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शिवसेना उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में देखने को लालायित और सोनिया गाँधी के साथ शरद पवार की बैठक टली attacknews.in

मुंबई, 16 नवम्बर । महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ संभावित गठबंधन पर चर्चा के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राकांपा प्रमुख शरद पवार के बीच रविवार को होने वाली बैठक टलने के आसार हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी।उधर महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए कांग्रेस और राकांपा के साथ बातचीत के बीच शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा पार्टी चाहती है कि उनके अध्यक्ष उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने।

राकांपा सूत्रों ने शनिवार को बताया कि पवार ने पुणे में रविवार को पार्टी की कोर समिति की एक बैठक बुलाई है जिससे समय पर दिल्ली पहुंचना उनके लिए मुश्किल है।

इससे पूर्व दोनों पार्टियों के सूत्रों ने बताया था कि पवार और गांधी की रविवार को बैठक हो सकती है।

सूत्रों ने कहा, ‘‘कोर समिति की बैठक पुणे में शाम चार बजे शुरू होगी। इसके बाद पवार शाम को दिल्ली रवाना होंगे। इसलिए सोनिया गांधी के साथ बैठक की संभावना कम ही दिखाई पड़ती है।’’

सूत्रों ने बताया कि कोर समिति राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना की संभावित गठबंधन सरकार में विभागों के आवंटन पर चर्चा हो सकती है।

उन्होंने बताया कि सरकार गठन पर चर्चा के लिए पवार के सोमवार या मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मिलने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद सोनिया गांधी के साथ बैठक हो सकती है।’’

राकांपा नेता नवाब मलिक ने शनिवार देर शाम कहा, “पवार तथा राकांपा के नेता मंगलवार को कांग्रेस नेताओं से मुलाकात करेंगे। उस बैठक में कांग्रेस तय करेगी कि उसे सरकार में शामिल होना है या बाहर से समर्थन देना है।”

उन्होंने पत्रकारों से कहा, “एक बार इसपर फैसला हो जाए, उसके बाद सरकार गठन के लिये आगे बढ़ा जाएगा।”

कांग्रेस और राकांपा पहले ही सरकार गठन के लिए शिवसेना के साथ एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) की रूपरेखा तय कर चुके है।

मुख्यमंत्री पद के बंटवारे के मुद्दे पर भाजपा और शिवसेना के बीच चली खींचतान के बाद राज्य में 12 नवम्बर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

उद्धव को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहती है शिवसेना, राजग की बैठक में नहीं होगी शामिल:

शिवसेना ने कहा है कि वह संसद के 18 नवम्बर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र से पूर्व रविवार को दिल्ली में होने वाली राजग घटक दलों की बैठक में शामिल नहीं होगी।

पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से उसका बाहर निकलना लगभग तय है।

महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए कांग्रेस और राकांपा के साथ बातचीत के बीच शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा पार्टी चाहती है कि उनके अध्यक्ष उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने।

शिवसेना ने आरोप लगाया कि भाजपा की मंशा राज्य में ‘‘खरीद-फरोख्त’ में लिप्त होने की है।

लंबे समय से राजग का घटक दल रहे शिवसेना की महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा होने के कुछ दिन बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा के साथ खींचतान चलती रही।

शिवसेना का वर्तमान में केन्द्र में कोई प्रतिनिधि नहीं है। उसके एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने 11 नवम्बर को इस्तीफा दे दिया था।

राउत ने कहा, ‘‘मुझे पता चला कि (राजग घटक दलों) की बैठक 17 नवम्बर को हो रही है। महाराष्ट्र में जिस तरह से घटनाक्रम चल रहा है, उसे देखते हुए हमने पहले ही बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला कर लिया था … हमारे मंत्री ने केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या अब शिवसेना के राजग से बाहर आने की औपचारिक घोषणा होनी ही बाकी बची है तो राउत ने कहा, ‘‘आप ऐसा कह सकते हो। ऐसा कहने में कोई समस्या नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि, ‘‘हम चाहते हैं कि महाराष्ट्र में उद्धव जी सरकार का नेतृत्व करें।’’

राउत ने कहा कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस महाराष्ट्र में न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) पर आम सहमति पर पहुंच गये हैं और दिल्ली में इस पर चर्चा की कोई जरूरत नहीं है।

राकांपा प्रमुख शरद पवार ने पुणे में रविवार को राकांपा कोर समिति की एक बैठक बुलाई है।

सूत्रों ने बताया कि वह अगले सप्ताह दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मिल सकते है। सीएमपी तथा शिवसेना के साथ गठबंधन बनाने के अन्य तौर-तरीकों पर चर्चा के लिए उनके कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिलने की संभावना है।

