नयी दिल्ली, 25 सितंबर । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वायुसेना के ‘पिलाटस प्रशिक्षण विमान’ के सौदे में सीधे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के परिवार के दलाली पाने का आज आरोप लगाया और कहा कि राफेल के सौदे में भी गांधी परिवार की दलाली का जुगाड़ नहीं हो पाने के कारण समय पर विमान नहीं खरीदे गये और देश की सुरक्षा को खतरे में डाला गया।
भाजपा के प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि आजादी के बाद भारत में हुए सभी घोटालों के तार कांग्रेस के दरवाजे पर जाते हैं और राफेल को लेकर कांग्रेस में जो छटपटाहट दिखायी दे रही है, वह गांधी परिवार को दलाली नहीं मिल पाने के कारण है।
डॉ. पात्रा ने आरोप लगाया कि श्री गांधी के परिवार के सदस्य और श्रीमती सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा के अभिन्न मित्र संजय भंडारी की राफेल विमान बनाने वाली कंपनी डेसोल्ट एविएशन्स से साठगांठ नहीं हो पाने के कारण यह विमान सौदा नहीं किया गया। संजय भंडारी इस बात के लिए प्रयासरत थे कि उनकी कंपनी ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशन्स (ओआईसी) को डेसोल्ट एविएशन्स के साथ ऑफसेट करार में किसी प्रकार से शामिल करा लिया जाए लेकिन डेसोल्ट एविएशन्स इसके लिए राज़ी नहीं हुई और इसी कारण यह सौदा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय नहीं हो पाया।
राफेल सौदे में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की अनदेखी करने के श्री गांधी के सरकार पर आरोपों का उल्लेख करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि संप्रग सरकार के समय वायुसेना के पिलाटस विमानों की खरीद में एचएएच द्वारा विकसित स्वेदशी एचटीटी विमानों को दरकिनार करके स्विट्ज़रलैंड से पिलाटस विमानों की खरीद की गयी थी और उसके लिए संजय भंडारी के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के खाते में दस लाख स्विस फ्रैंक का भुगतान किया गया था और 2012 में सौदे पर अंतिम मुहर लगने के समय श्री वाड्रा को दुबई और स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिख का महंगा हवाई टिकट दिया गया था और श्री वाड्रा ने यात्रा भी की थी।
कपिल सिब्बल ने तथ्यों को सामने लाने को कहा:
कांग्रेस ने कहा है कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे में प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद के अलावा कोई तीसरा व्यक्ति मौजूद नहीं था इसलिए सरकार के मंत्रियों की बजाय प्रधानमंत्री को खुद इस सौदे से संबंधित तथ्य देश के सामने रखने चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने मंगलवार को यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 10 अप्रैल 2015 को जब राफेल सौदे को लेकर समझौता हुआ था उस वक्त सिर्फ श्री मोदी और श्री ओलांद ही वहां मौजूद थे और इन दो लोगों को ही मालूम था कि राफेल सौदा तय होना है इसिलए प्रधानमंत्री को ही इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि श्री मोदी की यात्रा से महज 15 दिन पहले राफेल निर्माता दसॉल्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एरिक ट्रापियर ने कहा था कि एचएएल के साथ ऑफसेट समझौता 95 फीसदी तक पूरा हो चुका है। इसी तरह से तत्कालीन विदेश सचिव जय शंकर ने श्री मोदी की यात्रा से दो दिन पहले बयान दिया कि राफेल इस यात्रा के एजेंडे में नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि इस सौदे से चुनचाप सरकारी क्षेत्र की कंपनी एचएएल को बाहर कर अनिल अम्बानी की कंपनी को फायदा पहुंचाना मकसद था।
उन्होंने कहा कि जब दो ही लोगों को इस सौदे से जुड़ी जानकारी है तो फिर मोदी सरकार के वित्त मंत्री, कृषि मंत्री तथा कानून मंत्री इस बारे में कैसे जवाब दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर, पूर्व रक्षा मंत्री अरुण जेटली या वर्तमान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण सौदे पर हस्ताक्षर के समय वहां नहीं थे इसलिए वे जवाब भी नहीं दे सकते हैं।attacknews.in