जयपुर 24 जुलाई । राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है तथा किसी भी प्रकार की दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए।
श्री मिश्र ने आज बताया कि राज्य सरकार द्वारा 23 जुलाई को रात में विधानसभा के सत्र को अत्यन्त ही अल्प नोटिस के साथ आहूत किये जाने की पत्रावली पेश की गई। पत्रावली में गुण दोषों के आधार पर राजभवन द्वारा परीक्षण किया गया तथा विधि विषेशज्ञों द्वारा परामर्श प्राप्त किया गया।
उन्होंने कहा कि विधि विशेषज्ञों के परामर्श के बाद राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग को राजभवन द्वारा कुछ बिन्दुओं के आधार पर स्थिति प्रस्तुत करने के लिए पत्रावली प्रेषित की गई है। इसके तहत विधानसभा सत्र को किस तिथि से आहूत किया जाना हे, इसका उल्लेख केबिनेट नोट में नहीं है और ना ही केबिनेट द्वारा कोई अनुमोदन प्रदान किया गया है।अल्प सूचना पर सत्र बुलाये जाने का न तो कोई औचित्य प्रदान किया गया है और ना ही कोई एजेण्डा प्रस्तावित किया गया है। सामान्य प्रक्रिया में सत्र आहूत किए जाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना आवष्यक होता है।
राज्य सरकार को यह भी सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिए गए हैं कि सभी विधायकों की स्वतन्त्रता एवं उनका स्वतंत्र आवागमन भी सुनिश्चित किया जावे। कुछ विधायकों की निर्योग्यता का प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय और माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है। उसका संज्ञान भी लिए जाने के निर्देष राज्य सरकार को दिए गए हैं। साथ ही कोरोना के राजस्थान राज्य में वर्तमान परिपेक्ष्य में तेजी से फैलाव को देखते हुए किस प्रकार से सत्र आहूत किया जायेगा, इसका भी विवरण प्रस्तुत किए जाने के निर्देष दिए गए हैं।
इसके अलावा राजभवन द्वारा स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक कार्य के लिए संवैधानिक मर्यादा और सुसंगत नियमावलियों में विहित प्रावधानों के अनुसार ही कार्यवाही की जावे। यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार का बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने हेतु सत्र आहूत करने का क्या औचित्य है।
राज्यपाल का अल्प समय की सूचना पर विधानसभा सत्र बुलाने से इनकार
आज दोपहर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने अल्प समय की सूचना पर विधानसभा सत्र बुलाने से इनकार किया ।
अपने विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलकर विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की थी।
कांग्रेस एवं निर्दलीय विधायक अभी राजभवन में ही मौजूद रहे तथा श्री गहलोत राज्यपाल से दुबारा मिल सकते है ऐसा कहा जा रहा था ।
सत्र नहीं बुलाने पर राजभवन का घेराव करने की श्री गहलोत की चेतावनी पर विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने राजभवन में केन्द्रीय रिर्जव पुलिस बल सीआरपीएफ तैनात करने की मांग की ।
विधानसभा सत्र बुलाने की मांग को लेकर कांग्रेस विधायक पहुंचे राजभवन
वही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के मामले में विधायकों के साथ आज राजभवन पहुंचें थे।
राजभवन पहुंचेने के बाद कांग्रेस एवं निर्दलीय विधायक सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए राजभवन के लाॅन में बैठ गये। सभी विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में तथा केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इस दौरान मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने गये तथा अविलम्ब विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की गयी थी ।
सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने श्री गहलोत से कहा कि कोरोना महामारी के दौरान विधानसभा सत्र बुलाने के मामले में विधिक राय ली जा रही है।
इससे पूर्व सभी विधायक एक पंच सितारा होटल से चार बसों में बैठ कर राजभवन लाये गये। मुख्यमंत्री श्री गहलोत भी विधायकों के साथ बस में बैठकर आये थे।
