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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विधानसभा अध्यक्ष को विधिवत इस्तीफे देकर कर्नाटक से वापिस मुंबई लौटे कांग्रेस- जदस के बागी विधायक,अब सरकार का बचना मुश्किल attacknews.in

मुंबई/नईदिल्ली/बेंगलुरु  11 जुलाई । कर्नाटक के चौदह बागी विधायक बेंगलुरू में विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद गुरुवार शाम यहां एक लक्जरी होटल में लौट आए।

विधायक उपनगरीय पवई के पुनर्जागरण होटल में लौट आए हैं और वे वहां दो दिन तक रहेंगे।

ये विधायक शनिवार शाम से ही यहां डेरा डाले हुए थे और कर्नाटक में 13 महीने पुरानी जनता दल (एस)-कांग्रेस सरकार को समर्थन वापस लेने के बाद यह गिर जाने के कगार पर आ गई ।

भाजपा नेता ने कहा, ‘उन्होंने आज कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष के समक्ष अपना इस्तीफा सौंप दिया और अब वे मुंबई में वापस आ गए हैं।

बेंगलुरू में विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा कि विधायकों ने अपना इस्तीफा ‘सही प्रारूप’ में सौंप दिया है और उन्हें इस बात की जांच करनी होगी कि क्या वे ”स्वैच्छिक और वास्तविक” हैं।

उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस-जनता दल यूनाइटेड गठबंधन के बागी विधायकों के इस्तीफे पर अध्यक्ष से गुरूवार को फैसला लेने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह आदेश

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कर्नाटक में कांग्रेस-जद (एस) के दस बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष से शाम छह बजे मुलाकात करने और इस्तीफा देने के अपने निर्णय से अवगत कराने की अनुमति प्रदान कर दी ।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष से कहा कि वह इन विधायकों के इस्तीफे के बारे में आज ही निर्णय लें। पीठ ने कहा कि अध्यक्ष द्वारा लिये गये फैसले से शुक्रवार को अवगत कराया जाये जब न्यायालय इस मामले में आगे विचार करेगा।

शीर्ष अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि इन बागी विधायकों के मुंबई से बेंगलुरू पहुंचने पर इन्हें हवाईअड्डे से विधानसभा तक सुरक्षा प्रदान की जाये।

इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ उन 10 विधायकों के मामले में आदेश पारित कर रही है जो हमारे सामने हैं, अन्य के लिये नहीं।

कर्नाटक विधानसभा के 13 सदस्यों – कांग्रेस के 10 और जद(एस) के तीन- ने छह जुलाई को सदन की सदस्यता से अपने-अपने त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को सौंपे थे। इसके साथ ही राज्य में कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार के लिये राजनीतिक संकट पैदा हो गया था।

शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले विधायकों में प्रताप गौडा पाटिल, बी सी पाटिल, बी बसवराज, रमेश जारकिहोली, ए शिवराम हब्बर, एस टी सोमशेखर, महेश कुमातल्ली, के गोपालैया, नारायण गौडा, अडगुर एच विश्वनाथ शामिल हैं।

इन विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा में विचित्र स्थिति है जहां 15 विधायक इस्तीफा देना चाहते हैं लेकिन अध्यक्ष उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि छह जुलाई को जब कुछ बागी विधायक अपने त्यागपत्र देने गये तो अध्यक्ष पिछले दरवाजे से अपने कार्यालय से बाहर चले गये। उन्होंने कहा कि एक बागी विधायक से उस समय धक्कामुक्की की गयी जब उसने बुधवार को अध्यक्ष के कार्यालय तक पहुंचने का प्रयास किया।

रोहतगी ने कहा कि राज्य विधानसभा का सत्र 12 जुलाई से शुरू हो रहा है लेकिन उससे पहले ही सत्तारूढ़ गठबंधन ने इन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिये अध्यक्ष के समक्ष आवेदन दायर किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘सदन में बहुमत सिद्ध करने का आदेश देने की बजाये बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। हम इस्तीफा देकर जनता के बीच जाकर फिर से चुनाव कराना चाहते हैं।’’

रोहतगी ने जब यह कहा कि 15 विधायक पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं तो पीठ ने कहा, ‘‘हम सिर्फ उन्हीं 10 विधायकों के मामले का संज्ञान लेंगे जो हमारे सामने हैं।’

जब रोहतगी ने एक जुलाई से अभी तक के घटनाक्रम का जिक्र किया तो पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हमें किसी बात से आश्चर्य नहीं होता है।’’

