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर लोकसभा सभा सदस्य बने और स्वास्थ्य और जहाजरानी मंत्रालय का कार्यभार संभाला। वर्ष 2009 और वर्ष 2014 में शत्रुध्न सिन्हा भाजपा के टिकट पर पटना साहिब से सांसद चुने गए। इसी तरह बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता विनोद खन्ना भी 1997 में भाजपा में शामिल हुए और उन्होंने पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। वर्ष 2004 और वर्ष 2014 में एक बार फिर उन्होंने इसी सीट से जीत दर्ज की। गोविन्दा भी लोकसभा का प्रतिनिधत्व कर चुके हैं।

2014 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने जीत के लिए बॉलीवुड स्टार और सेलेब्रिटीज पर दांव खेला। अलग-अलग दल से कई सितारे सियासी मैदान में उतरे। सबने जीत के दावे किए, लेकिन चुनावी रणभूमि पार कर कुछ ही सूरमा संसद तक पहुंच सके। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर हेमा मालिनी, शत्रुध्न सिन्हा, विनोद खन्ना, परेश रावल, बाबुल सुप्रीयो, किरण खेर, मनोज तिवारी और स्मृति इरानी को उतारा था वहीं कांग्रेस भी इस चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी और राज बब्बर ,भोजपुरी फिल्मों के महानायक कुणाल सिंह,रवि किशन, नगमा को चुनावी दंगल में उतारा।

जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने प्रकाश झा, तृणमूल कांग्रेस ने मुनमुन सेन, लोजपा की ओर चिराग पासवान, आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से पूर्व मिस इंडिया और टीवी एकट्रेस गुल पनाग चुनावी समर में हिस्सा लिया। इसके अलावा जावेद जाफरी ,बप्पी लाहिड़ी ,राखी सावंत और महेश मांजरेकर ने भी चुनावी अखाड़े में किस्मत आजमायी थी। हेमा मालिनी ,शत्रुघ्न सिन्हा ,विनोद खन्ना, परेश रावल ,बाबुल सुप्रियो ,किरण खेर,मनोज तिवारी ,चिराग पासवान

और मुनमुन सेन को विजयश्री मिली जबकि अन्य को शिकस्त का सामना करना पड़ा था। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वर्ष 2019 के लोकसभा के महासंग्राम में कितारे सितारे संसद में चमक पाते हैं।

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पढें- कांग्रेस पार्टी का 55 पृष्ठ का घोषणापत्र (PDF): गरीबों को न्याय दिलाने के साथ किसानों के लिए अलग से बजट बनाया जाएगा, शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता attacknews.in

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PDF-कांग्रेस पार्टी गरीबों को न्याय दिलाने के साथ किसानों के लिए अलग से बजट बनाएगी , शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देंगी 

नयी दिल्ली, दो अप्रैल । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को पार्टी का घोषणा पत्र जारी करने के बाद कहा कि उनकी पार्टी की सरकार बनने के बाद गरीबों के लिए न्यूनतम आय योजना शुरू करने के साथ ही किसानों के लिए अलग बजट शुरू किया जाएगा।

गांधी ने कहा, ‘हम यह घोषणा पत्र जारी कर रहे हैं। जब हमने एक साल पहले इसे तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की तो हमने कहा कि इस घोषणापत्र में लोगों की आकांक्षाओं की झलक होनी चाहिए तथा सारे वादे सच्चे होने चाहिए। हम झूठ नहीं बोलना चाहते। प्रधानमंत्री रोज झूठ बोल रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘घोषणा पत्र में पांच प्रमुख विचार हैं। पहला विचार न्याय का है। प्रधानमंत्री ने 15 लाख रूपये का झूठा वादा किया। लेकिन हमने विचार किया कि कुल कितना पैसा लोगों के खाते में डाला जा सकता है। फिर हमने कहा कि गरीबी पर वार, 72 हजार । ‘

गांधी ने कहा, ‘ रोजगार का मुद्दा दूसरा बड़ा वादा है। 22 लाख सरकारी नौकरियां रिक्त हैं। इन रिक्तियों को एक साल में भरा जाएगा। ग्रामीण इलाकों में हर साल 10 लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा।’

उन्होंने कहा युवा कारोबार शुरू करेंगे तो तीन साल तक किसी अनुमति की जरूरत नहीं होगी। मनरेगा में कार्य दिवसों की संख्या को 100 दिन से बढ़कर 150 दिन करेंगे।

