नईदिल्ली 21 नवम्बर ।शिवसेना नेता संजय राउत ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिसंबर से पहले महाराष्ट्र में एक स्थायी सरकार बनेगी और इस पर अंतिम निर्णय एक या दो दिन में हो जाएग।
शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा के बीच लगातार बातचीत का दौर जारी है।
राउत ने कहा कि वह राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से आज मिले।
उन्होंने कहा कि सरकार के गठन के तौर तरीकों पर आगे चर्चा करने के लिए तीनों पार्टियों के बीच मुंबई में दूसरे चरण की बैठक होगी।
उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच इस सप्ताह बैठक की कोई योजना नहीं है।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादक राकांपा-कांग्रेस के साथ बातचीत करने के लिए मुख्य नेता के रूप में उभरे हैं।
राउत ने कहा, ‘‘ कल की बैठक साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर थी और दोनों पार्टियों (राकांपा-कांग्रेस) ने कहा कि बातचीत अच्छी रही। एक या दो दिन में तीनों पार्टियां एक आम सहमति पर पहुचेंगी और शिवसेना के नेतृत्व में दिसंबर से पहले महाराष्ट्र को एक स्थायी सरकार मिलेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ राज्य और लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए हम सरकार चलाना चाहते हैं और वह भी पांच वर्षों के लिए।’’
बुधवार को हुई बैठकों के बाद कांग्रेस और राकांपा नेताओं ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से महाराष्ट्र में ‘स्थायी’ सरकार बनाने पर सहमति हुयी है।
राज्य में मुख्यमंत्री पद पर कौन आसीन होगा, इस पर शिवसेना कुछ भी नहीं बोल रही है।
राउत ने कहा, ‘‘ आपको इसके बारे में शीघ्र जानकारी मिल जाएगी। लेकिन सभी शिवसैनिक और राज्य के लोग उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।’’
हालांकि उनसे जब मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल का आधा-आधा बंटवारा करने की राकांपा की मांग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है।’
उनसे जब कांग्रेस की चिंता के बारे में पूछा गया तो राउत ने कहा कि देश और उसका संविधान धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है। कांग्रेस का कहना था कि शिवसेना को अपने रुख में नरमी लानी होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ जब हम यह स्वीकार करते हैं तब आप किसानों और बेरोजगार के बीच अंतर नहीं करते हैं। छत्रपति शिवाजी ने सभी धर्म और जाति का ख्याल रखा था। इसलिए महाराष्ट्र को नए विचारों को आयात करने की जरूरत नहीं है।’’
राउत ने कहा कि शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि अदालतों में धार्मिक किताबों की जगह शपथ लेने की परंपरा संविधान की किताबों से होनी चाहिए।
राउत ने कहा, ‘‘ इसलिए हमें धर्मनिरपेक्षता का मतलब न सिखाएं।’’