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दारूल उलूम देवबंद ने सत्ता की नब्ज़ भांपी और राजनीतिक दलों से दूरी बनाकर चुनावी फतवे जारी नहीं करने और समर्थन भी नहीं देने का निर्णय लिया attacknews.in

सहारनपुर, 01 अप्रैल । सत्रहवीं लोकसभा के लिये होने जा रहे चुनाव में देश और दुनिया के मुसलमानों के प्रेरणा के सबसे बड़े केंद्र देवबंदी विचारधारा की इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने किसी भी दल के पक्ष में फतवा जारी न करने का फैसला किया है।

दारुल उलूम के चांसलर मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने सोमवार को यहां कहा कि संस्था न कोई फतवा जारी करेगा और न ही राजनीतिक दलों के नेताओं को समर्थन या आशीर्वाद देगा। इससे पहले यहाँ से कांग्रेस पार्टी के समर्थन में फतवे जारी किए हैं । इन फतवे जारी करने के बारे मे दारूल उलूम के श्री जावेद कहते हैं कि स्योहारा बिजनौर निवासी मौलाना हिफ्जुर्रहमान दारुल उलूम की प्रबंध समिति के सदस्य के साथ-साथ जमीयत उलमाए हिंद के राष्ट्रीय महासचिव भी थे। दारुल उलूम के सदर मुदर्रिस (शिक्षा विभाग के अध्यक्ष) शेखुल हदीस मौलाना हुसैन अहमद मदनी जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। कारी तैयब जी ने दोनों शख्सियतों के परामर्श से कांग्रेस के समर्थन में चुनावी अपील जारी की थी।

30 साल तक दारुल उलूम के मोहतमिम रहे मौलाना मरगुबूर्रहमान के समय राहुल गांधी, मुलायम सिंह यादव, अमर सिंह, सलमान खुर्शीद, नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे बड़े नेता दारुल उलूम आते जरूर रहे लेकिन संस्था ने हमेशा सियायत से खुद को दूर ही रखा।

पिछले चुनावों में यह देखने में आया कि समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व देने के नाम पर कई सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए। जिनके बीच मुस्लिम वोटों का बंटवारा होने का लाभ भा को मिला। इस आम चुनाव में सपा-बसपा और रालोद ने गठबंधन तो किया ही है साथ ही उन्होंने यह भी ध्यान रखा कि अबकी मुस्लिम उम्मीदवारों के सामने मुस्लिम उम्मीदवार न खड़े किए जाएं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सहारनपुर और मुरादाबाद ऐसी सीटें हैं जहां गठबंधन और कांग्रेस के उम्मीदवार मुस्लिम हैं।

सहारनपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिम आबादी 39.50 फीसदी है वहां सपा, रालोद के समर्थन से बसपा उम्मीदवार फजलुर्रहमान और कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद के बीच मुस्लिमों मतों का विभाजन होता दिख रहा है। इससे भाजपा प्रत्याशी राघव लखनपाल शर्मा को फायदा हो सकता है।

भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद मई 2018 में हुए कैराना लोकसभा के चुनाव में संयुक्त विपक्षी रालोद उम्मीदवार को 4,81,181 वोट मिले थे। जो कुल पड़े वोटों का 51.26 प्रतिशत था। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी और स्व. सिंह की बेटी मृगांका को 44618 वोटों के अन्तर से पराजित किया था। उप चुनाव में 58.20 फीसदी यानि 9,38,742 वोट पड़े थे जबकि 2014 के आम चुनाव में मतदान 73.08 प्रतिशत हुआ था। तब 11,19032 वोट पड़े थे।

इस बार पहले चरण में 11 अप्रैल को होने वाले आठ सीटों के मतदान में 42 फीसदी मुस्लिम आबादी की बिजनौर सीट पर कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवार नसीमुद्दीन सिद्दिकी को उतारा है। वहां गठबंधन के बसपा उम्मीदवार मलूक नागर गूर्जर बिरादरी के हैं। इस सीट पर भी अकेला मुस्लिम उम्मीदवार है। अमरोहा जहां 39 फीसदी मुस्लिम आबादी हैं, वहां कांग्रेस ने बसपा के घोषित मुस्लिम उम्मीदवार कुंवर दानिश अली के सामने अपने घोषित मुस्लिम उम्मीदवार राशिद अलवी को हटाकर जाट बिरादरी के सचिन चौधरी को उतारा है। इस सीट पर भाजपा के गुर्जर बिरादरी के नेता और मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर फिर से उम्मीदवार हैं

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