किसानों के लिए बड़े ऐलान करते हुए गांधी ने कहा, ‘किसानों के लिए अलग बजट होगा। किसान ईमानदार हैं । हमने निर्णय लिया है कि कर्ज अदायगी नहीं करने पर किसानों के खिलाफ फौजदारी अपराध का मामला दर्ज नहीं होगा, दीवानी अपराध का मामला होगा।’

उन्होंने कहा कि शिक्षा के लिए बजट का छह फीसदी ख़र्च किया जाएगा और गरीब से गरीब व्यक्ति को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित की जाएगी।

गांधी ने कहा कि कांग्रेस देश को जोड़ने का काम करेगी। आंतरिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी हमारा जोर होगा।

कांग्रेस अध्यक्ष  ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पिछले लोकसभा चुनाव में लोगों से झूठे वादे करने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि पार्टी के घोषणा पत्र में एक भी झूठा वादा नहीं किया गया है और यह पूरी तरह सच्चाई तथा लोगों की आकांक्षाओं पर आधारित है।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह , संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी , पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम और पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी की मौजूदगी में लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी का घोषणा पत्र ‘जन आवाज’ जारी करते हुए श्री गांधी ने कहा कि यह दस्तावेज बंद कमरे में बैठकर नहीं बल्कि देश के कोने-कोने में बैठे लाखों लोगों से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है।

उन्होंने कहा कि घोषणा पत्र समिति से साफ-साफ कह दिया गया था कि पार्टी ऐसा कोई वादा नहीं करेगी जिसे पूरा करना संभव नहीं है। इसीलिए केवल ऐसे वादे किये गये हैं जाे वास्तविक रूप से पूरे किये जा सकें।

उन्होंने कहा कि घोषणा पत्र में रोजगार, न्यूनतम आय योजना (न्याय), मनरेगा , किसान, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख मुद्दे शामिल हैं। देश के 20 प्रतिशत सबसे गरीब परिवारों को हर साल 72 हजार रूपये सीधे उनके खाते में देने की घोषणा करते हुए उन्होंने नारा दिया, “ गरीबी पर वार,72 हजार”। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रूपये डालने का झूठा वादा किया था लेकिन कांग्रेस पूरी तैयारी के साथ यह वादा कर रही है कि ‘न्याय’ के वादे को पूरा किया जायेगा।

कांग्रेस अध्यक्ष ने ऐलान किया कि किसानों के लिए अलग से बजट की व्यवस्था की जायेगी। इसके अलावा कर्ज नहीं लौटाने वाले किसानों पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जायेगा।

श्री गांधी ने कहा कि श्री मोदी ने हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था लेकिन कांग्रेस इस तरह का झूठा वादा नहीं कर रही है। कांग्रेस ने वास्तविकता का पता लगाया है और इसी आधार पर वह वादा कर रही है कि सरकारी क्षेत्र में 22 लाख खाली पदों को वर्ष 2020 तक भरा जायेगा। ग्राम पंचायतों में 10 लाख युवाओं को रोजगार दिया जायेगा।

उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने कांग्रेस सरकार की मनरेगा योजना की आलोचना की थी लेकिन कांग्रेस इस योजना को आगे बढाते हुए इसके तहत अब 100 के बजाय 150 दिन के रोजगार की गारंटी देगी।

शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत खर्च करने का भी कांग्रेस ने वादा किया है।

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इंदौर से सांसद सुमित्रा महाजन ने दावा किया कि, अपने जीवन में मैंने कभी भी भाजपा से टिकट नहीं मांगा, पार्टी ही आगे रहकर मुझे टिकट देती रही है attacknews.in

इंदौर, दो अप्रैल । मध्यप्रदेश के इंदौर क्षेत्र से भाजपा के टिकट की शीर्ष दावेदार मानी जा रहीं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंगलवार को दावा किया कि उन्होंने अपने तीन दशक लम्बे संसदीय जीवन में आज तक अपनी पार्टी से मांग नहीं की है कि उन्हें चुनावी प्रत्याशी बनाया जाये। लगातार आठ दफा लोकसभा में इंदौर की नुमाइंदगी करने वाली वरिष्ठ भाजपा नेता ने यह भी कहा कि अगर इस बार उनकी उम्मीदवारी के विकल्पों पर चर्चा की जा रही है, तो यह “स्वाभाविक प्रक्रिया” होने के साथ खुद उनके लिये “गौरव” की बात है क्योंकि इससे पता चलता है कि भाजपा में योग्य नेताओं की कमी नहीं है।

