मुंबई, सात नवंबर । शिवसेना के नेता संजय राउत ने बृहस्पतिवार को कहा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बीच अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है।
राउत ने ठाकरे की शिवसेना विधायकों के साथ बैठक से पूर्व संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी और विपक्षी कांग्रेस एवं राकांपा के विधायक ‘‘पाला नहीं बदलेंगे’’।
राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, ‘‘भागवत और ठाकरे के बीच अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है।’’
यह पूछे जाने पर कि राज्य में सरकार गठन को लेकर बने गतिरोध के बीच क्या उनके विचार पार्टी के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के विचारों को सामने रखा।’’
पोर्टफोलियो के समान आवंटन और मुख्यमंत्री पद साझा करने की शिवसेना की मांग को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच गतिरोध बना हुआ है।
भाजपा ने ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद साझा करने की शिवसेना की मांग खारिज कर दी है।
मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल नौ नवंबर को समाप्त होगा।
दोनों दलों के सूत्रों ने बुधवार को कहा था कि दोनों दलों के बीच पीछे के दरवाजे से बातचीत चल रही है और सफलता मिलने की उम्मीद है।
संजय राउत ने आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन थाेपना चाहती है।
श्री राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की स्थितियां पैदा की जा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा और शिव सेना के बीच लोकसभा चुनाव के दौरान जो सहमति बनी थी उसके अनुसार हम 50:50 फार्मूला के तहत ढाई वर्ष के लिए शिव सेना का मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि राज्य की जनता ने भाजपा-शिवसेना के महागठबंधन को सरकार बनाने के लिए जनादेश दिया है तो फिर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा क्यों नहीं पेश कर रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा स्वयं भी सरकार नहीं बनाना चाहती और न ही दूसरे को सरकार बनाने दे रही है। भाजपा के पास बहुमत नहीं है इसलिए वह सरकार नहीं बना पा रही है।
एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि शिव सेना को धमकी या ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता। जिन लोगों के पास सत्ता होती है वही साम, दाम, दंड और भेद का इस्तेमाल करते हैं। श्री राउत ने कहा कि जनता की जनभावना है कि मुख्यमंत्री शिव सेना का हो।
उन्होंने कहा कि आज सभी विधायकों की बैठक हुयी थी और सभी ने एकमत से कहा कि पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे सरकार बनाने के संदर्भ में जो निर्णय लेंगे वह हम सभी को मान्य होगी। उन्होंने कहा कि शिव सेना किसी भी विधायक को किसी सुरक्षित स्थान पर नहीं ले गयी है।
उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम आने के बाद से शिव सेना अपनी बात पर खड़ी है कि ढाई-ढाई वर्ष के लिए दोनों पार्टी को मुख्यमंत्री बनाने का मौका मिलना चाहिए। राजनीतिक अस्थिरता के कारण राज्य का नुकसान हो रहा है। हम लोग शुरू से कह रहे हैं कि हम गठबंधन तोड़ने का पाप नहीं करेंगे।