अब जैसलमेर सियासत का केंद्र बना
जैसलमेर, 31 जुलाई ।राजस्थान सियासी घमासान के बीच राज्य सरकार समर्थक सभी विधायक आज जैसलमेर पहुंच गये इसके साथ ही राजस्थान का यह सीमावर्ती रेगिस्तानी जिला राजस्थान की सियासत का केंद्र बनने जा रहा है।
राज्य में पिछले कुछ दिन से चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच जयपुर के होटल से सभी विधायकों को जैसलमेर के पांच सितारा होटल सूर्यगढ़ लाया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्य सरकार के मंत्री जैसलमेर के नागरिक हवाई अड्डे पर पहुंचे। अपरान्ह करीब तीन बजे पहले बेच में तीन निजी विमानों से कांग्रेस के 53 विधायक शुक्रवार को जैसलमेर पहुंचे। बाद में चौथे विमान से साँय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अविनाश पांडे समेत बाकी के विधायक भी यहाँ पहुंच गये। जैसलमेर विधायक रूपाराम सहित अन्य कांग्रेसी नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का एयरपोर्ट पर स्वागत किया।
कांग्रेस और भाजपा को अपने विधायकों को एकजुट रखने की चुनौती
राजस्थान में विधानसभा का सत्र बुलाने की राज्यपाल की अनुमति के बाद कांग्रेस और भाजपा को अपने विधायकों के एकजुट रहने की चुनौती है।
पिछले 15 दिनों से यहां एक होटल में लाये गये कांग्रेस विधायकों को अब जैसलमेर ले जाया गया है, जहां निर्जन स्थान पर बनी एक होटल में ठहराया जायेगा। कांग्रेस में निष्कासित उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित 19 विधायकों का अलग गुट बनाकर कांग्रेस में खलबली मचाने के बाद कांग्रेस के विधायकों को एकजुटता बनाये रखने की चुनौती बन गई। कांग्रेस के साथ निर्दलीय एवं बीटीपी के दो तथा बसपा के छह विधायकों को मिलाकर कांग्रेस के पास 103 आंकड़ा माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत धनबल पर विधायकों को खरीदने तथा सरकार को अस्थिर करने का आरोप पहले ही लगा चुके थे। इसके बाद कांग्रेस में टूट और विधायकों की खरीद-फरोख्त के बारे में एक ऑडियों सामने आने के बाद विधायकों से पूछताछ करने के लिए एसओजी कई बार मानेसर गई जहां पायलट गुट के विधायक ठहरे हुए थे। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष डा सी पी जोशी ने विधायक दल की दो बार की गई बैठक में नहीं आने पर 19 विधायकों को कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया।
पायलट गुट के अदालत का दरवाजा खटखटाने पर उन्हें राहत मिल गई लेकिन फिर भी राजनीति रुकी नहीं, भाजपा तथा कांग्रेस में आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया। इसके बाद बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने पर श्री गहलोत ने मीडिया के सामने बहुमत का प्रर्दशन कर राज्यपाल से विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की। राजभवन में एक दिन का धरना देने के बाद श्री गहलोत ने तीन बार मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर राजभवन के कुछ बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण देने के साथ 31 जुलाई को सत्र बुलाने की मांग की। मंत्रिमंडल द्वारा चौथी बार प्रस्ताव पास करने के बाद 21 दिन की अनिवार्यता बताते हुए राज्यपाल ने 14 अगस्त को सत्र बुलाने की अनुमति दे दी।
इसके बाद दोनों राजनीतिक दल अपने अपने विधायकों को एकजुट करने में लगा हुआ है। विधानसभा में पायलट गुट के 19 विधायकों अयोग्य घोषित कर दिया गया तो राजनीति की दिशा बदल सकती है। विधायकों को एकजुट बनाये रखने में अब तक सक्षम रहे श्री गहलोत बहुमत सिद्ध करने में कामयाब रहे तो यह सरकार आगे तक भी चल सकती है। फिलहाल कांग्रेस के सभी विधायकों को जैसलमेर ले जाया गया है जबकि पायलट गुट के 19 विधायकों के ठिकाने के बारे में किसी को जानकारी नहीं है।
कांग्रेस और समर्थक विधायक पहुंचे जैसलमेर
जयपुर/जैसलमेर,से खबर है कि,राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के बीच अशोक गहलोत खेमे के 53 विधायक शुक्रवार दोपहर जयपुर से जैसलमेर पहुंचे।
सूत्रों ने बताया कि जयपुर से जैसलमेर पहुंचे तीन चार्टर्ड विमान में कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी, साले मोहम्मद सहित 50 अन्य विधायक आए हैं।
सभी विधायकों को जैसलमेर हवाई अड्डे से बसों के जरिए सूर्यगढ़ होटल ले जाया गया। विधायकों को छोड़ने के बाद चार्टर्ड विमान अन्य विधायकों और मंत्रियों को लिवाने जयपुर रवाना हो गये।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वसनीय माने जाने वाले पूर्व सांसद बद्री राम जाखड़ ने इन विधायकों आगवानी की।
