Home / Political/ Politics / राज्यसभा में दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को संकेत दिया;”हम तुम्हें कही नहीं छोड़ेगें “;वाह जी महाराज वाह!इस पर सिंधिया ने कहा”आपका आशीर्वाद है”, दिग्विजय ने कहा, “आपके साथ हमेशा बना रहेगा” attacknews.in

राज्यसभा में दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को संकेत दिया;”हम तुम्हें कही नहीं छोड़ेगें “;वाह जी महाराज वाह!इस पर सिंधिया ने कहा”आपका आशीर्वाद है”, दिग्विजय ने कहा, “आपके साथ हमेशा बना रहेगा” attacknews.in

नयी दिल्ली 04 फरवरी । राज्यसभा में गुरुवार को उस वक्त दिलचस्प नजारा दिखा जब मध्यप्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तीखे कटाक्ष किये और श्री सिंधिया उसे चुपचाप सुनकर रह गये।

राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के दौरान श्री सिंधिया ने अपना करीब आधे घंटे का भाषण समाप्त किया तो सभापति एम़ वेंकैया नायडू ने कांग्रेस के श्री दिग्विजय सिंह का नाम पुकारा। इस पर सदन में कई सदस्यों के चेहरे पर अर्थपूर्ण मुस्कान तैर गयी और किसी-किसी की हंसी भी छूट गयी। इस पर श्री नायडू ने सफाई दी कि उन्होंने सूची में क्रम के आधार पर ही श्री सिंह का नाम पुकारा है, अन्य कोई बात नहीं है।

सरकार किसान के विकास को लेकर कटिबद्ध: सिंधिया

इससे पहले भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को कहा कि सरकार किसानों के विकास को लेकर कटिबद्ध है और उसने 70 साल से बेड़ियों में जकड़े किसानों को आजादी दिलाने के लिए तीन कृषि सुधार कानून बनाये हैं ।

श्री सिधिया ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद के प्रस्ताव पर जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि आन्दोलनकारी किसानों से संवाद करने की नीति के कारण ही सरकार ने किसान संगठनों के साथ ग्यारह दौर की वार्ता की है । कानूनों में किये गये बदलाव के कारण किसानों को अपने उत्पाद को कहीं भी , किसी को मनचाहे कीमत पर बेचने की आजादी दी गयी है । सरकार ने इस कानून को डेढ साल के लिए स्थगित करने की बात कही है ।

सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करे : विपक्ष

इसके बाद कांग्रेस के दिग्विजय सिंह सिंह ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि तीन कृषि सुधार कानून किसान विरोधी है और इसके खिलाफ आन्दोलन हो रहा है ।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जब लोगों की भावना को राजद्रोह के रुप में देखा जाता है तो वहां से तानाशाही की शुरुआत होती है । लोकतंत्र में विरोध अहम होता है ।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणापत्र में कृषि सुधार की बात कही थी लेकिन इसे आम सहमति से किया जाना था । उन्होंने कहा कि कृषि सुधार विधेयकों पर सदन में चर्चा के दौरान विपक्ष ने इसे प्रवर समिति में भेजने तथा पारित कराये जाने के दौरान मत विभाजन कराने की मांग की थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया ।

ऐसा रहा दोनों के बीच दिलचस्प नजारा:

कभी एक ही पार्टी कांग्रेस में रहने वाले दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्यस सिंधिया का आज सामना राज्यसभा में हुआ। जहां इस वक्त किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा चल रही है। बहस के बीच जब बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद जब कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह का नाम आया तो राज्यसभा में ठहाके लगने लगे। सभापति से लेकर सभी पार्टियों के सांसद मुस्कुराते हुए नजर आए।

दिग्विजय-सिंधिया को लेकर सभापति ने कहा मैंने कुछ नहीं किया

दरअसल, राष्ट्रपति के धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान जब राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद जब कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह का नाम आया तो सदन में मौजूद सभी सांसद ठहाके लगाने लगे। इस पर सभापति ने कहा कि मैंने कुछ नया नहीं किया है, जो सूची में था मैंने उसी के हिसाब से नाम लिया है।

सिंधिया ने की मोदी की तारीफ, दिग्विजय बोले- वाह महाराज वाह

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कोरोना महामारी को लेकर अपने स्पीच के दौरान मोदी सरकार की जमकर तारीफ की। इसी दौरान दिग्विजय और सिंधिया के बीच मजेदार संवाद हुआ है। जहां सिंधिया के स्पीच खत्म होते ही दिग्विजय सिंह की बारी आई।

दिग्विजय ने सिंधिया को बधाई देते हुए कहा कि मैं आपको बधाई देता हूं कि यूपीए सरकार के दौरान भी सदन में आप इतनी ही मजबूती के साथ पक्ष रखते थे। अब बीजेपी में भी उतनी मजबूती से अपना पक्ष रख रहे हैं। वाह जी महाराज वाह। इस पर सिंधिया ने उनके सामने हाथ जोड़ लिए और मुस्कुराते हुए कहा कि आपका ही आशीर्वाद है। दिग्विजय ने कहा, हमारा आशीर्वाद आपके साथ है और हमेशा बना रहेगा। इसी बात पर सिंधिया ने बस इसी बात पर सदन में जमकर ठहाके लगे।

दोनों रहें एक-दूसरे के विरोधी

बता दें कि दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया एक समय कांग्रेस में रहते हुए भी साथ नहीं रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच गुटबाजी हावी शुरू से ही रही है। क्योंकि वह एमपी की राजनीति में पावर के दो केंद्र रहे हैं। जो दिग्विजय और सिंधिया एक-दूसरे को मात देने में लगे रहते थे। दोनों ही राजा-महाराजा परिवार से आते हैं, इसलिए उनका अपना-अपना गढ़ है। कुछ राजनीतिज्ञ जानकारों का कहना है कि इसी वजह से मध्य प्रदेश में पिछले कुछ सालों से कांग्रेस सत्ता में नहीं रह पाई।

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