इससे पूर्व दिन में शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल के बयान को लेकर भाजपा पर निशाना साधा गया।

पाटिल ने शुक्रवार को कहा था कि निर्दलीय विधायकों के समर्थन से उनकी पार्टी की संख्या 288 सदस्यीय सदन में 119 हो गई है और जल्द ही सरकार बनाई जायेगी। भाजपा के विधायकों की संख्या 105 है।

मुखपत्र में कहा गया है, ‘‘जिनके पास 105 सीटें थीं, उन्होंने पहले राज्यपाल से कहा था कि उनके पास बहुमत नहीं है। अब वे कैसे यह दावा कर रहे हैं कि केवल वे ही सरकार बनायेंगे।…खरीद-फरोख्त की उनकी मंशा अब उजागर हो गई है।’’

किसी भी पार्टी या गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किये जाने के बाद 12 नवम्बर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

भाजपा के साथ अपना गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना समर्थन के लिए कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के पास पहुंची थी।

शिवसेना ने 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में 56 सीटें जीती थी। भाजपा ने 288 सदस्यीय सदन में सबसे अधिक 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस और राकांपा ने क्रमश: 44 और 54 सीटों पर विजय हासिल की थी।

भाजपा ने शनिवार को यहां अपने पराजित उम्मीदवारों के साथ बैठक की। इसके बाद चंद्रकांत पाटिल ने पत्रकारों को बताया कि फडणवीस ने विश्वास जताया है कि पार्टी सरकार बनायेगी।

‘शिवसेना 17 नवम्बर को होने वाली राजग की बैठक में भाग नहीं लेगी’:

शिवसेना संसद के 18 नवम्बर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र से पूर्व रविवार को दिल्ली में होने वाली राजग घटक दलों की बैठक में शामिल नहीं होगी।

शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने यहां पत्रकारों से कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से बाहर आना अब एक औपचारिकता रह गया है।

भाजपा पर निशाना साधते हुए राउत ने कहा कि राजग किसी की संपत्ति नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘शिवसेना और अकाली दल गठबंधन के समान रूप से महत्वपूर्ण संस्थापक थे।’’

लंबे समय से राजग का घटक दल रहे शिवसेना की महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा होने के कुछ दिन बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा के साथ खींचतान चलती रही।

शिवसेना का वर्तमान में केन्द्र में कोई प्रतिनिधि नहीं है। उसके एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने 11 नवम्बर को इस्तीफा दे दिया था।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने शर्त रखी थी कि राज्य में सरकार बनाने के लिए शिवसेना यदि उसका समर्थन चाहती है तो उसे राजग से बाहर निकलना होगा और सावंत को इस्तीफा देना होगा।

राउत ने कहा, ‘‘मुझे पता चला कि (राजग घटक दलों) की बैठक 17 नवम्बर को हो रही है। महाराष्ट्र में जिस तरह के घटनाक्रम हो रहे हैं, उसे देखते हुए हमने पहले ही बैठक में भाग लेने के खिलाफ फैसला कर लिया था … हमारे मंत्री ने केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया।’’

शिवसेना नेता ने कहा कि उन्हें पता चला था कि उनकी पार्टी को राजग की बैठक में भाग लेने का निमंत्रण नहीं मिला।

राउत ने कहा, ‘‘यह ठीक है, अगर इसे नहीं भेजा गया है। हमने (बैठक में भाग लेने के खिलाफ) पहले ही फैसला कर लिया था।’’

किसी का नाम लिये बगैर राउत ने कहा कि कोई भी राजग पर ‘‘मालिकाना हक’’ का दावा नहीं कर सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘राजग किसी की संपत्ति नहीं है। बाल ठाकरे (शिवसेना के दिवंगत संस्थापक) और अकाली दल राजग के एक समान रूप से महत्वपूर्ण संस्थापक हैं।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या अब शिवसेना के राजग से बाहर आने की औपचारिक घोषणा होनी ही बाकी बची है तो राउत ने कहा, ‘‘आप ऐसा कह सकते हो। ऐसा कहने में कोई समस्या नहीं है।’’

राज्यसभा सदस्य ने विश्वास जताया कि शिवसेना आगामी महापौर चुनावों में मुंबई और ठाणे नगर निकायों में अपने महापौर बनायेगी।

राउत ने कहा कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस महाराष्ट्र में न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) पर आम सहमति पर पहुंच गये है और दिल्ली में इस पर चर्चा की कोई जरूरत नहीं है।

सांसद ने पूछा, ‘‘फिर कैसे हम उस (राजग) बैठक में भाग ले पाएंगे।?

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Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

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