इससे पहले जयपुर में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सभी विधायक एकजुट रह सकें इसलिये उन्हें जैसलमेर ले जाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की रणनीति है कि एक भी विधायक की खरीद-फरोख्त ना हो सके।
जैसलमेर रवानगी से पहले जयपुर हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत में कांग्रेस विधायक प्रशांत बैरवा ने कहा था कि सभी लोग एक ही जगह पर रुके-रुके थकान ही महसूस करने लगे हैं, ऐसे में हम जगह बदलने के लिए जैसलमेर जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि आगामी विधानसभा सत्र की तारीख तय होने के बाद राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त का ‘रेट’ (कीमत) बढ़ गया है।
इसके बाद ही विधायकों को जैसलमेर ले जाने का फैसला किया गया।
सूत्रों ने बताया कि जैसलमेर में हवाई अड्डे पर पूर्व सांसद पाली बद्री राम जाखड़ के साथ स्थानीय नेताओं ने उनकी अगवानी की। हवाई अड्डे पर पहले 10 सीटर फाल्कन चार्टर से 10 विधायक जबकि ईआरजे विमान में मनीषा पंवार, हरीश चौधरी, अमीन खान, दानिश अबरार, गिरिराज सिंह, महेंद्र चौधरी, रामलाल जाट, महेन्द्रजीत मलवित, राजेन्द्र सिंह गुढ़ा सहित 36 विधायक पहुंचे। इसके अलावा बी 200 में सात विधायक संयम लोढ़ा, रामकेश, लक्ष्मण मीणा, मीना कंवर, बाबूलाल नागर, उम्मेद सिंह, राजकुमार गौड़ पहुंचे।
सूत्रों ने बताया कि सभी विधायकों ने उत्तर लॉबी में थोड़ा आराम किया, उसके बाद बसों से उन्हें होटल के लिए रवाना कर दिया गया। उनके ठहरने की जैसलमेर से सम रोड पर करीब नौ किलोमीटर दूर सूर्यगढ़ में व्यवस्था की गयी है।
इससे पहले सुबह जिला कलेक्टर आशीष मोदी और पुलिस अधीक्षक डॉ अजय सिंह ने होटल में व्यवस्थाओं का जायजा लिया। होटल के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था करते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
जैसलमेर से आगे विधायकों को कहाँ ले जायेंगे गहलोत, आगे तो पाकिस्तान है – डाॅ. पूनियां
इसी बीच राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने ट्वीट करके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि अशोक गहलोत कांग्रेस को टूट से बचाने के लिए विधायकों को जैसलमेर ले गए, सरकार कहाँ तक भागेगी, आगे तो अब पाकिस्तान ही है।
डा़ पूनियां ने विधायकों को जयपुर से जैसलमेर ले जाने पर श्री गहलोत पर तंज कसते हुए कहा कि सभी विधायकों को एक-एक पीपा और दे दो, टिड्डी भगाने के काम आएंगे, इससे किसानों का कुछ तो भला होगा। किसानों का कर्जा तो आपने माफ किया नहीं।
डाॅ. पूनियां ने ट्वीट करके कहा कि जब कांग्रेस पार्टी के सभी विधायक एकजुट हैं, कोई खतरा नहीं है, सब ठीक है तो बाड़ाबंदी क्यों, और बिकाऊ कौन है? उनके नाम सार्वजनिक करिये। मुख्यमंत्री को बाड़े में भी विधायकों पर अविश्वास क्यों है? जयपुर से जैसलमेर के बाद आगे तो पाकिस्तान है, हकीकत से कब तक दूर भागेंगे।
राजस्थान विस में कांग्रेस के मुख्य सचेतक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
इधर नये घटनाक्रम में राजस्थान में राजनीतिक संकट के मसले पर विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी के बाद विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने भी शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
श्री महेश जोशी ने कांग्रेस नेता सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई मामले में उच्च न्यायालय के 24 जुलाई के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
मुख्य सचेतक ने कहा है कि उच्च न्यायालय का यथास्थिति बरकरार रखने का गत शुक्रवार का आदेश देना उच्च न्यायालय का न्यायिक अनुशासनहीनता का द्योतक है। याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध शीर्ष अदालत से किया है।
याचिका में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय को यह सुनिश्चित करना होगा कि उच्च न्यायालय किहोतो मामले में शीर्ष अदालत द्वारा तैयार की गई लक्ष्मण रेखा को पार न करे, जिसमें लंबित अयोग्यता मामले में न्यायिक हस्तक्षेप को निर्णायक रूप से रोका गया है।
गौरतलब है कि गत सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष ने 21 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपनी याचिका शीर्ष अदालत से वापस ले ली थी और कहा था कि उच्च न्यायालय के शुक्रवार के आदेश के बाद उनकी याचिका का कोई मतलब नहीं रह गया है। उन्होंने कहा था कि नये सिरे से अपनी याचिका दायर करेंगे। न्यायालय ने उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति प्रदान कर दी थी।