Home / Political/ Politics / पुड्डुचेरी में गहराया संवैधानिक संकट;उपराज्यपाल किरण बेदी और मुख्यमंत्री नारायणसामी के बीच की लडाई सड़क पर आई;राज्य की कांग्रेस सरकार ने “राजनिवास” को बेदखल करने के हमले किए शुरू attacknews.in

पुड्डुचेरी में गहराया संवैधानिक संकट;उपराज्यपाल किरण बेदी और मुख्यमंत्री नारायणसामी के बीच की लडाई सड़क पर आई;राज्य की कांग्रेस सरकार ने “राजनिवास” को बेदखल करने के हमले किए शुरू attacknews.in

पुड्डुचेरी 04 जनवरी । पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा है कि वह उपराज्यपाल किरण बेदी को वापस बुलाये जाने की मांग को लेकर आठ जनवरी से राजनिवास के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।

श्री नारायणसामी ने उपराज्यपाल के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरने के लिए जनता का समर्थन जुटाने के वास्ते रविवार को पुड्डुचेरी के समीप कांगाचेट्टिकुलम में प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए यह घोषणा की।

उन्होंने कहा कि वह और अन्य नेता अपने पदों अथवा ओहदों को लेकर कतई चिंतित नहीं है तथा किसी भी परिणाम का सामने करने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी, विधायक तथा गठबंधन दलों के नेता एवं कार्यकर्ता उनके साथ धरने में शामिल होंगे।

उपराज्यपाल के साथ विभिन्न मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री के मतभेद चर्चित रहे हैं।

श्री नारायणसामी ने आरोप लगाया है कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार पुड्डुचेरी में कांग्रेस-डीएमके सरकार को सत्ता से बेदखल और केंद्रशासित प्रदेश का तमिलनाडु के साथ विलय करना चाहती है। उन्होंने श्रीमती बेदी पर विकासपरक योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा डालने का आरोप भी लगाया है।

पुदुच्चेरी सरकार और किरण बेदी के बीच विवादों की ख़बरें तभी से आ रही हैं, जब वर्ष 2016 में उपराज्यपाल ने पदभार ग्रहण किया था।

वी. नारायणसामी तथा उनकी पार्टी कांग्रेस ने किरण बेदी पर कल्याण योजनाओं को मंज़ूरी देने में देरी करने, निर्वाचित सरकार की अनदेखी करने और प्रशासन के कामकाज में दखल देने का आरोप लगाया है. पिछले साल मद्रास हाईकोर्ट ने उपराज्यपाल के निर्वाचित सरकार से इतर स्वतंत्र रूप से फैसले करने पर रोक लगा दी थी, और कहा था कि वित्त, प्रशासन तथा सेवाओं से जुड़े मामलों में उपराज्यपाल सिर्फ मंत्रिमंडल की सलाह से ही काम कर सकती हैं।

नारायणसामी ने राष्ट्रपति से किया था किरण बेदी को वापस बुलाने का अनुरोध

पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने विगत 23 दिसम्बर को कहा था कि , ‘‘मैंने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने और उपराज्यपाल के रूप में किरण बेदी को वापस बुलाये जाने का अनुरोध किया है.’’

नारायणसामी ने कहा कि राष्ट्रपति को 23 दिसम्बर को उन्होंने एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा था।

किरण बेदी को तुरंत वापस बुलाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि वह उनके मंत्रिमंडल के विभिन्न कल्याणकारी कदमों और फैसलों को लागू करने में ‘‘बाधा’’ डाल रही हैं।

मुख्यमंत्री ने यहां पत्रकारों से कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति को 23 दिसम्बर को उस दौरान एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा था जब वह एक दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए इस केन्द्र शासित प्रदेश की यात्रा पर आये थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने और उपराज्यपाल के रूप में किरण बेदी को वापस बुलाये जाने का अनुरोध किया है.’’ नारायणसामी ने कहा कि उन्होंने ज्ञापन में कहा था कि उपराज्यपाल बनने के बाद से बेदी ने पुडुचेरी के विकास में कोई योगदान नहीं दिया।

उन्होंने कहा था कि उपराज्यपाल ‘‘मनमाने ढंग’’ से काम कर रही हैं और एक समानांतर सरकार चलाना चाहती हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल योजनाओं को लागू करने में बाधाएं खड़ी कर रही है.’’