“ताई” (मराठी में बड़ी बहन का सम्बोधन) के नाम से मशहूर नेता ने यह बात ऐसे वक्त कही है, जब इंदौर सीट से भाजपा उम्मीदवार की घोषणा में देरी के चलते अटकलों के सियासी गलियारों में यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या लालकृष्ण आडवाणी (91) और मुरलीमनोहर जोशी (85) सरीखे वरिष्ठतम भाजपा नेताओं की तरह महाजन को भी इस बार चुनावी समर से विश्राम दिया जायेगा?

इसी महीने की 12 तारीख को उम्र के 76 साल पूरे करने जा रहीं महाजन ने यहां  कहा, “सबसे पहली बात तो यह है कि जब मैंने वर्ष 1989 में इंदौर से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था, तब भी मैंने पार्टी से टिकट नहीं मांगा था। पार्टी ने मुझे खुद टिकट दिया था। मैंने अपनी पार्टी से आज तक टिकट नहीं मांगा है।”

इंदौर से भाजपा उम्मीदवार की घोषणा में देरी के सबब को लेकर किये गये सवाल पर उन्होंने कहा, “इस प्रश्न का उत्तर तो भाजपा संगठन ही दे सकता है। हो सकता है कि उनके (भाजपा संगठन के नेताओं के) मन में कुछ बात हो। इस बारे में जब तक भाजपा संगठन कुछ नहीं बोलेगा, मैं भी कुछ नहीं कह सकती।”

उन्होंने कहा, “मैंने भाजपा संगठन के किसी भी नेता से बात नहीं की है कि इंदौर से पार्टी के उम्मीदवार की घोषणा क्यों रोकी गयी है? हमारी पार्टी में इस तरह के सवाल नहीं किये जाते, क्योंकि उम्मीदवार तय करना हमारे संगठन का काम है। इंदौर से उम्मीदवार चयन के मामले में भाजपा संगठन उचित समय पर उचित निर्णय करेगा।”

इंदौर सीट के उम्मीदवार के तौर पर उनके विकल्प के रूप में भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं के नाम सामने आये हैं। इस बारे में महाजन ने कहा, “यह (विकल्पों पर चर्चा) अच्छी बात है और स्वाभाविक प्रक्रिया भी है। (पार्टी में) बहुत सारे विकल्प होने चाहिये। इसी से पार्टी मजबूत मानी जाती है और यह भी पता चलता है कि पार्टी में इतने योग्य कार्यकर्ता हैं कि इनमें से किसी को भी टिकट दे दिया जाये, तो वह चुनाव जीत जायेगा।”

उन्होंने कहा, “अगर इंदौर में मेरे विकल्पों की चर्चा की जा रही है, तो यह मेरे लिये गौरव की बात है क्योंकि मैं भी पार्टी की एक घटक हूं।”

बहरहाल, अपना टिकट कटने की अटकलों से बेपरवाह महाजन ने स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं की मार्गदर्शक के तौर पर चुनावी मैदान पकड़ लिया है। वह लोकसभा चुनावों की तैयारियों के मद्देनजर भाजपा के अभियान के तहत शहर भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठकें ले रही हैं।

वर्ष 1982 में इंदौर नगर निगम के चुनावों में पार्षद पद की उम्मीदवारी से अपने चुनावी करियर की कामयाब शुरूआत करने वाली भाजपा नेता ने कहा, “चुनाव एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरी पार्टी लड़ती है। व्यक्ति (उम्मीदवार) तो सहायक की भूमिका में रहता है। अभी हमारे मन में एक ही लक्ष्य है कि लोकसभा चुनाव जीतकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर बहुमत वाली सरकार बनानी है।”

महाजन के अलावा, इंदौर लोकसभा सीट से भाजपा के चुनावी टिकट के दावेदारों के रूप में शहर की महापौर तथा पार्टी की स्थानीय विधायक मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़, भाजपा की अन्य विधायक ऊषा ठाकुर, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत और इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन शंकर लालवानी के नाम चर्चा में हैं।

