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उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के इतिहास में किसी भी सदन का सदस्य नहीं रहते हुए बने 8वें मुख्यमंत्री,सबकी निगाहें गांधी परिवार पर रही जो शामिल नहीं हुआ attacknews.in

मुंबई, 28 नवंबर। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे बृहस्पतिवार शाम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही ऐसे आठवें मुख्यमंत्री बन गये जो विधायक नहीं रहते हुए भी राज्य के मुख्यमंत्री बने।

कांग्रेस नेता ए आर अंतुले, वसंतदादा पाटिल, शिवाजीराव निलांगेकर पाटिल, शंकरराव चव्हाण, सुशील कुमार शिंदे और पृथ्वीराज चव्हाण उन नेताओं में शामिल हैं जो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते वक्त राज्य विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं थे।

तत्कालीन कांग्रेस नेता एवं मौजूदा राकांपा प्रमुख शरद पवार का नाम भी इन्हीं नेताओं में शुमार है।

ठाकरे (59) यहां बृहस्पतिवार शाम को शिवाजी पार्क में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के साथ ऐसे आठवें नेता बन गये ।

संविधान के प्रावधानों के अनुसार कोई नेता यदि विधानसभा या विधान परिषद् का सदस्य नहीं है तो उसे पद की शपथ लेने के छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना होता है।

जून 1980 में मुख्यमंत्री बनने वाले अंतुले राज्य में ऐसे पहले नेता थे।

वसंतदादा पाटिल एक सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद फरवरी 1983 में मुख्यमंत्री बने थे।

निलांगेकर पाटिल जून 1985 में मुख्यमंत्री बने थे जबकि शंकरराव चव्हाण जो उस वक्त केंद्रीय मंत्री थे, मार्च 1986 में राज्य के शीर्ष पद पर आसीन हुए थे।

नरसिंह राव सरकार में पवार तब रक्षा मंत्री थे लेकिन मुंबई में दंगे के बाद सुधाकरराव नाइक के इस पद से हटने के बाद मार्च 1993 में पवार का नाम मुख्यमंत्री के रूप में सामने आया था।

इसी तरह, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में पृथ्वीराज चव्हाण मंत्री थे लेकिन वह भी अशोक चव्हाण की जगह नवंबर 2010 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे।

अंतुले, निलांगेकर पाटिल और शिंदे ने मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ा था और विजयी हुए थे।

अन्य चार नेताओं ने विधान परिषद् का सदस्य बनकर संवैधानिक प्रावधान को पूरा किया था।

महाराष्ट्र में उद्धव ने मुख्यमंत्री और छह नेताओं ने ली मंत्री पद की शपथ:

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो-दो नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली।श्री ठाकरे ने मराठी भाषा में शपथ ली। वह राज्य के 18 वें मुख्यमंत्री बने हैं।

मुंबई के शिवाजी पार्क में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर तीनों दलों के वरिष्ठ नेता और हजारों कार्यकर्ता मौजूद थे।

पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना है।

उद्धव राज्य में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ‘महाराष्ट्र विकास अघाड़ी’ की सरकार का नेतृत्व करने जा रहे हैं।

शिवसेना से एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई ने भी शपथ ली। शिंदे और देसाई दोनों शिवसेना के वरिष्ठ नेता हैं।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कोटे से पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं जयंत पाटिल और छगन भुजबल ने भी शपथ ग्रहण किया। पाटिल मराठा समुदाय तो भुजबल ओबीसी वर्ग से आते हैं।

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोराट और कार्यकारी अध्यक्ष नितिन राउत को मंत्री पद की शपथ दिलाई गयी है। महाराष्ट्र कांग्रेस कोटे से शपथ लेने वाले थोराट मराठा समुदाय और तो राउत दलित समुदाय के चेहरा हैं।

माना जा रहा है कि अब बहुमत साबित करने के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।

उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री बने और शिवसेना से मुख्यमंत्री बनने वाले वह तीसरे व्यक्ति हैं।

शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन सरकार का गठन विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के 36 दिन बाद हुआ है।

उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का ताज

एक महीने से अधिक समय तक चले राजनीतिक उतार चढाव के बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने गुरूवार को महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली।

इस अवसर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, कांग्रेस के अहमद पटेल, सुशील कुमार शिंदे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे और प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी तथा उनकी पत्नी नीता अंबानी भी मौजूद थी।

उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद एक नाटकीय घटनाक्रम में श्री फडणवीस के मुख्यमंत्री के रुप में और श्री अजित पवार के उप मुख्यमंत्री के रुप में इस्तीफा देने के बाद राकांपा, कांग्रेस अौर शिवसेना के गठबंधन की सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

ऐसे मिली सत्ता:

महाराष्ट्र में बड़े राजनीति उठापठक के बाद शिवसेना के नेता उधव ठाकरे की शपथग्रहण की तैयारियां पूरी हो पाई। ऐतिहासिक शिवाजी मैदान में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की शपथ ली । यह पहला मौका है जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना । लेकिन बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे क्या हिंदुत्व के मुद्दे पर उसी तरह की आक्रामक और धारधार राजनीति कर पाएंगे जैसी राजनीति करने के लिए ठाकरे परिवार जाना जाता है।

महाराष्ट्र की राजनीति की कल आई तस्वीर को देखिए, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले अजीत पवार का स्वागत कर रही हैं, मंगलवार सवेरे तक एनसीपी नेता अजीत पवार, बीजेपी की देवेन्द्र फणनवीस सरकार में उपमुख्यमंत्री थे, और अब ये सवाल उठ रहा है कि महाविकास अघाड़ी की सरकार में उनका क्या भूमिका रहेगी।

सवेरे अजीत पवार ने अपनी पार्टी के विधायकों की एक बैठक में हिस्सा लिया, इस बैठक में गुरुवार को होने वाले शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण, विदानसभा अध्यक्ष का चुनाव, विश्वास प्रस्ताव और कई दूसरे मुद्दों पर चर्चा की गई। वाई बी च्वहाण सेंटर में हुई इस बैठक में वरिष्ठ पार्टी नेता चगन भुजबल और दिलीप वालसे पाटिल भी मौजूद थे।

मंगलवार रात को अजीत पवार ने शरद पवार से भी मुलाकात की थी, सवेरे की तस्वीरों को देखकर तो यही लगता है कि पवार परिवार में सबकुछ सामान्य हो गया है।

गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले बुधवार को शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की, वहीं महाराष्ट्र विधानसभा में सदन के सभी सदस्यों को शपथ दिलाई गयी।

ठाकरे परिवार से पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को शिवाजी पार्क में एक बड़े समारोह में शपथ ली, कार्यक्रम में राजनीतिक दुनिया के सभी नेताओं को बुलाने की तैयारी की गई थी, सबकी नजरें लगी थो कि गांधी परिवार ने, ठाकरे परिवार के साथ मंच साझा क्यों नहीं किया ?

दिनभर बैठकों का दौर चलता रहा,वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल और मल्लिकार्जुन खड़गे ने शरद पवार से मुलाकात की तो वहीं वाई बी च्वहांण केन्द्र में एनसीपी-सेना और कांग्रेस के नेताओं की बैठक हुई। वहीं बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने बीजेपी को जनादेश दिया था, इन सबने जनादेश के साथ छल किया है।

इस सबके बीच शिवाजी पार्क में शपथग्रहण समारोह को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सवाल खड़े किये हैं, दरअसल 2010 में एक एनजीओ की याचिका पर कोर्ट ने इस इलाके को साइलेंस जोन घोषित किया था।

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