नयी दिल्ली, चार जुलाई । लोकसभा चुनाव में करारी हार और अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे के निर्णय के बाद से गंभीर संकट का सामना कर रही कांग्रेस में मायूसी का मंजर है। कई वरिष्ठ नेता गांधी से अपने फैसले पर पुनर्विचार की गुहार लगा रहे हैं तो कुछ गांधी परिवार मुक्त कांग्रेस के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
इस बीच, कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने भी पद से इस्तीफा दे दिया और साथ ही राहुल गांधी से आग्रह किया कि वह अध्यक्ष पद पर बने रहें। रावत असम के प्रभारी थे। उधर, इस्तीफा देने की औपचारिक घोषणा करने के बाद गांधी बृहस्पतिवार को मानहानि के एक मामले में मुंबई की एक अदालत में पेश हुए और इस मौके पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वह भाजपा एवं आरएसएस के खिलाफ लड़ाई को 10 गुने साहस से लड़ेंगे।
उनके इस्तीफे के बाद पार्टी के समक्ष फिलहाल सबसे बड़ा संकट यह है कि अब कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा। लोकसभा चुनाव में हार के बाद गांधी का इस्तीफा कांग्रेस के लिए दोहरा बड़ा झटका है।
सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व से जुड़े मुद्दे के समाधान के लिए जल्द ही पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाई जाएगी।
वैसे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के अन्य नेताओं ने उम्मीद जताई है कि गांधी पार्टी का फिर से नेतृत्व करेंगे, हालांकि उनका यह भी कहना है कि गांधी अध्यक्ष नहीं रहते हुए भी उनके नेता बने रहेंगे।
कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने कहा, ‘‘गांधी परिवार कांग्रेस का अभिन्न हिस्सा है। दोनों को अलग नहीं किया जा सकता। हम आने वाले समय में भी उनका मार्गदर्शन लेते रहेंगे।’’ पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर यह बहुत मुश्किल समय है। बहुत सारे नेताओं को इसकी चिंता है कि आखिर नए नेतृत्व में पार्टी का क्या भविष्य होगा।’’ दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद से अपने इस्तीफे को लेकर बनी असमंजस की स्थिति पर पूर्णविराम लगाते हुए राहुल गांधी ने बुधवार को त्यागपत्र की औपचारिक घोषणा कर दी और पार्टी को सुझाव दिया कि नया अध्यक्ष चुनने के लिए एक समूह गठित किया जाए क्योंकि उनके लिए यह उपयुक्त नहीं है कि इस प्रक्रिया में शामिल हों।
चुनावी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के ‘‘भविष्य के विकास’’ के लिए उनका इस्तीफा देना जरूरी था।
मुंबई में कांग्रेस समर्थकों ने लगाएं नारे :
मुंबई से खबर है कि जैसे ही राहुल गांधी मानहानि के एक मामले में अदालत में पेश होने के लिए यहां अदालत पहुंचे, कांग्रेस के कई समर्थक नारे लगाते हुए पार्टी प्रमुख पद से इस्तीफा देने की मांग कर रहे थे।
महानगर न्यायालय भवन से सड़क के उस पार, लगभग 150 कांग्रेस समर्थकों ने तख्तियां लिए और नारेबाजी करते हुए गांधी को पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को कहा।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आज सुबह मुंबई हवाई अड्डे के बाहर भी इसी तरह के नारे लगाए।
गांधी के अदालत में पहुंचने के तुरंत बाद माकपा महासचिव सीताराम येचुरी भी वहां पहुंच गए, क्योंकि वे आरएसएस के एक कार्यकर्ता द्वारा दायर मानहानि के मामले में कार्यवाही का भी सामना कर रहे हैं।
पुलिस ने मझगांव-श्रीमति अदालत के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर बैरिकेड लगाए और लोगों और मीडियाकर्मियों को अदालत परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया।
पुलिस ने अन्य वादियों और मीडियाकर्मियों को सूचित किया कि केवल अदालत के कर्मचारियों और वकीलों को प्रवेश की अनुमति दी गई थी।
गांधी एक एसयूवी में पहुंचे, अपने गार्डों के साथ घिरे और अदालत के गेट पर चलने से पहले कुछ देर के लिए समर्थकों का स्वागत किया।
मझगांव मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट ने इस साल फरवरी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वकील और कार्यकर्ता धु्रव जोशी की मानहानि याचिका के जवाब में गांधी और येचुरी को समन जारी किया था।
जोशी ने आरोप लगाया था कि पत्रकार गौरी लंकेश की मौत के बाद गांधी ने संवाददाताओं से कहा था, ‘जो कोई भी भाजपा की विचारधारा के खिलाफ बोलता है, आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ बोलता है, उस पर दबाव डाला जाता है, पीटा जाता है, हमला किया जाता है और यहां तक कि उसे मार दिया जाता है।
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