इंदौर में लोकसभा चुनाव के लिए 19 मई को मतदान होना है।

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सन् 1991का 10वां लोकसभा चुनाव: राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू, राजीव गांधी की हत्या के बाद केंद्र में नरसिंहा राव के नेतृत्व में बनी पहली अल्पमत की सरकार attacknews.in

नयी दिल्ली 02 अपैल । पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आतंकवादी हमले में हत्या से रक्तरंजित 1991 के चुनाव में भी किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी कांग्रेस ने केंद्र में पहली बार अल्पमत सरकार बनी जिसने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था।

इससे दो वर्ष पहले हुये चुनाव से राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरु हो चुका था। इस चुनाव के बाद श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने साझा सरकार बनायी थी जिसके बीच में ही गिर जाने पर श्री चन्द्रशेखर कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने लेकिन उनकी सरकार कुछ ही महीनों चल पायी। थे । चुनाव प्रचार के दौरान ही लिट्टे उग्रवादियों नेे कांग्रेस नेता राजीव गांधी की हत्या कर दी थी । चुनाव में कांग्रेस को 232 सीटें मिली थी और वह सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। गांधी परिवार मे उस दौरान कोई नेतृत्व करने की स्थिति में नहीं था जिसके कारण पार्टी के अनुभवी नेता पी वी नरसिंह राव को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुना गया और उन्होंने देश की बागडोर संभाली।

श्री राव के नेतृत्व में देश की अर्थ व्यवस्था के उदारीकरण का दौर शुरु हुआ । इस सरकार के कार्यकाल दौरान ही अध्योध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना हुयी थी । इस चुनाव में भाजपा काे 120 सीटें मिली थी जबकि जनता दल 59 सीट जीत कर संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी । इस चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी तथा जनता दल नेता शरद यादव ने दो दो सीटों पर चुनाव लड़ा था। श्री वाजपेयी और श्री आडवाणाी दाेनों सीटो से जीतने में कामयाब रहे थे जबकि श्री यादव एक सीट से चुनाव हार गये थे।

नौ राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस , कांग्रेस (एस) , भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) , जनता दल , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा) , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), जनता दल (समाजवादी) , जनता पार्टी और लोकदल ने यह चुनाव लड़ा था। राज्यस्तीय दल का मान्यता प्राप्त कुल 27 दल चुनाव में उतरे जिनमें अन्नाद्रमुक , द्रमुक , बहुजन समाज पार्टी , झारखंड मुक्ति मोर्चा , तेलगू देशम पार्टी (तेदेपा) , शिवसेना , अकाली दल ,फारवर्ड ब्लाक , असम गण परिषद , पैंथर्स पार्टी , महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी , केरल कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट प्रमुख थे । निबंधित पार्टियों में कुल 108 दल शामिल थे जिनमें इंडियन पीपुल्स फ्रंट प्रमुख था।