पहले भी केंद्र से कर चुके हैं बेदी को वापस बुलाए जाने की मांग

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसलिए उन्होंने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने और पुडुचेरी की उपराज्यपाल के रूप में किरण बेदी को तत्काल वापस बुलाये जाने का अनुरोध किया है. कांग्रेस सरकार)ने पहले भी केन्द्र से बेदी को वापस बुलाने की मांग की थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने ज्ञापन में कहा था कि उनके नेतृत्व वाली सरकार पिछले तीन वर्षों से विभिन्न प्रशासनिक और राजकोषीय मुद्दे झेल रही है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने उनकी मांगों पर गौर करने का आश्वासन दिया है।

निकाय चुनाव को लेकर किरण बेदी-नारायणसामी की खींचतान और ज्यादा बढ़ गई :

कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी के भारत में लोकतंत्र न होने के बयान के अगले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस आरोप पर पलटवार किया. 27 दिसम्बर को पीएम मोदी ने कांग्रेस शासित पुडुचेरी का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी इस केंद्र शासित प्रदेश में लोकल बॉडी के चुनाव नहीं आयोजित किए गए हैं. पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के जिस आदेश का जिक्र किया था वो मई 2018 में आया था।

पुडुचेरी में 2011 के बाद से पंचायत और नगर निकाय के चुनाव आयोजित नहीं किए गए हैं. 2011 से 2016 तक पुडुचेरी में एन रंगास्वामी की AINRC पार्टी की सरकार थी. ये पार्टी कांग्रेस से टूट कर बनी थी. वहीं 2016 से इस केंद्र शासित प्रदेश में कांग्रेस पार्टी सत्ता में है।

निकाय चुनाव में देरी की यह हैं वजह?

निकाय चुनावों में हो रही इस देरी का मुख्य कारण परिसीमन में की गई देरी,दरअसल परिसीमन की प्रक्रिया को लंबे समय तक घसीटा गया,ये मामला अदालतों तक पहुंच गया था और मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कई फैसले दिए हैं,लेकिन पिछले दो वर्षों में राज्य चुनाव आयुक्त (SEC) की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी और उपराज्यपाल किरण बेदी के बीच कड़वाहट ने एक नया आयाम खोल दिया है।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में नारायणसामी ने कहा कि जब कोर्ट ने 2012 में पहली बार पुडुचेरी में चुनाव कराने का निर्देश दिया था, तब AINRC सत्ता में थी। उन्होंने कहा कि AINRC 2014 के बाद से NDA के साथ थी, लेकिन उन्होंने चुनाव कराने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया. मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पुडुचेरी को बिना देरी के पंचायत और नगर निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था. ये आदेश जून 2015 तक चुनाव कराने के मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुडुचेरी सरकार द्वारा दायर SLP पर दिया गया था।

यहीं से उपराज्यपाल किरण बेदी और मुख्यमंत्री नारायणसामी के बीच खींचतान शुरू हुई और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक साल बाद मई 2019 में, नारायणसामी ने बेदी को एक फाइल भेजी, जिसमें पूर्व नौकरशाह टी.एम. बालकृष्णन को SEC के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी,उपराज्यपाल ने जुलाई में ये कहते हुए फाइल लौटा दी कि कि उन्हें नियुक्ति के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

नारायणसामी का कहना है, “उपराज्यपाल सरकार के बिना चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करना चाहती थीं. ग्राम पंचायत अधिनियम और नगरपालिका अधिनियम के तहत ये शक्तियां मंत्री के पास निहित है और उपराज्यपाल केवल मंजूरी के लिए हैं.”

इस पर बेदी का कहना है कि बार-बार के हस्तक्षेप के बाद भी पुडुचेरी सरकार SEC के पद के लिए नाम देने के पहले परिसीमित वार्डों के बारे में बताने से पीछे हट रही है।उपराज्यपाल के मुताबिक वो SEC को नियुक्त करने की सक्षम अधिकारी हैं।उन्होंने कहा, ‘सरकार ने एक नाम चुना और मंजूरी के लिए फाइल भेजी. यह सही प्रक्रिया नहीं हैं. उन्होंने सिर्फ अपने ही व्यक्ति को चुन लिया.”

बेदी का कहना है, “मैंने कहा कि आप नियुक्ति के लिए उचित प्रक्रिया अपनाएं, इसे पेपर में प्रकाशित करें, पात्र आवेदकों को बुलाएं, मुख्य सचिव सहित तीन व्यक्तियों की एक समिति का गठन करें और फिर वो एक नाम सुझा सकते हैं.”

