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सन् 1991का 10वां लोकसभा चुनाव: राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू, राजीव गांधी की हत्या के बाद केंद्र में नरसिंहा राव के नेतृत्व में बनी पहली अल्पमत की सरकार attacknews.in

नयी दिल्ली 02 अपैल । पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आतंकवादी हमले में हत्या से रक्तरंजित 1991 के चुनाव में भी किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी कांग्रेस ने केंद्र में पहली बार अल्पमत सरकार बनी जिसने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था।

इससे दो वर्ष पहले हुये चुनाव से राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरु हो चुका था। इस चुनाव के बाद श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने साझा सरकार बनायी थी जिसके बीच में ही गिर जाने पर श्री चन्द्रशेखर कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने लेकिन उनकी सरकार कुछ ही महीनों चल पायी। थे । चुनाव प्रचार के दौरान ही लिट्टे उग्रवादियों नेे कांग्रेस नेता राजीव गांधी की हत्या कर दी थी । चुनाव में कांग्रेस को 232 सीटें मिली थी और वह सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। गांधी परिवार मे उस दौरान कोई नेतृत्व करने की स्थिति में नहीं था जिसके कारण पार्टी के अनुभवी नेता पी वी नरसिंह राव को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुना गया और उन्होंने देश की बागडोर संभाली।

श्री राव के नेतृत्व में देश की अर्थ व्यवस्था के उदारीकरण का दौर शुरु हुआ । इस सरकार के कार्यकाल दौरान ही अध्योध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना हुयी थी । इस चुनाव में भाजपा काे 120 सीटें मिली थी जबकि जनता दल 59 सीट जीत कर संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी । इस चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी तथा जनता दल नेता शरद यादव ने दो दो सीटों पर चुनाव लड़ा था। श्री वाजपेयी और श्री आडवाणाी दाेनों सीटो से जीतने में कामयाब रहे थे जबकि श्री यादव एक सीट से चुनाव हार गये थे।

नौ राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस , कांग्रेस (एस) , भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) , जनता दल , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा) , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), जनता दल (समाजवादी) , जनता पार्टी और लोकदल ने यह चुनाव लड़ा था। राज्यस्तीय दल का मान्यता प्राप्त कुल 27 दल चुनाव में उतरे जिनमें अन्नाद्रमुक , द्रमुक , बहुजन समाज पार्टी , झारखंड मुक्ति मोर्चा , तेलगू देशम पार्टी (तेदेपा) , शिवसेना , अकाली दल ,फारवर्ड ब्लाक , असम गण परिषद , पैंथर्स पार्टी , महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी , केरल कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट प्रमुख थे । निबंधित पार्टियों में कुल 108 दल शामिल थे जिनमें इंडियन पीपुल्स फ्रंट प्रमुख था।

