नयी दिल्ली, 29 जुलाई । गुड़गांव के एक परिवार को बेच दी गई सीमा (बदला हुआ नाम) पांच साल बाद अपनी दो माह की बच्ची के साथ झारखंड स्थित अपने गांव लौट आई। सीमा इन पांच वर्षों में कई दुखद स्थितियों से गुजरी, यहां तक कि उसके साथ एक घरेलू सहायक ने दुष्कर्म भी किया।
दुनिया भर में 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है। सीमा की यह कहानी उन लाखों लोगों की याद दिलाती है जो हर साल मानव तस्करी का शिकार बन जाते हैं। उन्हें वेश्यावृत्ति, मजदूरी या घरेलू कार्यों में जबरन या एक अच्छी जिंदगी जीने का लालच देकर बेचा जाता है।
सीमा के साथ पिछले साल उसके साथ काम करने वाले एक घरेलू सहायक ने दुष्कर्म किया। वह 19 घंटे तक काम करती थी फिर भी उसकी थाली में मुश्किल से ही खाना आ पाता था।
सीमा ने बताया, ‘‘ हर दिन सुबह चार बजे से रात 11 बजे तक काम करना पड़ता था। मैं घर का हर काम करती थी। उस परिवार के बच्चे जितनी उम्र के थे, उतनी ही उम्र मेरी भी थी। वह लोग जब अपनी परीक्षा की तैयारी करते थे तब मैं फर्श साफ कर रही होती थी।”
उसने बताया कि उसे सबकी थालियों का बचा हुआ खाना दिया जाता था और अगर थालियों में जूठा खाना नहीं बचता था तो उसे भूखे ही सोना पड़ता था।
उन्होंने बताया कि उनकी दुनिया एक बार फिर तब तबाह हो गई जब उनके साथ एक घरेलू सहायक ने दुष्कर्म किया।
सीमा ने कहा, “ मुझे नहीं पता चल रहा था कि मेरे साथ क्या हुआ। मेरे पेट में दर्द हुआ, जिसके बाद घर के मालिक मुझे डॉक्टर के पास ले गया जहां मुझे पता चला कि मैं गर्भवती हूं। उन्होंने गर्भपात कराने की कोशिश भी की लेकिन तब तक काफी देर हो चुका थी।”
अब सीमा चाहती हैं कि वह जिन परिस्थितियों से गुजरीं, वैसी परिस्थितियों से कोई न गुजरे।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक भारत में साल 2016 में 20,000 महिलाएं और बच्चे मानव तस्करी का शिकार हुए।
तस्करी के खिलाफ एक सख्त कानून बनाए जाने के लिए पिछले सप्ताह लोकसभा में तस्करी विरोधी विधेयक पारित हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र ने मानव तस्करी के खिलाफ जागरुकता फैलाने के लिए 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस मनाने का फैसला किया था।attacknews.in