नियुक्ति को लेकर आमने-सामने हो गए उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री

फाइल वापस करने के बाद, पिछले साल जुलाई में उपराज्यपाल के ऑफिस ने SEC की नियुक्ति के लिए एक विज्ञापन जारी किया,उसी महीने, पुडुचेरी विधानसभा अध्यक्ष वी पी शिवकोझुंथु ने विज्ञापन को रद्द कर दिया. इसके एक दिन बाद सरकार ने बालाकृष्णन को SEC नियुक्त कर दिया।

नारायणसामी ने कहा, “मुद्दा विधानसभा में उठाया गया था और माननीय विधायकों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया, क्योंकि नियम बनाने की शक्ति विधायिका के पास है. उपराज्यपाल के पास नियम बनाने की कोई शक्ति नहीं है, लेकिन उपराज्यपाल ने खुद नियम तैयार किए. विधानसभा ने उनके द्वारा तय किए गए नियमों को रद्द कर दिया. तब विधानसभा ने एक रिटायर्ड IAS अधिकारी बालाकृष्णन को नियुक्त किया, जिन्होंने कई चुनाव कराए हैं.”

20 दिसंबर, 2019 को बेदी ने एक आदेश जारी किया, जिसमें बालकृष्णन की नियुक्ति को रद्द घोषित कर दिया गया. इस साल जनवरी में, नारायणसामी ने एक आदेश जारी किया, जिसमें उपराज्यपाल के आदेश को ‘अवैध’ घोषित कर दिया गया. नारायणसामी ने कहा, “गृह मंत्रालय की मंजूरी के साथ उपराज्यपाल ने उन्हें राज्य चुनाव आयुक्त के पद से हटा दिया. गृह मंत्रालय ने इसमें हस्तक्षेप किया.”

उन्होंने कहा, “इसे अदालत के सामने चुनौती दी गई थी. अदालत ने कहा कि उनके पास शक्तियां हैं. इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट के लिए एक अपील तैयार की गई, जो कि अभी लंबित है.”

बेदी का कहना है कि अदालत ने इस मुद्दे की व्यापक जांच की है और कहा है कि अध्यक्ष की इसमें कोई भूमिका नहीं है. बेदी ने मार्च में दिए मद्रास हाई कोर्ट के निर्देश का जिक्र करते हुए कहा, “कोर्ट के निर्देश में ये साफ है कि यह एक कार्यकारी कार्रवाई थी और उपराज्यपाल के पास नियुक्त करने की शक्तियां हैं.”

विधानसभा चुनाव तक इस मामले को खींचना चाहती है सरकार?

इस साल अक्टूबर में बेदी ने पूर्व वन अधिकारी रॉय पी थॉमस को SEC पद पर नियुक्त करने का आदेश जारी किया. इस पर नारायणसामी ने कहा, “वो एक वन अधिकारी हैं. उनकी नियुक्ति अवैध है. उनकी नियुक्ति को दूसरे व्यक्ति ने चुनौती दी है और मामला कोर्ट के समक्ष है.”

बेदी का कहना है, “अगर यह (चुनाव) विधानसभा चुनाव से पहले आयोजित किया जाता है तो इससे बहुत अलग तरह का और युवा नेतृत्व सामने आ सकता है. एक युवा, महिला नेतृत्व. मई (2021) में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह उनके लिए एक बड़ी चुनौती है. इसमें कुछ नए, निर्दलीय उम्मीदवारों उतर सकते हैं जो विधानसभा चुनावों में उनके लिए एक चुनौती बन सकते हैं. उनका प्रयास किसी भी तरह से समय को आगे खींचने का है और मई से पहले चुनाव नहीं कराने का है.”

वहीं प्रधानमंत्री मोदी के आरोपों पर नारायणसामी का कहना है, “पीएम बिना पृष्ठभूमि जाने कह रहे हैं कि हमने स्थानीय निकाय चुनाव का आयोजन नहीं किया है. यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीएम मामले को बिना अच्छे से समझे और देरी के लिए कौन जिम्मेदार है इसे बिना जाने, चुनी हुई सरकार पर आरोप लगा रहे हैं. वो उपराज्यपाल को सही करने की जगह, जोकि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त की गई हैं. वह मेरी सरकार पर आरोप लगा रहे है.”

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