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श्री महाकालेश्वर

उज्जैन में त्रिदेव श्री महाकालेश्वर पहुंचे गोपाल मंदिर भगवान श्री कृष्ण को जन्मदिन की बधाई देने attacknews.in

उज्जैन 3 सितंबर | जन्माष्टमी और शाही सवारी के दौरान गोपाल मंदिर पर भगवान शिव और भगवान कृष्ण के मिलन का मनोरम दृश्य सभी लोगों ने देखा |

चंद्रमौलेश्वर स्वरुप में महाकालेश्वर भगवान ने गोपाल मंदिर पहुंचकर श्री कृष्ण को जन्मदिन की बधाई दी | पुलिस बैंड द्वारा भगवान श्री कृष्ण की आरती की धुन बजाई गई | पूरा वातावरण भक्तिमय में डूब गया |

इस अद्भूत मिलन के साक्षी लाखों भक्तजन बने | गोपाल मंदिर पर पालकी रात 9:00 बजे पहुंची।यहां से सवारी महाकालेश्वर मन्दिर पहुंची।

लाखों श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से पालकी के दर्शन किए

श्रावण एवं भादौ मास की सवारियों के क्रम में आज जन्माष्टमी के दिन पर भगवान श्री महाकालेश्वर की शाही सवारी निकाली गई। सवारी के निकलने के पूर्व सभामण्डप में भगवान महाकाल के स्वरुप श्री चन्द्रमौलेश्वर का विधि-विधान से पूजन अर्चन ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन, सिंहस्थ केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष श्री माखनसिंह चौहान, संभागायुक्त श्री एम.बी.ओझा, आई.जी. श्री राकेश गुप्ता, कलेक्टर श्री मनीष सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री सचिन अतुलकर, उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री जगदीश अग्रवाल ने किया। पूजन पंडित घनश्याम शर्मा एवं पं. आशीष पुजारी ने कराया। इस अवसर पर श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री अभिषक दुवे, सदस्य श्री विभाष उपाध्याय, श्री जगदीश शुक्ला एवं पुजारी श्री प्रदीप गुरु सहित गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

पूजन उपरान्त पालकी जैसे ही मंदिर परिसर के मुख्य द्वार के पास पहुँची, सशस्त्र टुकड़ी द्वारा राजाधिराज बाबा महाकाल को सलामी दी गई।

सलामी के उपरान्त क्रमानुसार सवारी निर्धारित मार्ग की ओर आगे बढ़ी। सवारी के आगे-आगे सबसे पहले तोपची कड़ाबीन के धमाके करता हुआ राजाधिराज के नगर आगमन की सूचना मार्ग में खड़े श्रद्धालुओं को देते हुए आगे बढ़ रहा था।

तोपची के बाद भगवान श्री महाकाल का चांदी का ध्वज, घुड़सवार पुलिस दल, विशेष सशस्त्र बल, स्काउट गाईड, कांग्रेस सेवादल एवं इसके बाद सेवा समिति का बैण्ड मधुर भजनों की धुन बजाते हुए निकला। ठीक इसके बाद 64 से अधिक भजन मण्डलियां भजन-कीर्तन करते हुए निकली। भजन कीर्तन मण्डलियों के भजनों की गूँज से सम्पूर्ण सवारी मार्ग शिवमय हो गया। मार्ग में श्रद्धालु भजनों एवं भोले के जयकारों के साथ पालकी के आगमन की प्रतीक्षा में नजर आए।

भगवान महाकालेश्वर की पालकी के ठीक आगे साधु-संत चल रहे थे। इसके बाद पुलिस बैण्ड भक्ति धुनों से वातावरण में भक्ति के रंग बिखेर रहा था।

पुलिस बैण्ड के आगे निकलते ही भगवान चन्द्रमौलेश्वर पालकी में विराजित होकर अपनी प्रजा को दर्शन दे रहे थे।

पालकी को निकट आते देख घंटों इंतजार कर रहे श्रद्धालु भावविभोर होकर झूम उठे और “जय श्री महाकाल” के जयकारे लगाने लगे। सवारी के क्रम में इसके बाद श्री गरुड़ जी के रथ पर श्री शिव-तांड़व प्रतिमा, श्री नन्दी जी के रथ पर श्री उमा-महेश, रथ में ड़ोल पर होल्कर मुखौटा एवं रथ पर सप्तधान का मुखौटा और हाथी पर श्री मनमहेश विराजित होकर निकले। बीच-बीच में भारत बैण्ड, रमेश बैण्ड, गणेश बैण्ड, आर.के. बैण्ड तथा बालकृष्ण बैण्ड भजन की धुने बजाते हुए श्रद्धालुओं का मन मोह रहे थे।

चाकचौबंद व्यवस्था

शाही सवारी में जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा बेरिकेटिंग के माध्यम से चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था की गई। कलेक्टर श्री मनीष सिंह एवं पुलिस अधीक्षक श्री सचिन अतुलकर द्वारा सम्पूर्ण सवारी मार्ग पर घूम-घूम कर व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया गया। प्रशासन द्वारा 07 स्थानों पर एम्बुलेंस की तैनाती की गई एवं सार्वजनिक सूचनाओं के प्रसारण के लिए 16 स्थानों पर पी.ए. सिस्टम लगाए गए। सवारी मार्ग में केला प्रसादी वितरण पर प्रतिबंध लगाया गया था।

बेरिकेटिंग की व्यवस्था के साथ-साथ इस बार सवारी निकलने के बाद भी श्रद्धालुओं की सुगम वापसी के लिए पुलिस की व्यवस्था लगाई गई। सवारी के रामघाट पहुँचने पर पालकी का पूजन परम्परानुसार पंडितों द्वारा कराया गया।

रामघाट पर चन्द्रमौलेश्वर स्वरूप में भगवान महाकाल का विधिवत पूजन-अर्चन हुआ

श्री महाकालेश्वर मन्दिर से विधिवत पूजन-अर्चन पश्चात निर्धारित मार्गों से होते हुए भगवान महाकाल की पालकी शिप्रा तट रामघाट पहुंची। यहां भगवान महाकालेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन तथा शिप्रा जल से अभिषेक हुआ। पूजन-अर्चन पं.आशीष पुजारी आदि द्वारा सम्पन्न करवाया।

इस दौरान भगवान महाकाल की सवारी में विराजित भगवान चन्द्रमौलेश्वर का शिप्रा नदी (रामघाट) के दोनों तटों पर हजारों श्रद्धालु भक्तिमय होकर भगवान महाकाल के दर्शन लाभ लेते रहे।

दत्त अखाड़े के महन्त द्वारा भी भगवान महाकाल के लिये पूजन सामग्री भिजवाई गई। भगवान महाकाल के पूजन-अर्चन के बाद आरती के दौरान भगवान महाकाल के भक्तों द्वारा किये गये जय-जयकारों से रामघाट एवं दत्त अखाड़ा गुंजायमान हो गये।

भगवान महाकाल की सवारी रामघाट पर आने के पूर्व रामघाट एवं दत्त अखाड़े पर दोनों ओर से तोपची तोप छोड़कर सवारी के आने के संकेत लगातार देते रहे।attacknews.in

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