रोहतगी ने मई, 2018 की घटना का जिक्र किया जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद सरकार के गठन का मामला शीर्ष अदालत पहुंचा था। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तरह ही इस बार भी न्यायालय अध्यक्ष को सदन में शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दे सकता है। उन्होंने कहा कि बेंगलुरू और मुंबई, जहां बागी विधायक टिके हैं, पूरी तरह से हंगामे की स्थिति है।

उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को देखते हुये बागी विधायकों के लिये मुंबई से बेंगलुरू जाने पर पूरी तरह पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता है।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि: इस्तीफे संदेहास्पद-

कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के असंतुष्ट विधायकों से मुलाकात करने से पहले गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के.आर रमेश कुमार ने कहा कि विधायकों के उच्चतम न्यायालय पहुंचने से स्थिति ‘‘संदेहास्पद’’ प्रतीत हो रही है।

कुमार ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मैंने उन्हें कभी (मेरे कार्यालय) आने से नहीं रोका। मुझे नहीं पता वे मुझसे मिलने के लिए उच्चतम न्यायालय क्यों गए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे मिलने के लिए उन्हें अदालत का रुख करने की कोई जरूरत नहीं थी। वे स्वेच्छा से यहां आ सकते थे। इससे चीजें संदेहास्पद प्रतीत होती हैं।’’

कुमार ने कहा कि उन्होंने कभी विधायकों से मिलने से इनकार नहीं किया।

इस्तीफे पर आज ही निर्णय लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने उनसे मामले में फैसला लेने को कहा है, लेकिन क्या निर्णय लिया जाना है यह नहीं कहा है।

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कर्नाटक के कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के 10 बागी विधायकों को शाम छह बजे विधानसभा अध्यक्ष से मिलने और अपने इस्तीफे के संबंध में जानकारी देने की अनुमति दी थी।

प्रधान न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष को आज गुरुवार को ही विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय लेने और लिए गए निर्णय की जानकारी शुक्रवार को मामले की अगली सुनवाई के दौरान देने का निर्देश भी दिया था।

इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ उन 10 विधायकों के मामले में आदेश पारित कर रही है जो हमारे पास आए हैं, अन्य के लिये नहीं।

अगर बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए जाते हैं तो सत्तारूढ़ गठबंधन के समर्थक विधायकों की संख्या 106 हो जाएगी जबकि भाजपा को 107 विधायकों का समर्थन हासिल है। राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 113 है।

कांग्रेस ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया-

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कर्नाटक के बागी विधायकों के मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इन्कार करते हुए उन्हें विधायकों के इस्तीफे के मुद्दे पर शाम तक फैसला लेने का निर्देश दिया।

विधानसभा अध्यक्ष की ओर से अदालत में उपस्थित हुए वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने उठाया और अदालत से इस मामले में जल्द सुनवाई करने की गुहार लगाई, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा, “ नहीं, हम इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को करेंगे।”

डॉ. सिंघवी ने अदालत से इस मामले में आज पारित आदेश रद्द करने की अपील की थी। अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष को बागी विधायकों के इस्तीफे के बारे में शाम तक फैसला लेने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा कि इस मामले में सुबह आदेश पारित हो चुका है और अब इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष को फैसला लेना है।

मैं क्यों दूं इस्तीफा: कुमारस्वामी

मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा देने से साफ इंकार करते हुए कहा कि फिलहाल ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है कि उन्हें पद छोड़ना पड़े तथा विश्वास जताया कि गठबंधन सरकार विधायकों के बागी होने से उत्पन्न संकट से जल्द उबर जाएगी।

श्री कुमारस्वामी ने यहां कुमारा कृपा गेस्ट हाउस में गठबंधन सरकार के सहयोगी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक के बाद संवाददाताअों से कहा कि उनकी सरकार पर तत्काल कोई खतरा नहीं है। उन्होंने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले सभी 16 विधायक अपना इस्तीफा वापस ले लेंगे और सरकार को समर्थन जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बी एस येद्दियुरप्पा जब मुख्यमंत्री थे तो 18 विधायकों के बागी होने के बावजूद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया था।

इस बीच उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कर्नाटक के 10 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार के समक्ष शाम छह बजे तक पेश हाेने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष से विधायकों से मुलाकात के बाद ही इस बारे में निर्णय लेने को भी कहा है। बागी विधायकों के अध्यक्ष से मुलाकात करने के लिए विमान से मुंबई से बेंगलुरु जाने की संभावना है। विधायकों ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने उनसे एक साथ मुलाकात करने से इंकार कर दिया था।

शीर्ष अदालत ने कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक को सभी बागी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष से शीर्ष अदालत को शुक्रवार को सुनवाई के दौरान इस मामले की प्रगति से अवगत कराने का भी आग्रह किया है।

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