इस चुनाव में 521 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव हुये थे जिनमें 407 सामान्य श्रेणी की तथा 76 अनुसूचित जाति और 41 अनुसूचित जनजाति के लिये सुरक्षित थी । देश के 49 करोड़ 83 लाख से अधिक मतदाताओं में से 56.73 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था । कुल 8668 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था और दिल्ली की एक सीट पर अधिकतम 105 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था । कांग्रेस ने सबसे अधिक 487 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे जबकि भाजपा ने 468 , जनता दल ने 308 , जनता पार्टी ने 349 , कांग्रेस (एस) ने 28 , भाकपा ने 42 , माकपा ने 60 , लोकदल ने 78 , जनता दल (एस) ने दो सीटों पर प्रत्याशियों को उतारा था । राष्ट्रीय पार्टियों ने 1822 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया तथा उन्हें कुल 80.65 प्रतिशत वोट मिले थे और 466 उम्मीदवार चुनाव जीते थे । राज्य स्तरीय पार्टियों के 490 प्रत्याशियों में से 50 निर्वाचित हुये थे जबकि निबंधित पार्टियों के 842 उम्मीदवारों में से चार विजयी हुये थे । कुल 5514 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने दमखम पर चुनाव लड़ा था जिनमें से केवल एक ही चुनाव जीत सका। इस चुनाव में दो बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार में कांग्रेस को मुंंह की खानी पड़ी थी। उसे उत्तर प्रदेश में पांच और बिहार में एक सीट मिली थी जबकि उसे महाराष्ट्र में 38 , तमिलनाडु में 28 , आन्घ्र प्रदेश में 25 , कर्नाटक में 23 , मध्य प्रदेश में 27 , राजस्थान में 13 , हरियाणा में नौ , केरल में 13 ,अरुणाचल में दो , असम में आठ , गोवा में दो , गुजरात में पांच , हिमाचल प्रदेश में दो , उड़िसा में 13 ,मणिपुर में एक , मेघालय में दो , मिजोरम में एक , त्रिपुरा में दो , पश्चिम बंगाल में पांच , अंडमान निकोबार , चंडीगढ , लक्ष्यद्वीप , दादर नागर हवेली और पांडीचेरी में एक एक सीट मिली थी। भाजपा को उत्तर प्रदेश में 51 , बिहार में पांच , मध्य प्रदेश में 12 , राजस्थान में 12 , गुजरात में 20 , आन्ध्र प्रदेश में एक , असम में दो , हिमाचल प्रदेश में दो , कर्नाटक में चार , महाराष्ट्र में पांच , दिल्ली में पांच और दमनदीव में एक सीट मिली थी । जनता दल को बिहार में 31 , उत्तर प्रदेश में 22 , और ओडिशा में छह सीटें मिली थी । भाकपा को बिहार में आठ , पश्चिम बंगाल में तीन , उत्तर प्रदेश ,ओडिशा और आन्ध्र प्रदेश में एक – एक सीट मिली थी । माकपा ने पश्चिम बंगाल में अपने जनाधार का विस्तार कर लिया था और उसने पश्चिम बंगाल में ही 27 सीटें जीत ली थी । उसे केरल में तीन , बिहार , महाराष्ट्र , ओडिशा , असम और आन्ध्र प्रदेश में एक – एक सीट मिली थी । तेदेपा को आन्ध्र प्रदेश में 13 तथा अन्नाद्रमुक को तमिलनाडु में 11 सीटें मिली थी । बसपा ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में एक – एक सीट जीत ली थी । फारवर्ड ब्लाक को पश्चिम बंगाल में तीन और झारखंड मुक्ति मोर्चा को बिहार में छह सीटें मिली थी । जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में चार तथा कर्नाटक में एक सीट मिली थी आरएसपी को पश्चिम बंगाल में चार शिवसेना को महाराष्ट्र में चार तथा कुछ अन्य पार्टियों को भी छिटपुट रुप से सफलता मिली थी । एक मात्र निर्दलीय उम्मीदवार असम में जीते थे। इस चुनाव में श्री वाजपेयी उत्तर प्रदेश में लखनऊ तथा मध्य प्रदेश में विदिशा से चुनाव जीते थे । श्री वाजपेयी ने लखनऊ में कांग्रेस प्रत्याशी रणजीत सिंह एक लाख से भी अधिक मतों तथा विदिशा में कांग्रेस के भानु प्रताप शर्मा को भी एक लाख से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया था । श्री आडवाणी ने नयी दिल्ली में कांग्रेस के राजेश खन्ना से मामूली अंतर से जीत हासिल की थी जबकि गांधीनगर में कांग्रेस के जी आई पटेल को भारी मतों से हराया था । दो स्थानों से चुनाव लड़े जनता दल के श्री शरद यादव बदायूं में चुनाव हार गये थे जबकि मधेपुरा से निर्वाचित हुये थें । बदायूं में भाजपा के चिनमयानंद ने शरद यादव को पराजित किया था । मधेपुरा में शरद यादव को चार लाख 47 हजार से अधिक वोट आया था और उन्होंने जनता पार्टी के उम्मीदवार आनंद मोहन भारी मतों से पराजित किया था । बसपा नेता मायावती बिजनौर में चुनाव हार गयी थी जबकि कांशीराम चुनाव जीत गये थे । सुश्री मायावती को भाजपा के मंगलराम प्रेमी ने हराया था । श्री प्रेमी को 247465 वोट मिले थे जबकि बसपा नेता 159731 वोट मले थे । इटावा में कांशीराम ने भाजपा के लाल सिंह वर्मा को हराया था । श्री कांशी राम को 144290 तथा श्री वर्मा के 121824 वोट मिले थे।

वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर घाटमपुर (सु) सीट से चुनावी किस्मत आजमायी थी और वह जनता दल के केसरी लाल से चुनाव हार गये थे । केसरी लाल को 139560 और श्री कोविंद को 95913 मत मिले थे । जनता दल के उम्मीदवार विश्वनाथ प्रताप सिंह फतेहपुर सीट पर भाजपा के विजय सचन से चुनाव जीत गये थे । श्री सिंह को 191518 तथा श्री सचन को 54909मत मिले थे।

तत्कालीन प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर अपनी बलिया सीट पर जनता पार्टी के टिकट पर जीत गये थे । जनता पार्टी की टिकट पर पीलीभीत से चुनाव मैदान में उतरी मेनका गांधी को हार का सामना करना पड़ा था। बिहार में रोसड़ा सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े राम विलास पासवान ने कांग्रेस के अशोक कुमार को पराजित कर दिया था । श्री पासवान को 373710 और श्री कुमार को 113226 वोट मिले थे । श्री पासवान की सीट हाजीपुर में इस चुनाव में जनता दल के टिकट पर राम सुन्दर दास ने जनता पार्टी के उम्मीदवार दसईं चौधरी को हराया था ।श्री दास को 489105 और श्री चौधरी को 121353 वोट मिले थे। जनता दल के उम्मीदवार जार्ज फर्नांडीस ने मुजफ्फरपुर सीट पर कांग्रेस के रधुनाथ पांडे को पराजित किया था । भाकपा नेता कमला मिश्र मधुकर मोतिहारी में और इसी पार्टी के नेता भोगेन्द्र झा मधुबनी लोकसभा क्षेत्र में निर्वाचित हुये थे । बेगूसराय में कांग्रेस नेता कृष्णा शाही जीती थी।

पश्चिम बंगाल में कलकत्ता दक्षिण सीट पर कांग्रेस की टिकट पर ममता बनर्जी ने माकपा के विप्लव दास गुप्ता को पराजित किया था । माकपा के दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी बोलपुर में तथा माकपा नेता इन्द्रजीत गुप्ता मिदनापुर में निर्वाचित हुये थे । राजस्थान के झालावाड़ में भाजपा की वसुन्धरा राजे और खजुराहो में इसी पार्टी फायर ब्रांड नेता उमा भारती निर्वाचित हुयी थी । श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कांग्रेस के मानसिंह को हराया था । श्रीमती वसुन्धरा राजे को 245956 तथा मानसिंह को 154796 वोट मिले थे । सुश्री उमा भारती ने कांग्रेस के राम रतन को पराजित किया था । भाजपा नेता को 251714 और राम रतन को 186731 वोट मिले थे।

कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने जोधपुर में भाजपा नेता राम नारायण बिश्नोई को हराया था । श्री गहलोत को 275900 तथा श्री बिश्नोई को 226332 मत मिले थे । इंदौर में भाजपा की सुमित्रा महाजन ने 303269 वोट लाकर कांग्रेस के ललित जैन को पराजित किया था । श्री जैन को 222675 वोट मिले थे । महाराष्ट्र के अमरावती सीट पर कांग्रेस की टिकट पर प्रतिभा पाटिल ने शिवसेना के प्रकाश पाटिल को हराया था । श्रीमती पाटिल को 177265 और प्रकाश पाटिल को 121784 वोट मिले थे । बाम्बे उत्तर पूर्व सीट पर कांग्रेस के गुरुदास कामत ने भाजपा के जयवंती मेहता को हराया था।

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दारूल उलूम देवबंद ने सत्ता की नब्ज़ भांपी और राजनीतिक दलों से दूरी बनाकर चुनावी फतवे जारी नहीं करने और समर्थन भी नहीं देने का निर्णय लिया attacknews.in

सहारनपुर, 01 अप्रैल । सत्रहवीं लोकसभा के लिये होने जा रहे चुनाव में देश और दुनिया के मुसलमानों के प्रेरणा के सबसे बड़े केंद्र देवबंदी विचारधारा की इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने किसी भी दल के पक्ष में फतवा जारी न करने का फैसला किया है।