गौरतलब है कि श्री गहलोत कल ही राज्यपाल श्री मिश्र से मिले थे तथा अविलम्ब विधानसभा बुलाने की मांग की थी। लेकिन इस पर अभी तक राज्यपाल की ओर से जवाब नहीं मिलने पर मजबूरन सभी विधायकों को लेकर राजभवन आये।
केन्द्र के दबाव में राज्यपाल विधानसभा सत्र नहीं बुला रहे है-गहलोत
इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि राज्यपाल कलराज मिश्र केन्द्र सरकार के दवाब में विधानसभा का सत्र नहीं बुला रहे है।
श्री गहलोत ने आज राजभवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्यपाल द्वारा केबिनेट के फैसले को मानने की परंपरा रही है और हमने उनसे इसके तहत ही विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी चल रही है विधानसभा सत्र में इस पर बहस करेंगे और बहुमत भी साबित करेंगे।
उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते है कि राज्यपाल किसी के दवाब में नहीं आएंगे तथा वह इस पर जल्द ही निर्णय लेंगे।
उन्होंने कहा कि हमेशा विपक्ष विधानसभा सत्र बुलाने की मांग करता है लेकिन इस बार सत्ता पक्ष विधानसभा बुलाने के लिए निवेदन कर रहा है और विधानसभा में दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। लेकिन यह समझ से परे है कि विधानसभा का सत्र क्यों नहीं बुलाया जा रहा है।
श्री गहलोत ने कहा कि सभी विधायक राजभवन के लाॅन में गांधीवादी तरीके से बैठे है तथा राज्यपाल के निर्णय का इंतजार कर रहे है। उनका फैसला आ जाने के बाद ही हम आगे की रणनीति पर चर्चा कर कदम उठायेंगे तब तक यही बैठेंगे।
राजभवन का घेराव के संबंध में उनके द्वारा दिये गये बयान पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्ष 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैंरोसिंह शेखावत अपने विधायकों के साथ राजभवन के इस लाॅन में धरने पर बैठे थे। श्री शेखावत ने भी उस समय राजभवन को घेरने का बयान दिया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भाजपा के नेताओं को इसकी जानकारी नहीं है।
इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने बताया कि राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम मध्यनजर कांग्रेस पार्टी की ओर से राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर शनिवार को धरना प्रदर्शन किया जायेगा।
सत्र बुलाने के आश्वासन के बाद कांग्रेस विधायकों का धरना समाप्त
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कुछ महत्वपूर्ण बिंंदुओं पर जानकारी मिलने के बाद कांग्रेस विधायकों को विधानसभा का सत्र बुलाने का आश्वासन दिया, इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने आज राजभवन में धरना समाप्त कर दिया।
धरना समाप्त करने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पत्रकारों को बताया कि राज्यपाल ने मंत्रिमंडल के सदस्यों से कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी है, लिहाजा कैबिनेट की बैठक रात साढ़े नौ बजे बुलाई गयी है। उन्होंने बताया कि राज्यपाल को बैठक में लिये गये निर्णय की जानकारी आज रात ही दे दी जायेगी।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल संविधान की अनुपालना करेंगे। वह संविधान की धारा 174 के तहत मंत्रिमंडल की सिफारिश मानने को प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर बहुमत की सरकार को विधायकों की खरीदफरोख्त करके गिराने का षडयंत्र रचने का आरोप लगाया।
राजस्थान कैबिनेट की बैठक हुई
इस घटनाक्रम के चलते अशोक गहलोत कैबिनेट की बैठक शुक्रवार रात यहां मुख्यमंत्री निवास में शुरू हुई।
पाटी सूत्रों के अनुसार बैठक में विधानसभा सत्र बुलाए जाने की कैबिनेट के प्रस्ताव पर राजभवन द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर चर्चा हुई ।
राजभवन ने छह बिंदुओं पर जवाब मांगा है। राजभवन द्वारा जिन छह बिंदुओं को उठाया गया है उनमें से एक यह भी है कि राज्य सरकार का बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र आहूत करने का क्या औचित्य है? इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि विधानसभा सत्र किस तिथि से आहूत किया जाना है, इसका उल्लेख केबिनेट नोट में नहीं है और ना ही कैबिनेट द्वारा कोई अनुमोदन किया गया है।