इस चुनाव में 521 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव हुये थे जिनमें 407 सामान्य श्रेणी की तथा 76 अनुसूचित जाति और 41 अनुसूचित जनजाति के लिये सुरक्षित थी । देश के 49 करोड़ 83 लाख से अधिक मतदाताओं में से 56.73 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था । कुल 8668 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था और दिल्ली की एक सीट पर अधिकतम 105 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था । कांग्रेस ने सबसे अधिक 487 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे जबकि भाजपा ने 468 , जनता दल ने 308 , जनता पार्टी ने 349 , कांग्रेस (एस) ने 28 , भाकपा ने 42 , माकपा ने 60 , लोकदल ने 78 , जनता दल (एस) ने दो सीटों पर प्रत्याशियों को उतारा था । राष्ट्रीय पार्टियों ने 1822 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया तथा उन्हें कुल 80.65 प्रतिशत वोट मिले थे और 466 उम्मीदवार चुनाव जीते थे । राज्य स्तरीय पार्टियों के 490 प्रत्याशियों में से 50 निर्वाचित हुये थे जबकि निबंधित पार्टियों के 842 उम्मीदवारों में से चार विजयी हुये थे । कुल 5514 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने दमखम पर चुनाव लड़ा था जिनमें से केवल एक ही चुनाव जीत सका। इस चुनाव में दो बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार में कांग्रेस को मुंंह की खानी पड़ी थी। उसे उत्तर प्रदेश में पांच और बिहार में एक सीट मिली थी जबकि उसे महाराष्ट्र में 38 , तमिलनाडु में 28 , आन्घ्र प्रदेश में 25 , कर्नाटक में 23 , मध्य प्रदेश में 27 , राजस्थान में 13 , हरियाणा में नौ , केरल में 13 ,अरुणाचल में दो , असम में आठ , गोवा में दो , गुजरात में पांच , हिमाचल प्रदेश में दो , उड़िसा में 13 ,मणिपुर में एक , मेघालय में दो , मिजोरम में एक , त्रिपुरा में दो , पश्चिम बंगाल में पांच , अंडमान निकोबार , चंडीगढ , लक्ष्यद्वीप , दादर नागर हवेली और पांडीचेरी में एक एक सीट मिली थी। भाजपा को उत्तर प्रदेश में 51 , बिहार में पांच , मध्य प्रदेश में 12 , राजस्थान में 12 , गुजरात में 20 , आन्ध्र प्रदेश में एक , असम में दो , हिमाचल प्रदेश में दो , कर्नाटक में चार , महाराष्ट्र में पांच , दिल्ली में पांच और दमनदीव में एक सीट मिली थी । जनता दल को बिहार में 31 , उत्तर प्रदेश में 22 , और ओडिशा में छह सीटें मिली थी । भाकपा को बिहार में आठ , पश्चिम बंगाल में तीन , उत्तर प्रदेश ,ओडिशा और आन्ध्र प्रदेश में एक – एक सीट मिली थी । माकपा ने पश्चिम बंगाल में अपने जनाधार का विस्तार कर लिया था और उसने पश्चिम बंगाल में ही 27 सीटें जीत ली थी । उसे केरल में तीन , बिहार , महाराष्ट्र , ओडिशा , असम और आन्ध्र प्रदेश में एक – एक सीट मिली थी । तेदेपा को आन्ध्र प्रदेश में 13 तथा अन्नाद्रमुक को तमिलनाडु में 11 सीटें मिली थी । बसपा ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में एक – एक सीट जीत ली थी । फारवर्ड ब्लाक को पश्चिम बंगाल में तीन और झारखंड मुक्ति मोर्चा को बिहार में छह सीटें मिली थी । जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में चार तथा कर्नाटक में एक सीट मिली थी आरएसपी को पश्चिम बंगाल में चार शिवसेना को महाराष्ट्र में चार तथा कुछ अन्य पार्टियों को भी छिटपुट रुप से सफलता मिली थी । एक मात्र निर्दलीय उम्मीदवार असम में जीते थे। इस चुनाव में श्री वाजपेयी उत्तर प्रदेश में लखनऊ तथा मध्य प्रदेश में विदिशा से चुनाव जीते थे । श्री वाजपेयी ने लखनऊ में कांग्रेस प्रत्याशी रणजीत सिंह एक लाख से भी अधिक मतों तथा विदिशा में कांग्रेस के भानु प्रताप शर्मा को भी एक लाख से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया था । श्री आडवाणी ने नयी दिल्ली में कांग्रेस के राजेश खन्ना से मामूली अंतर से जीत हासिल की थी जबकि गांधीनगर में कांग्रेस के जी आई पटेल को भारी मतों से हराया था । दो स्थानों से चुनाव लड़े जनता दल के श्री शरद यादव बदायूं में चुनाव हार गये थे जबकि मधेपुरा से निर्वाचित हुये थें । बदायूं में भाजपा के चिनमयानंद ने शरद यादव को पराजित किया था । मधेपुरा में शरद यादव को चार लाख 47 हजार से अधिक वोट आया था और उन्होंने जनता पार्टी के उम्मीदवार आनंद मोहन भारी मतों से पराजित किया था । बसपा नेता मायावती बिजनौर में चुनाव हार गयी थी जबकि कांशीराम चुनाव जीत गये थे । सुश्री मायावती को भाजपा के मंगलराम प्रेमी ने हराया था । श्री प्रेमी को 247465 वोट मिले थे जबकि बसपा नेता 159731 वोट मले थे । इटावा में कांशीराम ने भाजपा के लाल सिंह वर्मा को हराया था । श्री कांशी राम को 144290 तथा श्री वर्मा के 121824 वोट मिले थे।

वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर घाटमपुर (सु) सीट से चुनावी किस्मत आजमायी थी और वह जनता दल के केसरी लाल से चुनाव हार गये थे । केसरी लाल को 139560 और श्री कोविंद को 95913 मत मिले थे । जनता दल के उम्मीदवार विश्वनाथ प्रताप सिंह फतेहपुर सीट पर भाजपा के विजय सचन से चुनाव जीत गये थे । श्री सिंह को 191518 तथा श्री सचन को 54909मत मिले थे।

तत्कालीन प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर अपनी बलिया सीट पर जनता पार्टी के टिकट पर जीत गये थे । जनता पार्टी की टिकट पर पीलीभीत से चुनाव मैदान में उतरी मेनका गांधी को हार का सामना करना पड़ा था। बिहार में रोसड़ा सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े राम विलास पासवान ने कांग्रेस के अशोक कुमार को पराजित कर दिया था । श्री पासवान को 373710 और श्री कुमार को 113226 वोट मिले थे । श्री पासवान की सीट हाजीपुर में इस चुनाव में जनता दल के टिकट पर राम सुन्दर दास ने जनता पार्टी के उम्मीदवार दसईं चौधरी को हराया था ।श्री दास को 489105 और श्री चौधरी को 121353 वोट मिले थे। जनता दल के उम्मीदवार जार्ज फर्नांडीस ने मुजफ्फरपुर सीट पर कांग्रेस के रधुनाथ पांडे को पराजित किया था । भाकपा नेता कमला मिश्र मधुकर मोतिहारी में और इसी पार्टी के नेता भोगेन्द्र झा मधुबनी लोकसभा क्षेत्र में निर्वाचित हुये थे । बेगूसराय में कांग्रेस नेता कृष्णा शाही जीती थी।

पश्चिम बंगाल में कलकत्ता दक्षिण सीट पर कांग्रेस की टिकट पर ममता बनर्जी ने माकपा के विप्लव दास गुप्ता को पराजित किया था । माकपा के दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी बोलपुर में तथा माकपा नेता इन्द्रजीत गुप्ता मिदनापुर में निर्वाचित हुये थे । राजस्थान के झालावाड़ में भाजपा की वसुन्धरा राजे और खजुराहो में इसी पार्टी फायर ब्रांड नेता उमा भारती निर्वाचित हुयी थी । श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कांग्रेस के मानसिंह को हराया था । श्रीमती वसुन्धरा राजे को 245956 तथा मानसिंह को 154796 वोट मिले थे । सुश्री उमा भारती ने कांग्रेस के राम रतन को पराजित किया था । भाजपा नेता को 251714 और राम रतन को 186731 वोट मिले थे।

कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने जोधपुर में भाजपा नेता राम नारायण बिश्नोई को हराया था । श्री गहलोत को 275900 तथा श्री बिश्नोई को 226332 मत मिले थे । इंदौर में भाजपा की सुमित्रा महाजन ने 303269 वोट लाकर कांग्रेस के ललित जैन को पराजित किया था । श्री जैन को 222675 वोट मिले थे । महाराष्ट्र के अमरावती सीट पर कांग्रेस की टिकट पर प्रतिभा पाटिल ने शिवसेना के प्रकाश पाटिल को हराया था । श्रीमती पाटिल को 177265 और प्रकाश पाटिल को 121784 वोट मिले थे । बाम्बे उत्तर पूर्व सीट पर कांग्रेस के गुरुदास कामत ने भाजपा के जयवंती मेहता को हराया था।

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