दारुल उलूम के चांसलर मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने सोमवार को यहां कहा कि संस्था न कोई फतवा जारी करेगा और न ही राजनीतिक दलों के नेताओं को समर्थन या आशीर्वाद देगा। इससे पहले यहाँ से कांग्रेस पार्टी के समर्थन में फतवे जारी किए हैं । इन फतवे जारी करने के बारे मे दारूल उलूम के श्री जावेद कहते हैं कि स्योहारा बिजनौर निवासी मौलाना हिफ्जुर्रहमान दारुल उलूम की प्रबंध समिति के सदस्य के साथ-साथ जमीयत उलमाए हिंद के राष्ट्रीय महासचिव भी थे। दारुल उलूम के सदर मुदर्रिस (शिक्षा विभाग के अध्यक्ष) शेखुल हदीस मौलाना हुसैन अहमद मदनी जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। कारी तैयब जी ने दोनों शख्सियतों के परामर्श से कांग्रेस के समर्थन में चुनावी अपील जारी की थी।

30 साल तक दारुल उलूम के मोहतमिम रहे मौलाना मरगुबूर्रहमान के समय राहुल गांधी, मुलायम सिंह यादव, अमर सिंह, सलमान खुर्शीद, नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे बड़े नेता दारुल उलूम आते जरूर रहे लेकिन संस्था ने हमेशा सियायत से खुद को दूर ही रखा।

पिछले चुनावों में यह देखने में आया कि समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व देने के नाम पर कई सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए। जिनके बीच मुस्लिम वोटों का बंटवारा होने का लाभ भा को मिला। इस आम चुनाव में सपा-बसपा और रालोद ने गठबंधन तो किया ही है साथ ही उन्होंने यह भी ध्यान रखा कि अबकी मुस्लिम उम्मीदवारों के सामने मुस्लिम उम्मीदवार न खड़े किए जाएं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सहारनपुर और मुरादाबाद ऐसी सीटें हैं जहां गठबंधन और कांग्रेस के उम्मीदवार मुस्लिम हैं।

सहारनपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिम आबादी 39.50 फीसदी है वहां सपा, रालोद के समर्थन से बसपा उम्मीदवार फजलुर्रहमान और कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद के बीच मुस्लिमों मतों का विभाजन होता दिख रहा है। इससे भाजपा प्रत्याशी राघव लखनपाल शर्मा को फायदा हो सकता है।

भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद मई 2018 में हुए कैराना लोकसभा के चुनाव में संयुक्त विपक्षी रालोद उम्मीदवार को 4,81,181 वोट मिले थे। जो कुल पड़े वोटों का 51.26 प्रतिशत था। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी और स्व. सिंह की बेटी मृगांका को 44618 वोटों के अन्तर से पराजित किया था। उप चुनाव में 58.20 फीसदी यानि 9,38,742 वोट पड़े थे जबकि 2014 के आम चुनाव में मतदान 73.08 प्रतिशत हुआ था। तब 11,19032 वोट पड़े थे।

इस बार पहले चरण में 11 अप्रैल को होने वाले आठ सीटों के मतदान में 42 फीसदी मुस्लिम आबादी की बिजनौर सीट पर कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवार नसीमुद्दीन सिद्दिकी को उतारा है। वहां गठबंधन के बसपा उम्मीदवार मलूक नागर गूर्जर बिरादरी के हैं। इस सीट पर भी अकेला मुस्लिम उम्मीदवार है। अमरोहा जहां 39 फीसदी मुस्लिम आबादी हैं, वहां कांग्रेस ने बसपा के घोषित मुस्लिम उम्मीदवार कुंवर दानिश अली के सामने अपने घोषित मुस्लिम उम्मीदवार राशिद अलवी को हटाकर जाट बिरादरी के सचिन चौधरी को उतारा है। इस सीट पर भाजपा के गुर्जर बिरादरी के नेता और मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर फिर से उम्मीदवार हैं

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मुलायम सिंह यादव के नामांकन से पहले मैनपुरी- इटावा रोड पर जिन्दा ग्रेनेड मिलने से हड़कंप, सभा को संबोधित किये बिना ही चले गए attacknews.in

मैनपुरी, 01 अप्रैल । समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को मैनपुरी संसदीय सीट से नामांकन भरा। इस दौरान उनके साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव मौजूद थे। श्री यादव इस सीट पर पांचवीं बार जीत हासिल करने के लिये चुनाव लड़ रहे हैं।

श्री यादव के नामांकन दाखिल करने के समय उनके भाई और प्रजातांत्रिक समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव मौजूद नहीं थे। यह पहला मौका है जब श्री मुलायम सिंह यादव के नामांकन के समय उनके छोटे भाई शिवपाल साथ में नहीं दिखे। सुबह प्रसपा अध्यक्ष ने श्री यादव के आवास पर जाकर अपने बड़े भाई से मुलाकात की थी।

