नयी दिल्ली, चार जुलाई । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि आज जब विश्व असाधारण चुनौतियों से निपट रहा है तो इनका स्थायी समाधान भगवान बुद्ध के आदर्शों से मिल सकता है।
मोदी ने यहां ‘धम्म चक्र’ दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान बुद्ध का अष्टांग मार्ग समाज और राष्ट्रों की कुशलक्षेम की तरफ का रास्ता दिखाता है।
उन्होंने कहा कि यह करुणा और दया की महत्ता को उजागर करता है। भगवान बुद्ध के उपदेश ‘विचार और कार्य’ दोनों में सरलता की सीख देते हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘आज विश्व असाधारण चुनौतियों से निपट रहा है। इन चुनौतियों का स्थायी समाधान भगवान बुद्ध के आदर्शों से मिल सकता है। ये पूर्व में भी प्रासंगिक थे। ये वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं और ये भविष्य में भी प्रासंगिक रहेंगे।’’
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज धर्म चक्र दिवस के अवसर पर आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम को एक वीडियो के माध्यम से संबोधित किया। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में 4 जुलाई, 2020 को आषाढ़ पूर्णिमा को धर्म चक्र दिवस के रूप मना रहा है।
इस दिन गौतम बुद्ध ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के रिसीपत्तन जिसे वर्तमान में सारनाथ के नाम से जाना जाता है, अपने पांच तपस्वी शिष्यों को बौद्ध धर्म का पहला उपदेश दिया था। दुनिया भर में बौ्द्ध धर्म के अनुयायी इस दिवस को धर्म चक्र प्रवत्तन या “धर्म चक्र को गति देने” के दिन के रूप में भी मनाते हैं।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देशवासियों को आषाढ़ पूर्णिमा, जिसे गुरु पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है की बधाई दी और भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। उन्होंने मंगोलिया सरकार को मंगोलियाई कंजूर की प्रतियां भेंट किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
उन्होंने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और उनके द्वारा दिखाए गए अष्टांग मार्ग का उल्लेख करते हुए कहा कि यह कई समाजों और राष्ट्रों को कल्याण का मार्ग दिखाता है। बौद्ध धर्म की शिक्षाएं लोगों, महिलाओं और गरीबों के प्रति सम्मान का भाव रखने और अहिंसा तथा शांति का पाठ पढ़ाती हैं, जो पृथ्वी रूपी ग्रह पर सतत विकास का आधार है।
श्री मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं में आशा और उद्देश्य के बारे में बात की थी और दोनों के बीच एक मजबूत संबंध का अनुभव किया था। उन्होंने कहा कि वह किस तरह से 21वीं सदी को लेकर बेहद आशान्वित हैं और ये उम्मीद उन्हें देश के युवाओं से मिलती है। उन्होंने कहा कि भारत के पास आज दुनिया में स्टार्टअप का एक सबसे बड़ा परितंत्र मौजूद हैं जहां प्रतिभावान युवा वैश्विक चुनौतियों का समाधान तलाशने में जुटे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया असाधारण चुनौतियों से जूझ रही है जिसका स्थायी समाधान भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से निकल कर आ सकता है। उन्होंने बौद्ध धरोहर स्थलों के साथ और अधिक लोगों को जोड़ने और इन स्थलों से संपर्क बढ़ाने की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश में कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित करने के कैबिनेट के फैसले का भी उल्लेख किया, जिसके माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ-साथ तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए यात्रा भी सुविधाजनक हो जाएगी।
जब महामारी विश्व भर में मानव जीवन और अर्थव्यवस्थाओं का विध्वंस कर रही है, बुद्ध के संदेश किसी प्रकाश स्तंभ की तरह काम कर रहे हैं: राष्ट्रपति
इस अवसर पर राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने कहा कि जब महामारी विश्व भर में मानव जीवन और अर्थव्यवस्थाओं का विध्वंस कर रही है, बुद्ध के संदेश किसी प्रकाश स्तंभ की तरह काम कर रहे हैं। भगवान बुद्ध ने प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए लोगों को लालच, घृणा, हिंसा, ईष्या और कई अन्य बुराइयों को त्यागने की सलाह दी थी। उसी प्रकार की पुरानी हिंसा और प्रकृति की अधोगति में शामिल बेदर्द मानवता की उत्कंठा के साथ इस संदेश की परस्पर तुलना करें। हम सभी जानते हैं कि जैसे ही कोरोना वायरस की प्रचंडता में कमी आएगी, हमारे सामने जलवायु परिवर्तन की एक बड़ी गंभीर चुनौती सामने आ जाएगी।
राष्ट्रपति आज (4 जुलाई, 2020) राष्ट्रपति भवन में धर्म चक्र दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय बुद्ध परिसंघ द्वारा आयोजित एक वर्चुअल समारोह को संबोधित कर रहे थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को धम्म की उत्पत्ति की भूमि होने का गौरव हासिल है। भारत में हम बौद्ध धर्म को दिव्य सत्य की एक नई अभिव्यक्ति के रूप में देखते हैं। भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति और उसके बाद के चार दशकों तक उनके द्वारा उपदेश दिया जाना बौद्धिक उदारवाद और आध्यात्मिक विविधता के सम्मान की भारतीय परंपरा की तर्ज पर था। आधुनिक युग में भी, दो असाधारण रूप से महान भारतीयों-महात्मा गांधी और बाबा साहेब अंबेडकर ने बुद्ध के उपदेशों से प्रेरणा पाई और और उन्होंने राष्ट्र की नियति को आकार दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि उनके पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए, महान पथ पर चलने के उनके आमंत्रण के प्रत्युत्तर में हमें बुद्ध के आह्वान को सुनने का प्रयत्न करना चाहिए। ऐसा लगता है कि यह दुनिया अल्प अवधि तथा दीर्घ अवधि दोनों ही प्रकार से कष्टों से भरी हुई है। राजाओं और समृद्ध लोगों की ऐसी कई कहानियां हैं कि भयंकर अवसाद से पीड़ित होने के बाद कष्टों से बचने के लिए उन्होंने बुद्ध की शरण ली। वास्तव में, बुद्ध का जीवन पहले की धारणाओं को चुनौती देता है क्योंकि वह इस अपूर्ण विश्व के मध्य में कष्टों से मुक्ति पाने में विश्वास करते थे।