पटना, 18 फरवरी । कभी 2014 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनवाने का दावा करने वाले और बाद उत्तरप्रदेश में राहुल गांधी का सलाहकार बनकर कांग्रेस की पहचान स्थापित करने का दावा करने वाले और बाद में हाल ही में दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल की ओर आप पार्टी के विजयी होने की भूमिका निभाने का दावा करने वाले चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास मॉडल पर सवाल खड़ा किया और उन पर सैद्धांतिक विचारधारा से समझौता कर भाजपा के साथ गठबंधन में रहने की बात पर कटाक्ष भी किया।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ आवाज उठाने वाले किशोर ने कहा कि कुमार को यह बताना चाहिए कि वह महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे के साथ एक साथ कैसे खड़े रह सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘ नीतीश जी हमेशा कहते हैं कि वह गांधी, जेपी और लोहिया के आदर्शों को नहीं छोड़ सकते। फिर वह उन लोगों के साथ कैसे रह सकते हैं जो कि गोडसे की विचारधारा का समर्थन करते हैं। दोनों एक साथ नहीं चल सकते। अगर आप भाजपा के साथ खड़े रहना चाहते हैं, तो मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन आप दोनों तरफ तो नहीं रह सकते।’
किशोर ने कहा ‘‘ इस मुद्दे पर मेरे और नीतीश जी के बीच काफी चर्चा हुई है। उनके अपने विचार हैं जबकि मेरे अपने। मेरे और मुख्यमंत्री के बीच इस बात को लेकर मतभेद हैं कि गांधी और गोडसे के विचार एक साथ खड़े नहीं हो सकते। दल का नेता होने के नाते आपको यह बताना होगा कि आप किस तरफ हैं। ’’
नीतीश की शासन प्रणाली पर सीधा निशाना साधते हुए किशोर ने कहा कि 2005 में बिहार सबसे गरीब राज्य था और अब भी है।
उन्होंने कहा, ‘ बिहार में पिछले 15 वर्षों में विकास हुआ है लेकिन इसकी गति वैसी नहीं है जैसी होनी चाहिए।’
बिहार को सशक्त नेतृत्व चाहिए पिछलग्गू नेता नहीं :
प्रशांत किशोर ने भविष्य की अपनी योजनाओं का भी खुलासा किया और कहा कि बिहार के विकास के लिए एक सशक्त नेता चाहिए पिछलग्गू नहीं ।
श्री किशोर ने जदयू से निष्कासन के 20 दिनों के बाद आज यहां पहली बार संवाददाता सम्मेलन में श्री नीतीश कुमार के साथ वैचारिक मतभेदों के संबंध में खुल कर चर्चा की और कहा कि उनसे उनके (नीतीश कुमार) मतभेद के दो कारण हैं । पहला कि श्री कुमार कहते हैं कि वह गांधी, जेपी (जयप्रकाश नारायण) और लोहिया की विचारधारा को नहीं छोड़ सकते लेकिन दूसरी ओर वह गोडसे की विचारधारा से सहमति रखने वालों के साथ खड़े हो जाते हैं । उन्होंने कहा कि श्री कुमार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ रहना चाहते हैं तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन गांधी और गोडसे की विचारधारा एक साथ नहीं चल सकती।
जदयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के नेता के तौर पर श्री कुमार को बताना पड़ेगा कि गोडसे और गांधी की विचारधारा एक साथ कैसे चल सकती है ।
उन्होंने कहा कि पिछले 15 साल से श्री कुमार और उनकी पार्टी भाजपा के साथ रही है यह उन्हें (किशोर) भी मालूम है लेकिन आज जो भाजपा है उसमें जमीन आसमान का फर्क है । उन्होंने कहा कि उनके लिए 2014 में चुनाव हारे हुए और दो सांसद वाली पार्टी के नेता नीतीश कुमार के प्रति ज्यादा सम्मान था लेकिन आज गुजरात का कोई नेता गठबंधन में श्री नीतीश कुमार की स्थिति बताता है तो यह अच्छी बात नहीं है ।