सपा संरक्षक का नामांकन कराने के लिये सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समाजवादी रथ से उन्हें लेकर मैनपुरी कलेक्ट्रेट पहुंचे। वहां कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया।

नामांकन के बाद संवाददाताओं से बात करते हुये श्री यादव ने क्षेत्र की जनता को धन्यवाद दिया। इस दौरान शिवपाल सिंह के बारे में पूछे गये सवाल पर उन्होंने हाथ जोड़ लिये और कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

सपा संरक्षक ने 2014 के लोकसभा चुनाव में साढ़े तीन लाख मतों के अंतर से मैनपुरी सीट जीती थी। वह आजमगढ़ सीट से भी जीते थे और मैनपुरी सीट छोड़ने के बाद हुये उप चुनाव में श्री यादव के पौत्र तेजप्रताप सांसद चुने गये थे।

वहीं, श्री यादव के नामांकन से पहले जिले के दन्नाहार थाना क्षेत्र के झंडाहार गांव के पास एक ग्रेनेड मिलने से हड़कंप भी मचा। ग्रेनेड उस वक्त मिला जब उनका काफिला मैनपुरी-इटावा मार्ग से आ रहा था। ग्रेनेड मिलने के बाद इलाके में सुरक्षा को और कड़ा कर दिया गया।

समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव सोमवार को मैनपुरी संसदीय सीट से नामांकन दाखिल करने के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं के सामने नहीं आये। उनके बेटे और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।

श्री यादव ने पार्टी कार्यालय पर मौजूद कार्यकर्ताओं से कहा कि नेताजी (मुलायम) आज मंच पर नहीं आये हैं लेकिन 19 अप्रैल को सपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की संयुक्त रैली में वह आपके बीच आयेंगे। उन्होंने कहा कि इस बार भी आजमगढ़ की जनता नेताजी को बुला रही थी लेकिन उन्होंने कहा कि मैनपुरी उनका घर है और वह अपने घर से ही चुनाव लड़ेंगे।

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कमलनाथ का शिवराज सिंह चौहान को पलटवार: किसानों की ॠण माफी पर सहयोग करते नहीं हो और झूठ बोलते हो attacknews.in

भोपाल, 01 अप्रैल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान के आरोपों पर आज पलटवार करते हुए कहा कि इस पार्टी के नेता किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर लगातार असत्य बोलकर भ्रम की स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री कमलनाथ ने उनके समन्वयक नरेंद्र सलूजा की आेर से जारी विज्ञप्ति में कहा कि श्री चौहान ने आज दिल्ली में पत्रकार वार्ता में फिर से असत्य बोला है। इस कार्य में भाजपा नेताओं को महारत हासिल है।

उन्होंने कहा कि भाजपा को तो कांग्रेस सरकार के किसानों के ऋण माफी वाले फैसले पर बड़ा हृदय दिखाते हुए राजनीति के बगैर सरकार की प्रशंसा करना चाहिए, लेकिन उसके नेता लगातार किसानों की ऋणमाफी के मुद्दे पर झूठ परोसकर किसानों को गुमराह करने के एजेंडे पर कार्य कर रहे हैं।

श्री कमलनाथ ने कहा कि श्री चौहान राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा 23 लाख 48 हजार से अधिक कर्जमाफी वाले किसानों की सूची का अध्ययन कर लेते तो, उन्हें दिल्ली जाकर झूठ परोसने की जरूरत नहीं पड़ती।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य के मंदसौर जिले में छह जून 2018 को पार्टी की सरकार बनने पर दस दिनों के अंदर किसानों के दो लाख रूपए तक के कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। इसी के अनुरूप उन्होंने सत्रह दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री की शपथ लेने के एक घंटे के अंदर ही किसानों के ऋण माफी के आदेश पर दस्तखत किए थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बाद हमने ऋण माफी की प्रक्रिया प्रारंभ की और 22 फरवरी से किसानों को ऋण माफी संबंधी प्रमाणपत्र बांटने शुरू किए। इसके तहत नौ मार्च तक 23 लाख 48 हजार से अधिक किसानों के कर्ज माफ किए जा चुके हैं। शेष किसानों के कर्ज आदर्श आचार संहिता समाप्त हो जाने के बाद दे दिए जाएंगे ।

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